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Rajat Sharma’s Blog : आईएनएस विक्रांत आत्मनिर्भर भारत का जीता-जागता प्रतीक

आईएनएस विक्रांत का समुद्र में उतरना भारत की आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। यही आत्मनिर्भरता भारत को आत्मगौरव की तरफ ले जाएगी और बिना आत्मगौरव के कोई भी देश दुनिया की महाशक्ति नहीं बन सकता।

Written By: Rajat Sharma
Published : Sep 03, 2022 17:54 IST, Updated : Sep 03, 2022 17:54 IST
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.
Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

2 सितंबर 2022, हर हिन्दुस्तानी के लिए गर्व का दिन है। इस दिन भारत दुनिया के उन देशों में शामिल हो गया जिनके पास एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने का हुनर, हौसला, ताकत और काबिलियत है। इस नेवी को देश का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर मिल गया।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईएनएस विक्रांत को राष्ट्र को समर्पित कर दिया। अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस के बाद भारत छठा देश है, जिसने स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर बनाया है।  दूसरी बात ये रही कि भारतीय नौसेना के झंडे से गुलामी के एक बोझ को हटा दिया गया। नौसेना के झंडे से औपनिवेशिक शासन का प्रतीक सेंट जॉर्ज क्रॉस को हटाकर उसकी जगह मराठा सम्राट शिवाजी महाराज से प्रेरित नौसेना के नए झंडे का अनावरण किया गया। 

आईएनएस विक्रांत को 20 हजार करोड़ की लागत से 13 वर्षों में तैयार किया गया है। इसके निर्माण में स्वदेशी सामग्री और कौशल का इस्तेमाल किया गया है।  यह प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत का एक शानदार प्रमाण है। यह भारत के उभरते रक्षा क्षेत्र की ताकत और क्षमता को प्रदर्शित करता है। इसमें मिलिट्री ग्रेड स्टील का उपयोग किया गया है। इस एयरक्राफ्ट कैरियर में 76 प्रतिशत सामान ऐसा लगा है जो भारत में ही बना है। विक्रांत को बनाने में बड़ी कंपनियों के अलावा सौ से भी ज़्यादा छोटी भारतीय कंपनियों ने भी अपनी भूमिका अदा की है। 

आईएनएस विक्रांत पर एक वक्त में 20 फाइटर जेट्स, 10 हेलीकॉप्टर, 32 मिसाइलें और 4 AK-320 तोपें तैनात रहेंगी। यह समुद्र में दूर-दूर तक दुश्मन पर निशाना साधने में सक्षम होंगी। इस एयरक्राफ्ट कैरियर पर मिग-29K के साथ-साथ, MH-60 और कामोव-31 हेलीकॉप्टर भी तैनात रहेंगे। यह एयरक्राफ्ट सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स द्वारा विकसित अत्याधुनिक संचार और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम से लैस है।

आईएनएस विक्रांत समंदर में तैरता हवाई अड्डा है। इसकी लंबाई 262 मीटर, चौड़ाई 62 मीटर और ऊंचाई 59 मीटर है। भारतीय नौसेना के बेड़े में सबसे जटिल एकीकृत प्लेटफार्म प्रबंधन प्रणाली (आईपीएमएस) विक्रांत के पास है। आईएनएस विक्रांत का हैंगर बे फुटबाल के दो मैदानों के बराबर है। इसके डेक पर 12 फाइटर जेट और 6 हेलिकॉप्टर पार्क किए जा सकते हैं। यह एयरक्राफ्ट कैरियर समुद्र में 400 किमी तक के दायरे में पैनी नजर रख सकता है। यह विमान भेदी तोपों और मिसाइलों से पूरी तरह लैस है। इसमें कुल 2300 कंपार्टमेंट हैं जिसमें एक वक़्त में 1700 नौसैनिक और अधिकारी रह सकते हैं। दरअसल यह अपने आप में तैरता हुआ एक मिलिट्री बेस है जो एंटी सबमरीन और एंटी सरफेस वारफेयर सिस्टम से लैस है। 

टेक ऑफ और लैंडिंग के लिए विक्रांत के डेक पर दो रनवे है। एक रनवे लंबा है जबकि दूसरा छोटा है। 16 बेड का हॉस्पिटल है और तीन किचन हैं जहां कम से 5000 लोगों का भोजन हर रोज बनाया जा सकता है। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बीएचईएल (भेल), हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स, कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड, मिश्र धातु निगम, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स, केल्ट्रोन, लार्सन एंड टुब्रो, वार्टसिला इंडिया, जॉनसन कंट्रोल्स इंडिया और किर्लोस्कर ने इस स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर के निर्माण में भागीदारी की। 

वहीं अमेरिका के पास दुनिया का सबसे बड़ा एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस जेराल्ड आर. फोर्ड है। यह 337 मीटर लंबा और 78 मीटर चौड़ा है। एक लाख टन वज़न वाले इस एयरक्राफ्ट कैरियर पर एक वक़्त में साढ़े चार हज़ार से ज्यादा सैनिक और 80 फाइटर प्लेन तैनात होते हैं। इसकी तुलना में चीन का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर फुजियान 316 मीटर लंबा और 76 मीटर चौड़ा है। इसका वज़न 80 हज़ार टन से ज़्यादा है। चीन ने इस एयरक्राफ्ट कैरियर को जून में लॉन्च किया था। फिलहाल इस एयरक्राफ्ट कैरियर की फिटिंग की जा रही है। चीन के इस एयरक्राफ्ट कैरियर पर एक वक़्त में 40 से ज़्यादा फाइटर प्लेन तैनात किए जा सकेंगे। 

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,  विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम है। यह आजादी के अमृत महोत्सव का अतुलनीय अमृत है। यह अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए भारत की दृढ़ इच्छा शक्ति को दर्शाता है। मोदी ने कहा-'यह विश्व क्षितिज पर भारत के बुलंद होते हौसलों की हुंकार है। हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों के सपने को साकार कर रहे हैं, जिन्होंने एक सक्षम और मजबूत भारत की कल्पना की थी। विक्रांत हमारे सामने आने वाली चुनौतियों को भारत का जवाब है।'

पीएम मोदी ने गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण किया और डेक से हेलिकॉप्टरों के फ्लाइ पास्ट को देखा। इसमें कोई संदेह नहीं कि आईएनएस विक्रांत के भारतीय नौसेना में शामिल होने से उसकी ताकत और क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत का प्रभाव बढ़ेगा। विक्रांत दुश्मन को डुबाने में बहुत बड़ी शक्ति साबित होगा। यही वजह है कि शुक्रवार को मोदी ने कहा, 'आज भारत के लिए कोई भी चुनौती बहुत कठिन नहीं है। विक्रांत ने हमें एक नए आत्मविश्वास से भर दिया है।' 

मोदी ने नेवी के लिए भारत के रणनीतिक दृष्टिकोण के बारे में भी बताया। मोदी ने कहा, 'हम एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक में विश्वास करते हैं। जैसे-जैसे भारत तेजी से 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ेगा, वैश्विक व्यापार में हमारी हिस्सेदारी बढ़ेगी। वैश्विक व्यापार का एक बड़ा हिस्सा समुद्री मार्गों के माध्यम से होगा। ऐसी स्थिति में आईएनएस विक्रांत महत्वपूर्ण होगा क्योंकि यह हमारी सुरक्षा करने के साथ ही आर्थिक हितों की भी रक्षा करेगा। एक मजबूत भारत एक शांतिपूर्ण दुनिया का मार्ग भी प्रशस्त करेगा।'

पीएम मोदी ने भारतीय नौसेना के नए झंडे का अनावरण किया जो आकार में अष्टकोणीय है। यह छत्रपति शिवाजी महाराज के शाही प्रतीक चिन्ह से प्रेरित है। इस तरह आधिकारिक तौर पर पहली बार स्वीकार किया गया कि शिवाजी आधुनिक भारतीय नौसेना के जनक थे। शिवाजी ने 1658-59 में अपनी नौसेना के लिए जहाजी बेड़ों का निर्माण किया।उन्होंने पुर्तगाली और स्थानीय विशेषज्ञों की मदद से 50 से अधिक लड़ाकू जहाजों का निर्माण किया था। ये गनबोट हल्की-फुल्की और तेज गति वाली नावें थीं। 1674 में उनके राज्याभिषेक के समय, उनके बेड़े में लगभग 700 जहाज थे।

नौसेना के नए ध्वज का अनावरण करते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'भारतीय नौसेना के झंडे पर अब तक गुलामी की पहचान बनी हुई थी। लेकिन आज से छत्रपति शिवाजी से प्रेरित होकर नौसेना का नया झंडा समुद्र और आसमान में लहराएगा।' लाल रंग का सेंट जॉर्ज क्रॉस आजादी के बाद से ही भारतीय नौसेना के झंडे का हिस्सा रहा है। इसे अब हटा दिया गया है। 2001 में प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सेंट जॉर्ज क्रॉस को हटा दिया था लेकिन तीन साल बाद जब यूपीए सरकार सत्ता में आई तब उस समय के प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने सेंट जॉर्ज क्रॉस को वापस झंडे में शामिल कर लिया था। आखिरकार शुक्रवार को नरेंद्र मोदी ने इसे इतिहास के डिब्बे में डाल दिया।

जरा सोचिए, नौसेना को अंग्रेजों की निशानी से निजात दिलाने में 75 साल लग गए। नए अष्टकोणीय आकार का नीला रंग का झंडा छत्रपति शिवाजी महाराज के राज चिन्ह से प्रेरणा लेकर बनाया गया है। इसमें एक और नई चीज जोड़ी गई है वो है नौसेना का आदर्श वाक्य-श नो वरुण: । इसका अर्थ है 'जल के देवता हमारे लिए शुभ हों।'

सेंट जॉर्ज क्रॉस भारत में औपनिवेशिक या गुलामी के शासन के प्रतीकों में से एक था। अंग्रेजों ने 200 साल हमारे देश पर राज किया। हमें आपस में लड़वाया और हमारे इतिहास को मिटाने की कोशिश की। अपनी शिक्षा नीति के जरिए गुलाम बनाने की कोशिश की। 'वंदे मातरम' और 'भारत माता की जय'  कहने वालों पर दमन चक्र चलाया लेकिन न तो वे भारत को मिटा पाए और न ही भारतीयता को।

लेकिन एक कड़वा सच है यह भी है कि हमने अंग्रेजों से लड़कर आज़ादी तो हासिल कर ली पर बरसों के अंग्रेजों के शासन के कुछ निशान आज भी बाकी हैं। आजादी के 75 साल बाद भी गुलामी के बहुत सारे प्रतीक मौजूद हैं और सबसे बड़ा प्रतीक है अंग्रेजों की दी हुई मानसिकता। 

मैं नरेंद्र मोदी की इस बात के लिए तारीफ करूंगा कि उन्होंने बार-बार लोगों को याद दिलाया कि हमें अंग्रेजों की दी हुई इस मानसिकता से मुक्ति पानी है। हमें अपने आप पर, अपनी विरासत पर और अपनी संस्कृति पर गर्व करना है इसीलिए 'वोकल फॉर लोकल' और 'आत्मनिर्भर भारत' जैसे नारों की जरूरत पड़ी। इसलिए सेंट जॉर्ज क्रॉस का हटाया जाना गुलामी की मानसिकता को तोड़ने की तरफ एक कदम है। शुक्रवार को जब शिवाजी का प्रतीक लहराया तो सबको इस पर मान होना चाहिए था। मुझे ये देखकर हैरानी हुई कि हमेशा शिवाजी का नाम लेने वाले एनसीपी सुप्रीमो शरद राव पवार और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे जैसे नेताओं ने भी नौसेना के नए झंडे में छत्रपति शिवाजी महाराज के शिवमुद्रा निशान को लेकर कुछ नहीं कहा।

आईएनएस विक्रांत का समुद्र में उतरना भारत की आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। यही आत्मनिर्भरता भारत को आत्मगौरव की तरफ ले जाएगी और बिना आत्मगौरव के कोई भी देश दुनिया की महाशक्ति नहीं बन सकता।  (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 02 सितंबर, 2022 का पूरा एपिसोड

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