प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दी गई गालियों की लिस्ट में एक गाली और जुड़ गई। सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के विधायक बेटे प्रियांक खरगे ने पीएम मोदी को ‘नालायक बेटा’ कहा । इसके तुरंत बाद बीजेपी नेताओं ने प्रियांक खरगे के इस बयान पर नाराजगी जताते हुए पलटवार करना शुरू कर दिया। इस समय पूरे कर्नाटक में पार्टी का प्रचार कर रहे प्रियंका और राहुल गांधी भी जानते हैं कि अगर कांग्रेस के नेता नरेंद्र मोदी को गालियां देते हैं तो यह पार्टी को कितना महंगा पड़ता है। पिछले कई चुनावों में कांग्रेस को मोदी को गालियां देने की क़ीमत चुकानी पड़ी है। दो दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने नरेंद्र मोदी को 'ज़हरीला सांप' बताते हुए उन पर तंज कसा था । इसके जवाब में नरेंद्र मोदी ने एक रैली में कहा कि कांग्रेस के नेताओं ने उन्हें अब तक 91 गालियां दी हैं । उन्होंने कर्नाटक के लोगों से चुनावों में गाली देने वालों को सबक सिखाने की अपील की थी।
मोदी की प्रतिक्रिया के बाद कांग्रेस के नेता डिफेंसिव मोड में आ गए । कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने बयान को वापस ले लिया। वहीं, खरगे ने सोमवार को कहा कि उनके बेटे ने नरेंद्र मोदी को गाली नहीं दी । उन्होंने दावा किया कि उनका बेटा बंजारा समुदाय से जुड़े एक स्थानीय नेता के बारे में कह रहा था । उधर, प्रियंका और राहुल इस मामले को ज़्यादा तूल नहीं देना चाहते । कांग्रेस की कोशिश है कि कर्नाटक के चुनाव को स्थानीय मुद्दों और स्थानीय नेताओं के नाम पर लड़ा जाए । इसलिए राहुल और प्रियंका बार-बार कर्नाटक की जनता और कर्नाटक के मुद्दों की बात करते हैं । क्योंकि उनके पास, मोदी को देने के लिए जवाब नहीं है । वो जानते हैं कि अगर चुनाव मोदी के नाम पर लड़ा गया, तो मुसीबत हो जाएगी।
कर्नाटक में वोटरों को रिझाने में जुटी भाजपा
भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोमवार को कर्नाटक में पार्टी का घोषणा पत्र जारी किया। इस घोषणा पत्र के दो बड़े वादे पार्टी के लिए गेम चेंजर साबित हो सकते हैं । बीजेपी ने वादा किया है कि अगर कर्नाटक में बीजेपी की सरकार बनी तो समान नागरिक संहिता और एनआरसी लागू होगी । इसके अलावा गरीब परिवारों को कई चीजें मुफ्त दी जाएंगी। जैसे, गरीब परिवारों को साल में 3 मुफ्त गैस सिलेंडर, हर गरीब परिवार को रोज आधा लीटर नंदिनी दूध , गरीब परिवारों को हर महीने पांच किलो चावल और मोटा अनाज । इस बार कर्नाटक में बीजेपी सारे दांव आजमा रही है । पार्टी ने यहां प्रचार करने के लिए 135 नेताओं की फौज उतारी है। इन नेताओं में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, असम के मुख्यमंत्री हिमंता विश्व शर्मा, मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान से लेकर कई केंद्रीय मंत्री शामिल हैं। यहां योगी की काफी डिमांड है। वह किसी दिन यूपी के स्थानीय निकाय चुनाव में प्रचार करते नजर आते हैं तो अगले दिन कर्नाटक चुनाव के लिए प्रचार कर रहे होते हैं । पीएम मोदी भी कर्नाटक का तूफानी दौरा कर रहे हैं । बीजेपी नेताओं को पूरा यकीन है कि मोदी हवा के रुख को उनके पक्ष में मोड़ देंगे । कांग्रेस के नेता भी प्रचार में मेहनत कर रहे हैं । लेकिन, कांग्रेस और बीजेपी के प्रचार में एक बड़ा फर्क है । इस बार बीजेपी का फोकस उन 65 सीटों पर है जो वह कभी नहीं जीती, जबकि कांग्रेस उन सीटों पर ताकत लगा रही है जहां वह मजबूत स्थिति में है।
यूपी निकाय चुनाव में अखिलेश का काफी कुछ दांव पर
उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनावों के लिए 4 और 11 मई को मतदान होगा । मतदाता मेयर और पार्षदों का चुनाव करेंगे । इस चुनाव की मतगणना 13 मई को होगी। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को मुरादाबाद, प्रतापगढ़, वाराणसी और गोरखपुर में प्रचार किया । मंगलवार को उन्होंने प्रयागराज में चुनाव प्रचार किया । योगी अपने भाषणों में 'ट्रिपल इंजन' सरकार की बात करते हैं और अखिलेश यादव, मायावती और कांग्रेस पर निशाना साधते हैं । योगी ने कहा कि पहले की सरकारों में यूपी में नौजवानों को तमंचे पकड़ाए जाते थे, गुंडागर्दी होती थी और रंगदारी मांगी जाती थी, लड़कियों का घर से निकलना मुश्किल था लेकिन अब वक्त बदल चुका है । योगी ने कहा कि उनकी सरकार में कोई गुंडा, माफिया या अपराधी सिर उठाने की हिम्मत नहीं कर सकता । समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव भी चुनाव प्रचार कर रहे हैं । उन्होंने सोमवार को लखनऊ मेट्रो में सफर किया और यह दावा किया कि उन्हीं के शासन के दौरान इस मेट्रो का निर्माण हुआ था । यूपी के स्थानीय निकाय चुनाव में बीजेपी, समाजवादी पार्टी और बीएसपी के अलावा चौथे खिलाड़ी हैं, एआईएमआईएम प्रमुख असद्दुदीन ओवैसी। ओवैसी अपनी सभाओं में योगी के बुलडोजर और अपराधियों के एनकाउंटर को मुद्दा बना रहे हैं । निकाय चुनाव के नतीजे साफ तौर पर पूरे यूपी में शहरी मतदाताओं की पसंद का संकेत देंगे।
योगी ने प्रयागराज के उस इलाके में एक रैली को संबोधित किया जहां माफिया डॉन अतीक अहमद द्वारा कब्जा की गई जमीन को छुड़ाने के बाद गरीबों के लिए घर बनाए गए हैं। योगी अतीक और मुख्तार को प्रतीक के तौर पर पेश कर रहे हैं। वह यूपी के लोगों को बता रहे हैं कि जो भी गड़बड़ी करेगा, उसका वही हाल होगा जो अतीक और मुख्तार का हुआ। योगी इसे अपराध और अपराधियों के खिलाफ सरकार की जीरो टालरेंस पॉलिसी के रूप में पेश कर रहे हैं। स्थानीय निकाय चुनाव में ओवैसी के पास खोने के लिए कुछ नहीं है, लेकिन अखिलेश यादव का बहुत कुछ दांव पर लगा है, क्योंकि अगर शहरी मतदाता समाजवादी पार्टी से दूरी बना लेते हैं तो इससे उनकी अगले साल होनेवाले लोकसभा चुनाव की रणनीति प्रभावित होगी।
पहलवानों के मुद्दे से फायदा उठाने की कोशिश में नेता
दिल्ली के जंतर मंतर पर महिला पहलवानों का धरना मंगलवार को दसवें दिन भी जारी रहा। दिल्ली पुलिस ने जहां भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की है वहीं पहलवानों की मांग है कि उन्हें गिरफ्तार किया जाए और कुश्ती महासंघ अध्यक्ष पद से हटा दिया जाए। सोमवार को कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू और नेशनल कांफ्रेंस के नेता डॉ. फारूक अब्दुल्ला पहलवानों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए जंतर-मंतर पर पहुंचे थे। वहीं दूसरी ओर बृजभूषण शरण सिंह यूपी के गोंडा में स्थानीय निकाय चुनाव के प्रचार में व्यस्त हैं। बृजभूषण ने आरोप लगाया कि पहलवानों के धरने के पीछे वही लोग हैं, जो शाहीन बाग में धरने पर बैठे थे और जो लोग किसान आंदोलन के पीछे थे। उन्होंने कहा कि अगर पार्टी कहेगी तो इस्तीफा देने में एक मिनट भी नहीं लगाएंगे, लेकिन खिलाड़ियों की मांग पर इस्तीफा देने का सवाल ही नहीं है।
दोनों खेमे अब अड़े हुए हैं । दोनों तरफ बराबर की आग है। बृजभूषण शरण सिंह चाहे जितनी भी सफ़ाई दें, लेकिन उनकी पृष्ठभूमि आड़े आती है। उनका ये तर्क सही हो सकता है कि कुछ गिने-चुने पहलवान उन पर इल्ज़ाम लगा रहे हैं और ज़्यादातर पहलवान उनके साथ हैं । लेकिन, बृजभूषण के ख़िलाफ़ पहले से इतने सारे मामले हैं कि उनकी विश्वसनीयत बहुत कम हो गई है। वहीं धरने पर बैठी महिला पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं । उनकी यह बात भी सही लगती है कि पहलवानों की शिकायतों पर खेल मंत्रालय ने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया । जब से पहलवानों के धरने में राजनीतिक नेता शामिल होने लगे हैं तब से पहलवानों का केस कमज़ोर हुआ है । साफ़ दिखाई दे रहा है कि चाहे केजरीवाल हों, नवजोत सिंह सिद्धू या प्रियंका गांधी, सभी राजनीतिक दल इसका फ़ायदा उठाने के चक्कर में हैं। ( रजत शर्मा)
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