Monday, November 25, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. Rajat Sharma's Blog | बिहार शराब त्रासदी का कड़वा सच: नीतीश की नाकामी पर पर्दा डालने के लिए डाले जा रहे हैं छापे

Rajat Sharma's Blog | बिहार शराब त्रासदी का कड़वा सच: नीतीश की नाकामी पर पर्दा डालने के लिए डाले जा रहे हैं छापे

कड़वा सच यह है कि नीतीश कुमार अपनी सरकार की नाकामी छिपाने की जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं। मरने वाले 75 लोगों की लिस्ट में उनके नाम और विवरण हैं लेकिन उनकी सरकार 38 मौतों के आंकड़े पर ही अटकी हुई है। परिजनों पर बिना पोस्टमार्टम कराए शवों का अंतिम संस्कार करने का दबाव बनाया जा रहा है।

Written By: Rajat Sharma
Published on: December 20, 2022 19:08 IST
Rajat Sharma Blog, Rajat Sharma Blog on Bihar hooch tragedy- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma

बिहार की ज़हरीली शराब त्रासदी में मृतकों की संख्या मंगलवार को 75 तक पहुंच गई। रविवार और सोमवार को अवैध शराब जब्त करने के लिए पटना, दानापुर, सारण और मुजफ्फरपुर में ऑपरेशन क्लीन ड्राइव के तहत छापे मारे गये। पश्चिमी चंपारण की धानगर टोली में स्थानीय शराब माफिया के लिए काम करने वाली महिलाओं समेत कई लोगों ने आबकारी विभाग की टीम पर हमला कर दो लोगों को घायल कर दिया।

विशेष जांच दल ने सारण जिले के इसुआपुर से स्थानीय शराब कारोबारी अखिलेश राय उर्फ यादव को गिरफ्तार कर उसके बताये ठिकानों से 2.17 लाख रुपये कैश बरामद किया । अकेले सारण जिले से ही शराब कारोबार से जुड़े 28 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ज़हरीली शराब पीने से 31 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई है।

इंडिया टीवी पर सोमवार रात प्रसारित प्राइम टाइम शो 'आज की बात' में  हमने दिखाया कि कैसे पुलिस ने देसी शराब की भट्टियों की तलाश के लिए ड्रोन कैमरों का इस्तेमाल किया। राजविंदर सिंह भट्टी ने बिहार पुलिस के पुलिस महानिदेशक का काम संभाल लिया है और वह शराब माफिया के खिलाफ जारी अभियान की निगरानी कर रहे हैं। पहली बार, पुलिस शराब की भट्टियों का पता लगाने  के लिए गंगा नदी के बीच में बने टापुओं (दियारा) के जंगल इलाके में घुस गई। पुलिस मो नदी पार करने और शराब की भट्टियों तक पहुंचने के लिए नावों का इस्तेमाल किया। वैसे आम तौर पर यहां पुलिस दिन के समय भी जाने से डरती थी । पुलिस ने कई भट्टियों  को नष्ट कर दिया, लेकिन शराब माफिया कारोबारी फरार होने में सफल रहे। क्यों? क्या किसी ने उन्हें पहले से जानकारी दी थी?

इंडिया टीवी के रिपोर्टर नीतीश चंद्र और पवन नारा पुलिस की छापेमारी टीमों के साथ नदी के बीचों बीच बने दियारा के जंगल वाले इलाके में गए। जितनी मात्रा में शराब जब्त की गई, वो इस सरकारी दावो को खारिज करने के लिये पर्याप्त है कि पिछले छह साल से राज्य में शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू किया जा रहा था। विपक्षी नेता आरोप लगा रहे हैं कि पिछले एक सप्ताह के दौरान जहरीली शराब से 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है, लेकिन सरकारी आंकड़ों की सुई 38 पर अटकी है।

बिहार पुलिस को पता था कि गंगा नदी के विशाल इलाके में बने टापुओं  में अवैध शराब बन रही थी।  ड्रोन कैमरों का उपयोग करते हुए, छापा मारने वाली टीम पटना और छपरा के बीच एक जगह कैचमेंट एरिया में कम से कम 3.5 किलोमीटर अंदर गई और जहरीली शराब बनाने के अड्डे का पता लगाया। तब वहां एक भी शराब तस्कर मौजूद नहीं था। अवैध शराब से भरे ड्रम और जार ही जब्त किए गए। पूरी छापेमारी की कार्रवाई की वीडियोग्राफी की गई। चूंकि 20 हजार लीटर अवैध जहरीली शराब जब्त की गई थी और इसे नावों से ले जाना मुश्किल था इसलिए बरामद की गई शराब को पुलिस ने नदी में बहा दिया। पुलिस ने खाली ड्रम और शराब बनाने के दूसरे साजोसामान में आग लगा दी।

पुलिस ने पटना के मनेर में भी रामपुर सोन नदी के टापू पर अवैध शराब के बड़े अड्डे को नष्ट किया। यहां हजारों लीटर जहरीली शराब ड्रम और पॉलिथीन की थैलियों में छिपाकर रखी गई थी, जबकि सैकड़ों लीटर शराब जमीन के अंदर छिपाई हुई थी। पुलिस मनेर में जहरीली शराब बनाने के धंधे में लिप्त 6 लोगों को ही गिरफ्तार कर सकी।

दानापुर के एक घनी आबादी वाले मोहल्ले में दीघा एम्स फ्लाईओवर के पास पुलिस ने जमीन के नीचे गढ्ढा खोदकर महुआ, जवा और गुड़ से भरा ड्रम, गैलन और पॉलीथीन बैग जब्त किया है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि दो दिन पहले भी यहां इसी तरह की कार्रवाई की गई थी, उस वक्त सारा सामान जब्त हुआ था लेकिन सिर्फ 48 घंटे के भीतर जहरीली शराब बनाना फिर से शुरू कर दिया गया। मुजफ्फरपुर में पुलिस ने रामनगर चौक के पास से पिकअप वैन से 960 लीटर विदेशी शराब के 112 कार्टन जब्त किए।

नीतीश सरकार दावा कर सकती है कि इस तरह के छापे शराब माफिया को जड़ से खत्म करने की उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति का सबूत हैं, लेकिन मुझे लगता है कि ये छापे सिर्फ दिखावा हैं।

इंडिया टीवी के रिपोर्टर नीतीश चंद्र सोमवार को दिन भर पुलिस की छापेमारी टीमों के साथ रहे और उन्होंने वीडियो भेजे, जिससे साफ पता चलता है कि उन इलाकों में शराब माफिया का पूरा राज था। पुलिसकर्मी भी वहां जाने से डरते थे। कुछ दिनों पहले गंगा नदी के दियारा पर रेत माफिया के दो गुटों के बीच फायरिंग हुई थी। पांच लोगों की मौत हो गई, लेकिन पुलिस नदी किनारे बेबस खड़ी देखती रही। हत्यारे बेखौफ होकर भाग निकले और काफी देर बाद पुलिस ने शवों को उठाने का साहस जुटाया।

यह पिछले 6 वर्षों से एक ओपन सीक्रेट है कि पुलिस ने जहां जहां सोमवार को छापे मारे थे, वहां अवैध शराब का कारोबार काफी समय से चल रहा था । शराब माफिया पिछले 6 वर्षों से खुले में सभी औजारों का उपयोग कर बेखौफ होकर भट्टियों में अवैध शराब बना रहा था । बिहार पुलिस के पास कार्रवाई के लिए ड्रोन, नाव और पर्याप्त स्टाफ था। शराबबंदी कानून हाल ही में नहीं बनाया गया था। ज़हरीली शराब से लोग पहली बार नहीं मर रहे थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराब के कारोबार को जड़ से खत्म करने का संकल्प पहली बार नहीं लिया है। लेकिन जब एक साथ इतनी मौतें हो गई, नेशनल मीडिया ने पीड़ितों की लाशें दिखानी शुरू की, विपक्ष ने सरकार को घेरा और नीतीश कुमार के 'सुशासन' की छवि का पर्दाफाश हुआ तो पुलिस ने अपनी राइफलें, ड्रोन और नावें निकाल लीं व शराब की भट्टियों को नष्ट करने पहुंच गए।

अगर यही कार्रवाई पुलिस ने सालों पहले की होती तो आज सैकड़ों परिवार अपनों के लिए न रोते। इतनी सारी चिताएं न जलतीं। सैकड़ों बच्चे अनाथ न होते। बिहार के आबकारी मंत्री सुनील कुमार अपने दावे पर अभी भी कायम हैं कि ज़हरीली शराब से केवल 38 लोगों की मौत हुई है। मंत्री ने मीडिया पर "मामले को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने" का आरोप लगाया। उन्होंने बिहार की तुलना में दूसरे राज्यों में अवैध शराब से हुई मौतों के आंकड़े गिनाने  शुरू कर दिये, लेकिन उनका अपना सहयोगी दल कांग्रेस उनके आंकड़े को सच मानने को तैयार नहीं है।

कांग्रेस नेता अजीत शर्मा ने कहा, अवैध शराब के सेवन से 100 से ज्यादा लोगों की मौत होने का अंदेशा है। राजद के विधायक केदारनाथ सिंह ने कहा कि मंत्री का दावा गलत है। उन्होंने कहा, अकेले छपरा में जहरीली शराब से अब तक 60 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। विपक्ष ने मांग की है कि सरकार को नकली शराब से होने वाली मौतों के बारे में सही तथ्य और आंकड़े सामने लाने चाहिए। सरकार का समर्थन करने वाले भाकपा (माले) के विधायकों ने सोमवार को जहरीली शराब से हुई मौतों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया।

मौतों को लेकर हो-हल्ला मचाने के बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार यह कह रहे हैं कि जहरीली शराब से मौत कोई नई बात नहीं है। उन्होंने कहा, ऐसी मौतें हर जगह होती हैं और बिहार को बेवजह बदनाम किया जा रहा है। मुख्यमंत्री इसी बात पर अड़े हैं कि उनकी सरकार पीड़ितों के परिजनों को मुआवजा नहीं देगी। लेकिन अब जब मामला गंभीर हो गया है तो राजद, जेडीयू, कांग्रेस और वामपंथी विधायक भी मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं।

बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, नीतीश कुमार कमजोर तर्क दे रहे हैं और शराबबंदी के मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने मज़ाकिया लहज़े में कहा, “सरकार की नाक के नीचे जहरीली शराब बनाई और बेची जा रही है। यह उनकी सरकार की विफलताओं का जीता जागता सबूत है। थाना पुलिस सब बंद कर दें। जो अपराध करेगा, सो खुद जेल चला जाएगा।”

गिरिराज सिंह की बात सही है। नीतीश कुमार अपनी तथाकथित साफ-सुथरी छवि को बचाने के लिए गलत तर्क दे रहे हैं, झूठ बोल रहे हैं। अगर नीतीश कुमार कहते हैं, "जो पीएगा वो मरेगा" तो सवाल ये है कि जो पिलाएगा वो क्या वो मौज करेगा। जहरीली शराब पीने वालों की जान चली गई, उनके बच्चे अनाथ हो गए और उनकी पत्नियां विधवा हो गईं। वो तो सरकार की बेरुखी, लापरवाही, भ्रष्टाचार और माफिया के साथ मिलीभगत की सजा भुगत रही हैं। इन पीड़ितों को मुआवजा क्यों नहीं दिया जाना चाहिए? ये पीड़ित शराब नहीं पीते थे। उन्होंने कोई पाप नहीं किया है। 2016 में जब गोपालगंज में जहरीली शराब के सेवन से लोगों की मौत हुई थी, तब नीतीश कुमार की सरकार ने मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये दिए थे। क्या गोपालगंज और छपरा के लोगों के लिए मुआवजे के नियम अलग हैं?

कड़वा सच यह है कि नीतीश कुमार अपनी सरकार की नाकामी छिपाने की जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं। मरने वाले 75 लोगों की लिस्ट में उनके नाम और विवरण हैं लेकिन उनकी सरकार 38 मौतों के आंकड़े पर ही अटकी हुई है। परिजनों पर बिना पोस्टमार्टम कराए शवों का अंतिम संस्कार करने का दबाव बनाया जा रहा है। सरकार संवेदना जताने के बजाय मृतकों के परिजनों का मजाक बना रही है। सरकार को समर्थन देने वाली पार्टियों के विधायक भी चिंतित हैं, लेकिन नीतीश कुमार के चेहरे की मुस्कुराहट बरकरार है। त्रासदी के समय बिहार की जनता इस तरह की हंसी बर्दाश्त नहीं करेगी। लोग खुलकर सवाल कर रहे हैं कि क्या यही नीतीश कुमार का 'सुशासन' है? (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 19 दिसंबर, 2022 का पूरा एपिसोड

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement