संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष को सीधा और साफ संदेश दिया। मोदी ने कहा कि आज सावन का पहला सोमवार है, शुभ दिन है, इस शुभ मौके पर मॉनसून सत्र शुरू हो रहा है और उन्हें उम्मीद है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सार्थक चर्चा होगी और देश की तरक़्क़ी के लिए दोनों पक्ष मिलकर काम करेंगे। मोदी ने कहा, " पिछली बार ढाई घंटे तक देश के प्रधानमंत्री का गला घोंटने सा, उनकी आवाज़ को रोकने का, उनकी आवाज़ को दबाने का प्रयास किया गया, लोकतांत्रिक परम्पराओं में इसका कोई स्थान नहीं को सकता और इन सब को लेकर (विपक्ष के मन में) पश्चाताप तक नहीं है, दिल में दर्द तक नहीं है। " मोदी ने कहा कि पिछले छह महीनों में चुनाव के दौरान जिसको जो कहना था कह लिया, जो नैरेटिव बनाना था बना लिया, अब जनता ने अपना फैसला सुना दिया, इसलिए अब मिलकर काम करने का वक्त है। मोदी ने कहा कि चुनाव के वक्त हम सब ने अपने दलों के लिए जितनी लड़ाई लड़नी थी, लड़ ली, अब आने वाले साढ़े चार साल के लिए हमें देश के लिए मिल कर लड़ना है, और देश के लिए समर्पित होकर संसद के गरिमापूर्ण मंच का हम उपयोग करें। मोदी जिस भाषण में उनकी आवाज़ दबाने का इल्ज़ाम लगा रहे थे, वह था राष्ट्रपति के धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान उनका जवाब। मोदी की टिप्पणी के बाद कांग्रेस के सांसदों ने कहा कि मोदी को जनता ने हराया है, मोदी विपक्ष पर इल्जाम लगाकर अपनी हार की हताशा को छुपाने की कोशिश कर रहे हैं।
RJD सांसद मनोज झा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने तो पूरे देश का गला घोंट दिया था, विरोध की हर आवाज़ को कुचला और अब वो इमोशनल ड्रामा कर रहे हैं। लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने कहा, मोदी कैसे इस तरह की बातें कर सकते हैं, संसद में तो सरकार पिछले कई साल से विपक्ष की आवाज़ दबा रही है। गोगोई ने कहा कि पिछली बार विपक्षी दल नीट पेपर लीक पर चर्चा की मांग कर रहा था लेकिन सरकार ने विपक्ष की बात तक नहीं मानी और अब मोदी गला घोंटने की बात कर रहे हैं। आज मोदी की बात सुनकर पता चला कि पिछली लोकसभा में विपक्ष ने जो हंगामा किया था, उससे वो कितने आहत हैं। दो जुलाई को लोकसभा में प्रधानमंत्री मोदी करीब 133 मिनट तक बोले, लेकिन इस दौरान विपक्षी दलों के नेता चिल्लाते रहे. वेल में आकर शोर मचाते रहे। टीवी पर मोदी को देखने वाले हैरान थे कि वो इतने शोर शराबे में बिना रुके अपनी बात कैसे कहते रहे। आज पता चला कि मोदी डिस्टर्ब तो हुए थे, परेशान तो थे लेकिन उन्होंने अपना भाषण पूरा किया, विपक्ष की रणनीति को विफल किया और आज बजट सेशन के पहले दिन अपना दर्द जाहिर किया। ये बात सही है कि संसद चर्चा, बहस के लिए है, कभी कभी हंगामा हो सकता है, प्रोटेस्ट हो सकता है लेकिन देश की जनता के चुने हुए प्रधानमंत्री को बोलने न दिया जाए, लगातार डिस्टर्ब किया जाए, ये गला घोंटना नहीं तो और क्या है? ये आवाज को दबाने का प्रयास नहीं तो और क्या है? (रजत शर्मा)
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