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Rajat Sharma’s Blog : 'अग्निपथ' से हमारे सशस्त्र बल बनेंगे युवा

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि चार साल की सेवा पूरी करने के बाद इन सैनिकों को डिप्लोमा मिलेगा और उन्हें उच्च शिक्षा के लिए 'क्रेडिट स्कोर' दिया जाएगा।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated on: June 15, 2022 17:32 IST
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

केंद्र सरकार ने मंगलवार को थल सेना, नौसेना और वायु सेना में नए सैनिकों की भर्ती के लिए एक नई योजना 'अग्निपथ' की शुरुआत की। इस योजना के तहत नयी भर्ती वाले सैनिक सशस्त्र बलों में चार साल के लिए काम करेंगे। 75 फीसदी सैनिकों को ‘सेवा निधि’ पैकेज देकर रिटायर कर दिया जाएगा। सैनिकों की सैलरी से हर महीने एक निश्चित रकम अंशदान के तौर पर काटी जाएगी जो कि ‘सेवा निधि पैकेज’ के तौर पर रिटायरमेंट के बाद मिलेगी।

इस सेवा निधि पैकेज में सैनिकों की सैलरी के अंशदान के अनुपात में ही केंद्र का भी योगदान होगा। कुल मिलकर यह पैकेज 11 लाख 71 हजार रुपये का होगा। 75 फीसदी सैनिकों के रिटायरमेंट के बाद बचे हुए 25 फीसदी सैनिकों को अगले 15 साल की सेवा के लिए सशस्त्र बलों में शामिल किया जाएगा। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने इस योजना को मंजूरी दी और इसका ऐलान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा सचिव और तीनों सेना प्रमुखों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया । 

इस योजना के तहत सशस्त्र बलों में हर साल सवा लाख नौजवानों की भर्ती होगी। इस साल 46 हजार सैनिकों, नाविकों और एयरमैन के चयन के साथ ही भर्ती प्रक्रिया 90 दिनों के भीतर शुरू हो जाएगी। यह भर्ती 'ऑल इंडिया, ऑल क्लास' के आधार पर की जाएगी। इन नए सैनिकों को 'अग्निवीर' का नाम दिया गया है और इन्हें 30 से 40 हजार रुपये के बीच वेतन मिलेगा। इनके वेतन में से कुछ रकम की कटौती 'सेवा निधि' में योगदान के तौर पर की जाएगी। 

'अग्निपथ' योजना का उद्देश्य वर्ग, लिंग, जाति या धर्म से परे देश के हर युवा को नौकरी का अवसर प्रदान करना है, ताकि वे सेनाओं से जुड़कर देश की सेवा कर सकें। इस योजना के तहत चुने गए रंगरूटों को शुरू में छह महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी और इसके बाद अगले साढ़े तीन साल तक वे सशस्त्र बलों को अपनी सेवा देंगे। इन सैनिकों में से 75 प्रतिशत चार साल की सेवा के बाद रिटायर हो जाएंगे जबकि बाकी  25 प्रतिशत को सशस्त्र बलों में स्थायी रूप से बहाल करने से पहले छह महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी। 

अग्निपथ योजना के तहत अगले तीन साल में करीब 1 लाख 35 हजार नौजवानों की भर्ती थल सेना में की जाएगी। 9 हजार युवाओं की भर्ती नौ सेना के लिए होगी जबकि 14 हजार युवाओं की भर्ती वायु सेना में होगी।  

विपक्ष के कुछ नेताओं और रक्षा विशेषज्ञों की ओर से उठाई गई आपत्तियों का जवाब देते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि चार साल की सेवा पूरी करने के बाद इन सैनिकों को डिप्लोमा मिलेगा और उन्हें उच्च शिक्षा के लिए 'क्रेडिट स्कोर' दिया जाएगा। राजनाथ सिंह ने कहा कि नई नौकरी दिलाने में केंद्र उनकी मदद करेगा। इनमें से कई युवाओं को केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में और कॉरपोरेट क्षेत्र में भी शामिल किया जा सकता है।

अग्निपथ के लिए न्यूनतम आयु सीमा साढ़े 17 वर्ष और अधिकतम उम्र सीमा 21 वर्ष है। चयन के बाद छह महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी और उन्हें रेजिमेंट या यूनिट में भेजा जाएगा, जहां वे साढ़े तीन साल तक काम करेंगे।

पूरी प्रक्रिया की व्याख्या करते हुए तीनों सेना प्रमुखों ने कहा कि जब नए सैनिक चार साल बाद रिटायर होंगे तो सशस्त्र बलों का आकार अचानक कम नहीं होगा अपितु उसमें धीरे-धीरे कमी आएगी और भारतीय सेना आधुनिक युद्ध के लिए तैयार एक 'बेहतरीन मशीन' बन जाएगी। 

इस समय भारतीय सेना में एक सैनिक की औसत उम्र 32 वर्ष है, लेकिन 'अग्निपथ' योजना लागू होने के बाद औसत उम्र घटकर 26 वर्ष हो जाएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय सैनिकों की औसत आयु में यह गिरावट सशस्त्र बलों को गति प्रदान करेगी।  

'अग्निपथ' योजना का मुख्य उद्देश्य सेना पर वेतन और पेंशन के बढते बोझ को कम करना है, साथ ही टेकनोलोजी से लगाव रखनेवाले युवाओं को सेना में शामिल करना है ताकि वे भविष्य की लड़ाई लड़ सकें। एक बार जब युवा चार साल की सेवा के बाद रिटायर होंगे तब वे समाज में अनुशासन और सैन्य लोकाचार लाकर राष्ट्र निर्माण में मदद कर सकते हैं।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सभ्य समाज में कुशल, अनुशासित, प्रेरित और देशभक्त अग्निवीरों की वापसी निश्चित तौर पर राष्ट्र के लिए एक बड़ी संपत्ति साबित होगी।   उन्होंने वादा किया कि राज्य सरकारों के अलावा केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की नौकरियों में अग्निवीरों को प्राथमिकता दी जाएगी।

थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे ने कहा कि इसका उद्देश्य सेना को भविष्य के लिए एक ऐसे फाइटिंग फोर्स के तौर पर तैयार करना है जो कई चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होगी। उन्होंने वादा किया कि 'अग्निपथ' योजना के क्रियान्वयन के दौरान सरहद पर सेना की क्षमता और तैयारियों में कोई ढिलाई नहीं आएगी।

अग्निपथ योजना अच्छी है। इससे नौजवानों को रोजगार मिलेगा। युवाओं को सेना की ट्रेनिंग मिलेगी और वे देश की सेवा कर सकेंगे। रिटायरमेंट के बाद सेना के अनुशासन के साथ समाज में लौटेंगे। ये बड़ी बात है।  (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 14 जून, 2022 का पूरा एपिसोड

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