Sunday, September 08, 2024
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Rajat Sharma's Blog | एक्शन में योगी : लखनऊ में बुलडोज़र, शिक्षकों की डिजिटल हाज़िरी पर रोक

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दखल के बाद जैसे ही मुख्य सचिव ने शिक्षक नेताओं से बात की, तो ग्राउंड रियलिटी समझ में आ गई और मसले के हल का रास्ता निकल आया।

Written By: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated on: July 18, 2024 6:23 IST
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Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने पब्लिक की डिमांड पर कई बड़े फैसले किए। लखनऊ में नदी के फ्लड जोन में बने मकानों पर बुलडोजर नहीं चलेगा क्योंकि जिस जमीन पर मकान बने हैं, उनकी रजिस्ट्री लोगों के पास हैं, म्यूटेशन है, बिजली के कनेक्शन हैं, हाउस टैक्स जमा है। अब सरकार इस बात की जांच कराएगी कि नदी के फ्लड जोन में घर बने कैसे? जमीन बिकी कैसे? कौन से अधिकारी इसके लिए दोषी हैं? असल में लखनऊ के कुछ इलाकों के लोगों में बुलडोजर चलने के डर से जबरदस्त टेंशन थी। कुकरैल नहर के आसपास बसे कुछ इलाकों के घरों में मार्किंग कर दी गई थी जबकि लोगों के पास अपनी जमीन के कानूनी कागजात थे। सरकारी बिजली, पानी और सीवर का कनेक्शन था लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हो रही थी। इलाके के लोग प्रदर्शन कर रहे थे। मंगलवार को योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के पंतनगर, खुर्रमनगर, अबरार नगर, रहीम नगर और इंद्रप्रस्थ नगर के लोगों को बातचीत के लिए बुलाया, अफसरों को सामने बैठाया। लोगों ने बताया कि अफसर कह रहे हैं कि कुकरैल नहर के आसपास के इन इलाकों के करीब 2 हजार मकान फ्लड प्लेन जोन में हैं, इन घरों पर बुलडोजर चलेगा, कई मकानों की मार्किंग की गई है। इन लोगों ने योगी को बताया कि उन्होंने प्राइवेट जमीन खरीदी, रजिस्ट्री करवाई, नक्शा पास करवाया, हाउस टैक्स जमा किया और अब 20-20 साल के बाद अचानक उनके घर को अवैध बताया जा रहा है, वो कहां जाएं?

लोगों की बात सुनने के बाद योगी ने ऑन द स्पॉट ही लोगों की समस्या का निराकरण कर दिया। सामने बैठे अफसरों से कहा कि अगर कागजात पक्के हैं, वैध हैं, तो फिर घरों पर लाल निशान किसके आदेश पर लगाए गए? घर पर बुलडोजर चलाने की बात किसके आदेश पर कही? योगी ने लोगों से कहा कि किसी के घर पर बुलडोजर नहीं चलेगा, पंतनगर हो या इंद्रप्रस्थ नगर, हर निवासी की सुरक्षा और संतुष्टि सरकार की जिम्मेदारी है। योगी ने कहा कि जिन अफसरों की वजह से लोग परेशान हुए, उनमे भ्रम फैला, दहशत फैली, उनकी जवाबदेही तय की जाएगी। योगी ने कहा कि जो लाल निशान घरों पर लगाए गए हैं, उन्हें भी मिटाया जाएगा। योगी ने प्रभावित परिवारों से कहा कि वो निश्चिंत और खुश होकर घर जाएं। जैसे ही ये खबर इन मोहल्लों में पहुंची तो वहां भी जश्न शुरू हो गया, आतिशबाजी हुई, मिठाइयां बंटी। कुकरैल के किनारे बसे इन इलाकों के निवासियों की सांसें पिछले एक महीने से अटकी हुई थीं। इनके घर पर बुलडोजर चलने की नौबत क्यों आई? ये भी समझ लीजिए। असल में सिंचाई विभाग ने 14 जून को एक रिपोर्ट दी। इसके मुताबिक 28 किलोमीटर लंबी कुकरैल नदी के दोनों किनारों के 50-50 मीटर इलाके को फ्लड प्लेन जोन घोषित किया गया है। अबरार नगर, पंत नगर, रहीम नगर और इंद्रप्रस्थ नगर के सैकड़ों मकान फ्लड प्लेन ज़ोन के दायरे में हैं।

इस रिपोर्ट के बाद करीब दो हजार घरों पर लाल निशान लगा दिए गए। लोगों ने इसका विरोध किया। जमीन के कागजात अपने अपने घरों के बाहर चिपका दिए। लोगों ने कहा कि उन्होंने जमीन किसानों से 25 साल पहले खरीदी है, सरकारी रिकॉर्ड देखकर खरीदी लेकिन सिंचाई विभाग कह रहा है कि यहां 1983 से कब्जा है। तो सवाल ये है कि सिंचाई विभाग के अफसर अब तक कहां सो रहे थे? बुलडोजर चलाने की नौबत क्यों आई? ये सब कुछ बेलगाम अफसरों की गलती के नतीजे हैं। चूंकि यूपी में योगी आदित्यनाथ ने सरकारी जमीनों पर कब्जे हटाने के लिए बुलडोजर चलाने की छूट दी, माफिया गुंडों की संपत्ति पर बुलडोजर चलवाया। इसकी आड़ में कुछ अफसरों ने मनमाने ढंग से जनता को परेशान करना शुरू दिया। अब योगी ने ऐसे अफसरों पर लगाम कसने की शुरुआत की है। ये अच्छी बात है। लोगों के ये सवाल जायज हैं कि जब उन्होंने सरकार को टैक्स देकर जमीन खरीदी, रजिस्ट्री करवाई, म्यूटेशन करवाया, तब सिंचाई विभाग के अधिकारी कहां सोते रहे? अफसरों की गलती की सजा आम लोगों को क्यों दी जाए? ये बात समझने में योगी को देर नहीं लगी। इसीलिए उन्होंने जो आदेश जारी किया है, उसमें साफ-साफ कहा है कि अफसरों की भी जिम्मेदारी तय होगी और उन अफसरों के खिलाफ कार्रवाई होगी, जिन्होंने लोगों के घरों पर लाल निशान लगाए, लोगों को डराया।

ये फैसला इसलिए हो पाया क्योंकि योगी ने सीधे लोगों से बात की, न नेताओं की सुनी, न अफसरों की। सीधा संवाद का यही फायदा होता है। इसका फायदा आंदोलन कर रहे यूपी के प्राथमिक शिक्षकों  को भी मिला। प्राथमिक स्कूलों में फिलहाल ऑनलाइन अटेंडेंस लागू करने का आदेश वापस ले लिया गया। शिक्षक संघ के नेताओं के साथ मुख्य सचिव की बैठक में ये फैसला किया गया कि पहले शिक्षकों से बात की जाएगी, उनकी समस्याओं का समाधान होगा, उसके बाद ऑनलाइन अटेंडेंस पर फैसला होगा। पिछले कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे सरकारी प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों की नाराजगी को देखते हुए योगी ने सोमवार रात को ही इस मामले की पूरी जानकारी ली। अधिकारियों से पूछा कि अचानक ऑनलाइन अटेंडेंस को लागू क्यों किया? शिक्षकों को नेताओं से बात क्यों नहीं की गई? इसका असर तुरंत दिखाई दिया। मंगलवार को मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने प्राइमरी शिक्षक संघ के नेताओं से मुलाकात की और फैसला किया गया कि एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया जाएगा। कमेटी सभी जिलों में सरकारी शिक्षकों से बात करेगी, उनकी परेशानियों के समझने की कोशिश करेगी। सबकी बात सुनने के बाद ही ऑनलाइन अटेंडेंस पर कोई फाइनल फैसला होगा। अगले दो महीने तक ये आदेश स्थगित रहेगा।

असल में ये मुद्दा भी इसीलिए बड़ा हो गया क्योंकि अफसरों ने बिना सोचे-समझे, ज़मीनी वास्तविकता को जाने बगैर ऑनलाइन अटेंडेंस का आदेश जारी कर दिया। स्कूलों में कनेक्टिविटी का इश्यू है, इंटरनैट कनेक्टिविटी नहीं हैं, टीचर्स की पढ़ाने के अलावा दूसरे सरकारी कामों में भी लगाया जाता है। कई बार सरकारी ऐप काम ही नहीं करता। ऐसे में शिक्षक ऑनलाइन अटेंडेंस कैसे भर सकते हैं? योगी के दखल के बाद जैसे ही मुख्य सचिव ने शिक्षक नेताओं से बात की, तो ग्राउंड रियलिटी समझ में आ गई और मसले के हल का रास्ता निकल आया। कुल मिलाकर मुद्दा सीधे संवाद का है। सरकार और जनता के बीच अफसर पुल का काम करते हैं। अगर अफसर अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते हैं तभी इस तरह की समस्याएं सामने आती हैं। इसीलिए अब योगी ने अफसरों पर सख्ती की है। इसका एक उदाहरण अलीगढ़ में भी मिला।  उत्तर प्रदेश सरकार अब सरकारी जमीनों के पट्टों की जांच कराएगी। अगर गलत तरीके से पट्टे किए गए हैं तो ऐसा करने वाले अफसरों के खिलाफ एक्शन होगा। इस मामले में पहली गाज IAS अफसर देवी शरण उपाध्याय के ऊपर गिरी। अलीगढ़ में सरकारी जमीनों के पट्टों में गड़बड़ी के आरोप में देवी शरण उपाध्याय को सस्पेंड किया गया है। योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश सरकार के अफसरों को हिदायत दी है कि वो नियम कानून के दायरे में रहकर काम करें, जनता में भय और भ्रम फैलाने की कोशिश न करें। योगी ने अधिकारियों से कहा है कि सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे हटाना जरूरी है लेकिन अगर कहीं कोई बस्ती बसी है, जमीन के कागजात है, सरकारी नियमों के तहत जमीन खरीदी गई है, तो सीधे बुलडोजर लेकर पहुंचना ठीक नहीं हैं। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 16 जुलाई, 2024 का पूरा एपिसोड

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