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Rajat Sharma’s Blog | योगी फॉर्मूला: हिंसा से तौबा करो, वरना कार्रवाई

मैंने कई बार आपको दिखाया है कि असामाजिक तत्व बयानों को अपने हिसाब से इंटरप्रेट करते हैं, लोगों को उनके गलत मतलब समझाते हैं।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : June 16, 2022 17:43 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा राज्य में तोड़फोड़ की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को तीन दिन का वक्त दिया है। जस्टिस ए. एस. बोपन्ना और जस्टिस विक्रम नाथ की वैकेशन बेंच ने कहा, ‘सबकुछ निष्पक्ष होना चाहिए और अधिकारियों को कानून के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना चाहिये।’ मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को होगी।

इस बीच,  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी जिला कलेक्टरों और SSPs को मौलानाओं, इमामों और उलेमा के साथ ‘पीस मीटिंग’ करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि मस्जिदों में जुमे की नमाज के बाद इस हफ्ते कोई हिंसा न हो। योगी ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे शहर के प्रतिष्ठित लोगों, मौलानाओं और धर्मगुरुओं से बात करके लोगों को जुमे की नमाज के बाद विरोध-प्रदर्शन न करने के लिए प्यार से समझाने की कोशिश करें।

बुधवार को अधिकांश जिलों के DMs और SSPs ने थानों के SHOs के साथ मिलकर सिविल सोसाइटी के लोगों के साथ ‘पीस मीटिंग’ की। उन्होंने सिविल सोसाइटी के लोगों से कहा कि अब किसी भी कीमत पर विरोध प्रदर्शन नहीं होना चाहिए। साथ ही अधिकारियों ने यह भी कहा कि अगर प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया तो उनपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि अपनी बात कहिये, अपनी दिक्कत बताइये, पुलिस सब सुनेगी, लेकिन पत्थरबाजों और उनके आकाओं के लिए बुलडोजर तैयार है।

गोंडा जिले में डीएम उज्ज्वल कुमार व एसपी संतोष कुमार मिश्रा ने सभी धर्मों के प्रमुख लोगों के साथ बैठक की और कहा कि इस बार हिंसा नहीं होनी चाहिए। पीस कमेटी के लोगों से साफ-साफ कहा गया कि वे नौजवानों और अन्य लोगों को बताएं कि सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट को बिना वेरिफाई किए हुए न फॉर्वर्ड करना है, न उस पर यकीन करना है, वरना एक गलती नौजवानों को जेल पहुंचा सकती है।

3 जून को जुमे की नमाज के बाद कानपुर में हुई हिंसा के बाद भी इस तरह की मीटिंग्स हुईं थीं। उस वक्त भी लोगों ने अमन चैन का भरोसा दिलाया था, लेकिन इसके बाद भी 10 जून को जुमे की नमाज के बाद प्रयागराज, सहारनपुर और मुरादाबाद समेत कुछ शहरों में हिंसा हुई।

बुधवार को गोंडा में पीस कमेटी की मीटिंग के दौरान रहमानिया मस्जिद के महासचिव खुर्शीद आलम अज़हरी ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति ने पैगंबर के बारे में गलतबयानी की है, तो उसे कानून के जरिए सजा मिलनी चाहिए, लेकिन पथराव और आगजनी करना गलत है। अजहरी ने मुसलमानों से कहा कि अगर नौजवानों ने किसी के बहकावे में आकर कोई गलती की तो फिर उसकी सजा पूरे परिवार को भुगतनी पड़ेगी।

एटा में अलीगढ़ रेंज के DIG दीपक कुमार खुद पीस कमेटी की मीटिंग में मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि लाठी चलाना, नौजवानों को जेल में डालना पुलिस को अच्छा नहीं लगता। DIG ने कहा, ‘इससे पुलिस को गोल्ड मेडल नहीं मिलता, लेकिन मजबूरी में करना पड़ता है। अगर पीस कमेटी के लोग अपने-अपने मजहब के लोगों को समझाएंगे, बात करेंगे, तो इस तरह के हालात ही पैदा नहीं होंगे जिनके कारण लोगों को सलाखों के पीछे डालना पड़े।’

गाजियाबाद के लोनी में सीओ रजनीश कुमार उपाध्याय ने पीस कमेटी के लोगों से कहा, ‘दंगे के दौरान, हिंसा के दौरान जो पब्लिक प्रॉपर्टी जलाई जाती है, जिन सड़कों को तोड़ा जाता है, वे किसी एक मजहब की नहीं होती हैं। वे पूरे समाज की संपत्ति होती हैं, तो फिर अपनी ही संपत्ति का नुकसान कौन करता है। लोगों को ऐसा करने से बचना चाहिए।’

पीस कमेटी की मीटिंग में आए मौलाना हनीफ कादरी ने कहा कि कुछ लोगों की बात-बात में सड़क पर उतरने की आदत से मुसलमानों का बड़ा नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘गड़बड़ी कुछ लोग करते हैं, लेकिन बदनाम पूरी कौम होती है। पैगंबर के खिलाफ इस तरह के बयानात पहले भी आए लेकिन इस तरह से हिंसा कभी नहीं हुई। आज जो हो रहा है उससे हालात और खराब होंगे।’

यूपी में जुमे की नमाज के बाद हुई हिंसा के मामले में अब तक 350 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। पिछले हफ्ते जुमे के दिन हुई हिंसा का हॉटस्पॉट रहे प्रयागराज में 92 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है। कई लोग अंडरग्राउंड हो गए हैं, और उनके परिवारों को अब अपने घरों और दुकानों पर बुलडोजर चलने का डर सता रहा है।

बुधवार को प्रयागराज पुलिस ने हिंसा में शामिल करीब 40 आरोपियों के फोटो जारी कर दिए। CCTV वीडियो से ली गई इन तस्वीरों में आरोपी पत्थर चलाते हुए, गाड़ियों में आग लगाते हुए साफ-साफ नजर आ रहे हैं। ये पोस्टर पूरे शहर में लगाए जा रहे हैं। पुलिस ने साफ लफ्जों में कहा है कि या तो दंगाई सरेंडर कर दें, या उनके घरों की कुर्की जब्ती होगी।

मुझे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की एक बात याद आ रही है। योगी ‘आप की अदालत’ में आए थे। उन्होंने तब कहा था, ‘मैं एक संन्यासी हूं। समाज को सही रास्ता दिखाना मेरा धर्म है। अच्छे-बुरे का फर्क बताना मेरा कर्तव्य है। जो समाज के दुश्मन हैं, उन्हें प्यार से समझाना जरूरी है, लेकिन जो प्यार से न समझें, उनके साथ सख्ती जरूरी है। हमारी सनातन परंपरा में एक संन्यासी अपने एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में भाला रखता है।’

योगी उत्तर प्रदेश में इसी फॉर्मूले का इस्तेमाल कर रहे हैं। मंदिरों और मस्जिदों से लाउडस्पीकर उतरवाने का मुद्दा हो, या जुमे के दिन सड़कों को बंद करके नमाज पढ़ने का मुद्दा हो, योगी की रणनीति बिल्कुल स्पष्ट है।

जब इन मुद्दों पर देश के तमाम राज्यों में झगड़ा झंझट हो रहा था, उस वक्त योगी ने इसी तरह से धार्मिक और मजहबी लोगों से बात करके, उन्हें समझाकर मामले को हल करने को कहा था। इसका नतीजा यह निकला कि यूपी में मंदिरों और मस्जिदों से लाउडस्पीकर उतर गए। जुमे की नमाज तो छोड़िए, ईद की नमाज भी सड़कों पर नहीं हुई। हां, यह जरूर हुआ कि ईद की नमाज के लिए प्रशासन ने मस्जिदों के आसपास के स्कूल-कॉलेजों के मैदान खुलवा दिए। ईदगाहों पर बड़े-बड़े पंडाल लगाकर नमाज के इंतजाम किए गए।

इसका नतीजा यह हुआ कि सड़कों पर नमाज नहीं हुई। योगी ने प्यार से, भाईचारे से, शान्ति और अमन का रास्ता निकालने की कोशिश की। इस बार अब हर जुमे को हंगामा हो रहा है, तो योगी सबसे बात कर रहे हैं। बातचीत से रास्ता निकलेगा, और जो समझाने से नहीं मानेंगे उनके लिए दूसरे तरीके का विकल्प तो हमेशा खुला है।

मौलाना तौकीर रजा ने जुमे के दिन 17 जून को प्रोटेस्ट की कॉल दी थी। उन्होंने मुसलमानों से 17 जून को लाखों की संख्या में बरेली पहुंचने के लिए कहा था। हालांकि बरेली पुलिस ने सख्त लफ्जों में कह दिया कि प्रशासन ने इस तरह के किसी कार्यक्रम की इजाजत नहीं दी है, और अगर बिना इजाजत के भीड़ इक्कठा की गई तो कड़ी कार्रवाई होगी। प्रशासन का रुख देखने के बाद तौकीर रजा ने जुमे के दिन प्रोटेस्ट की कॉल वापस ले ली। अब वह कह रहे हैं कि रविवार को प्रदर्शन करेंगे।

इसमें कोई शक नहीं कि ज्यादातर हिंदू और मुसलमान शांति से रहना चाहते हैं। वे अपने काम से काम रखते हैं, एक दूसरे की धार्मिक भावना का सम्मान करते हैं। इसी तरह ज्यादातर मौलाना, इमाम, पुजारी और साधु संत भी भाईचारा चाहते हैं। लेकिन दोनों समाजों में कुछ असामाजिक तत्व हैं जो आग लगाते हैं, लोगों को भड़काते हैं ताकि उनकी दुकान चलती रहे।

मैंने कई बार आपको दिखाया है कि ये लोग बयानों को अपने हिसाब से इंटरप्रेट करते हैं, लोगों को उनके गलत मतलब समझाते हैं ताकि उनका महत्व बना रहे, लेकिन जब पत्थर चलते हैं, लाठियां चलती हैं तो ये असामाजिक तत्व गायब हो जाते हैं। पत्थर और लाठी की मार गरीब पर पड़ती है। लोगों को यही समझाने की जरूरत है। असामाजिक तत्वों ने नूपुर शर्मा के बयान को बहाना बनाकर पत्थरबाजों और आगजनी करने वालों को उकसाया। हमें ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 15 जून, 2022 का पूरा एपिसोड

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