महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार इस वक्त एक रोचक दौर में है। ज़बरदस्त जुबानी जंग देखने को मिल रही है। मंगलवार को योगी आदित्यनाथ ने अमरावती, अकोला और नागपुर में रैलियां की और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को जवाब दिया। खरगे ने कहा था कि अगर योगी को ‘ बंटेंगे तो कटेंगे’ जैसे नारे लगाने हैं, तो भगवा चोला उतार देना चाहिए।
इस पर योगी ने कहा कि भगवा तो सनातन की पहचान है, वह योगी हैं, सच बोलते हैं, इसलिए खरगे को इतिहास याद दिला रहे हैं। खरगे के परिवार वालों को निज़ाम के रजाकारों ने 1946 के दंगों में जला दिया था क्योंकि उस वक्त हिन्दू जातियों में बंटे थे। योगी ने कहा कि वोट के चक्कर में खरगे अपने परिवार के साथ हुई त्रासदी को भी छुपा रहे हैं लेकिन वह तो खुलकर कह रहे हैं कि एक रहना जरूरी है, क्योंकि बंटेंगे तो कटेंगे।
मल्लिकार्जुन खरगे के जिस बयान का जवाब योगी ने दिया, वह उन्होंने पिछले साल 17 अगस्त को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते समय दिया था। खरगे ने बताया था कि कैसे 1946 के दंगों में उनका घर जला दिया गया, उनकी मां, बहन, भाई, चाचा सबको निर्ममता के साथ जला दिया गया था। उस समय खरगे बच्चे थे। उनके पिता किसी तरह उनको बचा कर गांव से भागे, और बाद में कर्नाटक के गुलबर्गा में जा कर बसे। लेकिन ये बताते समय खरगे इस बात का जिक्र नहीं करते कि इन दंगों के पीछे कौन था?
असल में 1946-1947 के इन दंगों के पीछे हैदराबाद के तत्कालीन निज़ाम के रजाकारों का हाथ था। योगी ने इसी बात को पकड़ा। योगी ने जो कहा उसका मतलब है कि खरगे जान बूझकर निज़ाम के रजाकारों का ज़िक्र नहीं करते क्योंकि कांग्रेस पार्टी को मुसलमानों के वोटों की चिंता है। बीजेपी के एक नेता ने कमेंट किया कि खरगे के परिवार को निज़ाम के जिहादी रज़ाकारों ने मारा और वह हिंदुओं को आतंकवादी करार देते हैं। ये कैसा सेक्युलरिज्म है? महाराष्ट्र के चुनाव में राजनीति के इस पैंतरे की खूब चर्चा है।
अकोला की रैली में योगी ने कहा कि खरगे उनसे बेवजह खफा हैं। वो योगी हैं और योगी के लिए देश सबसे ऊपर होता है लेकिन कांग्रेस के नेताओं के लिए तुष्टिकरण सबसे ऊपर है। इसीलिए खरगे वो हकीकत बताने से भी डर रहे हैं जो उन्होंने खुद झेली है। चूंकि खरगे तीन दिन से लगातार योगी पर वार कर रहे थे, उन्होंने योगी की तुलना आतंकवादियों से कर दी थी, कहा था कि योगी भगवा चोला पहनकर बांटने-काटने की राजनीति करते हैं, हिंदू-मुसलमान के बीच नफरत फैलाते हैं, इसलिए उन्हें गेरुआ वस्त्र पहनने का कोई हक नहीं है। योगी आदित्यनाथ ने तीन दिन का हिसाब बराबर कर दिया। खरगे के परिवार के बारे में योगी ने जो कहा, वो गलत नहीं है क्योंकि खरगे कई मौकों पर खुद सार्वजनिक तौर पर ये बता चुके हैं कि हैदराबाद के दंगों में उनके परिवार को निजाम के रज़ाकारों ने जला दिया था।
महाराष्ट्र के चुनाव में भगवा का जिक्र खरगे के बयान की वजह से हुआ। ये बात तो तय है कि योगी का नारा हिट हो गया है। साधु-संत अब खुलकर योगी के समर्थन में खड़े हैं। मंगलवार को जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि योगी ने जो कहा, सच कहा। भगवाधारियों ने हमेशा समाज को सच्चाई बताई है, सही रास्ता दिखाया है, इसलिए खरगे भगवा पर न बोलें तो बेहतर होगा। खरगे ने कहा था कि भगवा धारण करने वाले राजनीति से दूर रहें तो अच्छा रहेगा। इस पर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि भगवाधारी राजनीति करेंगे, तो राजनीति बेहतर होगी वरना इसमें अपराधियों का जमावड़ा हो जाएगा। (रजत शर्मा)
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