नारी का सम्मान, मां-बहनों का स्वाभिमान, लोकसभा के चुनाव में बड़ा मुद्दा बन गया है। बुधवार को चुनाव आयोग ने कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत और भाजपा नेता दिलीप घोष को क्रमश: कंगना रनौत और ममता बनर्जी के बारे में किए गये आपत्तिजनक कमेंट को लेकर कारण बताओ नोटिस भेजा। इधर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संदेशखाली में शेख शाहजहां के जुल्मों की शिकार रेखा पात्रा से मंगलवार को बात की। रेखा पात्रा को बीजेपी ने बशीरहाट से टिकट दिया है। मोदी ने कहा कि रेखा पात्रा शक्ति स्वरूपा हैं। बीजेपी ने उन्हें चुनाव मैदान में उतार कर महिलाओं के सम्मान की रक्षा के प्रति वचनबद्धता साबित की है। मोदी ने कहा कि संदेशखाली का सच जब सामने आया तो देश को पता लगा कि पश्चिम बंगाल में मां बहनों के साथ कितना अत्याचार हुआ है। ‘आज की बात’ में सोमवार को ही मैंने कहा था कि बशीरहाट से बीजेपी की उम्मीदवार रेखा पात्रा महिलाओं पर जुल्म के खिलाफ लड़ाई का प्रतीक बनेंगी, मां बहनों का सम्मान सिर्फ बंगाल में नहीं पूरे देश में बीजेपी का बड़ा मुद्दा होगा। मंगलवार को प्रधानमंत्री ने रेखा पात्रा से फोन पर बात करके यही संदेश दिया। संदेशखाली में तृणमूल कांग्रेस के नेता शेख शाहजहां के जुल्मों की रौंगटे खड़ी करने वाले किस्से तो पूरा देश जानता है लेकिन इस जुल्म के खिलाफ आवाज उठाने वाली, शेख शाहजहां के खिलाफ सबसे पहले पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने की हिम्मत दिखाने वाली, सामान्य सी महिला रेखा पात्रा को प्रधानमंत्री मोदी ने उसी इलाके से, बशीरहाट लोकसभा सीट से बीजेपी का उम्मीदवार बना दिया। रेखा पात्रा कभी पंचायत का भी चुनाव नहीं लड़ी, घरेलू महिला हैं, गरीब हैं, पढ़ी-लिखी भी नहीं हैं। उनके पास चुनाव लड़ने के संसाधान नहीं हैं, लेकिन मोदी ने उन्हें लोकसभा चुनाव में उतारा है। इसलिए अब पूरी पार्टी रेखा पात्रा का चुनाव लड़ रही है।
मोदी ने खुद रेखा पात्रा से बात की। मोदी ने पूछा कि टिकट मिलने के बाद उन्हें कोई परेशानी तो नहीं हो रही? क्या संदेशखाली में महिलाओं को हिम्मत मिली है? क्या वो मां बहनों के सम्मान के लिए लड़ने के लिए तैयार हैं? रेखा ने मोदी को बताया कि हालात तो इतने खराब हैं कि उन्होंने 2011 के बाद कभी किसी चुनाव में वोट ही नहीं डाला। ये सुनकर मोदी भी हैरान रह गए। उन्होंने कहा कि वो चुनाव आयोग से अपील करेंगे और उन्हें पूरा भरोसा है कि चुनाव आयोग इस पर गौर करेगा, इस तरह के इंतजाम करेगा कि पश्चिम बंगाल में लोग बिना किसी डर या पक्षपात के अपनी मर्जी से वोट डाल सकें। मोदी ने रेखा पात्रा को भरोसा दिलाया कि वो किसी बात की चिंता न करें, बंगाल की जनता उनके साथ हैं, मां-बहनों का आशीर्वाद उनके साथ हैं और पूरी पार्टी उनके साथ है। रेखा पात्रा ने मोदी से एक बड़ी बात कही। उन्होंने बताया कि संदेशखाली की महिलाएं डरी हुई हैं। बहुत सी महिलाएं हैं जो परिवार की सुरक्षा के डर से उनके पक्ष में खुलकर नहीं बोल रही हैं। या कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं जो तृणमूल कांग्रेस के गुंडों के डर से उनके खिलाफ भी बोल रही हैं, लेकिन वो इस बात का बुरा नहीं मानती। रेखा पात्रा ने कहा कि जो महिलाएं आज उनका विरोध कर रही हैं, भविष्य में वो उनको भी इंसाफ दिलाने के लिए लड़ेंगी।
रेखा पात्रा की ये बात सुनकर मैं हैरान हूं कि संदेशखाली में 2011 से लोगों को वोट देने की आजादी नहीं है, उनके वोट चोरी कर लिए जाते हैं, इस बात का दुख ज्यादा इसीलिए है क्योंकि ममता बनर्जी ने “मां मांटी और मानुष” की बात करके ही पश्चिम बंगाल से लेफ्ट की सत्ता को उखाड़ा था। लेकिन अब ममता के राज में मां बेटियों के खिलाफ जुल्मों की जो खबरें आई, जमीनों पर कब्जे की जो हकीकत सामने आई, उससे ये संदेश तो गया कि बंगाल में न मां सुरक्षित है, न माटी और न मानुष। संदेशखाली में ममता ने जिस तरह से शेख शाहजहां को आखिरी वक्त तक बचाने की पूरी कोशिश की, उससे बीजेपी को मौका मिला और बीजेपी ने संदेशखाली को बड़ा मुद्दा बना दिया। बंगाल के लोग शक्ति के उपासक हैं, मां काली के भक्त हैं, वे कुछ भी बर्दाश्त कर सकते हैं लेकिन मातृ शक्ति का अपमान सहन नहीं कर सकते। इसीलिए मोदी ने मां बहनों पर जुल्मों के खिलाफ आवाज उठाने वाली रेखा पात्रा को टिकट देकर ममता बनर्जी के लिए मुश्किल बढ़ा दी है। रेखा पात्रा चुनाव तो बशीरहाट से लड़ रही हैं, लेकिन इसका असर पूरे बंगाल के साथ साथ देश की सियासत पर पड़ेगा। ममता बनर्जी को भी पता है कि माता बहनों के साथ ज्यादती पार्टी के लिए भारी पड़ सकती है। इसलिए तृणमूल कांग्रेस इस मसले पर काउंटर अटैक कर रही है।
मंगलवार को दिलीप घोष ने एक गलती की और तृणमूल कांग्रेस ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया। दिलीप घोष ने ममता बनर्जी के लिए गैरजरूरी और अपमानजनक बात कह दी। दरअसल दिलीप घोष को बीजेपी ने बर्धमान-दुर्गापुर सीट से मैदान में उतारा है। कीर्ति आजाद तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार हैं। दिलीप घोष ने कहा कि कीर्ति आजाद बाहरी हैं। चूंकि तृणमूल कांग्रेस ने नारा दिया है ‘बंगाल अपनी बेटी चाहता है’, नारा ये होना चाहिए, ‘बंगाल अपना भतीजा चाहता है’। यहां तक तो ठीक था लेकिन इसके बाद दिलीप घोष ने ऐसी बात कह दी जिस पर विवाद हो गया। दिलीप घोष ने कहा कि ममता जब गोवा जाती हैं तो खुद को गोवा की बेटी कहती हैं, त्रिपुरा जाती हैं तो त्रिपुरा की बेटी कहती हैं, उन्हें ये तय करना चाहिए कि उनके पिता कौन हैं। दिलीप घोष ने जो कहा वो गलत है। ममता बनर्जी ही नहीं, किसी भी महिला या किसी भी व्यक्ति के बारे में इस तरह के कमेंट नहीं होने चाहिए। राजनीति में चुनाव के दौरान एक दूसरे पर हमले होते हैं लेकिन ये व्यक्तिगत हों, किसी के परिवार पर सवाल उठाए जाएं, ये ठीक नहीं हैं। दिलीप घोष पुराने, जमीन से जुड़े नेता हैं। इस वक्त बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं, बंगाल में बीजेपी के अध्यक्ष रह चुके हैं। इसलिए जब इतना बड़ा नेता अमर्यादित बात कहता है तो चिंता होती है।
हो सकता है दिलीप घोष अपने कमेंट के लिए मांफी मांग लें लेकिन ये गलती करके उन्होंने महिलाओं के सम्मान पर बुरी तरह घिर चुकी तृणमूल कांग्रेस को पलटवार का मौका दे दिया। अब कंगना के बारे में सुप्रिया श्रीनेत के कमेंट पर फंसी कांग्रेस भी अपने बचाव में दिलीप घोष के बयान का हवाला देगी। कंगना पर कमेंट सुप्रिया को महंगा पड़ेगा। वैसे भी सुप्रिया श्रीनेत हर रोज सबको नैतिकता का पाठ पढ़ाती हैं, टीवी डिबेट्स में मीडिया पर बरसती हैं, कभी कभी अपनी महिला होने की बात कहती हैं, लेकिन सुप्रिया एक व्यक्ति नहीं हैं, वह कांग्रेस के सोशल मीडिया सेल की प्रमुख हैं। इसीलिए इसकी आंच कांग्रेस नेतृत्व तक जाएगी। भाजपा नेता बांसुरी स्वराज और नवनीत राणा ने पूछा है कि प्रियंका गांधी वैसे तो महिलाओं के अपमान पर खूब बोलती हैं, ‘ल़ड़की हूं, लड़ सकती हूं’ का नारा देती हैं, पर कंगना के बारे में किए गए अभद्र कमेंट पर वो अभी तक खामोश हैं। राहुल गांधी भी मोहब्बत की दुकान चलाते हैं लेकिन किसी प्रोफेशनल महिला पर इस तरह की अभद्रता पर वो भी चुप हैं। कांग्रेस सिर्फ ये कह कर नहीं बच सकती कि किसी ने सुप्रिया के अकाउंट्स से ये पोस्ट कर दिया। जो नेता सोशल मीडिया सेल की इंचार्ज हैं, उनके हैंडल से बिना उनकी अनुमति के कोई और पोस्ट कैसे डाल सकता है? इसलिए जब ये बात निकली है तो दूर तलक जाएगी। (रजत शर्मा)
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