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Rajat Sharma’s Blog: क्या पुलिस की FIR नफरत फैलाने वालों पर लगाम लगा पाएगी?

दिल्ली पुलिस ने जिन धाराओं में केस दर्ज किया है, उनमें पुलिस स्टेशन से जमानत नहीं मिलेगी, कोर्ट ही जाना पड़ेगा।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: June 10, 2022 18:36 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

आज दिल्ली, रांची, कोलकाता, प्रयागराज, मुरादाबाद, लखनऊ, सहारनपुर, मुम्बई और हैदराबाद में जुमे की नमाज के बाद नमाजियों ने बीजेपी की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। प्रयागराज और रांची में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव और गाड़ियों में आग लगाई. रांची के कई इलाकों में कर्फ्यू  लगा दिया गया है।

इस बीच सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी, विवादित पुजारी यति नरसिंहानंद सहित 31 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की । इसके अलावा बीजेपी की निलंबित प्रवक्ता नुपुर शर्मा और पार्टी से निष्कासित प्रवक्ता नवीन कुमार जिंदल के खिलाफ अलग से FIR दर्ज की गई है।

दोनों ही मामलों में इन लोगों के खिलाफ सामाजिक सदभाव बिगाड़ने, माहौल खराब करने, लोगों को भड़काने, जानबूझकर किसी धर्म या मजहब का अपमान करने, और सोशल मीडिया के जरिए उन्माद फैलाने की कोशिश करने जैसे गंभीर आरोपों में मुकदमा दर्ज किया गया है। दिल्ली पुलिस ने कहा, स्पेशल सेल की IFSO (Intelligence Fusion and Strategic Operations) यूनिट द्वारा सोशल मीडिया का विश्लेषण करने के बाद मामले दर्ज किए गए हैं।

FIR में कहा गया है कि आरोपी ‘जानबूझकर नफरत की भाषा का इस्तेमाल कर रहे थे ये जानते हुए कि इस प्रकार की भाषा के इस्तेमाल से अलग-अलग मज़हब में विश्वास रखने वालों के बीच शत्रुता की स्थिति पैदा होगी। यह निश्चित रूप से सार्वजनिक शांति और व्यवस्था के लिये एक गंभीर खतरा होगा।’

 
FIR में लिखा है, ‘ऐसी भाषा का प्रसारण और प्रकाशन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से किया गया है, और जो व्यक्ति इसे देखेगा या सुनेगा, उसे गुमराह करने के लिए पर्याप्त है।’

दिल्ली पुलिस ने ट्वीट किया, ‘हमने सोशल मीडिया विश्लेषण के आधार पर सार्वजनिक शांति भंग करने और लोगों को उकसाने की कोशिश करने के आरोप में उचित धाराओं के तहत 2 FIRs दर्ज की हैं। एक FIR नुपुर शर्मा तथा दूसरी सोशल मीडिया पर सक्रिय कई अन्य लोगों के खिलाफ है। इन सोशल मीडिया अकाउंट के लिये जिम्मेदार लोगों के बारे में सूचनाएं एकत्रित करने के लिए सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स को नोटिस भेजे जा रहे हैं। दिल्ली पुलिस सभी से अपील करती है कि वे ऐसे संदेश पोस्ट करने से बचें,  जो सामाजिक और साम्प्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ते हों।’

आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से जानबूझकर उकसाना), 295 (किसी भी धर्म के अपमान के इरादे से प्रार्थना स्थलों का अपमान करना) और 505 (सार्वजनिक शरारत वाले बयान देना) के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। दिल्ली पुलिस ने जिन धाराओं में केस दर्ज किया है, उनमें पुलिस स्टेशन से जमानत नहीं मिलेगी, कोर्ट ही जाना पड़ेगा। और अगर जुर्म साबित हो गया तो एक साल से लेकर 6 साल तक की कैद हो सकती है। दिलचस्प बात यह है कि जो लोग नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे, वे गुरुवार को अचानक खामोश हो गए। कुछ को इस बात पर आपत्ति है कि FIR में मुसलमानों के नाम क्यों हैं।

AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी इसे लेकर काफी ज्यादा नाराज दिखे। एक के बाद एक कई ट्वीट्स में उन्होंने पूछा, 'मुझे पता नहीं, मेरे किस बयान की वजह से FIR दर्ज की गई है। ऐसा लगता है कि दिल्ली पुलिस में यति, नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल आदि के खिलाफ मामला चलाने की हिम्मत नहीं है। इसीलिए देर से यह कमजोर कदम उठाया गया है। असल में यति ने मुसलमानों के नरसंहार की बात की थी और इस्लाम का अपमान करके वह अपनी जमानत शर्तों का बार-बार उल्लंघन कर चुके है। दिल्ली पुलिस शायद कट्टर हिदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाए बगैर FIR दर्ज करने का तरीका सोच रही थी। दिल्ली पुलिस 'द्विपक्षवाद' और 'संतुलनवाद' से ग्रस्त है। एक पक्ष ने खुलेआम हमारे पैगंबर की शान में गुस्ताखी की है जबकि दूसरे पक्ष के लोगों को इसलिए नामजद किया गया ताकि बीजेपी समर्थकों को चुष्ट किया जा सके, य़े कह कर कि दोनों पक्षों की ओर से नफरत भरी बातें कही गयी थी।'

आमतौर पर पुलिस मजहबी उन्माद फैलाने वालों के खिलाफ व्यक्तिगत तौर पर कार्रवाई करती रहती है, लेकिन इस बार एक साथ ऐक्शन हुआ है, और पहली बार एक साथ 33 लोगों के खिलाफ 2 FIR दर्ज हुई हैं। FIRs में पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ विवादित बयान देने के बाद बीजेपी से सस्पेंड की गईं नूपुर शर्मा, इसी तरह का बयान देने के आरोप में बीजेपी से निकाले गए नवीन कुमार जिंदल, भगवा वस्त्र पहनने वाले, खुद को साधु बताने वाले, अक्सर विवादित बयान देने वाले और फिलहाल जमानत पर बाहर यती नरसिंहानंद, और महात्मा गांधी की तस्वीर पर बंदूक तानकर फोटो खिंचवाने वाली हिंदू महासभा की पूजा शकुन पांडे के नाम शामिल हैं।

दिल्ली पुलिस ने सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वालों के खिलाफ FIR दर्ज करते समय कोई फर्क नहीं किया। आरोपियों में AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी का नाम भी है जो एक अनुभवी बैरिस्टर और सियासत के पुराने खिलाड़ी हैं। उनकी पार्टी तेलंगाना से लेकर महाराष्ट्र, बिहार और उत्तर प्रदेश तक फैली हुई है। विरोधी पार्टियां ओवैसी को ‘बीजेपी का एजेंट’ बताती हैं, लेकिन बीजेपी की सरकार ने ओवैसी का नाम जहर उगलने वालों के लिस्ट में डाल दिया। FIR में पीस पार्टी की ओर से टीवी डिबेट में हिस्सा लेने वाले शादाब चौहान, सोशल मीडिया पर अनाप-शनाप, आपत्तिजनक बातें लिखने वाले राजस्थान के इस्लामिक विद्वान इलियास शराफुद्दीन और मौलाना मुफ्ती नदीम के भी नाम हैं। मौलाना शराफुद्दीन ने शिवलिंग पर विवादित बयान दिया था। FIR में AIMIM के दानिश कुरैशी का भी नाम है, जिन्हें भड़काऊ बयान देने पर गुजरात में गिरफ्तार किया गया था।

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल में एक आधुनिक इंटेलिजेंस फ्यूजन और स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस यूनिट (Intelligence Fusion and Strategic Operations Unit) है जो WhatsApp, Facebook, YouTube और Twitter पर पोस्ट की गई ऐसी बातों पर पूरी मुस्तैदी से नजर रखती है जिनसे माहौल खराब हो सकता है। यह यूनिट ट्रेंडिंग टॉपिक्स पर भी खास नजर रखती है और फिर ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया अकाउंट पर किए गए कॉमेंट्स की जांच करती है। इसमें एक मॉनिटरिंग रूम भी है जहां लगातार ट्वीट्स, वॉट्सऐप फॉरवर्ड, फेसबुक और यूट्यूब पोस्ट पर नजर रखी जाती है।

ओवैसी के खिलाफ FIR दर्ज होने के तुरंत बाद AIMIM कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया, लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें तुरंत हिरासत में ले लिया। इनमें से कइयों को तीन दिन के लिए जेल भेजा गया है। समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर रहमान बर्क ने सवाल दागा, ‘नूपुर शर्मा और जिंदल के खिलाफ पुलिस कार्रवाई जायज थी, लेकिन पुलिस मुसलमानों के खिलाफ केस क्यों दर्ज कर रही है? मुसलमानों के खिलाफ नफरत का माहौल बनाया जा रहा है और यह हमारे देश के लिए अच्छा नहीं है।’

तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट किया, ‘मैं दृढ़ता से चाहती हूं कि बीजेपी के आरोपी नेताओं को तुरंत गिरफ्तार किया जाए ताकि देश की एकता भंग न हो और लोगों को मानसिक पीड़ा का सामना न करना पड़े।’ बाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि बीजेपी देश को बांटने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, ‘सिर्फ FIR दर्ज करने से काम नहीं चलेगा। नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल को गिरफ्तार किया जाना चाहिए।’
 
चाहे पुलिस ने किसी के दबाव में आकर इन 33 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की हो, या किसी के कहने से की हो, यह कोई मसला नहीं है। अच्छी बात यह है कि दिल्ली पुलिस ने FIR दर्ज की है। मुझे उम्मीद है कि यह उन नेताओं पर रोक लगाएगा जो टीवी डिबेट के दौरान खुलेआम सांप्रदायिक जहर उगलते हैं और टीवी चैनलों को बदनाम करते हैं।

इन दो FIR के दर्ज होने से नेता हों या मौलाना, अब नफरत फैलाने से पहले दो बार सोचेंगे। अब उल्टे-सीधे बयान देने वालों को इस बात का एहसास होगा कि बोलने की आजादी किसी मजहब को गाली देने के लिए नहीं होती। नफरत फैलाने के लिए दोनों धर्मों के लोग जिम्मेदार हैं। वे नफरत फैलाने और लोगों को भड़काने के लिए सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स का दुरुपयोग करते हैं। सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स को नियंत्रित करना मुश्किल है, क्योंकि जो मैसेज जितना निगेटिव होता है, वह यहां उतनी ही तेजी से वायरल होता है। इसका फायदा सबसे ज़्यादा वो लोग उठाते हैं जिनकी समाज में अपनी कोई स्टैंडिंग नहीं हैं, जिन्हें हम ‘फ्रिंज एलिमेंट’ (सिरफिरा तत्व) के नाम से जानते हैं। दिल्ली पुलिस ने इस दिशा में एक उदाहरण पेश किया है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 08 जून, 2022 का पूरा एपिसोड

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