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Rajat Sharma's Blog | सर्जिकल स्ट्राइक वाले बयान पर राहुल दिग्विजय सिंह के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करना चाहते ?

जयराम रमेश की बौखलाहट और उनका गुस्सा ये समझने के लिए काफी है कि दिग्विजय सिंह के बयान से कांग्रेस में कितनी बेचैनी है। इस बयान से राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' का नैरेटिव बिगड़ा है। लेकिन इससे दिग्विजय सिंह की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा।

Written By: Rajat Sharma
Updated on: January 28, 2023 17:39 IST
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान के अंदर किए गए सर्जिकल स्ट्राइक के मुद्दे पर मंगलवार को कांग्रेस असमंजस में दिखी। पार्टी के अंदर दो तरह की बातें सुनाई दी। राहुल गांधी ने अपनी 'भारत जोड़ो यात्रा' के दौरान नगरोटा में एक पत्रकार वार्ता में कहा, 'जो दिग्विजय सिंह जी ने कहा उससे मैं बिलकुल सहमत नहीं हूं। हमारी आर्मी पर हमारा पूरा विश्वास है। आर्मी जो करती है, सबूत देने की कोई जरूरत नहीं है। मैं निजी तौर पर उनके बयान से बिल्कुल सहमत नहीं हूं और कांग्रेस पार्टी की आधिकारिक स्थिति भी यही है कि वो दिग्विजय जी की निजी राय है। हमारी पार्टी की राय नहीं।'

वहीं जब राहुल गांधी से यह पूछा गया कि पार्टी की राय के खिलाफ बयान देने पर दिग्विजय सिंह पर क्या एक्शन होगा ? तो राहुल ने कहा- 'हम एक लोकतांत्रिक पार्टी हैं। हम कोई तानाशाह नहीं हैं। कांग्रेस में सबको अपनी बात कहने का हक है। पार्टी का नज़रिया दिग्विजय जी के व्यक्तिगत विचारों से ऊपर है।'

इससे एक दिन पहले दिग्विजय सिंह ने उरी आतंकी हमले के बाद सेना की तरफ से किए गए सर्जिकल स्ट्राइक की प्रमाणिकता पर सवाल उठाया था। उरी हमले में सेना के 19 जवानों की मौत हो गई थी। दिग्विजय सिंह ने सोमवार को जम्मू के सरवरी चौक पर एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था, 'वे (बीजेपी) सर्जिकल स्ट्राइक की बात करते हैं, लेकिन इसका कोई सबूत नहीं है। वे सब झूठ फैलाते हैं।'

उसी दिन पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने कहा, 'दिग्विजय सिंह ने जो कुछ भी कहा वह उनका व्यक्तिगत बयान है, कांग्रेस का नजरिया इससे अलग है। 2014 से पहले यूपीए सरकार के समय में भी सर्जिकल स्ट्राइक किए गए। कांग्रेस ने राष्ट्रीय हित में की जाने वाली सभी सैन्य कार्रवाइयों का समर्थन किया है और आगे भी करती रहेगी।'

राहुल गांधी की फटकार के बाद  दिग्विजय सिंह ने भी मंगलवार को अपना रुख बदल लिया और सिलसिलेवार ट्वीट कर 2019 के पुलवामा आतंकी हमले के बारे में और सफाई मांगा। दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया: 'मैंने अपने सशस्त्र बलों को हमेशा सर्वोच्च सम्मान दिया है। मेरी दो बहनों की शादी नेवल ऑफिसर्स से हुई थी। सेना के अधिकारियों से सवाल पूछने का प्रश्न ही नहीं उठता। मेरा सवाल तो मोदी सरकार से है।'

सवाल-1 उस अक्षम्य खुफिया तंत्र की विफलता के लिए कौन जिम्मेदार है जिसके चलते सीआरपीएफ के हमारे 40 जवान शहीद हुए ? 2- आतंकवादी 300 किलो आरडीएक्स कहां से ला सकते थे ? 3- सीआरपीएफ जवानों को एयरलिफ्ट करने के अनुरोध को क्यों ठुकराया गया? मोदी सरकार से ये मेरे वाजिब सवाल हैं। क्या मुझे एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में तथ्यों को जानने का अधिकार नहीं है? इस गंभीर चूक के लिए किसे दंडित किया गया है ? किसी दूसरे देश में ऐसा होता तो गृह मंत्री को इस्तीफा देना पड़ता।

दिग्विजय सिंह की हरकतें कांग्रेस पार्टी के लिए फजीहत बन गई हैं। सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर दिग्विजय सिंह के बयान पर उठे विवाद ने पिछले दो दिनों से जम्मू-कश्मीर में राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' को लेकर आ रही सकारात्मक खबरों पर पानी फेर दिया है। अंत में, हालात को संभालने के लिए राहुल गांधी को मीडिया के सामने आना पड़ा। इसमें कोई शक नहीं कि दिग्विजय सिंह के बयान से कांग्रेस को नुक़सान हुआ है और राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' का नैरेटिव बिगड़ा है। श्रीनगर में समाप्त होनेवाली इस यात्रा में अब केवल 5 दिन बाकी हैं। 

बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने दिग्विजय सिंह के बयान को उनका व्यक्तिगत नजरिया बताने के लिए राहुल गांधी पर जमकर हमला किया। उन्होंने कहा,  'कांग्रेस की यही रणनीति है, पहले सेना का अपमान करो, सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगो और जब फंस जाओ तो व्यक्तिगत नजरिया कहकर किनारा कर लो। कांग्रेस को आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए ...राहुल भी कई मौकों पर सेना को अपमानित कर चुके हैं और वे भी सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग चुके हैं।'

कांग्रेस नेता जयराम रमेश का गुस्सा मंगलवार को तब साफ दिखा जब उन्होंने यात्रा के दौरान दिग्विजय सिंह से सवाल पूछने की कोशिश कर रही इंडिया टीवी की रिपोर्टर विजय लक्ष्मी का माइक हटा दिया। जयराम रमेश ने पत्रकार को धक्का मारते हुए कहा, 'कृपया हमें वॉक करने दो। जाओ प्रधानमंत्री से सवाल पूछो।' 

जयराम रमेश की बौखलाहट, उनका गुस्सा ये समझने के लिए काफी है कि दिग्विजय सिंह के बयान से कांग्रेस में कितनी बेचैनी है। इस बयान से राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' का नैरेटिव बिगड़ा है। लेकिन इससे दिग्विजय सिंह की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा। वो मज़े से हंसते-मुस्कुराते 'भारत जोड़ो यात्रा' में सबसे आगे चलते रहे। इस पर बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जिस तरह से जयराम ने दिग्वजिय को रोका और जिस अंदाज़ में दिग्विजय फिर बोलने को तैयार थे उसे देखकर लगा कि कांग्रेस की ये रणनीति है कि कुछ लोग बोलेंगे, विवाद पैदा करेंगे और बाद में पार्टी उनकी निजी राय बताकर किनारा कर लेगी।

इसमें कोई दो राय नहीं कि राहुल गांधी ने पिछले 130 दिन से पैदल चलकर जो थोड़ा बहुत गुडविल कमाया था उसे दिग्विजय सिंह ने अपने एक बयान से मिट्टी में मिला दिया।  इसीलिए, कांग्रेस अब बैकफुट पर नजर आ रही है। दिग्विजय सिंह की गिनती कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेताओं में होती है। वे गांधी-नेहरू परिवार के विश्वासपात्र हैं। राहुल गांधी के राजनीतिक गुरू हैं। दस साल मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। 

दिग्विजय सिंह के बयान से कांग्रेस के नेता अब भले ही किनारा कर रहे हैं लेकिन हक़ीक़त यह है कि तमाम मौकों पर राहुल गांधी समेत कांग्रेस के कई नेता सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग चुके हैं।

दिग्विजय सिंह ने पुलवामा आतंकी हमले को लेकर सवाल उठाए हैं। पुलवामा हमले की जांच नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) कर रही थी। डेढ़ साल के भीतर 13, 800 पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की गई। इस केस में NIA ने कुल 19 लोगों को आरोपी बनाया, इनमें  सात आरोपी पाकिस्तान के नागरिक हैं। इन आरोपियों में जैश-ए-मुहम्मद का सरगना मौलाना मसूद अज़हर और JEM के बड़े आतंकी रऊफ़ असगर और अम्मार अल्वी उर्फ छोटा मसूद के नाम भी शामिल हैं। 12 आरोपी भारत के नागरिक हैं। इनमें से एक तो आत्मघाती हमलावर आदिल डार था जो मौक़े पर ही मारा गया था। इसके अलावा, मुहम्मद उमर फ़ारुक़, सज्जाद अहमद बट और मुदस्सिर अहमद ख़ान सुरक्षा बलों के हाथों मारे भी मारे जा चुके हैं। मुहम्मद उमर को पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड कहा जाता है और वह ट्रेनिंग लेने के लिए अफ़ग़ानिस्तान भी गया था। 

क़रीब डेढ़ साल की जांच में NIA ने मौक़े से कई सबूत जुटाए और इस आतंकी हमले की कड़ियां जोड़ीं। एनआईए इस निष्कर्ष पर पहुंची कि CRPF के काफ़िले पर हमले की साज़िश पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी ISI ने रची थी। कश्मीर के कई आतंकवादियों ने आरोपियों को पनाह दी और उनकी मदद की। एनआईए ने सभी की भूमिकाओं का पता लगाया और अब यह मामला अदालत में है। एनआईए के डीजी वाईसी मोदी ने कहा-जिस पुलिस अधिकारी देविंदर सिंह के नाम का जिक्र दिग्विजय सिंह ने किया था, पुलवामा हमले में उसकी कोई भूमिका नहीं थी।

रिटायर्ड एयर मार्शल और पश्चिमी एयर कमान के पूर्व प्रमुख रघुनाथ नाम्बियार ने कहा, 'ये महाशय नहीं जानते कि ये क्या बोल रहे हैं। उन्हें ग़लत जानकारी दी जा रही है। उन्हें सच्चाई पता नहीं है। मैंने बालाकोट हमले के दो दिनों बाद वेस्टर्न एयर कमान की ज़िम्मेदारी संभाली थी और मुझे अच्छी तरह पता है कि बालाकोट में क्या हुआ था। मैं आपको भरोसा देना चाहता हूं कि हमारे बहादुर पायलटों ने ठीक वैसा ही किया, जिसका उन्हें आदेश दिया गया था और उन्होंने हमारे तय किए हुए सभी मक़सद कामयाबी से पूरे किए। आप किसी की झूठी बातों पर भरोसा मत कीजिए और विश्वास रखिए कि बालाकोट हवाई हमला पूरी तरह से कामयाब रहा था।'

2019 में एयर स्ट्राइक से पहले भारतीय सेना ने 2016 में पाक के कब्जे वाले कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक की थी। रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ उस वक़्त कश्मीर में कोर कमांडर थे। उन्होंने कहा- 'जिस समय कश्मीर के उरी में आर्मी कैंप पर हमला हुआ उस दौरान तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पारिकर के साथ एक बैठक हुई जिसमें फैसला लिया गया कि इस बार आतंकियों को जवाब देना है इसीलिए सर्जिकल स्ट्राइक का प्लान बनाया गया। हालांकि पब्लिक डोमेन में यह नहीं बताया जा सकता कि सर्जिकल स्ट्राइक का प्रारूप क्या था। जो लोग सबूत मांगते हैं उनकी वजह से सेना का मनोबल कमजोर होता है। इसीलिए ऐसे लोगों को इस तरह की बयानबाजी से बचना चाहिए।'

सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के समय आर्मी और एयरफोर्स के जो बड़े अफसर थे उन्होंने सारी बात साफ-साफ कह दी। अब और क्या सबूत चाहिए?  हालांकि जिस वक्त सर्जिकल स्ट्राइक हुई थी उसके अगले ही दिन उस वक्त के DGMO रणबीर सिंह ने खुद इसकी जानकारी दी थी। इसके बाद तो किसी के मन में किसी तरह की शंका और आशंका की गुंजाइश नहीं रहनी चाहिए थी। 

एक बात साफ है कि राहुल गांधी कुछ भी कहें, दिग्विजय सिंह अपनी बात पर कायम हैं। इस बात को उन्होंने अपने ट्वीट से एक बार फिर पक्का कर दिया है। वैसे तो दिग्विजय सिंह, राहुल गांधी से कह सकते हैं कि अगर फौज के शौर्य की बात नहीं करना पार्टी की पॉलिसी है तो राहुल ने थोड़े दिन पहले ये क्यों कहा था कि 'चीनी सैनिकों ने हमारे जवानों की पिटाई की थी'। 

दिग्विजय सिंह यह भी पूछ सकते हैं कि पी. चिदंबरम ने सर्जिकल स्ट्राइक का वीडियो जारी करने की मांग क्यों की थी? संदीप दीक्षित ने फ़ौज के एक्शन को ड्रामा क्यों बताया था? संजय निरूपम ने क्यों कहा था कि सर्जिकल स्ट्राइक का दावा फर्जी है? तब राहुल ने क्यों नहीं कहा था कि कांग्रेस इन सबकी बातों से सहमत नहीं है?

दरअसल, दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं को बोलने का मौका इसलिए मिला क्योंकि वे जानते हैं कि राहुल गांधी भी कई बार सेना के शौर्य पर सवाल उठा चुके हैं। वैसे बयानबाजी के मामले में दिग्विजय सिंह का कोई मुकाबला नहीं है। वे डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार के वक्त हुए बाटला हाउस एनकाउंटर को फर्जी बता चुके हैं। वे ओसामा बिन लादेन जैसे ख़ूंख़ार आतंकवादी का नाम अदब के साथ लेते हैं। उन्हें ज़ाकिर नाईक शान्ति का दूत दिखता है और भारतीय सेना के शौर्य पर उन्हें यकीन नहीं हैं। वे सरकार से सबूत मांगते हैं। 

सरकार का नाम लेकर सेना पर सवाल उठाना ठीक नहीं है। लेकिन लगता है राहुल गांधी, दिग्विजय सिंह के खिलाफ कोई एक्शन इसलिए नहीं लेते, क्योंकि उन्हें लगता है कि दिग्विजय सिंह ही आरएसएस और बीजेपी के खिलाफ सबसे तीखा बोलते हैं। दिग्विजय ही नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार के खिलाफ वैसा ही बयान देते हैं जैसा राहुल गांधी को पसंद है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 24 जनवरी, 2023 का पूरा एपिसोड

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