
बिहार में भागलपुर के पास नवगछिया में पारिवारिक विवाद में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय के भांजे विश्वजीत आनंद की हत्या हो गई। विश्वजीत को उसके सगे भाई जयजीत आनंद ने गोली मारी। भाईयों के झगड़े में बीच बचाव करते समय उनकी मां घायल हुई। सुबह घर के बाहर लगे हैंडपंप से पानी भरने को लेकर झगड़ा शुरू हुआ, हाथापाई हुई, फिर दोनों भाइयों ने पिस्तौल निकाल ली। जयजीत ने विश्वजीत पर गोली दागी, विश्वजीत ने भी फायरिंग की। दोनों भाई घायल हुए। विश्वजीत आनंद की मौत हो गई। जयजीत की हालत अभी गंभीर है। फायरिंग में इस्तेमाल हुए हथियार अवैध थे। मामला केंद्रीय गृहराज्यमंत्री के परिवार से जुड़ा है। इसलिए इस पर राजनीति शुरू हो गई। कांग्रेस और आरजेडी ने कानून और व्यवस्था का सवाल उठाया। विधान परिषद में राबड़ी देवी ने मुद्दा उठाया तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भड़क उठे। उन्होंने एक बार फिर राबड़ी देवी पर व्यक्तिगत हमले किए। नीतीश ने कहा कि आपसी झगड़े के कारण ये घटना हुई। नीतीश कुमार ने राबड़ी देवी को लालू यादव के वक्त की य़ाद दिलाई। भागलपुर की घटना में सरकार ये कहकर खुद को बचाने की कोशिश कर रही है कि ये मामला आपसी झगड़े का है। इसलिए इसे कानून व्यवस्था का मुद्दा बनाना ठीक नहीं हैं। लेकिन सवाल ये है कि दोनों भाइयों के पास अवैध हथियार कहां से आए? दूसरा सवाल जब फायरिंग करने वाले एक शख्स की मौत हो गई, दूसरा शख्स अस्पताल में है, तो वो हथियार कहां गायब हो गए जिनसे फायरिंग हुई? पुलिस अब तक हथियार बरामद क्यों नहीं कर पाई? क्या बिहार में इतनी आसानी से हथियार मिल रहे हैं और किसी वारदात के बाद इतनी आसानी से हथियार गायब हो जाते हैं? क्या ये पुलिस की नाकामी नहीं है? हकीकत यही है कि बिहार में कानून व्यवस्था खराब हुई है। अपराधियों के हौसले बढ़े हैं और इसीलिए विपक्ष को बार-बार सरकार पर हमला करने का मौका मिलता है। नीतीश कुमार हर बार राबड़ी देवी पर व्यक्तिगत हमला करके नहीं बच सकते। वह सदन में जिस तरह से उत्तेजित हो जाते हैं, जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल करते हैं, वो भी अच्छे लक्षण नहीं है।
पंजाब सरकार ने किसानों को बॉर्डर से क्यों खदेड़ा?
तेरह महीने बाद पंजाब और हरियाणा के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर ट्रैफिक शुरू हो गया। पंजाब पुलिस ने फरवरी से चल रहे किसान संगठनों के धरने को खत्म करवा दिया, तंबू उखाड़ कर फेंक दिए, सड़कों पर लगे कॉन्क्रीट के बोल्डर्स को खोद कर हटा दिया, बैरिकेडिंग को किनारे कर दिया। सबके मन में यही सवाल है कि आखिर आम आदमी पार्टी की सरकार ने किसानों के खिलाफ अचानक एक्शन क्यों लिया? धोखे से उनके तंबू क्यों उखाड़े ? असल में भगवंत मान पर पंजाब के व्यापारियों और उद्योगपतियों का दवाब था। बॉर्डर बंद होने से पंजाब के उद्योगों को हर महीने करीब 1500 करोड़ रुपयों का नुकसान हो रहा था। जब भगवंत मान ने किसानों को ये समझाने की कोशिश की तो किसान नेताओं ने टका-सा जवाब दे दिया। साफ कह दिया कि धरना जारी रहेगा, वो बॉर्डर से नहीं हटेंगे। भगवंत मान उसी दिन से नाराज थे। बाद में उद्योगपतियों ने केजरीवाल से भी शिकायत की। केजरीवाल और भगवंत मान को लगा कि जो मसला केंद्र और किसानों के बीच का है, वो पंजाब सरकार के गले पड़ गया है। बॉर्डर तो खुल गए। उद्योगपति खुश हो गए पर आम आदमी पार्टी के दोहरे मापदंड भी सामने आ गए। जो आम आदमी पार्टी एक जमाने में शंभू बॉर्डर पर बैठे किसानों को खाना देती थी, उनके लिए पानी-बिजली का इंतजाम करती थी, किसानों की सेवा को अपना धर्म बताती थी, उसी पार्टी की सरकार ने किसानों के तंबुओं पर बुलडोजर चलवा दिए। ये फैसला पंजाब सरकार को महंगा पड़ेगा।
विदेशी आक्रांताओं का महिमामंडन नहीं होना चाहिए
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि औरंगज़ेब और सालार मसूद गाज़ी जैसे आक्रमणकारियों की शान में कसीदे नया भारत बर्दाश्त नहीं करेगा। योगी ने बहराइच में कहा कि सनातन को खत्म करने की कोशिश करने वालों का, आस्था को रौंदने वालों का महिमामंडन करना देशद्रोह है। जिन आक्रांताओं ने भारत में जुल्म किए हों, उनका गुणगान नए भारत के लोगों को स्वीकार्य नहीं है। यूपी में आजकल सालार मसूद गाजी की याद में लगने वाले नेजा मेले को लेकर विवाद चल रहा है। संभल में नेजा मेले की अनुमति नहीं दी गई, लेकिन सालार मसूद गाजी की याद में सबसे बड़ा मेला बहराइच में लगता है। इस मेले का भी विरोध हो रहा है। योगी ने कहा कि सन् 1034 में बहराइच में महाराजा सुहेलदेव ने चित्तौरा झील के किनारे सालार मसूद गाजी को युद्ध में मार गिराया था। सालार मसूद की कब्र भी बहराइच में ही है। हर साल लाखों लोग सालार मसूद की मजार पर आते हैं। योगी ने कहा कि महाराजा सुहेलदेव बहराइच की पहचान हैं, ऋषि बालार्क के नाम पर बहराइच का नाम है, यहां किसी आक्रांता के लिए कोई जगह नहीं है, बहराइच में किसी की चर्चा होनी चाहिए तो वो महाराजा सुहेलदेव की होना चाहिए, जिन्होंने एक विदेशी आक्रांता को ऐसी धूल चटाई कि डेढ़ सौ साल तक किसी ने भारत की तरफ आंख उठाने की हिम्मत तक नहीं की। विश्व हिन्दू परिषद ने जिला प्रशासन से बहराइच मेले को इजाज़त न देने की मांग की है। परिषद का कहना है लोगों को ये भ्रम है कि उनकी मन्नत, उनकी बीमारियां सालार मसूद गाज़ी के चमत्कार की वजह से ठीक होती हैं, लेकिन सच ये है कि जिस जगह ये दरगाह बनी है, वहां सूर्य मंदिर था, सूर्य कुंड था, जिसमें स्नान करने से बीमारियां ठीक होती थीं। 12वीं सदी में फिरोज़ शाह तुगलक ने मंदिर को तोड़ दिया था। इसलिए बहराइच में फिर से सूर्य मंदिर स्थापित होना चाहिए। योगी आदित्यनाथ की बात सही है कि विदेशी आक्रमणकारियों का महिमामंडन नहीं किया जाना चाहिए। इस देश की विरासत सबकी है। इस देश की संस्कृति पूरे समाज की है। जिसने इस विरासत को मिटाने की कोशिश की, संस्कृति को नष्ट करने की कोशिश की, उसका महिमामंडन कैसे हो सकता है? (रजत शर्मा)
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