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Rajat Sharma's Blog: लालू नीतीश को गले लगाने के लिये इतने उतावले क्यों हैं ?

नीतीश भी कह चुके हैं कि दो बार गलती हो गई, अब कहीं नहीं जाएंगे। बीजेपी ऐलान कर चुकी है कि नीतीश को फिर से सीएम बनाने में उसे कोई समस्या नहीं है लेकिन फिर भी लालू यादव ने ये सियासी शरारत क्यों की?

Written By: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : Jan 03, 2025 17:20 IST, Updated : Jan 04, 2025 6:34 IST
Rajat sharma, INDIA TV
Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

लालू यादव बहुत दिनों के बाद बोले। थोड़ा बोले। लेकिन उनके एक बयान ने बिहार की राजनीति में सबको कन्फ्यूज़ कर दिया। लालू यादव ने कहा कि नीतीश कुमार के लिए उनके दरवाजे खुले हैं, नीतीश कुमार को भी अपने दरवाजे खुले रखने चाहिए। लालू ने कहा कि उन्होंने नीतीश के सारे गुनाह माफ कर दिए हैं, पुरानी बातों को पीछे छोड़ दिय़ा है, अब नीतीश अगर साथ आते हैं, तो उनके साथ काम करने में कोई दिक्कत नहीं है।

लालू के इस बयान ने सबको चौंका दिया क्योंकि दो दिन पहले ही तेजस्वी यादव ने कहा था कि नीतीश के साथ अब समझौते की कोई गुंजाइश नहीं हैं, उनके लिए RJD के दरवाजे बंद हैं। लेकिन लालू यादव ने बिल्कुल उल्टी बात कह दी। इसीलिए बिहार की राजनीति में हलचल हुई। हालांकि JDU के नेताओं ने लालू यादव की बात को शिगूफा कहकर खारिज कर दिया लेकिन नीतीश कुमार ने कुछ नहीं कहा। सिर्फ मुस्कुरा कर निकल गए। नीतीश की चुप्पी ने अटकलों को और हवा दे दी। अब RJD, JD-U, BJP और कांग्रेस, सभी पार्टियों के नेता कन्फ्यूज़्ड हैं। किसी की समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर चल क्या रहा है? लालू और नीतीश कुमार के दिल में क्या है? RJD और JD-U की रणनीति क्या है?

गुरुवार को तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार एक दूसरे से पटना राज भवन में मिले। मौका था, नये राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के शपथ समारोह का। नीतीश ने तेजस्वी की पीठ थपथाई। इस तस्वीर ने आग में घी का काम किया। अब सवाल ये है कि क्या लालू का बयान RJD का स्टैंड है या फिर तेजस्वी की बात सही है? या लालू और तेजस्वी के विरोधाभासी बयान नीतीश कुमार को घेरने का मिलाजुला खेल है?

लालू यादव ने नीतीश को दोस्ती का न्योता चलते-फिरते हल्के-फुल्के अंदाज़ में नहीं दिया। बाकायदा इंटरव्यू अरेंज किया। गाड़ी में बैठकर इत्मीनान से पूरी बात कही। साफ-साफ लफ्ज़ों में कही। इसलिए ये तो तय है कि लालू ने जो कहा वो सोच-समझ कर कहा। उनके बयान से कन्फ्यूजन इसलिए हुआ क्योंकि तेजस्वी यादव लगातार कह रहे हैं कि नीतीश के साथ दोबारा दोस्ती का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। तीन दिन पहले तेजस्वी यादव ने सीतामढ़ी में साफ कहा था कि नीतीश कुमार के साथ सरकार चलाना अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है। नीतीश के लिए RJD के दरवाजे पूरी तरह बंद हैं, महागठबंधन में उनकी एंट्री बिल्कुल भी नहीं हो सकती। तेजस्वी ने बुधवार को फिर कहा कि बिहार से नीतीश की विदाई अब तय है, पुराने बीज बार-बार डालने से खेत की पैदावार कम हो जाती है, नीतीश कुमार को बीस साल हो गए, इसलिए बिहार में अब नए बीज की जरूरत है।

राज भवन में जब नीतीश कुमार से लालू यादव के बयान पर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो नीतीश ने कुछ कहा नहीं। सिर्फ हैरानी जताई और मुस्कुराकर चले गए। JD-U के नेता  केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने कहा कि “लालू यादव ने क्या कहा, क्यों कहा, ये वही जानें। रही बात नीतीश कुमार के कहीं और आने-जाने की, तो ये फिजूल की बात है”। बीजेपी नेता और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि लोकसभा चुनाव में महागठबंधन की जो हालत हुई उसके बाद लालू यादव घबरा गए हैं, इसलिए वो ऐसी बातें कह रहे हैं, नीतीश यादव लालू को अच्छी तरह जानते हैं, वो ऐसी बातों में आने वाले नहीं हैं।

मजे की बात ये है कि लालू के बयान से कांग्रेस उत्साहित है। बिहार में कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने नीतीश कुमार की तारीफ की। कहा, नीतीश कुमार विचार से गांधीवादी हैं, लेकिन गोडसेवादियों के साथ हैं, साथ बदल सकता है, लेकिन विचार तो नहीं बदलते। शकील अहमद खान ने कहा कि नीतीश कुमार को लेकर लालू यादव ने अगर कुछ कहा है तो उसका मतलब है, कौन जाने भविष्य में क्या होगा?  शाम को तेजस्वी सामने आए। तेजस्वी ने कहा कि लालू जी ने जो कह दिया, उसका कोई मतलब नहीं निकालना चाहिए।

लालू यादव ने जो कहा वो पूरी तरह planned था, सोच-समझकर छोड़ा गया शिगूफा था। लालू अपने जीते जी तेजस्वी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर देखना चाहते हैं। वह जानते हैं कि बिहार में जातियों के वोट किस तरह बंटे हुए हैं, वह ये भी जानते हैं कि तेजस्वी केवल कांग्रेस और दूसरी पार्टियों के भरोसे बहुमत हासिल नहीं कर सकते। आज नीतीश के पास जिस तरह का गठबंधन है, उसमें नीतीश कुमार बीजेपी के साथ मिलकर आसानी से जीत सकते हैं। फिर से मुख्यमंत्री बन सकते हैं। हालांकि तेजस्वी को भरोसा है कि नीतीश कुमार थके हुए, पुराने हो चुके हैं। तेजस्वी को इसमें अवसर दिखाई देता है। वह अपने दिलोदिमाग में बिलकुल साफ हैं कि अब नीतीश चाचा के साथ नहीं जाएंगे।

नीतीश भी कह चुके हैं कि दो बार गलती हो गई, अब कहीं नहीं जाएंगे। बीजेपी ऐलान कर चुकी है कि नीतीश को फिर से सीएम बनाने में उसे कोई समस्या नहीं है लेकिन फिर भी लालू यादव ने ये सियासी शरारत क्यों की?

लालू राजनीति के चतुर खिलाड़ी हैं। कन्फ्यूज़न क्रिएट करने के मास्टर हैं। नीतीश का आने-जाने का रिकॉर्ड खराब है। लालू ने इसी का फायदा उठाने के चक्कर में ये बयानबाजी की। लेकिन इसका नुकसान ये हो गया कि पहली बार RJD में लालू और तेजस्वी एक दूसरे की बात को काटते हुए दिखाई दिए। एक दूसरे से असहमत दिखाई दिए। अब कन्फ़्यूज़न आरजेडी में है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 02 जनवरी, 2025 का पूरा एपिसोड

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