पांच राज्यों के विधानसभा नतीजे आने के चार दिन पहले ही भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनावों की तैयारी शुरू कर दी है। ये काम शुरू किया गया है, पश्चिम बंगाल से बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह ने कोलकाता में बड़ी रैली की। इस रैली में अमित शाह ने दावा किया कि 2024 में एक बार फिर नरेन्द्र मोदी जीतेंगे और पश्चिम बंगाल में ममता की हार होगी। इसके बाद 2026 में बंगाल से भी दीदी की विदाई होगी। अमित शाह ने कहा कि अब जल्दी ही CAA और NRC लागू होगा, चाहे ममता कितना भी विरोध कर लें, लेकिन CAA लागू होकर रहेगा। शाह ने आरोप लगाया कि ममता दीदी वोट के चक्कर में बांग्लादेश और म्यांमार से आ रहे घुसपैठियों के आधार कार्ड बनवा रही है और ये घुसपैठिए बंगाल के हिन्दुओं का हक मार रहे हैं, बीजेपी ये नहीं चलने देगी। अमित शाह की रैली के जवाब में ममता ने भी अपनी पार्टी के नेताओं के साथ केन्द्र सरकार के खिलाफ विधानसभा परिसर में धरना दिया। मोदी सरकार पर बंगाल के साथ भेदभाव का इल्जाम लगाया। कुल मिलाकर बुधवार को कोलकाता में अगले लोकसभा चुनाव के कैंपेन का टोन दिखाई दिया। कोलकाता में अमित शाह की रैली के लिए बीजेपी ने काफी तैयारी की थी। ममता की सरकार इस रैली को रोकना चाहती थी। पहले प्रशासन ने रैली की अनुमति नहीं दी। बीजेपी ने कलकत्ता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने ममता सरकार की दलीलों को खारिज करके अमित शाह की रैली को हरी झंडी दी। इससे बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ गया। इसलिए अमित शाह की रैली में जबरदस्त भीड़ जुटी।
पश्चिम बंगाल में, ममता के राज में, विरोधियों की रैली में इस तरह की भीड़ कम दिखती है। भीड़ को देखकर अमित शाह ने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी धांधली करके जीत गई, लेकिन अब ममता के जाने का वक्त आ गया है। अमित शाह ने कहा कि बंगाल में तुष्टिकरण की राजनीति अब खत्म होगी, हिन्दुओं का हक मारने वालों की विदाई होगी क्योंकि अब मोदी सरकार जल्दी से जल्दी CAA को सख्ती से लागू करेगी। अमित शाह ने ममता बनर्जी को भ्रष्टाचार, अपराध, चुनावी हिंसा, तुष्टिकरण और घुसपैठ के मुद्दों पर घेरा और इसके बाद सिटिज़नशिप अमेंडमेंट एक्ट का मसला उठाया। अमित शाह ने कहा कि अब CAA को लागू करने से कोई नहीं रोक सकता। शाह ने कहा कि घुसपैठ को रोकने के लिए CAA जरूरी है। उन्होंने आरोप लगाया कि बंगाल में ममता ने घुसपैठियों को वोटर बनाने के अवैध सेंटर खोल दिए हैं। अमित शाह ने याद दिलाया कि ममता जब सत्ता में नहीं थीं तो घुसपैठियों के मुद्दे पर संसद नहीं चलने देती थीं लेकिन कुर्सी पर बैठने के बाद अब सियासी फायदे के लिए, बंगाली हिन्दुओं का हक मारने वाले घुसपैठियों की सगी बन गई हैं। शाह ने तृणमूल कांग्रेस पर बदले की राजनीति का इल्जाम लगाया। कहा कि ममता बनर्जी ने बीजेपी के नेता शुभेंदु अधिकारी को विधानसभा से सस्पेंड करवा दिया लेकिन इससे कोई फायदा नहीं होगा, बंगाल की जनता ममता बनर्जी को सबक सिखाएगी। अमित शाह ने ममता सरकार में हुए भ्रष्टाचार के कई मुद्दे उठाए, कई घोटाले गिनाए और साफ-साफ कहा कि घोटाला करने वालों पर ममता बनर्जी इसलिए कार्रवाई नहीं करती क्योंकि उन्हें डर है कि कहीं इसमें उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी का नाम न सामने आ जाए।
कोलकाता में जिस वक्त अमित शाह पब्लिक मीटिंग कर रहे थे, उसी वक्त कुछ ही दूरी पर ममता बनर्जी तृणमूल कांग्रेस के मंत्रियों और विधायकों के साथ विधानसभा परिसर में केंद्र सरकार के खिलाफ धरना दे रही थी। तृणमूल कांग्रेस का इल्जाम है कि केंद्र सरकार बदले की राजनीति कर रही है और बंगाल को उसके हक का पैसा नहीं दिया जा रहा है, मोदी सरकार ने मनरेगा का पैसा रोक दिया है जिसका असर तकरीबन 3,000 गरीब मजदूरों पर पड़ रहा है। चूंकि बुधवार को अमित शाह की रैली थी, इसलिए ममता ने एक बार फिर इस मुद्दे को हवा दी। अमित शाह ये बात समझ रहे थे, इसलिए वो पूरा ब्यौरा लेकर पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि मोदी सरकार ने पिछले नौ साल में पश्चिम बंगाल की सरकार को 54 हजार करोड़ रु. दिये, जबकि यूपीए शासन में 10 साल के दौरान बंगाल को केंद्र से सिर्फ 14 हजार करोड़ रुपये मिले थे। अमित शाह की रैली खत्म हुई तो बीजेपी के नेता सीधे विधानसभा परिसर में पहुंच गए। एक तरफ काले कपड़ों में तृणमूल कांग्रेस के नेता ममता बनर्जी अपने विधायकों के साथ धरने पर बैठी थीं, तो दूसरी तरफ शुभेन्दु अधिकारी बीजेपी के विधायकों के साथ धरने पर बैठ गए। बीजेपी ने ममता बनर्जी पर तानाशाही का इल्जाम लगाया, दोनों तरफ से नारेबाजी शुरू हो गई। बाद में ममता बनर्जी ने कहा कि कोलकाता में अमित शाह की रैली फ्लॉप हो गई, इसलिए बीजेपी के लोग विधानसभा परिसर में आकर प्रदर्शन करने लगे। बीजेपी नेताओं ने आरोप लगाया कि सुबह-सुबह ममता की पार्टी के लोगों ने पूरे कोलकाता में अमित शाह के खिलाफ पोस्टर लगा दिए। जहां-जहां से अमित शाह को गुजरना था, उस पूरे पूरे रूट पर जो पोस्टर बैनर लगाए गए, उनमें लिखा था, ‘मोटा भाय, वोट नाय’। बीजेपी के नेताओं ने आरोप लगाया कि ममता की पुलिस ने भी लोगों को अमित शाह की रैली में पहुंचने से रोका, तमाम बसों को शहर के बाहर ही रोक दिया गया, जो लोग पैदल आ रहे थे, उन्हें पुलिस ने रैली की तरफ नहीं जाने दिया। बीजेपी इस बार बंगाल में पूरी ताकत लगाएगी।
दरअसल, बीजेपी की रणनीति स्पष्ट है। लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी का ज्यादा फोकस पश्चिम बंगाल, उडी़सा, तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश, पंजाब और तमिलनाडु जैसे उन राज्यों में होगा, जहां बीजेपी की स्थिति कमजोर हैं और जहां लोकसभा सीटें बढ़ने की संभावना है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बंगाल में कुल 42 में से 18 सीटें जीती थी जबकि 2014 में बीजेपी के पास सिर्फ दो सीटें थी। इसके बाद 2021 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 77 सीटें मिलीं जबकि उससे 5 साल पहले बंगाल विधानसभा में बीजेपी का एक भी विधायक नहीं था। अब बीजेपी बंगाल में मुख्य विपक्षी दल है। बंगाल में लैफ्ट फ्रंट तकरीबन पूरी तरह खत्म हो गया है। कांग्रेस का अस्तित्व न के बराबर है। अब मुकाबला बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के बीच है। इसीलिए बीजेपी बंगाल में पूरी ताकत लगा रही है। बंगाल की तरह बीजेपी की नजर तेलंगाना पर भी है। तेलंगाना में पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कुल 119 में से सिर्फ एक सीट मिली थी लेकिन उसके बाद लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 17 में 4 सीटें जीतीं। बीजेपी को तेलंगाना से भी उम्मीदें हैं। इसीलिए इस बार विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने तेलंगाना में काफी ताकत लगाई। (रजत शर्मा)
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