पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस्तीफा देने से साफ इनकार कर दिया है। विपक्ष द्वारा लगाये गये अविश्वास प्रस्ताव पर रविवार को वोटिंग होनी है, वोटों के गणित में इमरान पीछे हैं लेकिन वह इस्तीफा न देने के अपने रुख पर क़ायम हैं। गुरुवार की रात को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में इमरान खान ने आरोप लगाया कि अमेरिका उन्हें सत्ता से बेदखल करने की साजिश रच रहा है। इमरान खान ने कहा- 'मैंने 20 साल तक क्रिकेट खेला । पूरी दुनिया ने और मेरे खिलाफ खेलनेवालों ने देखा कि मैं हमेशा आखिरी गेंद तक लड़ता हूं। मैंने अपने जीवन में कभी हार नहीं मानी । कोई ये मत सोचे कि मैं घर बैठ जाऊंगा। नतीजा चाहे जो कुछ भी हो, मैं पूरी ताकत के साथ लौटूंगा।'
अपने लाइव भाषण के दौरान इमरान खान से एक बड़ी चूक हो गई। या तो यह चूक अनजाने में हुई या फिर ये जानबूझकर की गई। इमरान खान ने अपने भाषण में पहले तो अमेरिका का नाम लिया और बाद में ऐसा दिखाने की कोशिश की मानो अमेरिका का नाम उनके मुंह से गलती से निकल गया। फिर उन्होंने कहा कि यह खतरा किसी बाहरी मुल्क से आया है। अविश्वास प्रस्ताव को पाकिस्तान के खिलाफ बड़ी साजिश बताते हुए इमरान ने कहा कि वो उस मुल्क का नाम नहीं लेंगे क्योंकि इसके नतीजे पाकिस्तान के लिए अच्छे नहीं होंगे।
इमरान खान ने कहा, सात मार्च की 'धमकी वाली चिट्ठी' में कहा गया कि अगर अविश्वास प्रस्ताव गिर गया तो पाकिस्तान को गंभीर नतीजे भुगतने होंगे। उन्होंने कहा कि चिट्ठी की ज़ुबान बेहद सख्त है और उसमें कई बार अविश्वास प्रस्ताव का जिक्र किया गया है। देर रात, पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने इस्मालाबाद में कार्यवाहक अमेरिकी राजदूत को बुलाकर कड़ा विरोध जताया और कहा कि इस तरह की सख्त कूटनीतिक ज़ुबान का इस्तेमाल पाकिस्तान को मंजूर नहीं है।
इससे पहले दिन में इमरान खान ने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति को वह नोट दिखाया जिसमें पाकिस्तानी राजदूत और एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी के बीच हुई बातचीत का पूरा ब्यौरा था। राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की इस बैठक में कई सीनियर मंत्री और सेना के अधिकारी मोजूद थे। इमरान खान ने अपने लाइव भाषण में कहा कि उन्हें सत्ता से बेदखल करने के लिए विदेशों से फंडिंग करके साजिश रची गई। इमरान ने कहा कि वे पाकिस्तान की विदेश नीति को आजाद बनाने के लिए सियासत में आए थे और वो किसी कीमत पर पाकिस्तान की खुदमुख्तारी से समझौता नहीं करेंगे।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने इमरान खान के आरोपों को खारिज करते हुए कहा- 'इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है। हम पाकिस्तान की संवैधिनिक प्रक्रिया और वहां के कानून का सम्मान और समर्थन करते हैं।' व्हाइट हाउस के कम्यूनिकेशन डायरेक्टर ने भी कहा, इमरान खान के इन आरोपों में 'कोई सच्चाई नहीं है' कि अमेरिका उन्हें सत्ता से हटाने के लिए विपक्षी नेताओं के साथ मिलकर काम कर रहा है। '
मुश्किलों में घिरे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने अपने विरोधियों पर तीखे वार किये और उन्हें गुलाम कठपुतली बताया। उन्होंने कहा तीनों गुलाम कठपुतलियों (नवाज और शहबाज शरीफ, आसिफ जरदारी और बिलावल भुट्टो और मौलाना फजलुर रहमान) में इतनी हिम्मत नहीं है कि वो अमेरिका के खिलाफ एक भी शब्द बोलें। उनके (अमेरिका के) ड्रोन पाकिस्तान के अंदर निशाना साध रहे थे लेकिन पिछले 10 साल में उन्होने एक लफ्ज़ भी नहीं बोला।
इमरान ने पूर्व तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ को भी जम कर निन्दा की और कहा कि 9/11 के बाद अफगान युद्ध के दौरान उन्होंने पाकिस्तान को अमेरिका के हाथों बेच दिया। इमरान ने यह दावा किया कि वही अकेले नेता थे जिसने अमेरिकी ड्रोन हमलों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की अगुआई की थी।
इमरान खान ने पाकिस्तानी अवाम से कहा- “ मैं चाहता हूं कि आप लोग ये याद रखें कि हमारे बीच मीर जाफर कौन है जो हमारे मुल्क के खिलाफ काम कर रहे हैं। मीर जाफर और मीर सादिक जैसे लोगों ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ मिलकर बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को हरा दिया और हमें फिरंगियों का गुलाम बना दिया था। विदेशी ताकतों से सांठ-गांठ करने के लिए पाकिस्तान की आनेवाली नस्लें आपको कभी माफ नहीं करेंगी। ...बाहरी ताकतों को नवाज़ शरीफ और आसिफ अली जरदारी इसलिए पसंद हैं कि उनके पास विदेशों में जमा उनकी जायदाद का पूरा ब्यौरा है। '
इमरान खान ने कहा, 'अमेरिका इसलिए नाराज था कि मैंने यूक्रेन युद्ध शुरू होने के समय रूस का दौरा क्यों किया । मैं आज अपने देश से सवाल कर रहा हूं कि क्या यही हमारी औकात है? हम 22 करोड़ आबादी वाले मुल्क हैं और बाहरी मुल्क हमें धमका रहा है। वे कोई वजह नहीं बता रहे हैं लेकिन बार बार यही कह रहे हैं कि इमरान खान रूस क्यों गए थे। वो ये कह रहे हैं कि इमरान खान ने अपने दम पर रूस जाने का फैसला किया जबकि विदेश मंत्रालय और फौज ने उन्हें रूस ना जाने की सलाह दी थी। हमारे राजदूत ने उन्हें बताया कि रूस का दौरा करने का फैसला सबसे सलाह मशविरा करने के बाद लिया गया था लेकिन वे इससे इनकार कर रहे हैं और ये कह रहे हैं कि अगर इमरान सत्ता में रहते हैं तो हमारे आपसी रिश्ते अच्छे नहीं हो सकते। असल में वे यह कह रहे हैं कि उन्हें उन लोगों से कोई समस्या नहीं है जो इमरान खान की जगह लेंगे।’
इमरान खान ने वही किया जो फौज नहीं चाहती थी। फौज ने इमरान खान को बार-बार समझाया था कि वह अमेरिका का नाम न लें और इस विवादास्पद चिट्टी का जिक्र ना करें। इमरान खान बुधवार को पाकिस्तान की आवाम को संबोधित करनेवाले थे। लेकिन जब आर्मी चीफ जनरल बाजवा को पता लगा कि इमरान खान अमेरिका का नाम ले सकते हैं तब वे आईएसआई चीफ के साथ इमरान से मिलने पहुंचे और उसके बाद इमरान का राष्ट्र के नाम संबोधन रद्द हो गया। गुरुवार को भी इमरान खान का राष्ट्र के नाम संबोधन शाम सात बजे होना था। चूंकि उनकी पार्टी के नेता और फौजी अफसर उन्हें समझा रहे थे कि वो पाकिस्तान की अन्दरूनी सियासत पर खुल कर बोलें, लेकिन अमेरिका का नाम न लें। इसी चक्कर में पाकिस्तान के वजीरे आजम के भाषण में देरी हुई।
लेकिन उसके बाद भी इमरान खान ने अमेरिका का नाम लिया। हालांकि इमरान ने ऐसा दिखाने की कोशिश की जैसे अमेरिका का नाम उनके मुंह से गलती से निकल गया। लेकिन पूरा भाषण सुनाकर लगा कि इमरान खान जो कहने आए थे उन्होंने वही किया। पाकिस्तान की आवाम को बता दिया कि उनकी सरकार को अमेरिका के आदेश पर गिराने की साजिश हुई। पाकिस्तान की फौज और विरोधी पार्टियों के नेता अमेरिका के इशारे पर चल रहे हैं। इमरान खान जानते हैं कि उनकी सरकार अब नहीं बचेगी इसलिए उन्होंने पाकिस्तानी आवाम की हमदर्दी हासिल करने की कोशिश की। क्योंकि इमरान जानते हैं कि आवाम की हमदर्दी उनकी सियासत को जिंदा रख सकती है।
इमरान ने तो अपनी बात कह दी लेकिन उस पर विपक्ष की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया आई। इमरान खान के उत्तराधिकारी के रूप में पेश किए जा रहे शहबाज शरीफ ने इमरान के भाषणों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। शहबाज़ शरीफ ने कहा कि उमरान खान अब 'पाकिस्तान के लिए खतरा बन गए हैं'। शहबाज शरीफ ने कहा कि इमरान खान नियाजी ने सत्ता में बने रहने की कोशिशों के कारण पाकिस्तान को बदनाम कर रहे है। शहबाज़ ने कहा कि इमरान खान विपक्षी पार्टियों पर विदेशी फंडिंग का बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं लेकिन अगर उनका मुंह खुल गया तो फिर इमरान किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे।
संसद में पूरा गणित इस वक्त इमरान खान के खिलाफ है। फौज ने नेशनल असेंबली में इमरान खान को हराने की पुख्ता तैयारी कर ली है और विपक्ष की बहुमत को पक्का करने का काम मुक्म्मल कर लिया है। इमरान के पास अब कोई रास्ता नहीं बचा है और वो जानते हैं कि अब उन्हें जाना पड़ेगा। इसीलिए इमरान खुद को राजनीति में शहीद के तौर पर पेश करने की कोशिश कर रहे हैं।
इमरान खान को खुद कुर्सी छोड़ने का जितना दर्द होगा उससे ज्यादा तकलीफ इस बात की होगी कि शहबाज शरीफ प्रधानमंत्री बन जाएंगे। इमरान खान इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते इसलिए उन्होंने जनरल बाजवा से समझौता करने की एक आखिरी कोशिश की। उन्होंने जनरल बाजवा से अनुरोध किया कि वे उन्हें नेशनल असेंबली को भंग करने दें और नए सिरे से चुनाव के लिए तैयार हो जाएं लेकिन इसके लिए जरुरी होगा कि पहले विपक्ष अपना अविश्वास प्रस्ताव वापस ले। इमरान चाहते हैं कि फौज विपक्षी नेताओं को इसके लिए तैयार करे। लेकिन सवाल यह है कि इससे जनरल बाजवा का क्या फायदा ? उनके लिए तो अच्छा है कि एक मिली-जुली टूटी-फूटी सरकार हो ताकि उस पर कंट्रोल करना और उसे चलाना फौज के लिए ज्यादा आसान होगा। आनेवाले दिनों में पाकिस्तान की राजनीति काफी दिलचस्प रहेगी। (रजत शर्मा)
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