नीतीश कुमार ने जनता दल (यूनाइटेड) को पूरी तरह से अपने क़ब्ज़े में ले लिया। नीतीश कुमार JD-U के अध्यक्ष और राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह JD-U के पूर्व अध्यक्ष हो गए। दिल्ली में JD-U की राष्ट्रीय परिषद की दो दिन तक चली बैठक का लक्ष्य ही ललन सिंह को अध्यक्ष पद से हटाकर नीतीश कुमार को पार्टी प्रमुख बनाना था। हालांकि कहने को ललन सिंह ने खुद अपने पद से इस्तीफे का प्रस्ताव रखा, फिर नीतीश को अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव भी ललन सिंह का ही था और दोनों प्रस्तावों को नीतीश कुमार ने ख़ुशी ख़ुशी स्वीकार कर लिया। ललन सिंह की स्क्रिप्ट भी वही थी। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान वह अपने क्षेत्र में व्यस्त रहेंगे, पार्टी को वक्त नहीं दे पाएंगे इसलिए पद छोड़ना चाहते हैं। कुल मिलाकर हुआ वही, जो पहले से तय था। सवाल सिर्फ इतना है कि जब कुछ तय हो गया था, जब सारी दुनिया को पता था, तो किस बात की गोपनीयता रखी जा रही थी। जो बात जगज़ाहिर थी, वो खबर बताने के लिए मीडिया पर इल्जाम लगाने की क्या जरूरत थी? बार बार झूठ बोलने की क्या वजह थी? ललन सिंह, तेजस्वी यादव, के सी त्यागी, विजय चौधरी जैसे नेता, कल किस तरह झूठ बोल रहे थे और आज उन्होंने पलटी मारी। JD-U में क्या होने वाला है, इसकी ख़बर सबको थी। सबको मालूम था कि ललन सिंह की कुर्सी जाने वाली है, नीतीश कुमार JD-U के अध्यक्ष बनने वाले हैं। सिर्फ JD-U के नेता इससे इनकार कर रहे थे।
नीतीश कुमार ने पूरी स्क्रिप्ट कई दिन पहले तैयार कर ली थी। पांच दिन पहले ललन सिंह को अपना प्लान बता दिया था लेकिन नीतीश को ललन सिंह पर भरोसा नहीं था। इसीलिए जब तक ललन सिंह इस्तीफा नहीं दे देते, तब तक कोई कुछ नहीं कहेगा, ये हिदायत JD-U के नेताओं को दी गई थी। शुक्रवार को ललन सिंह JD-U के पूर्व अध्यक्ष हो गए तो कुछ नहीं बोले, लेकिन गुरुवार तक जब पार्टी के अध्यक्ष थे तो खूब बोल रहे थे। वो भी मीडिया को कोस रहे थे। ललन सिंह ने कहा था कि जब अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का विचार आएगा तो पहले पत्रकारों को बुलाकर पूछंगे। जब पत्रकार कह देंगे , तो इस्तीफे में क्या लिखना है ये भी रिपोर्टर्स से पूछेंगे। फिर जब पत्रकार बीजेपी के दफ्तर से इस्तीफे के ड्राफ्ट को मंजूरी दिला लाएंगे, तब इस्तीफा देंगे लेकिन शुक्रवार को ललन सिंह ने ये नहीं बताया कि उन्होंने इस्तीफे का फैसला क्या रात भर में कर लिया। फिर इस्तीफे का ड्राफ्ट भी खुद ही तैयार कर लिया या किसी और से लिखवाया। ऐसे बहुत से नेता है जो एक ज़माने में नीतीश के करीबी थे। नीतीश ने उन्हें आगे बढ़ाया, फिर उनका वही हाल हुआ जो आज ललन सिंह का हुआ। ऐसे कई नेता शुक्रवार को खुलकर बोले। JD-U के पूर्व उपाध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि उन्हें कोई हैरानी नहीं हुई। क्योंकि ललन सिंह लालू यादव के कहने पर चल रहे थे, इसलिए नीतीश ने उन्हें अध्यक्ष पद से हटाया। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि अब नीतीश कुछ भी कर लें, JD-U को बर्बाद होने से कोई नहीं बचा सकेगा।
उपेन्द्र कुशवाहा की तरह जीतनराम मांझी भी दूध के जले हैं। मांझी को तो नीतीश ने अपनी जगह मुख्यमंत्री बनाया, फिर बेइज्जत करके हटाया और कुछ हफ्ते पहले विधानसभा में यहां तक कह दिया कि इस गधे को मुख्यमंत्री बनाना मेरे जीवन की सबसे बड़ी गलती थी। उन्हीं जीतनराम मांझी ने शुक्रवार को खुलासा किया कि वो कुछ दिन पहले नीतीश कुमार से मिले थे और उन्हें बताया था कि RJD में क्या खिचड़ी पक रही है, इसलिए तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाकर दूसरी बार बड़ी गलती मत करिएगा। मांझी ने कहा कि कुछ दिन पहले ललन सिंह और JDU के 12-13 विधायक तेजस्वी को CM बनाने का प्रस्ताव लेकर नीतीश के पास गए भी थे, इसके बाद ही नीतीश को समझ आ गया कि उनके खिलाफ साज़िश हो रही है, इसीलिए उन्होंने ललन सिंह को अध्यक्ष पद से हटाने का फ़ैसला किया। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि सब लालू का खेल है, जिसमें नीतीश फंस गए हैं, अब छपटपटा रहे हैं। गिरिराज ने कहा लालू यादव किसी भी तरह तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और नीतीश कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं हैं, इसलिए, बहुत जल्दी लालू स्पीकर से मिलकर नीतीश के साथ खेला करेंगे। शुक्रवार को तेजस्वी यादव ने कहा कि JD-U के नेतृत्व में बदलाव हुआ है, ये पार्टी का आंतरिक मसला है, इससे RJD-JDU के रिश्तों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। तेजस्वी ने फिर मीडिया पर तोहमत लगाने की कोशिश की, कहा कि मीडिया बीजेपी के इशारे पर चलता है। आज ये सच सामने आ गया कि ललन सिंह एक दिन पहले तक खुलेआम झूठ बोल रहे थे और रिपोर्टर्स को झूठा करार दे रहे थे। तेजस्वी यादव मीडिया की जिन खबरों को बकवास कह रहे थे वो शत-प्रतिशत सच साबित हुईं।
मुझे इस बात को लेकर कोई गिला नहीं कि ललन ने झूठ बोला या तेजस्वी ने गलत बयानी की। जनता जानती है कि इस तरह की बातें करना इन सबकी आदत है। मेरी शिकायत इस बात से है कि इन दोनों ने पत्रकारों पर लांछन लगाया। इन्होंने अखबारों और मीडिया चैनल्स पर निहायत ही घटिया आरोप लगया। ललन सिंह ने रिपोर्टर्स से कहा कि आप बीजेपी की लिखी हुई स्क्रिप्ट पढ़ रहे हैं। आज सच सामने आया, पूरी दुनिया को पता चल गया कि स्क्रिप्ट नीतीश कुमार और ललन सिंह ने मिलकर लिखी थी। तेजस्वी यादव को भी असलियत का पता था लेकिन ये सारे लोग जानते बूझते असत्य बोल रहे थे। आजकल ये फैशन हो गया है कि नेता सच जानते हैं, पर छुपाते हैं। अगर मीडिया उनकी पोल खोल दे तो मीडिया पर उल्टे-सीधे आरोप लगाते हैं। ये समस्या ललन सिंह और तेजस्वी यादव से लेकर राहुल गांधी और अखिलेश यादव तक सब में दिखाई देती है। सब मीडिया से कहते हैं, आप सरकार से डरते हैं, मोदी से डरते हैं, असलियत ये है कि डरते तो ये सब नेता हैं। पलटी तो ये नेता मारते हैं। आपस में एक दूसरे को धोखा तो ये नेता देते हैं और जब मन करता है तो मीडिया को दोष देते हैं। अब इस बात की क्या गारंटी है कि ललन सिंह नीतीश कुमार की पीठ में छुरा नहीं घोपेंगे? इस बात की क्या गारंटी है कि लालू और तेजस्वी नीतीश के नीचे से उनकी कुर्सी नहीं खींचेंगे? और क्या गारंटी है कि नीतीश कुमार पलटी नहीं मारेंगे? लालू को धोखा नहीं देंगे? मेरा कहना है कि ये नेता आपस में जो चाहे कहें, जितनी मर्जी पलटी मारें, पर अपने कर्मों के लिए, चुनाव में अपनी हार के लिए मीडिया को दोष न दें। हमारे रिपोर्टर्स को अपना काम करने दें और संपादकों के कमेंट्स पर मुंह फुलाना बंद करें। मैं इन झूठ बोलने वालों को मशहूर शायर कृष्ण बिहारी शर्मा 'नूर' का एक शेर सुनना चाहता हूं - "सच घटे या बढ़े, तो सच न रहे, झूठ की कोई इंतहा ही नहीं। चाहे सोने के फ्रेम में जड़ दो, आईना झूठ बोलता ही नहीं"। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 29 दिसंबर, 2023 का पूरा एपिसोड