
पंजाब पुलिस ने शंभू और खनौरी बॉर्डर पर धरना दे रहे किसानों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए बुधवार रात को उनके सारे टैंट और रहने के ठिकानों को बुलडोज़र से नष्ट कर दिया। शंभू और खनौरी बॉर्डर पर लगे किसानों के टेंट उखाड़ कर फेंक दिए। एक साल से धरने पर बैठे किसान संगठनों के नेताओं को पंजाब पुलिस ने हिरासत में ले लिया। चार महीने से भूख हड़ताल कर रहे जगजीत सिंह डल्लेवाल के अलावा सरवन सिंह पंढेर, अभिमन्यु कोहार, काका सिंह कोटरा और मंजीत सिंह राय जैसे तमाम किसान नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि किसान नेताओं और तकरीबन साढे चार सौ किसानों को मैरेज हाल और गेस्ट हाउस में रखा गया है। ये कार्रवाई बुधवार शाम को तब हुई जब किसान नेता चंडीगढ़ में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से लंबी मीटिंग करने के बाद लौट रहे थे। दोनों मंत्रियों ने तीन घंटे से ज्यादा देर तक किसान नेताओं की बात सुनी। फैसला ये हुआ कि चार मई को अगली मीटिंग होगी। उसमें सरकार किसान नेताओं के सुझावों पर विचार करने के बाद अपना पक्ष रखेगी। मीटिंग खत्म होने के बाद अचानक पंजाब पुलिस का एक्शन शुरू हो गया। अकाली दल नेता हरसिमरत कौर बादल ने मुख्यमंत्री भगवंत मान पर निशाना साधा और कहा कि ये वही लोग हैं, जिन्होंने चुनाव के समय किसानों के पैर छूकर वोट मांगे थे। इससे आम आदमी पार्टी का असली चेहरा सामने आ गया है। मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि किसानों का पूरा आंदोलन केंद्र सरकार के खिलाफ है और इसमें पंजाब सरकार शुरू से किसानों के साथ थी लेकिन चूंकि खनौरी और शंभू बॉर्डर लंबे समय से बंद हैं, किसानों ने उसे जाम कर रखा है, इसलिए पंजाब सरकार को ये एक्शन लेना पड़ा। दो केंद्रीय मंत्रियों के साथ किसान नेताओं की अच्छे माहौल में मीटिंग हुई, कोई विवाद नहीं हुआ, शंभू बॉर्डर पर भी शान्ति थी। इसके बाद भी अचानक पंजाब सरकार ने किसानों के साथ सख्ती की, ये बात हैरान करने वाली है। एक महीने पहले तक भगवंत मान किसान संगठनों के धरने का समर्थन कर रहे थे लेकिन जब किसानों ने पंजाब सरकार को उसके वादे याद दिलाए, भगवंत मान से वादों को पूरा करने की मांग की तो मान नाराज हो गए। पिछले महीने जब मान किसानों के साथ हुई मीटिंग को बीच में छोड़कर चले गए थे और साफ कहा था कि किसान संगठनों के सामने वो नहीं झुकेंगे, सरकारी ताकत का एहसास कराएंगे। लगता है कि केन्द्र के साथ किसान नेताओं की बातचीत से मान और नाराज हो गए। इसीलिए इधर मीटिंग खत्म हुई, उधर भगवंत मान ने पुलिस भेजकर किसान संगठनों के तंबू उखाड़ कर फिंकवा दिए।
नागपुर दंगे : अफवाहों ने भड़काया
नागपुर में अब शान्ति है, लेकिन हालात सामान्य होने में वक्त लगेगा। पुलिस ने दंगा फैलाने के आरोप में 57 लोगों को गिरफ्तार किया है जिनमें सात नाबालिग हैं। विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के आठ लोगों ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। प्रशासन अब दंगे के दौरान हुए नुकसान का जायजा ले रहा है और नुकसान की भरपाई दंगाइयों से कराई जाएगी। पुलिस को इस बात के सबूत मिले हैं कि दंगा सोची समझी साजिश का नतीजा था। ये भी खुलासा हुआ कि दंगाइयों ने महिला पुलिसकर्मियों के साथ बदसलूकी भी की। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि बजरंग दल के प्रदर्शन में जिस हरे रंग के कपड़े में आग लगाई गई थी, उसमें धार्मिक आयतें नहीं लिखीं हुईं थीं, बल्कि वो हरे रंग की साड़ी थी। लेकिन जान बूझकर ये अफवाह फैलाई गई कि आयतें जलाई गईं हैं। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने सोशल मीडिया के जरिए इस अफवाह को फैलाया, उनके खिलाफ भी एक्शन होगा। फहीम खान नाम का जो शख्स दंगे का मास्टरमाइंड था, उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिय़ा है। उसके खिलाफ पहले से तीन केस दर्ज हैं। वह माइनॉरिटीज डेमोक्रेटिक पार्टी का स्थानीय नेता है। फहीम ने नागपुर से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के खिलाफ लोकसभा का चुनाव लड़ा था लेकिन उसकी जमानत जब्त हो गई थी। उसे 1,073 वोट मिले और गडकरी को 6 लाख 55 हजार से ज्यादा वोट मिले। लेकिन लोगों की भावनाएं भड़का कर उन्हें उकसाने के लिए ज्यादा वोट की जरूरत नहीं होती। फहीम खान ने इसी का फायदा उठाया। वह जानता था कि आयतें जलाने की बात लोगों को तीर की तरह चुभेगी, हिंसा भड़काना आसान होगा। इसीलिए हिंदू हों या मुसलमान, सोशल मीडिया पर फैलाई गई बातों का, वॉट्सएप पर मिले मैसेज का, बिना सोचे-समझे यकीन नहीं करना चाहिए।
सुनीता विलियम्स : स्वस्थ होने में वक्त लगेगा
पूरी दुनिया ने सुकून देने वाली तस्वीरें देखीं जिनका इंतजार नौ महीने से किया जा रहा था। भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स समेत चार अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर लौटे। स्पेस कैप्सूल से बाहर निकलते वक्त सुनीता के चेहरे पर मुस्कान थी और उन्होंने वहां मौजूद लोगों का हाथ हिला कर अभिवादन भी किया। लेकिन नोट करने वाली बात ये है कि ड्रैगन कैप्सूल से बाहर निकलने पर सुनीता और दूसरे यात्री खुद खड़े नहीं हो पाए। उन्हें सहारा देकर व्हील चेयर पर बैठाया गया। इसकी वजह ये है कि नौ महीने तक अन्तरिक्ष में रहने के दौरान यात्रियों का गुरुत्वाकर्षण के प्रति सेंस खत्म हो जाता है। चूंकि स्पेस स्टेशन में जीरो ग्रेविटी होती है, उसके भीतर यात्री हवा में तैरते हैं, इसलिए ग्रेविटी जोन में आने पर उन्हें अपने पैरों पर खड़े होने में दिक्कत होती है। आपको जानकार हैरानी होगी कि स्पेस स्टेशन की दूरी धरती से सिर्फ 408 किलोमीटर है लेकिन 28 हजार किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चल रहे ड्रैगन कैप्सूल को स्पेस स्टेशन तक पहुंचने में 17 घंटे का वक्त लग गया। इसकी वजह ये है कि कोई भी स्पेस क्राफ्ट जब अंतरिक्ष से धरती की तरफ आता है तो उसकी मूवमेंट आर्बिटल होती है। वो धरती के चक्कर लगाता हुआ धीरे धीरे नीचे की तरफ बढ़ता है। सबसे चुनौती भरा वक्त तब होता है जब स्पेस क्राफ्ट धरती के वायुमंडल में प्रवेश करता है। उस वक्त घर्षण के कारण जबरदस्त गर्मी पैदा होती है और तापमान इतना बढ़ जाता है कि कोई भी चीज सीधे भाप बन सकती है। ड्रैगन कैप्सूल ने जब पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया, उस वक्त कैप्सूल की स्पीड करीब 28 हजार किलोमीटर प्रति घंटा थी और स्पेस क्राफ्ट के प्लाज़्मा शील्ड का तामपान 1927 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। पूरा ड्रैगन कैप्सूल आग के गोले की तरह दिख रहा था। इस दौरान पृथ्वी से संचार बंद हो गया। करीब 25 मिनट तक नासा के वैज्ञानिक सांसे थामे बैठे रहे। भारतीय समय तीन बजकर बीस मिनट पर ड्रैगन कैप्सूल ऑटो पायलट मोड में आ गया, संचार संपर्क एक्टिव हो गया। कैप्सूल में चारों एस्ट्रोनॉट सुरक्षित और मुस्कुराते हुए दिखे। तब सबकी जान में जान आई। सुनीता विलियम्स लौट आईं लेकिन उन्हें सामान्य सेहत हासिल करने में अभी वक्त लगेगा। सुनीता अपने पैरों पर चल नहीं पा रही थी। सुनीता को एक complete recovery procedure से गुज़रना होगा। बहुत समय तक अंतरिक्ष में रहने से माइक्रोग्रेविटी में मांसपेशियां कमज़ोर होने लगती हैं, शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है और बॉडी में fluid शिफ़्ट होने लगते हैं। जब यात्री माइक्रोग्रेविटी में होते हैं तो वो हवा में तैरते हैं, उनकी मांसपेशियों का इस्तेमाल नहीं होता और वो कमज़ोर होने लगती हैं। जीरो ग्रेविटी में यात्रिय़ों की हड्डियों की mineral density हर महीने एक से डेढ़ परसेंट कम हो जाती हैं। माइक्रोग्रेविटी में ब्लड और दूसरे body fluid नीचे से ऊपर शिफ्ट होने लगते हैं। इससे आंख और दिमाग पर बुरा असर पड़ता है। हड्डियों में mineral density कम होने से सीधा चलने, सीधा खड़े होने और शरीर का संतुलन बनाए रखने की चुनौती का सामना हर दिन करना होता है। 9 महीने में सुनीता विलियम्स ने करीब 270 एक्स-रे के बराबर रेडिएशन का सामना किया। लंबे समय तक इस रेडिएशन के संपर्क में आने से शरीर में प्रतिरोध क्षमता कमजोर हो सकती है, कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। पृथ्वी पर लौटने के बाद Bone Density पूरी तरह से ठीक होने में कई साल लग जाते हैं। कुल मिलाकर हमें ये समझना चाहिए कि लंबे समय तक स्पेस में रहने के लिए बहुत हिम्मत और बहुत कंट्रोल की जरूरत होती है, जो सुनीता विलियम्स ने करके दिखाया। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 19 मार्च, 2025 का पूरा एपिसोड