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Rajat Sharma’s Blog: राजस्थान पुलिस को कड़ी कार्रवाई करने से कौन रोक रहा है?

ऐसा लगता है कि पुलिस सब पहले ही तय कर चुकी थी, इसीलिए CO ने सलमान चिश्ती के कान में बचने का फॉर्मूला बताया।

Written By: Rajat Sharma
Published : Jul 07, 2022 18:53 IST, Updated : Jul 07, 2022 18:53 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

राजस्थान पुलिस ने गुरुवार को अजमेर के सर्किल ऑफिसर संदीप सारस्वत को हटा दिया। उन्हें अजमेर शरीफ दरगाह के एक खादिम सलमान चिश्ती को सलाह देते हुए देखा गया था। सलमान चिश्ती ने नुपुर शर्मा का सिर कलम करने वाले को अपना घर इनाम में देने की बात कही थी। कार्यवाहक डीजीपी उमेश मिश्रा ने कहा कि सारस्वत के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए गए हैं और उन्हें एपीओ (पदस्थापन की प्रतीक्षा में) पर रखा गया है।

डीएसपी रैंक के सर्किल ऑफिसर संदीप सारस्वत राजस्थान पुलिस सेवा के अधिकारी हैं और उनके खिलाफ विजिलेंस ब्रांच जांच करेगी। बुधवार की रात इंडिया टीवी पर प्राइम टाइम शो 'आज की बात' में हमने दिखाया था कि कैसे थाने ले जाते समय, सीओ सलमान चिश्ती को ये कहने के लिए सिखा रहे थे - ‘बोल देना, नशे में था’। सलमान चिश्ती ने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणी करने वाली नूपुर शर्मा का सिर कलम करने वाले शख्स को अपना मकान देने का ऐलान किया था।

एक स्थानीय बीजेपी विधायक वासुदेव देवनानी ने फेसबुक पर वीडियो क्लिप शेयर किया और कहा, ‘यह राजस्थान सरकार की तुष्टिकरण नीति की पराकाष्ठा है।’

राजस्थान का एक पुलिस अधिकारी सलमान चिश्ती जैसे 'हिस्ट्री शीटर' को सिखाने की कोशिश कर रहा था, इस वीडियो को देखकर सभी हैरान हैं। इससे साफ इशारा मिलता है कि कैसे राजस्थान पुलिस के कुछ अफसर अपराधियों के प्रति हमदर्दी दिखा रहे हैं और उस व्यक्ति को बचाने की कोशिश कर रहे हैं जिसने नूपुर शर्मा का सिर कलम करने वाले को अपना मकान देने की बात कही है।

जब एक पुलिस अधिकारी ही एक अपराधी को झूठ बोलने के लिए कहेगा तो लोग इंसाफ की उम्मीद कैसे कर सकते हैं? वीडियो में एक और चौंकाने वाली बात यह थी कि सलमान चिश्ती पुलिस अधिकारी से कह रहा था कि वह कभी शराब नहीं पीता।

वीडियो में कुछ इस तरह से बातचीत हो रही है। पुलिस वाला चिश्ती से कहता है: ‘आओ, आओ, नशे में तो नहीं हो? अरे साथ में ही हैं, आ जा। चलो, चलो, आ जाओ, बेफिक्र रहो। इधर आ जाओ।’ पुलिसकर्मी (फिर से): ‘कौन सा नशा कर रखा था वीडियो बनाते टाइम?’ सलमान चिश्ती: ‘मैं नशा नहीं करता।’ पुलिसवाला: ‘बोल नशे में था ताकि बचाव हो जाए।’

यह वीडियो तब बनाया गया था जब पुलिस ने सलमान चिश्ती को खादिम मोहल्ला से रात में उनके घर से गिरफ्तार किया था। वीडियो में सलमान घबराया हुआ था, लेकिन उसके साथ मौजूद पुलिसकर्मी उसके प्रति हमदर्दी दिखा रहे थे। वीडियो में दिख रहा पुलिसकर्मी कोई साधारण कॉन्स्टेबल नहीं है, बल्कि अजमेर दरगाह शरीफ इलाके का सर्किल ऑफिसर है।

बुधवार को जब सलमान चिश्ती का ‘हेट वीडियो’ वायरल हुआ तो अजमेर पुलिस ने दावा किया था कि वह फरार है। सच तो यह है कि वह कहीं नहीं भागा था और अपने घर में ही था। बुधवार की रात पुलिस गई और आराम से उसे पकड़ लाई। जिस बातचीत का जिक्र मैंने ऊपर किया है, वह खादिम और सर्किल ऑफिसर के बीच हुई।

नूपुर शर्मा का सिर कलम करने के लिए इनाम देने का ऐलान करने वाले और दुनिया भर में भारत की बदनामी करवाने वाले शख्स को एक सीनियर पुलिस अफसर झूठ बोलना सिखा रहा था। वह भी तब जबकि आरोपी साफ-साफ कह रहा था कि उसने कभी शराब नहीं पी। इसका मतलब है कि जब उसने नूपुर शर्मा का सिर कलम करने वाले को इनाम देने की बात कहने वाला वीडियो बनाया तब वह होश में था। यह भी साफतौर पर इशारा करता है कि राजस्थान पुलिस यह साबित करने की कोशिश कर रही थी कि सलमान चिश्ती ने नशे की हालत में यह वीडियो बनाया था।

बुधवार को जब अजमेर के एडिश्नल एसपी विकास सांगवान से सलमान चिश्ती के वीडियो पर सवाल पूछे गए तो उन्होंने कहा था कि ऐसा लगता है कि उसने यह वीडियो नशे की हालत में बनाया है। ऐसा लगता है कि पुलिस पहले ही तय कर चुकी थी, इसीलिए CO ने सलमान चिश्ती के कान में बचने का फॉर्मूला बताया।

नशे को लेकर पुलिस की थ्योरी अब अजमेर दरगाह की अंजुमन कमेटी के लोगों तक फैल गई है। जो पहले सलमान की वीडियो के कारण डिफेंसिव थे, अब यह कहकर मामले को हल्का कर रहे हैं कि सलमान चिश्ती ने नशे की हालत में ऐसा किया था, वह नशेड़ी है, ड्रग एडिक्ट है।

राजस्थान में बीजेपी ने अब इसे एक सियासी मुद्दा बना दिया है। अलवर से बीजेपी के सांसद महंत बालकनाथ ने आरोप लगाया कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार द्वारा अपनाई गई तुष्टिकरण की नीति के कारण माहौल बिगड़ रहा है। महंत बालकनाथ ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार मुस्लिम परस्त हो चुकी है और इससे सांप्रदायिक तनाव पैदा हो रहा है। बीजेपी के राज्यसभा सदस्य किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि एक छोटे स्तर का पुलिस अधिकारी किसी अपराधी को ऐसी सलाह तब तक नहीं दे सकता जब तक कि उसे ऊपर से ऑर्डर न मिला हो। उन्होंने इस वीडियो को राजस्थान सरकार की तुष्टीकरण नीति का सबसे बड़ा सबूत बताया।

बीजेपी के नेताओं की बातों को सियासी हमला कहा जा सकता है, लेकिन पुलिस ने जिस अंदाज में खादिम के बयान की स्क्रिप्ट लिखी, उससे साफ है कि उसे बचाने की कोशिश की जा रही है। यह राज्य सरकार की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति का नतीजा हो सकता है। पुलिस ने वक्त रहते धमकियों का संज्ञान लेकर ऐक्शन नहीं लिया, और वीडियो के वायरल होने तक इंतजार किया। यह उसकी लापरवाही का एक और सबूत है।

सबसे ज्यादा हैरानी की बात यह है कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह भाईचारे और अमन चैन का प्रतीक थी, लेकिन पिछले एक हफ्ते में यहां से नफरत फैलाने वाली बातें कही गईं। दरगाह के पास एक मीटिंग में हिंदुओं को सबक सिखाने की बात कही गई। यह सब काम आम मुसलमान नहीं कर रहे थे। इस तरह की हरकतें उन कुछ ‘खादिमों’ ने की जो दरगाह को चलाते हैं, उसका मैनेजमेंट देखते हैं।

अजमेर शरीफ की दरगाह में PFI और SDPI जैसे कट्टरपंथी संगठनों की गुप्त बैठकें होती है। अंजुमन कमेटी, जो कि दरगाह का मैनेजमेंट देखती है, के सचिव सरवर चिश्ती ने ऐसी ही एक बैठक बुलाई थी। मेरे पास इनमें से एक मीटिंग का वीडियो है। वीडियो में सरवर चिश्ती बीचों बीच बैठे दिख रहे हैं। उनके अगल बगल PFI के सेक्रेट्री मोहम्मद अनीस और SDPI के नेता मोहम्मद हाशमी दिख रहे हैं। बैठक में PFI और SDPI, दोनों के नेता सरवर चिश्ती की तारीफ करते सुनाई दे रहे हैं।

वीडियो में SDPI के नेता मोहम्मद हाशमी कहते सुनाई दे रहे हैं, ‘इन अमीर नवाजों को इन गरीब नवाजों के आसताने से हम मैसेज दे रहे हैं कि आप लोग अगर जुल्म करेंगे तो उससे पीछे दबने वाले नहीं हैं। जनाब सरवर चिश्ती साहब की आवाज पूरी दुनिया में सुनी जाती है। जुल्म के खिलाफ हमेशा एक अच्छा, सच्चा और एक ईमान वाला मुसलमान खड़ा होगा। वही लोग उनके साथ जाएंगे, जो लोग जुल्म को पसंद करते हैं। वे फासीवाद के दलाल हैं। हम पूरे देश को यह मैसेज देना चाहते हैं कि हम सभी PFI और SDPI के साथ हैं। सरवर चिश्ती समेत सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतों की आवाज एक है।’

बुधवार की रात अपने शो 'आज की बात' में हमने 7 फरवरी 2022 का एक पुराना वीडियो दिखाया, जिसमें सरवर चिश्ती कोटा में PFI के एक 'यूनिटी मार्च' रैली में हिस्सा लिया था। वहां उन्होंने एक भड़काऊ तकरीर भी की थी। अपनी तकरीर में सरवर चिश्ती ने कहा था, 'हम मोदी से डरने वालों में नहीं हैं। हम मोदी से लड़ने वालों में हैं। हम PFI के साथ खड़े हैं।’ उस दौरान कर्नाटक में कुछ छात्राओं द्वारा हिजाब पहनने के मुद्दे को लेकर हंगामा मचा हुआ था। कोटा में इस रैली की इजाजत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार ने दी थी। बाद में कहा गया कि करौली में रामनवमी के जुलूस के दौरान जो हंगामा हुआ, उसमें कोटा में हुई इस रैली का भी अहम रोल था।

इंडिया टीवी के रिपोर्टर मनीष भट्टाचार्य ने अजमेर दरगाह के दीवान (आध्यात्मिक प्रमुख) सैयद ज़ैनुल आबेदीन से PFI की बैठकों के बारे में पूछा। उन्होंने सरवर चिश्ती का नाम तो नहीं लिया लेकिन इतना जरूर कहा कि PFI के लोग लंबे समय से दरगाह आते रहे हैं और यहां मीटिंग वगैरह करते रहे हैं।

जब दीवान से पूछा गया कि वह PFI के लोगों को दरगाह के अंदर मीटिंग करने से रोकते क्यों नहीं तो उन्होंने जवाब दिया कि उनके पास इस मामले में सीमित अधिकार हैं। उन्होंने कहा कि इसे रोकने का काम दरगाह से जुड़े खादिमों के पास है और अंजुमन कमेटी का फैसला अंतिम होता है। दीवान ने कहा, ‘सलमान चिश्ती ने जिस तरह नूपुर शर्मा का गला काटने वाले को इनाम देने का वीडियो बनाया, वह ख्वाजा गरीब नवाज की शिक्षाओं के खिलाफ है। इस्लाम भी हिंसा की इजाजत नहीं देता। सलमान चिश्ती को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए, लेकिन इस बात की जांच भी होनी चाहिए कि आखिर इन लोगों को हिम्मत कहां से मिल रही है। सिर तन से जुदा करने वाले नारे कौन लोग फैला रहे हैं, कौन लोग ऐसे नारे लगवा रहे हैं?’

सरवर चिश्ती ने 17 जून को अंजुमन कमेटी का सचिव चुने जाने के दिन कहा था कि दरगाह के पास रैली निकालने वाले हिंदुओं से न तो सामान खरीदा जाए और न ही उन्हें सामान बेचा जाए। सरवर चिश्ती शायद इस बात से नाराज थे कि हिंदुओं ने नुपूर शर्मा के समर्थन में अजमेर में मौन जुलूस क्यों निकाला।

सरवर चिश्ती कोई बच्चे नहीं हैं जो इस बात से वाकिफ न हों कि PFI किस किस्म का संगठन है। उन्हें अच्छी तरह मालूम है कि PFI ने मुसलमानों को गुमराह करने का काम किया है, आधा सच बताकर उनकी भावनाओं को भड़काने का काम किया है। PFI से हाथ मिला कर वह अजमेर शरीफ दरगाह की उस महान विरासत को भूल गए जो प्रेम और भाईचारे का संदेश देती है।

अजमेर शरीफ दरगाह पर पिछले 800 सालों से हिंदू और मुसलमान दोनों सिर झुकाते हैं। सरवर चिश्ती यह भी भूल गए कि दरगाह शरीफ में बैठकर नफरत की बात करना एक गुनाह है। अच्छी बात यह है कि इस दरगाह के अधिकांश खादिम नफरत में यकीन नहीं रखते हैं। वे PFI और सरवर चिश्ती की जहरीली विचारधारा का विरोध करते हैं। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 06 जुलाई, 2022 का पूरा एपिसोड

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