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Rajat Sharma’s Blog: नवरात्रि और रमजान के नाम पर सियासत कौन कर रहा है?

अगस्त 2016 में, बॉम्बे हाई कोर्ट ने साफ कहा था कि धार्मिक स्थलों द्वारा लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को मौलिक अधिकार नहीं कहा जा सकता।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : April 06, 2022 18:38 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

महाराष्ट्र और कर्नाटक में अज़ान के वक्त मस्जिदों के बाहर लाउडस्पीकरों पर हनुमान चालीसा बजाने पर उपजा विवाद देश के बाकी इलाकों में भी दूसरे रूप में फैलता नजर आ रहा है। कांग्रेस शासित राजस्थान में बिजली देने वाली कंपनी जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने सभी 10 जिलों के इंजीनियरों को एक आदेश जारी कर रमजान के दौरान मुस्लिम बहुल इलाकों में चौबीस घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है, लेकिन जब सियासी बवाल मचा तो मंगलवार को इसे हड़बड़ी में वापस ले लिया गया।

इसी तरह, आम आदमी पार्टी द्वारा संचालित दिल्ली जल बोर्ड ने मुस्लिम कर्मचारियों को 3 अप्रैल से 2 मई तक रमजान के दौरान ड्यूटी का टाइम खत्म होने से 2 घंटे पहले छुट्टी की इजाजत देने वाला आदेश दिया लेकिन बवाल मचने के बाद इसे मंगलवार को वापस ले लिया। दक्षिण दिल्ली के भाजपा शासित निगम के महापौर ने  नवरात्रि और रामनवमी के दौरान 10 अप्रैल तक मीट और चिकन की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की बात कही है।

अब मैं इन मुद्दों पर एक-एक करके बात करता हूं। जोधपुर विद्युत वितरण निगम के सहायक प्रबंध निदेशक द्वारा 1 अप्रैल को जारी आदेश में सभी सुप्रिटेंडिंग इंजीनियरों से कहा गया है कि वे अपने अपने जिलों में रमजान के दौरान मुस्लिम बहुल इलाकों में 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करें। इसमें लिखा था: ‘रमजान का महीना 4 अप्रैल से शुरू हो रहा है। इस दौरान शट डाउन न करें और मुस्लिम बहुल इलाकों में निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करें ताकि रोज़ा रखने वालों को किसी प्रकार की दिक्कतों का सामना न करना पड़े।’

यह आदेश संभवत: राजस्थान की राज्य मंत्री ज़ाहिदा खान के कहने पर जारी किया गया था, जिन्होंने ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी को लिखे पत्र में रमजान के दौरान मुस्लिम बहुल इलाकों में चौबीसों घंटे बिजली आपूर्ति की मांग की थी। बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि हिंदू भी नवरात्रि के दौरान उपवास रखते हैं, लेकिन राज्य सरकार तुष्टीकरण की राजनीति में लिप्त है।

वसुंधरा राजे ने सवाल किया,  ‘राज्य सरकार को सिर्फ रमजान मनाने वालों की ही फिक्र क्यों है? बाकी लोगों की क्यों नहीं? यह तुष्टिकरण और वोट की राजनीति नहीं तो और क्या है? राज्य सरकार को धर्म से ऊपर उठकर सभी राजस्थानियों के कल्याण के लिए काम करना चाहिए, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या समुदाय के हों।’

जोधपुर विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक प्रमोद टाक ने कहा कि होली, दिवाली जैसे हर त्योहार के वक्त भी इसी तरह के आदेश जारी किए जाते हैं। उन्होंने कहा, ‘चूंकि रमज़ान के वक्त इस साल चिलचिलाती गर्मी है, इसलिए हमने मानवीय आधार पर यह आदेश जारी किया था।’ सोशल मीडिया पर विवाद के बाद निगम ने अपना यह आदेश वापस ले लिया।

रमज़ान के दौरान मुसलमानों को किसी तरह की दिक्कत न हो, इसका प्रबंध करने पर किसी को ऐतराज़ नहीं है, लेकिन सिर्फ मुस्लिम बहुल इलाकों में चौबीसों घंटे बिजली सप्लाई का आदेश जारी करना साफ तौर पर धार्मिक भेदभाव है।

अब तक यही होता आया है कि रमजान के दौरान चौबीसों घंटे बिजली की सप्लाई दी जाती थी,  बकरीद पर पानी की पूरी सप्लाई होती थी और मंत्री और नेता सरकारी खजाने से 'इफ्तार' की दावत देते थे। अगर कोई ये कहे कि हिंदू त्योहारों पर सरकार इस तरह के आदेश जारी क्यों नहीं करती, तो उसे मुस्लिम विरोधी घोषित किया जाता है। इन्हीं हरकतों के कारण समाज में दूरियां बढ़ती हैं, क्योंकि लोग मजहब के आधार पर भेदभाव होते हुए खुद देखते हैं और महसूस करते हैं। एक तरफ कांग्रेस राजस्थान में रमजान के दौरान मुस्लिम इलाकों में चौबीस घंटे बिजली सप्लाई का आदेश दे रही है, तो दूसरी तरफ वही पार्टी दक्षिण दिल्ली के मेयर द्वारा नवरात्रि के समय मीट की दुकानों को बंद करने के आह्वान को मुस्लिम विरोधी बता रही है।

महाराष्ट्र और पड़ोसी राज्य कर्नाटक में एक अलग तरह का धार्मिक विवाद चल रहा है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे खुद को बालासाहेब ठाकरे का एकमात्र राजनीतिक उत्तराधिकारी साबित करने में जुटे हुए हैं। राज ठाकरे ने अपने कार्यकर्ताओं से अज़ान के वक्त मस्जिदों के बाहर लाउडस्पीकर पर हनुमान चालीसा बजाने का निर्देश दिया है।

मंगलवार की रात अपने प्राइम टाइम शो 'आज की बात' में  हमने मुंबई के पास कल्याण में एक मस्जिद के बाहर लाउडस्पीकर पर तेज आवाज में हनुमान चालीसा बजाए जाने की तस्वीरें दिखाई। पास में कोई हनुमान मंदिर नहीं था, लेकिन एमएनएस के कार्यकर्ता लाउडस्पीकर पर हनुमान चालीसा बजा रहे थे।

इसी तरह की घटनाएं मुंबई और ठाणे में मस्जिदों के बाहर हुईं। मुंबई के कुर्ला में पुलिस ने लाउडस्पीकर पर एमएनएस कार्यकर्ताओं द्वारा हनुमान चालीसा बजाने की कोशिश को नाकाम कर दिया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। शिवसेना नेताओं का आरोप है कि महाराष्ट्र में बीजेपी लाउडस्पीकर के मुद्दे पर मनसे को मौन समर्थन दे रही है। दूसरी ओर, राज ठाकरे सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेशों का हवाला दे रहे हैं जिनके मुताबिक लाउडस्पीकरों पर धार्मिक भजन बजाने पर रोक है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने जुलाई 2005 के आदेश में रिहायशी इलाकों में रहने वाले लोगों पर ध्वनि प्रदूषण के गंभीर असर का हवाला देते हुए, इमरजेंसी को छोड़कर, सार्वजनिक स्थानों पर रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर और म्यूजिक सिस्टम्स के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, अक्टूबर 2005 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि सिर्फ तीज-त्योहारों के मौकों पर लाउडस्पीकरों को एक साल में 15 दिन के लिए आधी रात तक बजाने की इजाजत दी जा सकती है। शीर्ष अदालत के फैसले में कहा गया है कि राज्य सरकारों को लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल के लिए अन्य अधिकारियों को प्रतिबंध में छूट देने का अधिकार नहीं होगा।

अगस्त 2016 में, बॉम्बे हाई कोर्ट ने साफ कहा था कि धार्मिक स्थलों द्वारा लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को मौलिक अधिकार नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने कहा था कि कोई भी धर्म या संप्रदाय यह दावा नहीं कर सकता कि लाउडस्पीकर या पब्लिक अड्रेस सिस्टम का इस्तेमाल करना मौलिक अधिकार है । संविधान के अनुच्छेद 25  के तहत भारत के हर नागरिक को मौलिक अधिकार की यह गारंटी दी गई है कि वह किसी भी धर्म का अनुयायी बन सकता है, अपने धर्म के प्रचार कर सकता है और अपने धर्म का पालन कर सकता है। हाई कोर्ट ने कहा, किसी भी धार्मिक स्थल को बिना अनुमति के लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

सितंबर 2018 में, कर्नाटक हाई कोर्ट ने रात 10 बजे के बाद लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था और निर्देश दिया था कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का पालन किया जाना चाहिए कि कहीं तय स्तर से ज्यादा शोर तो नहीं हो रहा। इसी तरह, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने जुलाई 2019 में, बिना पूर्व अनुमति के धार्मिक स्थलों द्वारा लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था। मई 2020 में, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि ‘अजान’ किसी भी पब्लिक अड्रेस सिस्टम का इस्तेमाल किए बिना सिर्फ 'मुअज्जिन' द्वारा मस्जिद की मीनार से अपनी आवाज में सुनाई जा सकती है।

बीएमसी चुनाव तेजी से करीब आ रहे हैं, ऐसे में राज ठाकरे ने लाउडस्पीकर पर ‘अजान’ बजाने को एक मुद्दा बना दिया है। उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से कहा है कि पीए सिस्टम पर हनुमान चालीसा का पाठ करके इसका मुकाबला करें। समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी ने अपने समर्थकों से कहा कि हनुमान चालीसा बजाने वाले मनसे कार्यकर्ताओं को इसके बदले में शरबत और पानी पिलाएं।

न तो अबू आजमी दूध के धुले हैं और न ही राज ठाकरे की नीयत साफ है। हनुमान चालीसा पढ़ने वाले भी हनुमान भक्त नहीं हैं, और हनुमान चालीसा पढ़ने वाले एमएनएस कार्यकर्ताओं को शरबत पिलाने वाले भी कोई इंसानियत के पुजारी नहीं है। सबका अपना-अपना खेल है, अपना-अपना गणित है। जब शिवसेना बीजेपी के साथ थी तो खुद को बीजेपी से बड़ी हिंदुत्ववादी पार्टी बताती थी। अब वह कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार में हैं तो शिवसेना खुद को इन दोनों से बड़ा सेक्युलर साबित करने में लगी है।

'अजान' पर उठा विवाद पड़ोसी राज्य कर्नाटक में भी फैल गया है जहां हिंदू संगठनों ने लाउडस्पीकर से 'अजान' पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। इन संगठनों के समर्थकों ने लाउडस्पीकरों पर 'हनुमान चालीसा' और 'बजरंग बाण' बजाना शुरू कर दिया है। श्री राम सेना, हिंदू जनजागृति समिति जैसे संगठनों और कलिकंबा मंदिर के प्रमुख ने लाउडस्पीकर पर हनुमान चालीसा बजाने के लिए सरकार से इजाजत मांगी है।

चूंकि अगले साल मई में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए राजनीतिक दल अब सक्रिय हो गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने कहा, बीजेपी को छोड़कर किसी को भी मस्जिदों में लाउडस्पीकर बजने से कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा, 'हम समाज को बांटने वाले कदमों का विरोध करते हैं।'

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट द्वारा लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध सिर्फ मस्जिदों के लिए नहीं, सभी धार्मिक स्थलों के लिए है। उन्होंने कहा, ‘हम सभी पक्षों से बात करेंगे ताकि अदालत का आदेश लागू हो। यह दबाव की बात नहीं है, बल्कि समझा-बुझाकर करने का काम है। कोर्ट का आदेश सिर्फ 'अजान' के लिए नहीं बल्कि सभी धार्मिक गतिविधियों के लिए हैं।... वे (कांग्रेस नेता) लोग बड़े पाखंडी हैं। पहले उन्होंने 'हिजाब' का मुद्दा उठाया और फिर 'हिजाब' का विरोध करने वाले लोगों का विरोध किया। उन्होंने कोर्ट के आदेश का उल्लंघन क्यों किया? वे उस वक्त क्यों खामोश रहे थे? असल में यह कांग्रेस की वोट बैंक की राजनीति है जिससे सारा विवाद खड़ा हुआ है।'

बोम्मई की बात सही है कि मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने के लिए लोगों को समझा बुझाकर राजी किया जाना चाहिए। लेकिन मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने एक अलग ही रूप धारण किया है। पूर्व मुख्यमंत्री और इस वक्त मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने सभी जिलों के पार्टी प्रमुखों को पत्र भेजकर 10 अप्रैल को रामनवमी के मौके पर 'राम कथा' आयोजित करने और 16 अप्रैल को हनुमान जयंती के मौके पर हनुमान चालीसा और सुंदर कांड का पाठ करने के लिए कहा है। कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने  कहा कि पार्टी को ‘बीजेपी की नकल नहीं करनी चाहिए। अगर पार्टी रामनवमी और हनुमान जयंती पर पूजा-पाठ की प्लानिंग कर रही है, तो इसी तरह के आयोजन रमजान पर भी होने चाहिए।’

कांग्रेस में आजकल दो तरह की सोच है। कई नेताओं को लगता है कि कांग्रेस को हिंदुओं की बात करनी चाहिए और मुस्लिम तुष्टिकरण से बचना चाहिए। कमलनाथ ने शायद यही सोचकर हनुमान चालीसा और सुंदरकांड की बात की। कमलनाथ खुद भी बड़े हनुमान भक्त हैं। उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र में एक विशाल हनुमान मंदिर बनवाया है।

लेकिन इसी कांग्रेस में बहुत सारे लोगों की सोच यह है कि पार्टी को अपनी सेक्यूलर छवि से कोई समझौता नहीं करना चाहिए, और जब भी मौका मिले मुस्लिम समाज का दिल जीतने की कोशिश करनी चाहिए। लेकिन मुस्लिम तुष्टिकरण के चक्कर में कई बार कांग्रेस के नेता काफी आगे बढ़ जाते हैं जैसा कि मैंने इस ब्लॉग की शुरुआत में जिक्र किया है कि कैसे जोधपुर के मुस्लिम बहुल इलाकों में 24 घंटे बिजली की सप्लाई का आदेश जारी किया गया था।

राजस्थान में राज्य मंत्री के स्तर का एक मुस्लिम नेता इतना प्रभावशाली नहीं हो सकता कि इस तरह का आदेश जारी कर सके। जाहिर है कि कांग्रेस के किसी बड़े नेता ने उनसे ऐसा कहा होगा और डिस्कॉम कंपनी के एमडी ने आदेश जारी कर दिया। जोधपुर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का निर्वाचन क्षेत्र है।

जोधपुर से बीजेपी सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत, जो केंद्रीय जल शक्ति मंत्री हैं, ने मंगलवार को अपने ट्वीट में गहलोत पर निशाना साधा। शेखावत ने कहा: ‘गहलोत सरकार के इशारे पर दिए गए आदेश को पढ़कर कांग्रेसी सोच से घृणा बढ़ जाती है। जोधपुर क्षेत्र में रमजान के दौरान बिजली कटौती न किए जाने का तुगलकी फरमान वोट बैंक की राजनीति के चलते दिया गया है। इस तरह के हथकंडे सामाजिक वैमनस्य का कारण बनते हैं। गहलोत जी सत्ता आपकी है। आप सद्भाव के नाम पर एक को सेलेक्ट और दूसरे को नेगलेक्ट नहीं कर सकते। करौली में आपने अपना खेल कर लिया! हाथ जोड़कर निवेदन है कि कृपया मेरे जोधपुर को अपनी सांप्रदायिक साजिश से दूर रखें। गहलोत जी, काश नवरात्रि को लेकर भी थोड़ी चिंता कर ली होती!’

इस साल नवरात्रि और रमजान, दोनों साथ साथ आए हैं। दोनों ही पवित्र त्योहार हैं, दोनों आपसी भाईचारे और प्यार से रहने का संदेश देते हैं। लेकिन नवरात्रि और रमजान के नाम पर जो कुछ हो रहा है, वह बिल्कुल उल्टा है।

अगर सरकार को इबादत के लिए छुट्टी देनी है, तो हिंदू और मुसलमान में फर्क कैसे हो सकता है? अगर बिजली देनी है तो रमजान और नवरात्रि में भेदभाव कैसे हो सकता है? अगर अज़ान के लिए लाउडस्पीकर की आवाज से परेशानी है, तो लाउडस्पीकर पर हनुमान चालीसा पढ़ने से इसका इलाज कैसे हो सकता है?

ज़ोर-ज़बरदस्ती से किसी का भला नहीं हो सकता। बातचीत से ही रास्ता निकाला जा सकता है। इसी तरह मीट की सारी दुकानें बंद करने की मांग करने का भी कोई औचित्य नहीं है। मैंने कई हिंदू दुकानदारों की बात सुनी है जो कहते हैं कि वे भी देवी के भक्त हैं, नवरात्रि मनाते हैं, पर अचानक मीट बेचने पर पाबंदी लगने से उनका काफी नुकसान होगा।

यह एक कड़वा सच है कि नवरात्रि और रमजान के नाम पर सियासत हो रही है। सियासत करने वाले इधर भी हैं और उधर भी, और जब तक ये लोग नहीं चाहेंगे, तब तक माहौल नहीं बदल सकता। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 05 अप्रैल, 2022 का पूरा एपिसोड

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