Highlights
- रूसी सेना जेलेंस्की सरकार को हटाने का इरादा लेकर कीव में घुसी है।
- नागरिकों को सुरक्षित ठिकानों पर जाने के लिए कहा गया है।
- शहर में लगातार हवाई हमले के सायरन बजाए जा रहे हैं।
रूस के रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को ऐलान किया कि उनकी सेना यूक्रेन की राजधानी कीव के बाहर लंबे समय तक डेरा डालने के बाद शहर में दाखिल हो गई है। रूसी सेना जेलेंस्की सरकार को हटाने का इरादा लेकर कीव में घुसी है। राजधानी की कई इमारतों में आग लगने की खबर है। नागरिकों को सुरक्षित ठिकानों पर जाने के लिए कहा गया है। रूसी टैंकों और बख्तरबंद वाहनों के 64 किमी लंबे काफिले ने कीव के बाहर डेरा डाला हुआ है, और शहर में लगातार हवाई हमले के सायरन बजाए जा रहे हैं।
जंग शुरू हुए 9 दिन हो चुके हैं, और यूक्रेन के बड़े शहरों पर मिसाइलों और गोला-बारूद की बरसात करने के बाद रूसी सेना ने यूरोप को सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र ज़पोरिशिया पर कब्जा कर लिया है। रूस की गोलाबारी की वजह से परमाणु ऊर्जा संयंत्र में आग लग गई थी, जिससे सुबह-सुबह डर का माहौल बन गया था, लेकिन इसे तुरंत नियंत्रण में कर लिया गया। हमले में सिर्फ एक ट्रेनिंग बिल्डिंग और एक लैब को नुकसान पहुंचा है। परमाणु ऊर्जा संयंत्र के निदेशक ने कहा, अब सभी परमाणु उपकरणों की सुरक्षा की गारंटी है। यूक्रेन के विदेश मंत्री ने रूसी सेना से परमाणु संयंत्र पर हमला बंद करने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘अगर इसमें धमाका हुआ तो यह चेर्नोबिल परमाणु आपदा से 10 गुना ज्याद नुकसान पहुंचाएगा।’
अजोव सागर पर स्थित स्ट्रेटिजिक पोर्ट मारियुपोल में भीषण लड़ाई की खबरों के बीच रूसी सेना दक्षिणी यूक्रेन में लगातार आगे बढ़ रही है। रूसी सेना ने पोर्ट सिटी खेरसॉन पर कब्जा कर लिया है, जो इस जंग में रूस के कब्जे में आने वाला पहला शहर है। इस बीच, रूसी और यूक्रेनी अधिकारियों ने गुरुवार को अपनी बातचीत के दौरान सेफ कॉरिडोर बनाने पर सहमति व्यक्त की ताकि नागरिक युद्धग्रस्त क्षेत्र से सुरक्षित निकल सकें।
गुरुवार की रात यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने किले में तब्दील हो चुके अपने दफ्तर की इमारत में पत्रकारों से बात की। एक मिलिट्री टी-शर्ट पहने जेलेंस्की ने पत्रकारों से कहा कि कुछ समझौते हो सकते हैं, हालांकि उन्होंने कुछ साफ नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘कुछ ऐसे मुद्दे हैं जहां हमें एक समझौते तक पहुंचना होगा, ताकि लोगों की जान न जाए, लेकिन ऐसे भी मुद्दे हैं जहां कोई समझौता नहीं हो सकता। हम ये नहीं कह सकते कि ये देश अब आपका हुआ, और यूक्रेन रूस का हिस्सा है।’ पुतिन अपनी 2 मुख्य मांगों पर जोर दे रहे हैं: यूक्रेन अपनी सारी सेना हटाए और एक न्यूट्रल स्टेट बन जाए।
जेलेंस्की, जो अब यूक्रेनी प्रतिरोध का प्रतीक बन गए हैं, ने 'नो-फ्लाई जोन' घोषित करने की गुहार लगाई और कहा कि वह मौत से नहीं डरते। जेलेंस्की ने कहा कि उन्हें रात में मुश्किल से 3 घंटे की नींद आती है। उन्होंने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि मेरी पुतिन से बात करने की ख्वाहिश है। मेरा पुतिन से बात करना जरूरी है। दुनिया को पुतिन से बात करने की जरूरत है। इस जंग को रोकने का और कोई तरीका नहीं है।’ एक डरावनी तस्वीर दिखाते हुए उन्होंने कहा, ‘अगर इसे यूक्रेन में नहीं रोका गया तो रूस के हमले का दायरा बढ़ता ही जाएगा। यह एक दु:स्वप्न है। मैं ऐसे शख्स की कल्पना भी नहीं कर सकता जो ऐसे कृत्य करने के बारे में सोच भी सके।’
गुरुवार की रात अपने प्राइम टाइम शो 'आज की बात' में हमने दिखाया कि किस तरह पोर्ट सिटी मारियुपोल पर रूसी सेना की मिसाइलें और रॉकेट बरस रहे हैं। रूस की आर्मी उत्तरी और पूर्वी यूक्रेन में जमीनी लड़ाई पर जोर दे रही है, जबकि उसकी वायुसेना बंदरगाहों पर हमले कर रही है। खेरसॉन पर नियंत्रण स्थापित करने के बाद रूसी सेना अब ओडेसा पर कब्जा करने के लिए लड़ रही है। यूक्रेन की सारी सप्लाई लाइन को काटने के लिए रूसी सेना ने चेर्निहाइव और सूमी पर हमला किया। ये 2 मुख्य शहर ऐसे हैं जहां से सप्लाई लाइन गुजरती है। रूसी सेना को राजधानी कीव पर कब्जा करने के लिए इन 2 शहरों की घेराबंदी करनी ही होगी। यूक्रेन का सबसे बड़ा औद्योगिक केंद्र खारकीव रूसी सेना की भारी गोलाबारी और मिसाइल हमले से तबाह हो गया है। रूसी सेना ने शहर के मुख्य प्रशासनिक भवन पर कब्जा कर लिया है। राजधानी कीव में भी तबाही का मंजर है और अधिकांश इमारतें खंडहर में तब्दील हो चुकी हैं।
रूसी सेना ने पूरे यूक्रेन में भारी तबाही मचाई है। रूस, उसके राष्ट्रपति और उसके अधिकारियों और कुलीन वर्गों के खिलाफ सबसे गंभीर आर्थिक प्रतिबंध भी अब तक पुतिन को झुकाने में नाकाम रहे हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ 90 मिनट की टेलीफोन पर हुई बातचीत में पुतिन ने साफ तौर पर कहा, रूस इस जंग को तभी रोकेगा जब उसके मिलिटरी ऑपरेशन का मकसद पूरा हो जाएगा। पुतिन ने यह भी कहा कि अगर यूक्रेन ने रूस की मांगों को मानने से इनकार कर दिया तो वह इस जंग को रोकने के लिए और कड़ी शर्तें लगाएंगे। पुतिन ने मैक्रों से कहा, ‘हमारा मकसद यूक्रेन पर कब्जा करने का नहीं, बल्कि इसकी पूरी सेना हटाने और इसे एक तटस्थ देश बनाने का है।’
स्वाभाविक रूप से पुतिन को डर है कि अगर रूस यूक्रेन युद्ध में अपने मकसद को पूरा करने में नाकाम रहता है, तो उसके पड़ोसी अन्य पूर्व सोवियत राष्ट्र उनके देश के लिए समस्या पैदा कर सकते हैं। पुतिन कभी इस बात को बर्दाश्त नहीं कर पाए कि उनका पड़ोसी यूक्रेन पश्चिमी यूरोप के अन्य देशों की तरह एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक देश के रूप में विकसित हो चुका है। वह किसी भी कीमत पर यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं होने देना चाहते थे। वह चाहते हैं कि यूक्रेन रूस के अंगूठे के नीचे रहे, और कीव में कठपुतली सरकार बने। युद्ध के मोर्चे पर हालिया घटनाओं को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि पुतिन इस विनाशकारी युद्ध को तब तक जारी रखेंगे, जब तक कि यूक्रेन की सरकार उनकी मांगों को मान नहीं लेती।
पुतिन ने जिस तरह से यूक्रेन की बर्बादी की स्क्रिप्ट लिखी, जिस तरह से अमेरिका और यूरोप के देशों की चेतावनी को नजरअंदाज किया, उसका असर ये हुआ है कि जंग शुरु होने के 9 दिन के अंदर ही पूरी दुनिया रूस के खिलाफ खड़ी हो गई है। बड़े राष्ट्रों के अधिकांश नेता अब व्लादिमीर पुतिन के कट्टर विरोधी बन गए हैं, और रूस अलग-थलग दिखाई देता है। अब संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद में रूस की गिनती उत्तर कोरिया और सीरिया जैसे 'विफल राज्यों' की श्रेणी में हो रही है।
पुतिन को उम्मीद थी कि संयुक्त राष्ट्र में चीन उनका समर्थन करेगा, लेकिन चीन ने रूस का समर्थन करने की बजाय मतदान से दूर रहने का विकल्प चुना। रूसी आक्रमण का एक और असर यह हुआ है कि आपस में बंटे हुए सभी यूरोपीय देश अब रूस को जंग जारी रखने से रोकने के लिए एकजुट हो गए हैं। ये सारी बातें आने वाले दिनों में राष्ट्रपति पुतिन के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 03 मार्च, 2022 का पूरा एपिसोड