प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि हरियाणा के चुनाव नतीजे देश के मूड को दर्शाते हैं। मोदी ने कहा कि कांग्रेस का एजेंडा नफरत और ज़हर फैलाना है, वोटों के चक्कर में कांग्रेस हिन्दुओं को बांटना चाहती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस सनातन से नफरत करती है क्योंकि इसमें उसको वोटों का फायदा होता दिखाई देता है।
नरेंद्र मोदी ने याद दिलाया कि गांधी जी ने आजादी के बाद कहा था कांग्रेस को अब खत्म हो जाना चाहिए। कांग्रेस तो खत्म नहीं हुई लेकिन अब देश को खत्म करने की साजिश में जुटी है। मोदी का हमला कल से और ज्यादा करारा था। मोदी ने कहा कि हरियाणा के लोगों ने कांग्रेस को आइना दिखा दिया। उन्होने कहा कि कांग्रेस का चुनावी फॉर्मूला है, मुसलमानों को डराओ और हिन्दुओं को बांटों।
मोदी ने कहा कि कांग्रेस मुस्लिम जातियों की बात नहीं करती क्योंकि इससे उसके वोटबैंक के बिखरने का खतरा होता है लेकिन हिन्दुओं को जातियों में बांटती है क्योंकि हिन्दुओं की एकजुटता से कांग्रेस को डर लगता है। मोदी ने कहा कि कांग्रेस समाज में ज़हर घोलने वाली जातिवादी और सांप्रदायिक पार्टी बन गई है और ये बात अब देश समझ रहा है।
मोदी के तेवर, मोदी की आवाज़ और मोदी के अंदाज़ में एक बार फिर पुरानी खनक दिखाई दी। ऐसा लगा जैसे मोदी का आत्मविश्वास अब high पर है। मोदी ने आज हर उस सवाल का जवाब दिया जो लोकसभा चुनाव में कम सीटें आने के बाद उठाए गए थे। मोदी ने जता दिया कि न तो मोदी की लोकप्रियता कम हुई है, न देश का मूड बदला है और न ही कांग्रेस बीजेपी को जीतने से रोक पाई है।
मोदी के आज के भाषण का दूसरा हिस्सा लोगों को ये बताने के लिए था कि कांग्रेस मुसलमानों के वोट पाने के लिए हिंदुओं को आपस में बांटती है। ये लोकसभा चुनाव में हिंदू वोटों के जातियों में बंटने के संदर्भ में था लेकिन आज लगा कि अब मोदी आश्वस्त हैं, कि काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती। हरियाणा में बीजेपी को सब वर्गों के वोट मिले और इससे बीजेपी में एक नया विश्वास जागृत हुआ है और एंटी-मोदी मोर्चे का आत्मविश्वास हिल गया है।
इसका असर महाराष्ट्र, झारखंड, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में देखने को मिल रहा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस लोकसभा चुनाव नतीजों के आधार पर ज्यादा सीटों पर दावा ठोंक रही थी, लेकिन हरियाणा के चुनाव नतीजों ने बाजी पलट दी। कांग्रेस की bargaining power खत्म हो गई। अब उद्धव ठाकरे इस बात का दबाव बना रहे हैं कि उन्हें महाविकास अघाड़ी की तरफ से मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित किया जाए, चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ा जाए।
यूपी में अखिलेश यादव ने 10 विधानसभा उपचुनावों में 6 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों का एकतरफा ऐलान कर दिया। अखिलेश यादव को ये बात तो लोकसभा चुनाव के वक्त ही समझ आ गई थी कि उत्तर प्रदेश में अलायन्स का फायदा समाजवादी पार्टी को कम कांग्रेस को ज्यादा हुआ है।मध्य प्रदेश और हरियाणा में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को एक भी सीट नहीं दी। अखिलेश यादव कांग्रेस को जवाब तो देना चाहते थे, वो सही मौके के इंतजार में थे।हरियाणा के चुनाव नतीजों ने मौका दे दिया और अखिलेश ने उसे लपक लिया।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने ऐलान कर दिया कि विधानसभा चुनाव में कोई गठबंधन नहीं होगा। वैसे हकीकत ये है कि अरविन्द केजरीवाल हरियाणा में कांग्रेस की मदद से पैर जमाना चाहते थे लेकिन कांग्रेस को लग रहा था कि हवा उसके पक्ष में हैं, इसलिए कांग्रेस ने आखिरी वक्त तक केजरीवाल को लटकाए रखा और ऐन मौके पर अलायन्स से इंकार कर दिया। नाराज़ केजरीवाल ने सभी नब्बे सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए। केजरीवाल का तो खाता भी नहीं खुला, लेकिन कांग्रेस का सत्ता में लौटने का सपना टूट गया। (रजत शर्मा)
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