एनसीईआरटी (NCERT) सिलेबस से मुगल इतिहास से जुड़े चैप्टर को हटाने को लेकर शिक्षा जगत में एक अनावश्यक विवाद खड़ा हो गया है। ये दावा किया गया है कि अब हमारे देश के बच्चों को मुगल काल का इतिहास नहीं पढ़ाया जाएगा। कई शिक्षाविदों का आरोप है कि इतिहास में सिलेबस में इस तरह के कई चुने हुए, लेकिन व्यापक बदलाव किए गए हैं। वहीं एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी का कहना है कि कोरोना काल में बच्चों पर पढ़ाई का बोझ कम करने के लिए कोर्स में कुछ बदलाव किए गए थे। यह कोई बड़ी बात नहीं है। ग्यारहवीं कक्षा के सिलेबस से सेंट्रल इस्लामिक लैंड्स, संस्कृतियों का टकराव और औद्योगिक क्रांति जैसे चैप्टर को हटा दिया गया, बारहवीं कक्षा की नागरिक शास्त्र की किताब से 'लोकप्रिय आंदोलनों का उदय' और 'एक दलीय प्रभुत्व का युग' जैसे चैप्टर्स को हटा दिया गया। 10वीं क्लास की 'डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स' किताब से 'डेमोक्रेसी एंड डायवर्सिटी', 'लोकप्रिय संघर्ष और आंदोलन', 'लोकतंत्र की चुनौतियां' जैसे चैप्टर हटा दिए गए हैं। एनसीईआरटी निदेशक ने इस पूरी बहस को गैर-जरूरी करार दिया। लेकिन एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस पर चुटकी ली। उन्होंने तंज कसते हुए कहा-क्या अब मोदी बच्चों को ये पढवाएंगे कि लाल किला उन्होंने बनवाया? ताज महल नाथूराम गोडसे ने बनवाया? चूंकि यूपी सरकार ने भी एनसीईआरटी पाठ्यक्रम का पालन करने का फैसला किया है इसलिए समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी सवाल उठाया। उन्होंने सूयकांत त्रिपाठी निराला और फैज अहमद फैज की कविताओं को हिंदी पाठ्यपुस्तकों से हटाने पर विरोध जताया।
सारी बातों पर नजर डालने के बाद ये लगता है कि सिलेबस बदला तो गया है, कुछ चैप्टर हटाए गए हैं, पर ये कहना कि मुगल काल वाला चैप्टर दूसरी कक्षाओं में भी पढाए जा चुके थे, गले नहीं उतरता। मैं मानता हूं कि फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी, ज्योग्राफी और कॉमर्स जैसे विषयों में भी बदलाव किए गए, लेकिन इतिहास एक अलग विषय है। वैसे ये तो सभी कहते है कि हमारी शिक्षा व्यवस्था धीरे-धीरे चौपट हो रही है। लेकिन इसे सुधारा कैसे जाए ? इसके बारे में किसी ने कुछ नहीं किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहली बार इस पर संजीदगी से काम किया। पूरी शिक्षा नीति बदल दी और जब शिक्षा नीति बदलती है तो कुछ पुरानी चीज़ें हटती हैं और कुछ नई चीजें जुड़ती हैं। सिलेबस में जो बदलाव हुए हैं वो अस्थायी हैं। इन्हें फिर से बदला जा सकता है। इसमें हिंदू-मुसलमान, कांग्रेस-बीजेपी की तकरार ढूंढना ठीक नहीं लगता। हमारे देश में आजकल जिस तरह का माहौल है उसे देखते हुए कॉमेंट करने वालों को भी ज्यादा दोष नहीं दिया जा सकता। हर वक्त कोई ना कोई चुनाव सामने होता है इसलिए राजनीति करने वालों को लगता है कि हर बदलाव चुनाव से जुड़ा है।
योगी ने किया शिक्षक भर्ती आयोगों का विलय
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदितयनाथ ने मंगलवार को यूपी शिक्षा सेवा चयन आयोग की स्थापना के लिए दिशानिर्देश दिए। यानी अब यूपी में जितने स्कूल, कॉलेज, टेक्निकल एजुकेशन सेंटर्स, संस्कृत स्कूल या मदरसे हैं, उन सबमें शिक्षकों की भर्ती एक ही आयोग करेगा। यूपी शिक्षक पात्रता परीक्षा (UPTET) के जरिए प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च और तकनीकी कॉलेजों में सभी शिक्षकों की नियुक्ति होगी। अब तक यूपी में प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए अलग-अलग आयोग थे। योगी ने कहा है कि मदरसों और अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की भर्ती भी नए आयोग के जरिए की जाएगी। योगी का फैसला अच्छा है।अब तक अलग-अलग आयोग होते थे। उनका मेंबर बनने के लिए जोड़-तोड़ होती थी। भ्रष्टाचार होता था। अलग-अलग सरकारी दफ्तर, गाड़ियां,कर्मचारी और दूसरे इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च होता था, वो सब बचेगा। भ्रष्टाचार की गुंजाइश कम होगी। पारदर्शिता बढ़ेगी, जबावदेही तय होगी। इसलिए यह फैसला तो लोगों को हित में है।
जहां तक मदरसा शिक्षकों की भर्ती आयोग के जरिए कराने की बात है तो संस्कृत विद्यालयों में भी शिक्षकों की भर्ती आयोग ही करेगा। बाकी लोगों को तो कोई आपत्ति नहीं है पर मदरसा चलाने वाले सवाल उठा रहे हैं। पर ये समझना चाहिए कि अब तक हम देखते थे कि मुगलसराय के मदरसे में कर्नाटक का मौलाना पढ़ा रहा है। कानपुर के मदरसे में बंगाल का मौलाना पढ़ा रहा है। उसका क्या बैकग्राउंड है ? उसके पास क्या डिग्री है वो कहां तक पढ़ा लिखा है? उसे उर्दू के सिवाय कुछ आता भी है या नहीं? वो कंप्यूटर, इंग्लिश, गणित, साइंस जानता भी है या नहीं, ये देखने वाला कोई नहीं था। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। बाकायदा टेस्ट (TET) होगा। उसके बाद अगर पढ़े लिखे लोग मदरसे में पढ़ाएंगे तो इससे मुस्लिम बच्चों का भविष्य सुधरेगा। मुझे लगता है कि ये मोदी के उस वादे को पूरा करने की तरफ उठाया गया एक कदम है जिसमें मोदी ने कहा था कि वो चाहते हैं मुस्लिम बच्चों के एक हाथ में कंप्यूटर हो और दूसरे में पवित्र कुरान। (रजत शर्मा)
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