उदयपुर में ग्राहक बनकर आए दो 'जिहादी' हत्यारों ने एक दर्जी का सिर कलम कर दिया। अब इस क्रूर और पाशविक घटना के सूत्र सीमापार से जुड़ गए हैं। राजस्थान पुलिस के महानिदेशक एमएल लाठेर ने बुधवार को कहा कि हत्यारों में से एक, गौस मोहम्मद 45 दिन तक पाकिस्तान में रह चुका था । उन्होंने कहा कि वह 2013 में 30 अन्य भारतीयों के साथ कराची गया था। वह 2013 और 2019 में सऊदी अरब और 2017-2018 में नेपाल भी जा चुका था।
NIA और पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इन यात्राओं के दौरान उसकी मुलाकात किन लोगों से हुई थी। पूछताछ के दौरान गौस मोहम्मद ने पुलिस को बताया कि दावत-ए-इस्लाम पाकिस्तान के कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन तहरीक-ए-लब्बैक से जुड़ा है। उसने बताया कि वह सलमान भाई और अबू इब्राहिम के लगातार संपर्क में था। ये दोनों कराची में दावत-ए-इस्लाम के हैंडलर्स हैं।
डीजीपी ने कहा, गौस मोहम्मद उदयपुर के रहने वाले रियासत हुसैन और अब्दुल रजाक के जरिए दावत-ए-इस्लाम में शामिल हुआ था। उन्होंने कहा, गौस मोहम्मद ने अपने 45 दिनों के प्रवास के दौरान कराची में आतंकी ट्रेनिंग ली थी। राजस्थान पुलिस ने तीन संदिग्धों को हिरासत में लिया है और केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने जांच अपने हाथ में ले ली है। दोनों हत्यारों, गौस मोहम्मद और मोहम्मद रियाज अख्तरी को पुलिस ने हत्या के कुछ ही घंटों के अन्दर उदयपुर से 61 किलोमीटर दूर राजसमंद से गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस ने कहा कि वे अजमेर शरीफ में जियारत के लिए जा रहे थे।
डीजीपी ने स्वीकार किया कि कन्हैयालाल के परिवार ने पुलिस से यह शिकायत की थी कि नूपुर शर्मा का समर्थन करने पर उसे 'जिहादियों' की तरफ से जान से मारने की धमकी मिल रही थी, लेकिन पुलिस ने उसकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया। इस सिलसिले में एक असिस्टैंट सब-इंस्पेक्टर को सस्पेंड कर दिया गया है।
यह जघन्य हत्याकांड मंगलवार को उस समय हुआ जब दोनों हत्यारे कन्हैयालाल की टेलरिंग शॉप में घुसे और उनसे कपड़े सिलने के लिए नाप लेने को कहा। जैसे ही कन्हैयालाल ने नाप लेना शुरू किया, हत्यारों में से एक ने चाकू से हमला कर दिया, जबकि दूसरे ने इस खौफनाक वारदात का वीडियो बनाया। कन्हैयालाल के शरीर पर 26 जगहों पर ज़ख्म के निशान थे, जिनमें से ज्यादातर उनके गले में थे। इसके बाद दोनों हत्यारों ने इस वीभत्स वीडियो को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया जिसमें दोनों खून से सने छुरे पकड़े हुए मुस्कुरा रहे थे।
कन्हैयालाल ने बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा का समर्थन किया था, जिन्होंने पैगंबर मोहम्मद के बारे में आपत्तिजनक बयान दिया था। इस वीभत्स घटना ने पूरी दुनिया के सामने भारत का सिर शर्म से झुका दिया। यह कहीं से भी इंसानियत की हत्या से कम नहीं है।
वीडियो में इन दरिंदों ने यहां तक कहा कि उनका छुरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गर्दन तक भी पहुंचेगा। यह पूरे देश और इसकी कानून व्यवस्था को चुनौती है। यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति की हत्या का मामला नहीं है, बल्कि कानून की धज्जियां उड़ाने की वारदात है। उन्होंने इस हत्या की प्लानिंग पहले ही कर ली थी और इस पूरी घटना का वीडियो बनाने का फैसला किया था। वीडियो में, हत्यारों में से एक, मोहम्मद रियाज अख्तरी यह कहते हुए दिखाई दे रहा है कि ‘हमने पैगंबर की बेअदबी के लिए इसका सिर कलम किया है। यह चाकू एक दिन नरेंद्र मोदी की गर्दन तक भी पहुंचेगा।’
इन दरिंदों का वीडियो देखने के बाद मेरे मन में यही ख्याल आया कि कोई मजहब के नाम पर, खुदा के नाम पर, नबी के नाम पर इंसानियत का कत्ल कैसे कर सकता है? ऐसे लोगों को समाज में जिंदा रहने का हक ही नहीं है।
हत्या का वीडियो सामने आने के बाद राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के बयान पर मुझे हैरानी और थोड़ी निराशा हुई। गहलोत ने पहले तो इस नृशंस हत्या की निंदा की और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की, लेकिन उसी सांस में उन्होंने इसे सियासी रंग भी दे दिया। गहलोत ने कहा, ‘देश में माहौल पहले से ही खराब है, प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को आगे आना चाहिए और लोगों से सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने की अपील करनी चाहिए।’
सीएम गहलोत ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की और उनसे अनुरोध किया कि वे इस जघन्य हत्याकांड का वीडियो साझा न करें।
उदयपुर में मंगलवार को मौके पर जमा हुए लोगों ने विरोध प्रदर्शन और नारेबाजी की। राज्य प्रशासन ने अफवाहों को रोकने के लिए पूरे राजस्थान में 24 घंटे के लिए मोबाइल इंटरनेट सर्विस को सस्पेंड कर दिया और हिंसा पर काबू पाने के लिए उदयपुर के 7 थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा दिया। धान मंडी, घंटा घर, अंबामाता, सूरजपोल, भोपालपुरा, हाथीपोल और सवीना इलाकों में कर्फ्यू लगा हुआ है। पूरे राजस्थान में धारा 144 लागू कर दी गई है।
जो राक्षस किसी की गर्दन काटने के बाद हंस सकते हैं, निहत्थे बेकसूर इंसान पर चुपके से वार करके अपनी बहादुरी दिखा सकते हैं, वे न तो सच्चे मुसलमान हो सकते हैं और न ही नबी को मानने वाले। इन दरिंदों का कोई दीन-ईमान नहीं है। ये सिर्फ इस्लाम को बदनाम करना चाहते हैं और देश की गंगा-जमुनी तहजीब पर दाग लगाना चाहते हैं। जब कन्हैयालाल को चाकू मारा जा रहा था, तो वह चीखता रहा, चिल्लाता रहा, लेकिन इन दोनों जल्लादों को जरा भी रहम नहीं आया। गौस मोहम्मद घटना का वीडियो बना रहा था जबकि मोहम्मद रियाज कन्हैयालाल को चाकू मार रहा था। घटना को अंजाम देने के बाद दोनों जल्लाद वहां से भाग गए। फिर इन दोनों ने खून से सने चाकुओं के साथ वीडियो बनाया, और बड़ी शान से ऐलान किया कि उन्होंने एक शख्स की हत्या कर दी है।
यह एक निर्मम हत्या है। इसे सोच-समझकर प्लानिंग के साथ, बकायदा शूट करके, खौफ कायम करने के इरादे से और दंगा भड़काने की नीयत से अंजाम दिया गया है। मोहम्मद रियाज ने 11 दिन पहले ही यानी 17 जून को तय कर लिया था कि मौका मिलते ही वह कन्हैयालाल की हत्या कर देगा। उसने उसी वक्त एक वीडियो बनाया, लेकिन पोस्ट नहीं किया क्योंकि उसे पता था कि यदि वह वीडियो जारी कर देगा तो उसका प्लान फेल हो सकता है। वीडियो में रियाज साफ-साफ कह रहा है, ‘यह वीडियो मैं जुमे के दिन 17 तारीख को बना रहा हूं। जिस दिन मैं पैगंबर साहब की शान में गुस्ताखी करने वाले का सिर कलम करूंगा, उस दिन यह वीडियो वायरल होगी। गुस्ताख-ए-नबी की एक ही सजा, सिर तन से जुदा।’
इस मामले में उदयपुर पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। कन्हैयालाल को लगातार फोन पर जान से मारने की धमकी मिल रही थी। वह इतना डर गए थे कि उन्होंने अपनी सिलाई की दुकान 6 दिन तक बंद रखी। उन्होंने आसपास के दुकानदारों को हत्या की धमकी के बारे में बताया, पड़ोसियों से कहा, और पुलिस के पास भी गए। उन्होंने पुलिस को वह फोन नंबर भी दिया जिससे धमकी मिल रही थी, लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया। कन्हैयालाला एक लोवर मिडिल क्लास फैमिली से आते थे, दर्जी थे, आखिर कितने दिन तक दुकान बंद रखते। परिवार पालने के लिए दुकान खोलना जरूरी था, और कातिल दुकान खुलने का इंतजार कर रहे थे। जैसे ही दुकान खुली, कातिलों ने कन्हैयालाल की जिंदगी खत्म कर दी। स्थानीय लोग और दुकानदार हत्या के तुरंत बाद विरोध प्रदर्शन करने लगे। उनका कहना था कि जब पुलिस को पता था कि कन्हैयालाल को धमकी दी जा रही है, धमकी देने वालों के फोन नंबर मालूम थे, तो ऐक्शन क्यों नहीं लिया।
दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही ईमाम, AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी और सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने इस जघन्य हत्याकांड की निंदा की है और 'जिहादी' हत्यारों के लिए कड़ी सजा की मांग की है। यह अच्छी बात है कि मुस्लिम स्कॉलर्स ने भी इस नृशंस हत्या की निंदा की है और इसे इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ बताया है।
मैं जानता हूं कि हिंदू समुदाय के लोग इस जघन्य हत्याकांड को लेकर आक्रोशित होंगे, लेकिन मेरी सबसे हाथ जोड़कर अपील है कि शांति बनाए रखें। इस गुनाह को 2 सिरफिरों ने अंजाम दिया है। इसे न तो किसी मजहब से जोड़कर देखें, न किसी एक समुदाय के सारे लोगों को इसका दोष दें। मुझे यह देखकर दुख हुआ कि अशोक गहलोत ने इस दर्दनाक घटना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम घसीटने की कोशिश की। कन्हैयालाल की जान बचाने की गुहार की अनदेखी करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 28 जून, 2022 का पूरा एपिसोड