Friday, November 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. Rajat Sharma’s Blog | समान नागरिक संहिता : सबको समान अधिकार

Rajat Sharma’s Blog | समान नागरिक संहिता : सबको समान अधिकार

कुछ मौलानाओं का मानना है कि अगर समान नागरिक संहिता सभी धर्मों के लोगों से बात करके, सबकी सहमति से लागू की जाती है, तो इसमें कोई हर्ज नहीं, लेकिन इसे जबरन नहीं थोपा जाना चाहिए।

Written By: Rajat Sharma
Published on: June 30, 2023 16:59 IST
Rajat Sharma Blog, Rajat Sharma Blog on Narendra Modi, Rajat Sharma- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

यूनिफॉर्म सिविल कोड के मसले पर विचार करने के लिए  कानून मंत्रालय से जुड़ी संसदीय स्थायी समिति की बैठक सोमवार 3 जुलाई को होगी और इसमें कानून मंत्रालय और विधि आयोग के आधिकारियों को बुलाया गया है। इस बीच समान नागरिक संहिता को लेकर देश भर में बहस का दौर जारी है। गुरुवार को ईद की नमाज़ के बाद मौलानाओं ने अपनी तकरीरों में इस पर अपनी अपनी राय रखी। ज्यादातर मुसलमान समान नागरिक संहिता के पक्ष में नहीं है। उनका कहना है कि समान संहिता आने से इस्लाम में लागू शरीयत के नियम कायदे प्रभावित होंगे। कोई कह रहा है कि इसे सिर्फ मुसलमानों को परेशान करने की नीयत से लाया जा रहा है। किसी ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड का सिर्फ शिगूफा छोड़ा गया है, ये सिर्फ सियासी जुमला है, होगा कुछ नहीं। हालांकि कुछ मौलानाओं का मानना है कि अगर समान नागरिक संहिता सभी धर्मों के लोगों से बात करके, सबकी सहमति से लागू की जाती है, तो इसमें कोई हर्ज नहीं, लेकिन इसे जबरन नहीं थोपा जाना चाहिए। विरोधी दलों के नेताओं ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर जोरदार हमला बोला। फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि कहीं ऐसा न हो कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने से देश में कोई तूफान आ जाए। शरद पवार ने कहा कि मोदी की नीयत में खोट है और उन्होंने विरोधी दलों की एकता से घबरा कर ये मुद्दा उछाला है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने कहा कि यह वोटों का ध्रुवीकरण करने की बीजेपी की चाल है, लोगों को इसमें नहीं फंसना चाहिए। कुल मिलाकर अब इस मुद्दे पर आम लोग भी अपनी राय जाहिर कर रहे हैं और राजनीतिक दल भी सक्रिय हो गए हैं। अब सवाल ये है कि क्या ये मसला सिर्फ सियासी है, या वाकई में सरकार संसद के मॉनसून सत्र में सिविल कोड पर बिल पास  कर सकती है? यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर जो तस्वीरें पेश की जा रही है,  उनमें से एक है कि ये कानून मुसलमानों को निशाना बनाने  के लिए लाया जा रहा है। दूसरी तस्वीर ये है कि अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो गया तो धार्मिक आजादी खत्म हो जाएगी, शादी ब्याह के तौर तरीके बदल जाएंगे, रीति रिवाज़ छोड़ने पड़ेंगे। ये कहकर लोगों को गुमराह किया जा रहा है कि मुसलमानों और ईसाइयों को मरने के बाद दफनाने नहीं दिया जाएगा, सबको हिंदू रिवाजों के मुताबिक शवों को जलाना होगा। लेकिन असलियत में यूनिफॉर्म सिविल कोड का ऐसे रीति-रिवाजों और परंपराओं से कोई सरोकार नहीं है। यूनिफॉर्म सिविल कोड तो कुछ सामाजिक नियमों में बदलाव है। ये कानून सबको बराबरी का हक देगा। जैसे अभी अलग-अलग धर्मों में लड़की की शादी की उम्र अलग-अलग है, वो सबके लिए एक होगी, कई शादियां करने पर रोक लगेगी, हलाला जैसी प्रथाएं खत्म होंगी। अभी सबके लिए शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं हैं, यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने के बाद शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा। अभी सभी धर्मों में पिता की जायदाद में लड़कियों को मिलने वाले हिस्से के नियम अलग-अलग हैं। यूनिफॉर्म सिविल कोड में लड़कियों को उत्तराधिकार में मिलने वाली संपत्ति का नियम सबके लिए बराबर होगा। इसी तरह अभी बच्चा गोद लेने के नियम भी अलग-अलग हैं। कई जगह महिलाओं को बच्चा गोद लेने का हक नहीं है। यूनिफॉर्म सिविल कोड में ये हक महिलाओं को भी मिलेगा और सबको बराबर मिलेगा। पति की मौत के बाद अभी पत्नी को मुआवजा मिलता है लेकिन अगर बाद में वो महिला शादी कर लेती है तो मुआवजे को लेकर अलग-अलग नियम हैं, इसको लेकर भी एकरूपता लायी जाएगी। हालांकि कुछ सवाल हैं जिनके जवाब अभी नहीं हैं - जैसे गोवा में जो यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है, वहां हिदुओं में भी पहली पत्नी से बेटा न हो तो उन्हें दूसरी शादी करने का अधिकार है। क्या ऐसे नियमों को भी बदला जाएगा? इसी तरह आदिवासी समाज में कई जगह विवाह को लेकर कुछ परंपराएं सदियों से चली आ रहीं हैं, उनका क्या होगा? इसलिए अभी लॉ कमीशन बड़े पैमाने पर लोगों की राय ले रहा है। अब तक 9 लाख से ज्यादा लोगों की राय लॉ कमीशन को मिल चुकी है। 13 जुलाई के बाद लॉ कमीशन का ड्राफ्ट सामने आएगा तब और स्थिति साफ होगी लेकिन अभी तक जो जानकारी मिली है, जो मैंने आपके साथ शेयर की है, उसमें तो ऐसा कुछ नहीं है जिसको लेकर ये कहा जाए कि यूनिफॉर्म सिविल कोड मुसलमानों को निशाना के लिए लाया जा रहा है या इससे किसी के रीति-रिवाजों पर कोई असर पड़ेगा। इसीलिए मैंने कहा कि ये सरकार की जिम्मेदारी है कि वो लोगों के मन में बैठाई गई शंकाओं को दूर करे। उसके बाद ही यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार किया जाए।

राहुल गांधी की मणिपुर यात्रा

कांग्रेस नेता राहुल गांधी दो दिनों से मणिपुर के दौरे पर हैं। शुक्रवार को राहुल ने मोइरंग के एक राहत शिविर में जाकर हिंसा से प्रभावित बेघर लोगों से मुलाकात की। गुरुवार को ड्रामा हुआ, जब पुलिस ने राहुल को चूड़ाचांदपुर जाते समय रास्ते में रोक लिया और वापस इम्फाल भेज दिया। राहुल बाद में हेलीकॉप्टर से चूड़ाचांदपुर गए और राहत शिविरों में बेघर लोगों से मुलाकात की। राहुल ने एक ट्वीट के ज़रिये कहा कि वह 'पुर में  भाई-बहनों को सुनने के लिए आये हैं। सभी समुदायों के लोगों से उन्हें प्यार मिला। णिपुर के घावों पर मरहम लगाने की जरूरत है। हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए कि राज्य में शांति स्थापित हो।' मणिपुर में गुरुवार को सुबह हथियारबंद लोगों ने इम्फाल वेस्ट के पास एक गांव पर हमला कर दो लोगों की हत्या कर दी। असम राइफल्स ने जवाबी कार्रवाई की। शाम को एक बड़ी भीड़ ने इम्फाल में बीजेपी के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और पुलिस को आंसूगैस छोड़नी पड़ीं। राहुल गांधी मणिपुर गए, अच्छा किया। वहां के लोगों से मिले, ये भी अच्छा किया। लेकिन कांग्रेस का ये कहना उचित नहीं है कि मोदी मणिपुर इसलिए नहीं गए कि वो नहीं चाहते कि मणिपुर के हालात के बारे में लोगों को पता चले।  आज के ज़माने में जहां मीडिया के कैमरे हर जगह मौजूद रहते हैं, हालात को कोई कैसे छिपा सकता है? पूरे देश ने टीवी पर देखा है कि मणिपुर में कैसे हिंसा भड़की, कैसे टकराव हुआ। दूसरी बात ये कि गृह मंत्री अमित शाह कई बार मणिपुर गए। कई दिन वहां रुके। अगर मोदी वहां जाते तो यही लोग कहते कि वो पब्लिसिटी लेने हर जगह पहुंच जाते हैं। यही लोग कहते कि उन्हें गृह मंत्री  को भेजना चाहिए था, लेकिन विरोधी दलों में ये होता ही है, 'चित भी मेरी पट भी मेरी'। इसका किसी को बुरा भी नहीं मानना चाहिए।

नीतीश पर अमित शाह का तंज़
गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को बिहार के लखीसराय में एक रैली को संबोधित करते समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बार-बार पलटू राम कहा। 23 जून को पटना में विरोधी दलों की मीटिंग के बाद अमित शाह पहली बार बिहार गये थे। अमित शाह ने कहा कि नीतीश कुमार बार-बार घर बदलते हैं, इसलिए उन पर किसी को भरोसा नहीं करना चाहिए। अमित शाह ने कहा कि नीतीश कुमार तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने का सपना दिखाकर लालू यादव को मूर्ख बना रहे हैं। अमित शाह ने राहुल गांधी पर भी हमला किया, कहा कि विपक्षी एकता के बहाने कांग्रेस एक बार फिर राहुल गांधी को लॉन्च करना चाहती है, लेकिन सबको पता है ये लॉन्चिंग भी फेल होगी। राजनीति में बाजी कैसे पलटती है, ये लखीसराय में देखने को मिला। पहले तेजस्वी यादव नीतीश कुमार को पलटू चाचा कहते थे। आज अमित शाह ने नीतीश कुमार को पलटूराम कहा। अमित शाह की ये बात सही है कि नीतीश कुमार इधर उधर से जोड़ तोड़ कर, दायें बाएं पलटी मारकर 18 साल से मुख्यमंत्री बने हुए हैं, लेकिन लगता है कि अब उनका नंबर लगने वाला है। इस बात की चर्चा है कि लालू यादव अब तेजस्वी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर देखने के लिए उतावले हैं। विरोधी दलों की एकता के लिए उन्होंने इसीलिए नीतीश का चेहरा आगे किया। लालू की कोशिश है कि विरोधी दलों का मोर्चा जल्दी बने। नीतीश उसके संयोजक बनें, मुख्यमंत्री की कुर्सी खाली करें और तेजस्वी का रास्ता भी साफ हो जाए। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 29 जून, 2023 का पूरा एपिसोड

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement