उत्तर प्रदेश की सियासत में ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के दो हफ्ते पहले दिए गए बयान की काफी चर्चा है। उनका बयान पुराना है लेकिन विवाद नया है। सोशल मीडिया पर ओवैसी के भाषण का एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें ओवैसी उत्तर प्रदेश में मुसलमानों पर पुलिस की ज़्यादती का इल्ज़ाम लगा रहे हैं। उन्होंने राज्य पुलिस को 'मुसलमानों के खिलाफ अत्याचार' में शामिल नहीं होने की चेतावनी दी है।
ओवैसी ने कहा- 'मैं पुलिस के लोगों से कहना चाहता हूं कि याद रखो मेरी बात, हमेशा योगी मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे, मोदी प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे। हालात बदलेंगे, फिर कौन बचाने आएगा तुम्हे? जब योगी अपने मठ (गोरखपुर) चले जाएंगे और मोदी पहाड़ों पर चले जाएंगे, फिर कौन बचाने आएगा। आज हम मुसलमान दबाव में खामोश जरूर हैं लेकिन तुम्हारे जुल्म को भूलनेवाले नहीं हैं। हम तुम्हारे जुल्म को याद रखेंगे। अल्लाह अपनी शक्ति से तुम्हें नष्ट कर देगा।'
ओवैसी के भाषण के वीडियो को बीजेपी के कई नेताओं ने भी ट्वीटर पर शेयर किया और यह वीडियो वायरल होने लगा। इसके बाद बीजेपी के तमाम नेताओं के बयान भी आए। बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि ओवैसी, हिंदुओं को धमकी दे रहे हैं, मुसलमानों को भड़का रहे हैं। चुनावी फायदे के लिए इस तरह के जहरीले बयानों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। चुनाव आयोग और यूपी सरकार को ओवैसी के खिलाफ एक्शन लेना चाहिए। बीजेपी के नेता और यूपी सरकार में मंत्री मोहसिन रज़ा ने कहा कि ओवैसी, भारत को अफ़ग़ानिस्तान न समझें, यहां तालिबान का राज नहीं है। उन्हें इस तरह की नफरत फैलानेवाली भाषा से बचना चाहिए। विश्व हिंदू परिषद् के नेता विनोद बंसल ने पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना से ओवैसी की तुलना कर दी।
ओवैसी के बयान पर जब विवाद बढ़ा तो फिर उन्होंने एक के बाद एक दस ट्वीट करके सफ़ाई दी। उन्होंने कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है। ओवैसी ने, कानपुर के अपने भाषण की दो क्लिप भी शेयर की और लिखा कि, उनकी ओरिजिनल स्पीच के एक हिस्से को काट-छांटकर वायरल किया जा रहा है।उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है और उन्हें हिंदू विरोधी बताया जा रहा है। उन्होंने तो अपने भाषण में बस उन मुसलमानों का ज़िक्र किया था जो यूपी में पुलिस के ज़ुल्म के शिकार हुए। ओवैसी ने ट्वीट किया-#HaridwarGenocidalMeet से ध्यान भटकाने के लिए कानपुर में दिए मेरे 45 मिनट के भाषण से एक मिनट का क्लिप प्रसारित किया जा रहा है। मैंने हिंसा के लिए न तो किसी को उकसाया और न ही धमकी दी। मैंने कानपुर के उन पुलिसवालों का जिक्र किया जो यह सोचते हैं कि पीएम मोदी और योगी के चलते उन्हें लोगों की स्वतंत्रता का उल्लंघन करने की छूट है। मैंने कहा कि हमारी चुप्पी को सहमति न समझा जाए। यह मेरा पक्का भरोसा है कि अल्लाह अन्याय की इजाजत नहीं देता है। वह जुल्म करनेवालों को सजा देता है। मैंने कहा-हम पुलिस के इन अत्याचारों को याद रखेंगे। क्या यह आपत्तिजनक है? यह याद दिलाना आपत्तिजनक क्यों है कि यूपी में पुलिस ने मुसलमानों के साथ कैसा व्यवहार किया?
'हम अनस, सुलेमान, आसिफ, फैसल, अल्ताफ, अखलाक, कासिम और सैकड़ों अन्य लोगों पर हुए अत्याचार को भूल नहीं सकते। मैंने अपने भाषण में लोगों से उम्मीद न खोने के लिए कहा और उन्हें आश्वासन दिया कि चीजें बदल जाएंगी। लोगों को भरोसा दिलाना और आश्वस्त करना कोई अपराध नहीं है कि एक दिन चीजें बेहतर होंगी। मैंने पुलिस से पूछा-मोदी और योगी के रिटायर होने के बाद उन्हें कौन बचाने आएगा? क्या उन्हें लगता है जीवन भर वे ऐसे ही बचे रहेंगे? मैं कानून के शासन में भरोसा करता हूं। हर अपराध में न्याय होगा और हर अपराधी को सजा मिलेगी।
असल में ओवैसी ने जो बात कही वो पूरी तरह से मुसलमानों को भड़काने वाली ही थी। उसे किसी तरह से तोड़-मरोड़ कर पेश नहीं किया गया। ओवैसी कह रहे हैं कि वो मुसलमानों पर होने वाले जुल्म की बात कर रहे थे। लेकिन उन्होंने जो जो उदाहरण दिए मैंने उनका पूरा डिटेल मंगवाया। ओवैसी कानपुर देहात के जिस मोहम्मद रफीक की बात कर रहे थे और कह रहे थे कि थाने में उसकी दाढ़ी नोंची गई, मुंह पर पेशाब किया गया था। हकीकत ये है कि यह मामला कानपुर देहात के रसूलाबाद थाने का है। इस इलाके में कंचौसी कस्बे में रफीक अली की बहू ने थानेदार पर इस तरहका इल्जाम लगाया था।
लेकिन हकीकत यह है कि रसूलाबाद थाने का दारोगा अधमरी हालात में पड़ा मिला था। जांच के बाद पता लगा कि रफीक अली और उसके साथ आए तीन चार लोगों ने थानेदार पर हमला किया था। थानेदार को पीटा और मरणासन्न हालत में फेंककर भाग गए थे। जब जांच के बाद पुलिस उनके घर पहुंची तो रफीक की बहू ने पुलिस पर आरोप लगाया। इसके तुरंत बाद परिवार फरार हो गया। इसी साल 21 अप्रैल को दारोगा पर हमले को लेकर थाने में एफआईआर दर्ज की गई। लेकिन ओवैसी कह रहे हैं कि अस्सी साल के बुजुर्ग के साथ ज्यादती हुई।
उन्होंने जो दूसरा उदाहरण दिया वो घटना सही है। कुछ लोगों ने एक मुस्लिम रिक्शे वाले पर हमला किया था। उसकी बच्ची रोती बिलखती दिख रही थी। वह खबर मैंने 'आज की बात में' दिखाई थी। उस केस में पुलिस वालों के खिलाफ एक्शन हुआ था इसलिए यह कहना ठीक नहीं है कि मुसलमानों पर जुल्म हो रहा है।
एक-दो पुलिसवालों की गलती के आधार पर यह कहना ठीक नहीं है कि पूरी यूपी पुलिस ही मुसलमानों की दुश्मन है। ओवैसी को इस तरह के बयानों से सियासी फायदा हो सकता है लेकिन इससे प्रदेश का और देश का बड़ा नुकसान होता है। इस तरह के भाषणों से पूरी दुनिया में देश की बदनामी होती है। देश को बदनाम करने वाली बातें सिर्फ ओवैसी नहीं करते, कुछ भगवाधारी छुटभैय्ये भी इसी तरह की हरकतें करते हैं।
17 से 19 दिसंबर तक हरिद्वार में एक धर्म संसद का आयोजन किया गया। इसमें तमाम साधु-संत जुटे थे। लेकिन इसमें जो भाषण हुए वो पूरी तरह हिन्दुओं को बदनाम करने वाले थे। ओवैसी ने भी अपने बचाव में इसी धर्म संसद में कही गई बातों का जिक्र किया। लेकिन मैं आपको बता दूं कि जिन साधुओं ने मुसलमानों के खिलाफ जहर उगला था, समाज को बांटने वाली और भड़काऊ बातें कही थीं, उनके खिलाफ एक्शन होगा। उत्तराखंड पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज दर्ज कर ली है।
भड़काऊ भाषा का इस्तेमाल हरिद्वार में कोई साधु या साध्वी करे या ओवैसी जैसे नेता करें, दोनों की निंदा की जानी चाहिए। नफरत फैलाने वाले, मुसलमानों के रहनुमा होने का दावा करें या हिंदुओं की ठेकेदारी का दावा करें, एक्शन दोनों के खिलाफ होना चाहिए। जो लोगों को आपस में लड़वाएं, खून बहाने की बात करें उनका सम्बंध किसी मजहब से कैसे हो सकता है। आजकल सोशल मीडिया की वजह से ऐसे लोगों की बातें तेजी से फैलती हैं। जो जितना ज्यादा जहर उगलता है उसकी उतनी ही ज्यादा चर्चा होती है। कई बार लोगों की भावनाएं भड़कती हैं और कई बार इस तरह की बयानबाजी की वजह से दंगे होते हैं। इसलिए इस तरह की नफरत फैलाने वाले के खिलाफ कार्रवाई में देर नहीं होनी चाहिए। लोगों को भड़काने वालों को तुरंत एक्सपोज भी करना चाहिए। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 24 दिसंबर, 2021 का पूरा एपिसोड