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Rajat Sharma’s Blog: रामचरितमानस पर अभद्र टिप्पणी करने वाले मंत्री को बर्खास्त कर देना चाहिए

शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने बयान दिया था कि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित प्रसिद्ध महाकाव्य रामचरितमानस 'समाज में नफरत फैलाता है' और निचली जातियों के खिलाफ भेदभाव का प्रचार करता है।

Written By: Rajat Sharma
Published : Jan 13, 2023 14:04 IST, Updated : Jan 14, 2023 6:21 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर द्वारा रामचरितमानस पर की गई एक टिप्पणी से विवाद खड़ा हो गया है। हिंदू साधु-संत सरकार से उनकी बर्खास्तगी की मांग कर रहे हैं।

शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने बयान दिया था कि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित प्रसिद्ध महाकाव्य रामचरितमानस 'समाज में नफरत फैलाता है' और निचली जातियों के खिलाफ भेदभाव का प्रचार करता है। RJD से ताल्लुक रखने वाले चंद्रशेखर ने माफी मांगने से इनकार कर दिया है।

नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने कहा, ‘आज से करीब 700 साल पहले 15-16वीं सदी में रामचरितमानस लिखा गया। तुलसीदास जी ने लिखा रामचरितमानस। उसके उत्तर कांड में लिखा है, पूजिए विप्र शील गुण हीना, पूजिए न शूद्र ज्ञान प्रवीणा।’ अगर यह विचारधारा चलेगी तो भारत को ताकतवर बनाने का सपना पूरा नहीं हो सकता। इसका मतलब है कि ज्ञान से प्रवीण बाबा भीमराव अंबेडकर भी पूजनीय नहीं हैं। ऐसी शिक्षा समाज में नफरत बोती है। उसी उत्तरकांड में लिखा हुआ है, ‘जे बरनाधम तेलि कुम्हारा, स्वपच किरात कोल कलवारा। बरन में अधम कौन-कौन लोग है? तेली, कुम्हार, कहार, कोल, कलवार, आदिवासी और दलित आदि जातियां। उसी में आगे लिखा है कि अधम जाति में विद्या पाए, भयहुं यथा अहि दूध पिलाए। यानी कि अधम जाति के लोग विद्या पाकर जहरीले हो जाते हैं, जैसे कि दूध पीने के बाद सांप हो जाता है। अगर ये शास्त्र हमारे सामने हों, जो नफरत को इस तरह से बोते हों, तो मैं समझता हूं कि नफरत का वातावरण बनाकर भारत को ताकतवर कोई नहीं बना सकता है।’

बीजेपी नेता अश्विनी चौबे ने बिहार के शिक्षा मंत्री को ‘अज्ञानी’ करार दिया। उन्होंने कहा, ‘रामचरितमानस में ऐसी चीजें कहीं नहीं लिखी हैं। रामचरितमानस कहता है कि हिंदुत्व जीवन जीने की पद्धति है।’

पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘यह कैसे अशिक्षित शिक्षा मंत्री हैं जिन्हें भगवान राम की कहानी नहीं मालूम। वह हिंदू भावनाओं का अपमान कर रहे हैं। या तो वह माफी मांगें या नीतीश कुमार उन्हें बर्खास्त करें। भगवान राम की कहानी सभी को जोड़ती है। ये नेता कुछ जानते नहीं हैं, बस भाषण देते हैं। नीतीश कुमार के मंत्री ने रामचरितमानस का अपमान करके देश का अपमान किया है।’

RJD के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, ‘चंद्रशेखर को रामचरितमानस की दूसरी चौपाइयां भी पढ़नी चाहिए। भगवान राम ने तो सभी जाति के लोगों को गले लगाया, लोगों की सारी धारणाओं को बदला। हमारी पार्टी सभी धर्मग्रंथों का सम्मान करती है। चंद्रशेखर जो कह रहे हैं, वह उनकी सोच हो सकती है, लेकिन यह हमारी पार्टी की सोच नहीं है।

चिराग पासवान खुद दलित हैं, लेकिन उन्हें भी बिहार के शिक्षा मंत्री की बात बुरी लगी। चिराग पासवान ने कहा, ‘भगवान राम भारत के आदर्श हैं, देश की आत्मा हैं। रामचरितमानस को घर-घर में पूजा जाता है। इस तरह की पवित्र पुस्तक के बारे में इस तरह की हल्की बात करना शोभा नहीं देता। इस सबके पीछे नीतीश कुमार है, क्योंकि वह समाज में बंटवारा करके ही अपनी कुर्सी बचाए हुए हैं।’

बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने बीच की लाइन ली। उन्होंने शिक्षा मंत्री के बयान को गलत बताया, लेकिन उन्हें पद से हटाने की मांग पर खामोश हो गए। अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा, ‘भगवान राम की, रामायण की, रामचरितमानस की आलोचना कोई बर्दाश्त नहीं करेगा। शिक्षा मंत्री जैसे पद पर बैठे व्यक्ति को इस तरह की बात नहीं कहनी चाहिए। उन्हें अपना बयान वापस लेना चाहिए।

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने शिक्षा मंत्री को उनके पद से हटाने की मांग की। उन्होंने कहा, ‘नीतीश कुमार ने वोट के चक्कर में हिंदुओं के अपमान की पॉलिसी बना दी है, और इसे अपने मंत्रियों के जरिए लागू करवा रहे हैं। चंद्रशेखर का बयान इसका सबूत है। बिहार की जनता इस अपमान के लिए नीतीश को माफ नहीं करेगी।’

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि उनके मंत्री ने वास्तव में क्या कहा। श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा, ‘जो बात चंद्रशेखर ने कही है, वैसी बात कोई अज्ञानी ही कह सकता है। ऐसे अज्ञानी को कम से कम शिक्षा मंत्री के पद पर रहने का कोई हक नहीं है। मंत्री या तो माफी मांगें या सरकार उन्हें बर्खास्त करे।’

अपनी राम कथा के जरिए पूरी दुनिया में रामचरितमानस की व्याख्या कर रहे कवि कुमार विश्वास ने कहा, ‘चंद्रशेखर एक अशिक्षित शिक्षा मंत्री हैं। जिसके मानस में जहर भरा हो, वह रामचरितमानस के बारे में ऐसा ही बोलेगा।’ कुमार विश्वास ने कहा कि क्या बिहार के शिक्षा मंत्री किसी दूसरे मजहब के धार्मिक ग्रंथ के बारे में इस तरह की बात कहने की हिम्मत जुटा सकते हैं।

वैसे रामचरितमानस में एक चौपाई है, ‘जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी’, यानी जिसकी जैसी भावना होगी, उसे प्रभु की वैसी छवि दिखेगी। मैं रामचरितमानस का बहुत बड़ा ज्ञाता नहीं हूं, लेकिन इसे एक महान ग्रंथ मानता हूं। मानस के बारे में थोड़ा बहुत तो मैं भी जानता हूं। बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव ने जिन चौपाईयों का हवाला दिया, वे सारी उत्तरकांड की हैं। दावा यह किया जाता है कि उत्तरकांड, गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस का हिस्सा नहीं था। इसे शायद बाद में जोड़ा गया।

अगर इसे रामचरितमानस का हिस्सा मान लिया जाए तो भी मैं कहूंगा कि चंद्रशेखर यादव जिस चौपाई का हवाला देकर मानस को नफरत फैलाने वाला ग्रन्थ बता रहे हैं, उसमें कहा गया है कि ‘पूजहिं विप्र सकल गुण हीना। शूद्र न पूजहुं वेद प्रवीणा।’ इसमें बिहार के शिक्षामंत्री ‘विप्र’ को ब्राह्मण और ‘शूद्र’ की व्याख्या पिछडे, दलित और आदिवासियों की तरह कर रहे हैं। लेकिन रामायण में विप्र का मतलब ब्राह्मण नहीं है, बल्कि यहां इसका मतलब सदाचारी और शूद्र का मतलब दुराचारी है। सुंदरकांड में हनुमान जी के लिए ‘विप्र’ शब्द का इस्तेमाल हुआ है और रावण को ‘शूद्र’ कहा गया है।

इस चौपाई का मतलब है जो सदाचारी है वह भले ही गुणहीन हो, कमजोर हो, उसका सम्मान होना चाहिए और जो अनाचारी है वह कितना भी बड़ा विद्वान हो, ताकतवर हो, उसका सम्मान नहीं होना चाहिए। रावण प्रकांड पंडित था, वेदों का ज्ञाता था, शिवभक्त था, लेकिन अनाचारी था। इसलिए उसकी पूजा नहीं होती। हालांकि इस तरह की बातें चंद्रशेखर जैसे लोगों को समझ नहीं आएंगी, न वे समझना चाहेंगे क्योंकि उनका मसकद समाज को बांटना है।

बिहार में पहले ही नीतीश कुमार जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखकर जातियों का सर्वे करा रहे हैं। बाकी बचा हुआ काम उनके मंत्री इस तरह के बयान देकर कर रहे हैं। कुमार विश्वास ने सही कहा है कि बिहार के ‘अशिक्षित’ शिक्षा मंत्री तो बर्खास्त कर देना चाहिए। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 12 जनवरी, 2022 का पूरा एपिसोड

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