राजस्थान में इस वक्त कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की चुनावी टक्कर है। दोनों पार्टियों के नेता फ्रंट फुट पर खेल रहे हैं। बीजेपी ने गुरुवार को अपना संकल्प पत्र जारी किया, तमाम बड़े वादे किए। बड़े-बड़े नेताओं की फौज मैदान में उतार दी। जे पी नड्डा, नितिन गडकरी, योगी आदित्यनाथ, स्मृति ईरानी जैसे तमाम नेताओं ने चुनावी रैलियां की। कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी ने मोर्चा संभाला। अशोक गहलोत और सचिन पायलट भी साथ थे। जयपुर में इंडिया टीवी के चुनाव मंच में कांग्रेस और बीजेपी के बड़े नेता पहुंचे। सचिन पायलट ने पहली बार खुलकर अपने दिल की बात कही। साफ साफ कह दिया कि उनके साथ जो व्यवहार हआ, उसे वो जिंदगी भर नहीं भूलेंगे, लेकिन उनकी मजबूरी है। कोई विकल्प नहीं है, इसलिए साथ-साथ चल रहे हैं। बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में जो सबसे बड़ा वादा किया, वह है गरीब परिवारों को 450 रुपए में गैस सिलेंडर देने का। बीजेपी ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए हर जिले में महिला थाना खोलने, एंटी रोमियो स्क्वॉड बनाने, 'लाडो प्रोत्साहन योजना' में बेटी का जन्म होने पर 2 लाख रुपए का सेविंग बांड देने,मातृत्व वंदना योजना में महिलाओं को 8 हजार रुपए देने जैसे तमाम वादे किए हैं। बीजेपी ने वादा किया है कि अगर राजस्थान में सरकार बनती है तो पांच साल में कम से कम ढ़ाई लाख नौजवानों को सरकारी नौकरी दी जाएगी। बीजेपी का मैनीफेस्टो जारी करते हुए पार्टी अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने कहा कि कांग्रेस राज में हुए सारे घोटालों की जांच कराई जाएगी, जनता का पैसा लूटने वालों को सजा दी जाएगी। कांग्रेस के नेताओं ने संकल्प पत्र को झूठ का पुलिंदा, जनता के साथ ठगी का दस्तावेज बताया। गहलोत के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि बीजेपी अगर वाकई में सिलेंडर सस्ता करना चाहती है तो उसे संकल्प पत्र में वादा करने की जरूरत नहीं है। केन्द्र सरकार तुंरत आदेश जारी करे, पूरे देश में सिलेंडर सस्ता हो जाएगा।
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की तरह राजस्थान के बीजेपी खेमे में भी नरेन्द्र मोदी के बाद सबसे ज्यादा मांग योगी आदित्यनाथ की है। बीजेपी के ज्यादातर उम्मीदवार चाहते हैं कि योगी उनके इलाके में कम से कम एक बार आएं। गुरुवार को योगी ने कोटा, अजमेर और बूंदी जिलों में पांच रैलियां की, गहलोत सरकार में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया, महिलाओं के साथ होने वाले अपराध की बात की, कांग्रेस पर हिंदुओं की आस्था से खिलवाड़ और तुष्टिकरण का इल्जाम लगाया। बूंदी की रैली में योगी ने कन्हैया लाल की हत्या का जिक्र किया। कहा, बेगुनाह कन्हैया लाल का सरेआम गला काट दिया गया लेकिन तुष्टीकरण को अपना मजहब मानने वाली कांग्रेस हत्यारों को सजा दिलाना तो दूर, कन्हैया के परिवार को मुआवजा देने में भी पीछे रह गई। योगी ने कहा कि अगर राजस्थान में कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीति न होती तो कन्हैयालाल की हत्या न हुई होती। अजमेर में योगी ने यूपी के बुलडोजर की याद दिलाई। कहा कि आज राजस्थान में माफिया बेखौफ हैं, कभी यूपी में भी गुंडे माफिया सीना चौड़ा करके घूमते थे लेकिन अब यूपी में बाबा का बुलडोजर घूम रहा है और गुंडे माफिया या तो ऊपर चले गए या फिर जेल में हैं। बुलडोज़र ने माफियाओं की गर्मी शांत कर दी है। योगी ने कहा कि राजस्थान को भी बुलडोजर की जरूरत है। कोटा में योगी ने हिन्दू शोभायात्राओं पर पथराव की घटनाओं का जिक्र किया। योगी ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा हिंदुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया, आस्था का मज़ाक बनाया, बीजेपी के लोग जब राम मंदिर की बात करते थे तो कांग्रेस के नेता हंसते थे, लेकिन आज कांग्रेस को जवाब मिल गया है। अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनकर तैयार होने वाला है और वो कोटा के लोगों को अयोध्या आने का न्योता देने आए हैं।
जे पी नड्डा ने सीधे नाम लेकर अशोक गहलोत पर सवाल उठाए। कहा कि राजस्थान सरकार में मुख्यमंत्री की नाक के नीचे भ्रष्टाचार हुआ, जनता के पैसों की लूट हुई, सचिवालय में एक किलो सोना मिला, करोड़ों रुपए कैश मिले। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने जयपुर में दो रैलियां कीं। गडकरी ने बीजेपी और कांग्रेस में बुनियादी फर्क बताया, कहा कि वो बीजेपी में पोस्टर चिपकाते थे और बाद में पार्टी अध्यक्ष बने, अभी मंत्री हैं। लेकिन कांग्रेस में पार्टी अध्यक्ष बनने के लिए एक परिवार में पैदा होना जरूरी है। गडकरी ने मोदी सरकार के काम गिनाए, कहा, हाइवे, एक्सप्रेस-वे का जाल बिछा है, जल्दी ही जयपुर और दिल्ली के बीच ऐसा एक्सप्रेसवे बना देंगे कि जयपुर के लोग आइसक्रीम खाने दिल्ली जा सकेंगे। चूंकि गडकरी ने कांग्रेस को मां-बेटे की पार्टी कहा, इसलिए अशोक गहलोत ने उसका जवाब दिया। गहलोत ने कहा कि बीजेपी के पास कहने के लिए कुछ नहीं है, इसलिए वो गांधी परिवार को निशाना बनाती है, जबकि गांधी परिवार को सत्ता का कोई लालच नहीं है, पिछले 30 साल में इस परिवार से कोई भी प्रधानमंत्री नहीं बना। गहलोत ने गांधी नेहरू परिवार का बचाव किया तो रैलियों में कांग्रेस की तरफ से मोर्चा खुद राहुल गांधी ने संभाला।
राहुल ने गुरुवार को चुरू, हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर में रैलियां की। राहुल ने राजस्थान की सियासत की ज्यादा बात नहीं की। उन्होंने अडानी, नोटबंदी, कोरोना की बात की। कहा कि जब लोग मर रहे थे तब मोदी थाली और ताली बजवा रहे थे, लेकिन गहलोत सरकार लोगों को बचाने में जुटी हुई थी। हनुमानगढ़ की रैली में राहुल ने कहा कि मोदी ने 2014 में हर साल दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का वादा किया था, अब तक कुल दो लाख लोगों को भी रोजगार नहीं मिला। राहुल गांधी को जवाब दिया स्मृति ईरानी ने। ईरानी ने कहा कि राहुल गांधी को कोई गंभीरता से नहीं लेता, जब राहुल बीस साल में अमेठी का विकास नहीं कर पाए तो राजस्थान की जनता ऐसे नेता की बातों पर कैसे भरोसा करेगी? ईरानी ने प्रियंका गांधी पर भी तंज़ कसा। कहा, ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ का नारा देने वाले राजस्थान क्यों नहीं आते? उन्हें राजस्थान में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार क्यों नहीं दिखते? राजस्थान में कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती है - नेताओं के आपसी झगड़े और बागियों के तेवर। गुरुवार को राहुल गांधी का स्वागत करने और उनकी रैलियों में हिस्सा लेने अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों मौजूद थे। राहुल ने कहा, पार्टी में सब ठीक है, सब साथ-साथ हैं, कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ रही है और जीतेगी।
इंडिया टीवी के चुनाव मंच में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि वो अध्यक्ष के तौर पर खुद फैसले लेते हैं, उन्हें गांधी परिवार रिमोट से नहीं चलाता है, अलबत्ता वो सोनिया गांधी और राहुल गांधी से सलाह ज़रूर लेते हैं, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष के नाते उनके तजुर्बों का फायदा उन्हें मिलता है, लेकिन उन पर फैसले थोपे नहीं जाते। खरगे ने कहा कि उन्हें जो रिमोट कंट्रोल्ड अध्यक्ष कहते हैं वो अपने गिरेबां में झांककर देखें, सच तो ये है कि जेपी नड्डा का रिमोट मोदी के हाथ में है और पार्टी के सारे फैसले मोदी ही लेते हैं। चुनाव मंच में सचिन पायलट भी आए। पायलट ने बड़ी साफगोई से अपने दिल की बात कही। पहली बार साफ साफ कहा कि उनके साथ जो हुआ, उसकी टीस उनके दिल में है और पूरी जिंदगी रहेगी। पायलट ने कहा कि उनका किसी से निजी झगड़ा नहीं है, सिर्फ सिद्धांतों की लड़ाई थी, कुछ मुद्दों को लेकर असहमति थी लेकिन कुछ महीने पहले राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने उनसे कहा कि जो हुआ, उसे भूल जाना चाहिए, आगे बढ़ना चाहिए और उन्होंने पार्टी नेतृत्व की बात मान ली लेकिन पायलट ने ये भी कहा कि अशोक गहलोत ने उन्हें लेकर जो कुछ कहा, जो बातें उनके मुंह से निकल गई, वो वापस नहीं हो सकतीं।
पायलट की ये बात सही है कि उन्होंने शब्दों की मर्यादा कभी नहीं तोड़ी, हमेशा अपनी बात मजबूती से उठाई। उन्होंने पेपर लीक का मसला उठाया, आंदोलन किया, अपनी ही सरकार के खिलाफ यात्रा निकाली, इसके कारण गहलोत को बैकफुट पर आना पड़ा, लेकिन गहलोत ने एक चतुराई की। पायलट पर ये इल्जाम चिपका दिया कि वो मुख्यमंत्री की कुर्सी के चक्कर में ये सब कर रहे हैं। राहुल गांधी को भी यही बात समझा दी। हकीकत ये थी कि पिछले चुनाव में कांग्रेस की जीत के पीछे पायलट की पांच साल की मेहनत थी। प्रियंका गांधी ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया था लेकिन जीत के बाद राहुल ने गहलोत को कुर्सी सौंप दी। फिर पायलट से कुछ दिन इंजतार करने को कहा गया, लेकिन वो वादा भी पूरा नहीं हुआ। इसलिए पायलट नाराज तो थे, वो पार्टी छोड़ सकते थे, लेकिन इस बार राहुल गांधी और खरगे ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया है, इसलिए पायलट कड़वा घूंट पीकर रह गए हैं। नोट करने वाली बात ये है कि पायलट अभी तक वो बातें भूले नहीं हैं और खुलकर ये बात कह भी रहे हैं। हालांकि पायलट चुनाव में पूरी ईमानदारी से खूब मेहनत कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि मेहनत का फल उन्हें मिलेगा। पार्टी उन्हें मुख्यमंत्री बनाएगी। (रजत शर्मा)
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