Wednesday, December 18, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. Rajat Sharma’s Blog | फ्रांस में हिंसा : मुख्य कारण

Rajat Sharma’s Blog | फ्रांस में हिंसा : मुख्य कारण

प्रोटेस्ट करने वाले लोगों का कहना है कि सिर्फ पुलिसवालों को जेल भेजने से काम नहीं चलेगा. उनकी शिकायत है कि फ्रांस में पुलिस वाले निरंकुश हो गए हैं

Written By: Rajat Sharma
Published : Jul 01, 2023 15:54 IST, Updated : Jul 01, 2023 15:55 IST
इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।
Image Source : इंडिया टीवी इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

इस वक्त पूरे फ्रांस में आग लगी हुई है. हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं. फ्रांस के राष्ट्रपति ने एलान किया है कि अगर हालात नहीं सुधरे तो देश में इमरजेंसी लगाई जा सकती है .एक 17 साल के लड़के की पुलिस की गोली से मौत से नाराज लोग पूरे फ्रांस में सड़कों पर प्रोटेस्ट कर रहे हैं. सरकारी इमारतों, पुलिस थानों और दुकानों में तोड़फोड़ हो रही है, आग लगाई जा रही है. पेरिस में इस वक्त कर्फ्यू है. पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बंद कर दिया गया है. इसके बाद भी हालात लगातार और खराब होते जा रहे हैं. ट्रैफिक सिग्नल पर चैकिंग के दौरान दो पुलिस वालों ने एक लड़के पर गोली चला दी थी, जिससे लड़के की मौत हो गई. जैसे ही इस घटना का वीडियो वायरल हुआ नाराज लोगों ने पुलिस के खिलाफ आवाज उठाई. फ्रांस से जो तस्वीरें आई हैं, वो हैरान करने वाली हैं. यूरोप में इस तरह के हालात पिछले कई दशकों में नहीं देखे गए. हालांकि फायरिंग करने वाले पुलिस अफसरों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया है और इस वजह से पुलिस फोर्स में भी नाराजगी है, लेकिन प्रोटेस्ट करने वाले लोगों का कहना है कि सिर्फ पुलिस वालों को जेल भेजने से काम नहीं चलेगा. उनकी शिकायत है कि फ्रांस में पुलिस वाले निरंकुश हो गए हैं. ये मामला नस्लवाद का है. लोगों का इल्जाम है कि पुलिस वालों ने जानबूझ कर एक अफ्रीकी मूल के बच्चे को मार डाला, इसलिए अब सरकार को सख्त संदेश देना होगा, साफ बात करनी होगी. चालीस हजार पुलिस वालों को हालात पर काबू करने के लिए उतारा गया है लेकिन हालात काबू में नही आए हैं. अब तक हुई हिंसा में सौ से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है. करीब तीन दर्जन पुलिस वाले बुरी तरह घायल हैं. क़रीब एक हज़ार लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है. पुलिस को दंगा करने वालों पर गोली चलाने का हुक्म दिया गया है. 

फ्रांस में इतनी भयंकर हिंसा भड़कने के कई कारण हैं.  2017 में फ़्रांस में एक क़ानून बनाया गया था. इस क़ानून से पुलिस को गोली चलाने के अधिकार में ढील दी गई थी. फ्रांस की मीडिया के मुताबिक़, ये क़ानून पास होने के बाद से फ्रांस में चलती गाड़ियों पर पुलिस के गोली चलाने की घटनाएं बढ़ गई हैं.  इस क़ानून के ख़िलाफ़ भी लोगों में ग़ुस्सा है.. इसके अलावा, फ्रांस की इमैन्युअल मैक्रों सरकार के पेंशन सुधार  को लेकर भी लोगों में बहुत नाराज़गी है. इसी साल अप्रैल महीने में मैक्रों सरकार ने फ्रांस में रिटायरमेंट की उम्र 62 साल से बढ़ाकर 64 साल करने का एलान किया था.  इसके ख़िलाफ़ फ्रांस में कई हफ़्तों तक विरोध प्रदर्शन होते रहे थे. रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने से भी फ्रांस की जनता नाराज़ है. वहीं, यूक्रेन युद्ध की वजह से फ्रांस की जनता को महंगाई की मार झेलनी पड़ी थी.  महंगाई की मार ने भी लोगों के ग़ुस्से को भड़का दिया. इसीलिए, जब पेरिस के उपनगरीय इलाके में पुलिस ने एक लड़के को गोली मारी तो फ्रांस की जनता का सब्र टूट गया और भयंकर हिंसा भड़क उठी. बड़ी बात ये है कि फ्रांस में जो हिंसा भड़की उसमें सोशल मीडिया का बड़ा रोल है, इसीलिए प्रेसीडेंट मेक्रों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मस को चेतावनी दी है कि वो जल्दी से जल्दी हिंसा के वीडियो हटा लें , वरना उनके खिलाफ एक्शन होगा.

ट्विटर को झटका 

ट्विटर को कर्नाटक हाई कोर्ट से शुक्रवार को बड़ा झटका लगा. हाई कोर्ट ने सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली ट्विटर की याचिका ख़ारिज कर दी और कोर्ट का वक़्त बर्बाद करने के लिए ट्विटर पर 50 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया. असल में सरकार ने 2021 से 2022 के बीच ट्विटर को 1474 अकाउंट्स बंद करने और 175 ट्वीट्स ब्लॉक करने का आदेश दिया था. इसके अलावा ट्विटर को 256 URL और एक हैश टैग को बंद करने का निर्देश भी दिया गया था. सरकार का कहना था कि इन एकाउंटस के जरिए माहौल को खराब करने की कोशिश हो रही है, देश की संप्रभुता और एकता को नुकसान पहुंच सकता है, इसलिए कानून के मुताबिक इन्हें हटाया जाए. लेकिन, ट्विटर ने सरकार के इस आदेश को कर्नाटक हाई कोर्ट में चुनौती दे दी. ट्विटर ने कहा कि सरकार ने जो 256 URL हटाने को कहा है उनमें से 39 को हटाना, नागरिकों के मूल अधिकारों के ख़िलाफ़ है. हाई कोर्ट ने छह महीने तक सुनवाई की. अपने फैसले में अदालत ने कहा कि अगर कोई कंपनी भारत में कारोबार करती है, तो उसको यहां के नियम क़ायदे मानने होंगे. सरकार ने कानूनी दायरे में रहकर नियमों के मुताबिक ही ट्विटर को निर्देश दिए थे और ट्विटर को सरकार के निर्देश मानने चाहिए. 

IT और इलेक्ट्रॉनिक्स राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि सरकार न किसी की आवाज दबाती है, न किसी पर कोई दबाव बनाती है लेकिन किसी को माहौल खराब करने की इजाज़त भी नहीं दी जा सकती. इसलिए कंपनी कितनी भी बड़ी हो, उसे जिम्मेदारी निभानी होगी, कानूनों का पालन करना होगा. आपको याद होगा कुछ दिन पहले ट्विटर के फॉर्मर CEO, जैक डोर्सी ने कहा था कि भारत सरकार ने उन पर विरोधियों के ट्विटर अकाउंट बंद करने का दबाव डाला था. इस बात को लेकर सरकार की आलोचना हुई थी, लेकिन शुक्रवार का हाई कोर्ट का फैसला उन सब लोगों को जवाब है. हाईकोर्ट ने ट्विटर को इसलिए सजा सुनाई क्योंकि उसने भारत के कानून का पालन नहीं किया, समाज में माहौल खराब करने वाले मैटेरियल को अपने प्लेटफॉर्म से नहीं हटाया. ट्विटर ने सरकार के इस ऑर्डर को चैलेंज किया था लेकिन मामला उल्टा पड़ गया. सवाल सिर्फ इस बात का नहीं है कि वो भारत से पैसा कमाते हैं इसलिए rules, regulation follow  करें , सवाल इस बात का है कि उनके काम से अगर देश में अशांति फैलती है... अगर लोगों की भावनाएं भड़कती हैं तो, इसकी जिम्मेदारी भी उन्हें उठानी पड़ेगी.

बीरेन सिंह ने इस्तीफा वापस क्यों लिया ?

मणिपुर में शुक्रवार को 4 घंटे तक मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे को लेकर ड्रामा हुआ. बीरेन सिंह अपने 20 विधायकों के साथ राज्यपाल को इस्तीफा देने राज भवन की ओर गये , लेकिन रास्ते में महिलाओं की एक बड़ी भीड़ ने उन्हें रोका, और मुख्यमंत्री को अपने निवास लौटने का मजबूर किया. बाद में बीरेन सिंह ने ट्विटर पर ऐलान किया कि वो इस्तीफा नहीं देंगे.  कहा कि वो इस मुश्किल वक्त में मणिपुर को नहीं छोड़ सकते. इस तरह के हालात में उनका इस्तीफा देने का कोई इरादा नहीं हैं. इसके बाद मामला शान्त हुआ. दरअसल गुरुवार की सुबह पश्चिमी इम्फाल में हथियारबंद लोगों ने तीन लोगों की हत्या कर दी जिसके बाद इम्फाल में महिलाओं की सबसे बड़ी मार्केट की तरफ से ये अलटीमेटम दिया गया कि हालात को तुरंत काबू में करें. इसके बाद बीरेन सिंह के इस्तीफे की खबरें फैलने लगीं. 

बीरेन सिंह पर कई दिनों से इस्तीफा देने का प्रेशर है, लेकिन सब जानते हैं  कि इस्तीफा देना कोई समाधान नहीं हो सकता है. बीरेन सिंह कोई पेशेवर राजनीतिक नेता नहीं है. उन्होंने अपना करियर एक फुटबॉलर के रूप में शुरु किया था,  नेशनल लेवल के प्लेयर थे, फिर वो सीमा सुरक्षा बल में रहे, BSF छोड़ कर वे पत्रकारिता में आए. एक दैनिक अखबार निकाला फिर बीरेन सिंह ने अपनी  पार्टी बनाई, विधानसभा का चुनाव जीता. इसके बाद वो कांग्रेस में शामिल हो गए,  कांग्रेस की सरकारों में मंत्री रहे.  2017 में  कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए और मुख्यमंत्री बने. बीरेन सिंह 2017 से मुख्यमंत्री हैं, और वह मणिपुर में बीजेपी के पहले मुख्यमंत्री हैं, इसलिए उनकी जिम्मेदारी भी ज्यादा है. ये बात सही है कि मणिपुर में हालात अच्छे नहीं हैं.. वहां हजारों लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं.. उनके घरबार जला दिए गए, संपत्ति लूट ली गई, ये दु:खद है. गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर का दो दिन का दौरा कर चुके हैं सेना फ्लैग मार्च कर रही है. अब राहुल गांधी भी वहां गए, उन्होंने शान्ति की अपील की, कोई सियासी बात नहीं की, ये अच्छी बात है क्योंकि इस वक्त सबको मिलकर मणिपुर में अमन चैन कायम करने की कोशिश करनी चाहिए. 

क्या वसुंधरा सीएम पद की उम्मीदवार बनेंगी ?

शुक्रवार को गृह मंत्री अमित शाह ने राजस्थान के उदयपुर में एक बड़ी जनसभा की.  ये रैली वैसे तो मोदी सरकार के 9 साल पूरे होने पर आयोजित की गई थी, लेकिन असल में बीजेपी ने इसे राजस्थान में विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान के तौर पर इस्तेमाल किया. उदयपुर की रैली में मंच पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष सीपी जोशी, विपक्ष के नेता राजेंद्र राठौड़, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, सांसद दिया कुमारी और बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया समेत राजस्थान बीजेपी के सभी बड़े नेता मौजूद थे.  पहले सीपी जोशी ने भाषण दिया. इसके बाद अमित शाह को आमंत्रित किया गया लेकिन अमित शाह ने कहा कि पहले वसुंधरा राजे बोलेंगी. उसके बाद वो अपनी बात कहेंगे.. वसुंधरा ने कहा कि अशोक गहलोत के राज में राजस्थान की कानून व्यवस्था बिगड़ी है, तमाम राज्यों से कट्टरपंथी आ रहे हैं और राजस्थान का माहौल खराब कर रहे हैं.. उन्होंने कन्हैयाल लाल की हत्या का उदाहरण दिया. कहा,  अशोक गहलोत की तुष्टीकरण की नीति के कारण यहां आतंकवाद बढ़ रहा है, इसलिए गहलोत की विदाई जरूरी है. अमित शाह ने  कहा, अगर गहलोत सरकार कन्हैया लाल को सुरक्षा देती,  तो उसकी हत्या न होती. अमित शाह ने कहा,  अशोक गहलोत की सरकार ने हत्यारों को गिरफ्तार नहीं किया, जब NIA ने हत्यारों को पकड़ लिया तो केस के ट्रायल के लिए अब तक राज्य सरकार ने फास्ट ट्रैक कोर्ट नहीं बनाया, इसीलिए अब तक कन्हैया लाल के हत्यारों को फांसी पर नहीं लटकाया जा सका.

इसका जवाब अशोक गहलोत ने ट्विटर पर दिया, कहा, अमित शाह झूठ बोल रहे हैं, लोगों को गुमराह कर रहे हैं.. कन्हैया लाल के कातिलों को राजस्थान की पुलिस ने चार घंटे के भीतर पकड़ लिया था, लेकिन अमित शाह बताएं कि इस ओपन एंड शट केस में NIA ने चार्जशीट फाइल करने में इतनी देर क्यों की और अब तक हत्यारों को सजा क्यों नहीं मिली. गहलोत ने कहा कि कन्हैया लाल के हत्यारे बीजेपी के सक्रिय सदस्य थे.  दोनों ओर से भले ही आरोप प्रत्यारोप हों,  हकीकत यही है कि बीजेपी ने राजस्थान में चुनावी कैंपेन शुरू कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राजस्थान में दो दौरे हो चुके हैं.. गुरुवार को बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्ढा राजस्थान में थे. गौर करने वाली बात ये है कि राजस्थान बीजेपी में पहले जो गुटबाजी दिख रही थी, मोदी के दौरे के बाद वो भले ही दिखाई न दे रही हो., भले ही वसुन्धरा राजे सक्रिय हो गई हों  लेकिन सतीश पूनिया , सीपी जोशी, गजेन्द्र सिंह शेखावत और राजेन्द्र राठौर जैसे नेता अंदर ही अंदर वसुन्धरा के खिलाफ हैं. ये बीजेपी हाईकमान के लिए बड़ी समस्या है. इसी तरह की  समस्या कांग्रेस में भी है.. सचिन पायलट और अशोक गहलोत के झगड़े से कांग्रेस आलाकमान परेशान है.. दिल्ली में पार्टी हाईकमान ने राजस्थान कांग्रेस के नेताओं की 3 जुलाई को मीटिंग बुलाई है, सचिन पायलट दिल्ली में कांग्रेस के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं., लेकिन मामला तीन जुलाई तक सुलझ पाएगा इसकी उम्मीद कम है .क्योंकि अशोक गहलोत के पैर में चोट लग गई है, .इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि वो तीन जुलाई की मीटिंग के लिए दिल्ली न आएं .और अगर ऐसा हुआ तो मामला फिर लटक जाएगा. (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 30 जून, 2023 का पूरा एपिसोड

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement