Friday, November 22, 2024
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Rajat Sharma's Blog : कांग्रेस मीनमेख निकालना बंद करे, प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाए

कभी मंदिर को अधूरा बताना, कभी विधि-विधान पर सवाल खड़े करना, कभी ये कहना है कि गर्भ गृह असली जगह से दूर बनाया गया है, कभी कहना कि सारा श्रेय मोदी ले रहे हैं, इन सब बातों की मीनमेख निकालना आज की तारीख में कोई मतलब नहीं है। 22 जनवरी को जो हो रहा है, ये एक ऐतिहासिक घटना है।

Written By: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated on: January 20, 2024 6:27 IST
Rajat sharma, India TV- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

रामलला भव्य राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हो गए हैं। रामलला की प्रतिमा का सरयू के जल से शुद्धिकरण किया गया, जिसे जलाधिवास कहा जाता है। इसके बाद गणेश पूजन और वरुण पूजन हुआ। 121 आचार्य वास्तु पूजन की तैयारी कर रहे हैं। शुक्रवार को देश भर में राम भक्तों ने रामलला प्रतिमा की पहली तस्वीरें देखी। अयोध्या में हर किसी को अब सिर्फ प्राण प्रतिष्ठा का इंतजार है। मंदिर बन कर तैयार है, जो शिखर अभी अधूरे हैं, उन्हें फिलहाल अस्थाई रूप से बना दिया गया है लेकिन गर्भगृह पूरी तरह तैयार है। एक तरफ जब पूरा देश राममय हो गया है, भक्ति में सराबोर है, तब कुछ नेताओं ने एक बार फिर  रामभक्तों के पुराने जख्म को कुरेदने की कोशिश की। उस वक्त की याद दिलाई जब सरयू का पानी रामभक्तों के खून से लाल हो गया था। समाजवादी पार्टी के नेता और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने कहा कि मुलायम सिंह की सरकार ने 1990 में अयोध्या में  रामभक्तों पर गोली चलवा कर संविधान सम्मत काम किया था, रामभक्तों पर फायरिंग कानून की रक्षा और संविधान को बचाने के लिए की गई थी। शिवपाल ने आरोप लगाया कि बीजेपी राम के नाम पर सियासत कर रही है, इसलिए 22 जनवरी के समारोह में उनकी पार्टी के नेता नहीं जाएंगे। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और महाराष्ट्र सपा के नेता अबु आजमी ने कह दिया कि बीजेपी का मकसद राम मंदिर बनाना नहीं, बाबरी मस्जिद गिराना था जिससे समाज में हिन्दू मुसलमानों को लड़वाया जा सके। कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी  ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भक्ति नकली है, मोदी चुनाव देखकर मंदिर मंदिर घूम रहे हैं, रामभक्त बने हुए हैं, असली भक्त तो कांग्रेस के नेता हैं, जो अयोध्या में हो रहे बीजेपी के चुनावी कार्यक्रम का बॉयकॉट कर रहे हैं। इन सब नेताओं को साध्वी ऋतंभरा, जगदगुरू रामभद्राचार्य और रामकथा वाचक मोरारी बापू ने जवाब दिया। 

साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि 1990 में रामभक्तों का खून बहाकर जो पाप समाजवादियों ने किया उसका प्रायश्चित तो सौ जन्मों में भी नहीं कर पाएंगे। साध्वी ऋतंभरा रामजन्मभूमि आंदोलन में सक्रिय थीं, कारसेवा के लिए हर बार अयोध्या पहुंचने वालों में सबसे आगे रहीं। पुलिस से बचकर भेष बदल कर, बाल मुंडवा कर, गेरूआ वस्त्र छोड़कर सामान्य कपड़े पहने कर, ट्रेन की जनरल बोगी में बैठकर, खेतों के रास्ते पैदल चल कर कैसे कैसे राम मंदिर के लिए लोगों को जगाया। ये सारे किस्से उन्होंने ‘आपकी अदालत’ में सुनाए हैं। साध्वी बार बार कहती हैं कि उस वक्त मुलायम सिंह की सरकार ने जो किया, उसकी कल्पना किसी हिंदू ने सपने में भी नहीं की थी, उस वक्त को कभी याद करने का मन नहीं करता लेकिन मुश्किल ये है कि विरोधी दलों के नेता, जो रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का बॉयकॉट कर रहे हैं, वो बार-बार रामभक्तों को 1990 की याद दिलाते हैं। 

शिवपाल यादव इस वक्त भले ही समाजवादी पार्टी के बड़े नेता हों लेकिन जिस वक्त की वो बात कर रहे हैं, 1990 में जब मुलायम सिंह यादव की सरकार ने अयोध्या में रामभक्तों पर गोलियां बरसाईं थी, उस वक्त शिवपाल सिंह यादव की पहचान सिर्फ मुलायम सिंह के भाई की थी। वो न विधायक थे, न उस सरकार में मंत्री थे, 1990 में शिवपाल सिंह मुलायम सिंह की पार्टी के पर्चे बांटते थे और मुलायम सिंह की कृपा से इटावा के जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष बन गए थे। इसलिए उस वक्त मुलायम सिंह ने क्या सोचकर रामभक्तों पर गोलियां चलाने का आदेश दिया था और उस वक्त अयोध्या में कैसा माहौल था, इसका शिवपाल सिंह को कुछ पता भी नहीं होगा। लेकिन आज राम मंदिर का निर्माण पूरा हो गया है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। उससे पहले शिवपाल सिंह यादव रामभक्तों को उकसाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन उस वक्त जो रामभक्त अयोध्या में मौजूद थे, जिन्होंने अयोध्या में रामभक्तों की लाशों को देखा, खून से लथपथ, पानी के लिए तड़पते रामभक्तों को बचाने की कोशिश की, पुलिस वालों को सरयू में घायल रामभक्तों को लाश की तरह बहाते देखा, वो शिवपाल सिंह जैसे नेताओं की इस तरह की हरकतों से नाराज़ हैं। यही बात साध्वी ऋतंभरा ने ‘आप की अदालत’ शो में कही, जिसका प्रसारण इंडिया टीवी पर शनिवार 20 जनवरी को होने वाला है। 

साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि 1990 के उस काले दिन की याद जब आती है, तो दिल भर आता है। साध्वी ऋतंभरा की आवाज में जोश था, आवेश था। उनकी इस बात का विरोधी दलों के नेताओं के पास कोई जवाब नहीं है कि आखिर राम मंदिर के मुद्दे को इतने सालों तक क्यों अटकाया गया, लटकाया गया। उस वक्त कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसे दल मुस्लिम वोटों के लिए, तुष्टीकरण की नीति के तहत ये सब क्यों कर रहे थे। कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने कहा है कि भारत सिर्फ हिन्दुओं का देश नहीं है, यहां मुस्लिम-सिख-ईसाई सब रहते हैं और कांग्रेस किसी एक धर्म का नहीं, सभी धर्मों का सम्मान करती है। अयोध्या में जो कार्यक्रम हो रहा है, उसमें हर जगह नरेन्द्र मोदी हैं, सारे काम मोदी कर रहे हैं तो दूसरों के लिए कोई जगह ही नहीं है, इसीलिए कांग्रेस ने 22 जनवरी का न्यौता ठुकराया। लेकिन कांग्रेस में भी बहुत से नेता हैं जो कांग्रेस के इस रुख से परेशान और नाराज़ हैं। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष निर्मल खत्री ने ऐलान किया है कि वो रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में  जाएंगे क्योंकि यह ऐतिहासिक मौका है और हिन्दू होने के नाते वो ऐसे मौक़े से गैरहाज़िर नहीं हो सकते। 

कांग्रेस के नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम पहले ही अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन कर आए हैं, 22 जनवरी को फिर अयोध्या जाएंगे। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि भारत के कण-कण में, हर मन में राम हैं, राम के बिना भारत में राजनीति तो क्या, कुछ भी करना संभव नहीं है। आचार्य ने कहा कि कांग्रेस पर वामपंथ का बेताल सवार है इसलिए दिग्विजय सिंह जैसे नेता ऐसे आत्मघाती बयान दे रहे हैं, राम के निमंत्रण को ठुकरा रहे हैं, प्राण प्रतिष्ठा पर बेवजह के सवाल उठा रहे हैं। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की लाइन पर चल रहे हैं और वो लाइन आचार्य प्रमोद कृष्णम, निर्मल खत्री या लक्ष्मण सिंह जैसे नेताओं के समझाने से नहीं बदल सकती।  रामकथा वाचक मोरारी बापू आम तौर पर राजनीति पर नहीं बोलते, नेताओं की बातों का जवाब नहीं देते लेकिन कांग्रेस के नेताओं ने जिस तरह से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मुहूर्त पर सवाल उठाए, नरेन्द्र मोदी के अयोध्या जाने को मुद्दा बनाया, उससे मोरारी बापू भी आहत हैं। मोरारी बापू ने कहा कि इस शुभ मौके पर इस तरह की अशुभ बातें करना ठीक नहीं है, जो लोग इस बात पर आपत्ति जता रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा क्यों कर रहे हैं, उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि अगर नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री न होते, तो राम मंदिर के लिए और कितने सालों तक इंतजार करना पड़ता कोई नहीं जानता। मोरारी बापू ने जो कहा, वो सबको सुनना और समझना चाहिए। प्राण प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर अशुभ बातें नहीं करनी चाहिए। 

500 साल की प्रतीक्षा पूरी हुई है। राम मंदिर बना है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बना। शांतिपूर्ण तरीके से बना। इसमें कोई विवाद नहीं है। मंदिर पूरी तरह दान-दक्षिणा में मिली राशि से बना है। इसमें किसी सरकार का एक पैसा नहीं लगा। कोई विवाद नहीं है। इसलिए कभी मंदिर को अधूरा बताना, कभी विधि-विधान पर सवाल खड़े करना, कभी ये कहना है कि गर्भ गृह असली जगह से दूर बनाया गया है, कभी कहना कि सारा श्रेय मोदी ले रहे हैं, इन सब बातों की मीनमेख निकालना आज की तारीख में कोई मतलब नहीं है। 22 जनवरी को जो हो रहा है, ये एक ऐतिहासिक घटना है। दुनियाभर में रहने वाले करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं का सम्मान है और ऐसे ही राम भक्तों के प्रयास से ये मंदिर बना है।।मंदिर के परिसर के बाहर का इलाका योगी की सरकार ने विकसित किया है और अयोध्या नगरी को अन्तरराष्ट्रीय पर्यटन के मानचित्र पर एक प्रमुख स्थान देने का प्रयत्न किया है। ये सिर्फ धर्म से जुड़ा मसला नहीं है। अयोध्या के आर्थिक विकास और समृद्धि का रास्ता भी राम मंदिर से होकर गुजरता है। अगर इस मंदिर को इस दृष्टिकोण से देखा जाएगा तो किसी को कोई समस्या नहीं है। जहां तक राजनीति का सवाल है, कुछ लोग पहले कई साल तक ये कहते रहे कि बीजेपी मंदिर बनाना नहीं चाहती, इसे अटकाना चाहती है ताकि राम मंदिर के नाम पर वोट मिलते रहें। अब बात बिल्कुल बदल गई है। अब कह रहे हैं कि मंदिर इसलिए बनवाया ताकि लोकसभा इलेक्शन में उसका फायदा उठाया जा सके। मोदी का विरोध करने वालों को पहले ये तय करना होगा कि वो कहना क्या चाहते हैं। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 18 जनवरी, 2024 का पूरा एपिसोड

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