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Rajat Sharma’s Blog | राहुल की गलतियां : उनके इमेज प्लानर परेशान

राहुल अपने कारनामों से अपने इमेज बिल्डर की करी-कराई मेहनत पर पानी फेर देते हैं लेकिन कोई क्या कर सकता है. और उनकी टीम के लोग इस बात के लिए तैयार हैं कि अभी ऐसे कई और उदाहरण सामने आएंगे, जिन्हें हैंडल करना पड़ेगा.

Written By: Rajat Sharma
Published : Jun 02, 2023 16:55 IST, Updated : Jun 02, 2023 16:59 IST
इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर इन चीफ रजत शर्मा।
Image Source : इंडिया टीवी इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर इन चीफ रजत शर्मा।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक नया विवाद छेड़ दिय़ा. वॉशिंगटन में नेशनल प्रेस क्लब को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा कि मुसलिम लीग सेक्यूलर पार्टी है और यह पार्टी किसी भी रूप में गैर-सेक्यूलर नज़र नहीं आती. उनसे सवाल पूछा गया था कि केरल में उनकी पार्टी का मुसलिम लीग के साथ क्यों गठबंधन है. अब इसको लेकर बीजेपी और कांग्रेस नेता एक दूसरे पर वार, पलटवार कर रहे हैं. बुधवार को राहुल गांधी ने स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में कहा था कि संसद की मेरी सदस्यता इसलिए चली गयी क्योंकि मैं भारत जोड़ो यात्रा पर निकला था. राहुल ने कहा कि उन्हें अयोग्य सिद्ध करने की योजना तो उसी दिन शुरू हो गई थी, जब उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा शुरू की थी. राहुल ने कहा, मोदी सरकार को ये बर्दाश्त नहीं था कि भारत जोड़ो यात्रा सफल हो. इसीलिए उन्होंने एक महीने के भीतर कोर्ट में सुनवाई करवा करके मानहानि के आरोप में अधिकतम सज़ा दिला दी. लेकिन राहुल गांधी ने अमेरिका जाकर कई ऐसी बातें कह दीं जिनका मज़ाक उड़ा. उन्होंने कहा कि गुरू नानक देव सऊदी अरब, श्रीलंका और थाईलैंड गए थे. गुरू नानक देव जी ने भी भारत जोड़ो यात्रा की थी. फिर फोन हाथ में लेकर हल्के अंदाज में दिखाया कि उनका फोन टैप हो रहा है. राहुल ने मंच से कहा, ‘मोदी जी मैं राहुल बोल रहा हूं, मैं जानता हूं मेरा फोन टैप हो रहा है’, हालांकि उन्होंने ये मज़ाक में कहा... पर आरोप गंभीर था. राहुल ने नए संसद भवन का भी मज़ाक उड़ाया, कहा ये भवन ‘अहंकार की इमारत’ है .

राहुल गांधी  के भाषण के जो अंश सामने आए हैं, उनमें नरेन्द्र मोदी के प्रति उनकी नफरत, और मोदी के कुर्सी पर बैठे होने से उनकी  नाराजगी साफ दिखाई पड़ रही है.  ये सही है कि काँग्रेस के लिए राहुल गांधी की अच्छी इमेज जरूरी हैं,उनको फाइटर के रूप में प्रोजेक्ट करना जरूरी है. कई साल तक राहुल गांधी की ये समस्या रही कि वो अपने बयानों से हंसी का पात्र बनते रहे, लोग उन्हें पप्पू कहने लगे. पिछले दो साल में कांग्रेस ने राहुल की इस इमेज को बदलने के लिए प्रयास किया, टीम बनाई, भारत जोड़ो यात्रा इसी प्रयास का हिस्सा थी. लंदन में राहुल के भाषण, इसी इरादे से आयोजित किए गए थे. फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ बातचीत, ट्रक ड्राइवर्स के साथ राहुल का वीडियो, इसी इमेज बिल्डिंग के इरादे से पब्लिसाइज़ किया गया. अब अमेरिका में कई शहरों में राहुल गांधी के भाषण, उनके लोगों से इंटरएक्शन इसी इमेज को और पुख़्ता करने के लिए किया गया है. इस प्रयास से किसी को कोई समस्या नहीं होनी चाहिए. पर राहुल गांधी पिछले नौ साल से मोदी का मज़ाक़ उड़ाने की कोशिश करते रहे हैं. ये उनका स्वभाव बन गया है. वह विदेश जाकर भी मोदी की इमेज पर चोट करते हैं. इससे भी उन्हें कोई नहीं रोक सकता. लेकिन मुझे पता चला कि राहुल की इमेज बनाने वाले इस बात से परेशान हैं कि राहुल सब कुछ ठीक-ठाक करते करते भी कुछ ऐसा कह देते हैं  कि इमेज बिल्डर भी परेशान हो जाते हैं. जैसे ये कहना कि गुरु नानक देव थाईलैंड गए थे, तथ्य की दृष्टि से गलत है. कई सिख नेताओं ने इस बात पर भी आपत्ति की कि राहुल ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा की तुलना गुरु नानक देव जी की यात्रा से कर दी. 

राहुल ने मोदी के दंडवत प्रणाम करने का मज़ाक़ उड़ाया,  तो यहां वो वीडियो वायरल हो गया जिसमें राहुल गांधी महाकालेश्वर के सामने दंडवत प्रणाम की मुद्रा में है. राहुल अपने कारनामों से अपने इमेज बिल्डर की करी-कराई मेहनत पर पानी फेर देते हैं लेकिन कोई क्या कर सकता है. और उनकी टीम के लोग इस बात के लिए तैयार हैं कि अभी ऐसे कई और उदाहरण सामने आएंगे, जिन्हें हैंडल करना पड़ेगा. कांग्रेस में पुराने नेता ये मानते हैं कि मोदी का मज़ाक़ उड़ाने से, मोदी को नीचा दिखाने से चुनावों में नुक़सान होता है. ये लोग तो चुनावों के लिए हर जगह कर्नाटक का फॉर्मूला अपनाना चाहते हैं. फॉर्मूला है स्थानीय मुद्दों पर फ़ोकस करो, और जनता को मुफ़्त का माल देने के वादे करो. इसका एक उदाहरण कल रात राजस्थान में सामने आया.

राजस्थान में बंटेगी रेवड़ियां

अब तक कांग्रेस गारंटीज दे रही थी, चुनाव जीतने के बाद उन्हें पूरा करने का वादा कर रही थी, लेकिन राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने चुनाव से पहले गारंटी पूरी कर दी. 100 यूनिट बिजली मुफ्त देने का ऐलान कर दिया, 200 यूनिट बिजली खर्च करने पर कोई फिक्स चार्ज और सरचार्ज नहीं लिया जाएगा, सिर्फ 100 यूनिट का पैसा लोगों को देना होगा. ये फैसला 1 मई से लागू होगा. इस फैसले का ऐलान करने के लिए अशोक गहलोत ने सुबह होने का इंतजार नहीं किया. रात दस बजे ट्वीट किया कि पौने ग्यारह बजे बड़ा ऐलान करेंगे, और रात ठीक पौने ग्यारह बजे गहलोत का वीडियो मैसेज आ गया कि अब राजस्थान के लोगों पर बिजली का बिल बोझ हल्का होगा. असल में बुधवार को अजमेर की रैली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि कांग्रेस के पास गारंटी का नया चुनावी फॉर्मूला है, लेकिन कांग्रेस की गारंटीज झूठी होती है. जैसे ही मोदी की पब्लिक मीटिंग खत्म हुई, उसके तुरंत बाद अशोक गहलोत ने वित्त सचिव  समेत कई बड़े अफसरों को बुलाया, एक घंटे की मीटिंग के बाद तुरंत ही बिजली के बिल में छूट के ऐलान का फैसला हो गया. गहलोत ने रात में ही ऐलान कर दिया. इसके बाद गहलोत ने प्रधानमंत्री पर हमला किया, कहा कि कांग्रेस की गारंटी पर सवाल उठाने वालों को ये जवाब है.

गहलोत ने कहा कि कुछ लोग इसे चुनावी रेवड़ी कह रहे हैं, लेकिन सरकार का फैसला चुनाव के बाद भी लागू रहेगा. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि गहलोत को लोगों का ख्याल चुनाव से सिर्फ चार महीने पहले क्यों आया. बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने इसे चुनाव स्टंट बताया. राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि मायावती की बीजेपी से मिलीभगत है, मायावती बीजेपी का टूल हैं. अभी  तो गहलोत ने 100 यूनिट बिजली मुफ्त में देने का फैसला किया है. मेरी जानकारी ये है कि अगले कुछ दिनों में गहलोत वैट कम करके पेट्रोल डीजल की कीमतों में कमी का एलान भी कर सकते हैं. गहलोत को लग रहा है कि इस वक्त मंहगाई बड़ा मुद्दा है, इसलिए उन्होंने राजस्थान में मंहगाई राहत कैंप शुरू किए हैं, 10 लाख तक मुफ्त इलाज की योजना शुरू की है.

पहलवानों का आंदोलन : सरकार की छवि के लिए ठीक नहीं

बीजेपी के सांसद बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे पहलवानों के समर्थन में खाप पंचायतें भी मैदान में आ गई है. गुरुवार को यूपी के मुजफ्फरनगर में महापंचायत हुई, और शुक्रवार को हरियाणा के कुरुक्षेत्र में खाप पंचायत हुई. खाप पंचायतों ने ऐलान कर दिया कि अब वो बेटियों के सम्मान की लड़ाई लड़ेंगी, लेकिन ये लड़ाई कैसे आगे बढ़ेगी इसका कोई फैसला नहीं हुआ. किसी को इस बात की गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि किसान आंदोलन के नेता पहलवानों के मान सम्मान के लिए मैदान में उतरे हैं. वो तो पहलवानों की परेशानी का फायदा उठाकर मोदी से अपना हिसाब चुकता करना चाहते हैं. खाप महापंचायत में जो लोग आए उनकी इन्टेंशन ठीक हो सकती है. उनकी सहानुभूति पहलवानों के साथ हो सकती है लेकिन ये आंदोलन किस दिशा में जाएगा, ये पंचायतों के कंट्रोल में नहीं है. पहलवानों की मजबूरी भी समझी जा सकती है. वो तो जहां से भी सपोर्ट मिलता है उसे स्वीकार करने के लिए मजबूर हैं, उनके पास कोई और रास्ता भी नहीं है. ममता बनर्जी भी महिला पहलवानों के साथ खड़ी हो गईं हैं. ममता ने कोलकाता में कैंडल मार्च निकाला.  पहलवानों का मसला एक तरह से एंटी मोदी मोर्चा का रूप लेता जा रहा है. यह स्थिति मुख्य आरोपी बृज भूषण शरण सिंह को सबसे ज्यादा सूट करती है. उनके लिए तो बड़ा अच्छा है कि अपने आप को विरोधियों से बचाने के चक्कर में सरकार बृज भूषण शरण सिंह के साथ खड़ी हुई दिखाई दे रही है. बृज भूषण इसका पूरा फायदा उठा रहे हैं. जो आरोपी है वो सीना चौड़ा करके खड़ा है और जो पीड़िता हैं वो सपोर्ट की तलाश कर रही हैं.  ये दुर्भाग्यपूर्ण है.  यह स्थिति न भारतीय़ कुश्ती के लिए अच्छी है, न ही सरकार की छवि के लिए. (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 01 जून, 2023 का पूरा एपिसोड 

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