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Rajat Sharma’s Blog: नए ज़माने की आर्मी, नेवी, एयरफोर्स की तैयारी

तीनों सेनाओं में जवानों की भर्ती के लिए न्यूनतम उम्र सीमा 17 साल 6 महीने और अधिकतम उम्र सीमा 21 साल होगी।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: June 09, 2022 18:10 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

आज आपको एक अच्छी खबर बताता हूं, खासकर उन नौजवानों को, जो फौज में भर्ती होकर मातृभूमि की सेवा करना चाहते हैं। अब देश के सवा लाख नौजवानों को जल्दी ही आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में नौकरी मिलेगी। केंद्र सरकार जल्दी ही नई नीति का ऐलान करने वाली है, जिसका नाम रखा गया है, ‘Tour of Duty’ या हिंदी में अग्निपथ । इस नीति के लागू होने के बाद सेना में भर्ती और रिटायरमेंट की शर्तें बदल जाएंगी, और सेना में खाली पड़े सवा लाख पदों को भरने का रास्ता निकलेगा।

नई नीति ‘Tour of Duty’ या ‘अग्निपथ’ के मुताबिक, अब सेना में किसी जवान को रिटायरमेंट के लिए 20 साल की नौकरी जरूरी नहीं होगी। नई नीति के तहत, अफसर से नीचे वाले कार्मिकों  (Personnel Below Officer Rank or PBOR)  की 4 साल के लिए भर्तियां होंगी, और इसमें 6 महीने ट्रेनिंग की अवधि भी शामिल होगी।

‘Tour of Duty’ के तहत भर्ती होने वाले सैनिकों का 4 साल के बाद कंपल्सरी रिटायरमेंट होगा। इस नई नीति के तहत 4 साल पूरे होने के बाद चुने 75 प्रतिशत जवान रिटायर हो जाएंगे, और बाकी के 25 प्रतिशत जवानों को एक महीने बाद दोबारा भर्ती किया जाएगा। जिन 25 फीसदी जवानों को दूसरा मौका मिलेगा, उनका चुनाव भी एग्जाम के रिजल्ट के आधार पर होगा। 4 साल की सर्विस के बाद 'अग्निवीर' नाम के इन जवानों को करीब 10 लाख रुपये की सेवा निधि दी जाएगी, लेकिन वे पेंशन के हकदार नहीं होंगे। बाकी के 25 फीसदी सैनिक अगले 15 सालों तक सेवा देंगे, और उन्हें रिटायरमेंट के सभी लाभ मिलेंगे।

नई नीति पर पिछले 3 साल से काम हो रहा है। यह विचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का है। मोदी की सोच यह है कि देश के हर नौजवान को आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में काम करने का मौका मिलना चाहिए। जो युवा फौज में काम करना चाहते हैं, उन्हें अवसर देना जरूरी है, लेकिन मुश्किल यह है कि हमारी फौज में जवानों और अफसरों की संख्या कुल मिलाकर 12 लाख तक हो सकती है। एक बार जब किसी जवान की भर्ती हो जाती है, तो वह कम से कम 20 साल तक नौकरी में रहता है। ऐसे में इस दौरान उस पद के लिए दूसरी भर्ती नहीं हो सकती।

नए फॉर्मूले के तहत फौज में नौकरी सिर्फ 4 साल की होगी। इस नीति के लागू होने के बाद जब भर्तियां शुरू होंगी, उसके 4 साल के बाद हर साल कम से कम एक लाख नौजवानों को आर्मी, एयरफोर्स और नेवी में भर्ती होने का मौका मिलेगा। सबसे बड़ी बात यह है कि इस तरह की भर्ती में हर वर्ग के नौजवानों को समान मौका मिलेगा। यानी जो एग्जाम और फिजिकल टेस्ट पास करेगा, उसे मौका मिलेगा। इस वक्त सेना में राजपूताना राइफल्स, सिख रेजीमेंट, गोरखा रेजीमेंट, महार रेजीमेंट में दूसरी जाति या वर्ग के लोगों को एंट्री नहीं मिलती। नई भर्तियों में ऐसा नहीं होगा। जहां जगह होगी, जहां जरूरत होगी, उन सभी रेजीमेंट्स में अग्निवीरों को तैनात किया जाएगा।

तीनों सेनाओं में जवानों की भर्ती के लिए न्यूनतम उम्र सीमा 17 साल 6 महीने और अधिकतम उम्र सीमा 21 साल होगी। यानी साढे सत्रह  साल से 21 साल तक के नौजवान फौज में भर्ती होने के लिए अप्लाई कर सकेंगे। भर्ती में चुने गए रंगरूटों को 6 महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी, उसके बाद उन्हें रेजिमेंट या यूनिट में ट्रांसफर किया जाएगा, जहां वे अगले करीब 3.5 साल तक अपनी सेवाएं देंगे। 4 साल पूरे होने के बाद 75 फीसदी जवान रिटायर हो जाएंगे, और बाकी  25 फीसदी जवानों को एक महीने बाद एग्जाम के जरिए सिलेक्शन किया जाएगा।

इस नीति का उद्देश्य पिछले 2 वर्षों से कोरोना के कारण भर्तियों पर रोक की वजह से खाली पड़े पदों को भरना है। जब  जवान 4 साल बाद रिटायर होंगे, तो सेना के आकार में कोई बड़ी कमी नहीं आएगी। इस तरह आर्मी ‘लीन ऐंड मीन’ (छोटी लेकिन दुरुस्त) मशीन में तब्दील होगी, और मॉडर्न वॉरफेयर के लिए तैयार होगी। तमाम एक्सपर्ट्स का मानना है कि 21वीं सदी में हमारे सशस्त्र बलों को चुस्त और जंग के लिए तैयार रहने की जरूरत है। 'अग्निपथ' नीति से यह मकसद भी पूरा होगा।

‘अग्निपथ’ नीति के तहत जवानों की कुल तनख्वाह 30 से 40 हजार रुपये होगी। इसका 70 फीसदी सैलरी के तौर पर हर महीने मिलेगा, बाकी 30 फीसदी रकम सेवा निधि खाते में जमा की जाएगी। सरकार अपनी तरफ से भी इतनी ही रकम खाते में जमा करेगी। मतलब यह कि अगर जवान की सैलरी 40 हजार रुपये है तो हर महीने जवान के अकाउंट में 28 हजार रुपये आएंगे, बाकी 12 हजार रुपये और सरकार की तरफ के 12 हजार रुपये, यानी 24 हजार रुपये हर महीने सेवा निधि खाते में डाले जाएंगेष जब 4 साल की सर्विस के बाद जवान रिटायर होंगे, तो उन्हें सेवा निधि में जमा 10 से 12 लाख रुपये मिलेंगे। यह रकम टैक्स फ्री होगी।

सेना में नौकरी के दौरान जवानों का 48 लाख रुपये का बीमा होगा, जो कि किसी जवान के ऑपरेशन के दौरान शहीद होने पर उसके परिवार को मिलेगी। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार की यह नई नीति एक क्रांतिकारी फैसला है। इससे आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के चरित्र में आमूलचूल परिवर्तन होगा। ब्रिटिश राज के दौर से चली आ रही सेना की कई परंपराएं बदल जाएंगी।

पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल एम. एम. नरवणे ने Tour of Duty या अग्निपथ नीति के बारे में 2 साल पहले संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था कि आर्मी अफसर जब भी कॉलेज या किसी इंस्टीट्यूट में जाते थे, तो युवाओं का अक्सर यह सवाल होता था कि आखिर आर्मी लाइफ होती कैसी है? कुछ लोग पूरी जिंदगी सेना में नहीं बिताना चाहते। नई नीति ऐसे ही युवाओं की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने की कोशिश करेगी, जो 4 साल तक सेना में सेवा कर सकते हैं और उसके बाद आम जिंदगी में लौट सकते हैं।

बहुत से लोगों के मन में यह सवाल है कि 4 साल की सर्विस के बाद जवान क्या करेंगे ?  अग्निपथ नीति के तहत जो युवा फौज में नौकरी करेंगे, उन्हें इसका डिप्लोमा मिलेगा और क्रेडिट स्कोर भी दिया जा सकता है। अगर कोई आगे की पढ़ाई करना चाहता है तो आर्मी में सर्विस का डिप्लोमा या क्रेडिट स्कोर उसके बहुत काम आएगा। आर्मी से रिटायरमेंट के बाद सरकार भी उन्हें नया रोजगार तलाशने में मदद देगी। सरकार का कौशल विकास मंत्रालय उन्हें नए हुनर सिखाएगा। रिटायरमेंट के बाद ये जवान, पुलिस या सेंट्रल पैरामिलिट्री फोर्सेंज में भी नौकरी हासिल कर सकते हैं। इससे पुलिस फोर्स को भी प्रशिक्षित जवान मिलेंगे। कॉरपोरेट सेक्टर ने भी अग्निपथ नीति में काफी दिलचस्पी दिखाई है। सेना से प्रशिक्षित ये जवान रिटायर होने के बाद कंपनियों का भी हिस्सा बन सकेंगे।

नई नीति से सिर्फ नौजवानों को सेना में सेवा करने का मौका नहीं मिलेगा, बल्कि इससे सरकार को भी फायदा होगा। इस नीति से हजारों करोड़ रुपये बचेंगे, और यह रकम तीनों सेनाओं के आधुनिकीकरण में काम आएगी, इससे नए हथियार खरीदे जा सकेंगे। 2021 में तीनों सेनाओं के रक्षा बजट का लगभग 60 फीसदी हिस्सा सैलरी और पेंशन देने में ही खर्च हो गया था। उसके बाद आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के पास नए और आधुनिक हथियार खरीदने के लिए ज्यादा पैसे ही नहीं बचे। मौजूदा समय में 10 साल की सर्विस देने वाले जवान पर सरकार 5 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करती है, जबकि 14 साल की नौकरी करने वालों पर करीब 6.25 करोड़ रुपये का खर्च आता है। नई नीति के तहत 4 साल तक सेवाएं देने वाले एक जवान पर सरकार के महज 80-85 लाख रुपये खर्च होंगे। अग्निपथ नीति के तहत करीब 11 हजार करोड़ रुपये की बचत होगी।

चीन अपने रक्षा बजट का लगभग 30 फीसदी वेतन और पेंशन पर खर्च करता है, जबकि बाकी 70 फीसदी बजट से सेना के लिए नए हथियार खरीदे जाते हैं। 'अग्निपथ' नीति इसी दिशा में एक कदम है। हालांकि ऐसा नहीं है कि सभी रक्षा विशेषज्ञ सरकार की इस नीति को अच्छा बता रहे हैं। कुछ विशेषज्ञ ऐसे भी हैं जो इस नीति के खिलाफ हैं। कुछ सियासी दल भी इसके खिलाफ हैं। सेना में डायरेक्टर जनरल ऑफ़ मिलिट्री ऑपरेशंस रहे रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया का कहना है कि इससे आर्मी के स्लोगन, ‘नाम, नमक और निशान’ का जज्बा कमजोर होगा।

लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) हरवंत सिंह पूछते हैं, ‘केवल 4 साल के लिए भर्ती किए गए जवान को हम कैसे प्रेरित करेंगे कि वह जंग के मैदान में अपनी जान देने के लिए तैयार हो जाए? क्या वे उस रेजिमेंटल स्पिरिट और यूनिट के युद्धघोष को आत्मसात करेंगे जो उन्हें गोलियों की बौछार के बीच भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है?’ एक अन्य मेजर जनरल (रिटायर्ड) संजय मेस्टन ने कहा कि इससे सेना का राजनीतिकरण होगा क्योंकि भर्ती के वक्त नेता पैरवी करेंगे और 4 साल की सेवा के बाद जिन 25 फीसदी जवानों को रिटेन करना है, उन्हें लेकर दखलंदाजी बढ़ेगी।

किसी भी योजना को देखने के दो तरीके होते है, एक सकारात्मक, दूसरा नकारात्मक। अभी सरकार ने नीति का ऐलान नहीं किया है, हालांकि योजना फाइनल हो गई है। हो सकता है सरकार आखिरी वक्त में कुछ और बदलाव करे, लेकिन मुझे लगता है कि यह नरेंद्र मोदी का क्रांतिकारी विचार  है। यह सही है कि इस तरह की योजना से सेना के बजट का बड़ा हिस्सा बचेगा, पेंशन का बोझ सरकारी खजाने पर नहीं होगा, और जो पैसा बचेगा उससे सेना को आधुनिक और ताकतवर बनाने में मदद मिलेगी। यह पैसा आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के आधुनिकीकरण पर खर्च होगा। इसमें बुरी बात क्या है?

दूसरी बात इस तरह की नीति से देश के उन नौजवानों को सेना में काम करने का मौका मिलेगा जो सेना में जाने के सपने देखते हैं। उन्हें आर्मी की ट्रेनिंग मिलेगी, और वे 4 साल तक सेना के अनुशासन में रहेंगे। इसलिए जब ये सेना से रिटायर होकर आम जीवन में लौटेंगे तो अनुशासित नागरिक होंगे। चूंकि वे प्रशिक्षित भी होंगे, इसलिए पुलिस और अर्धसैनिक बलों के लिए अनुभवी लोग आसानी से मिल सकेंगे। रूस, इजरायल, तुर्की, कोरिया, ब्राजील जैसे करीब 85 मुल्कों में हर नौजवान के लिए सेना में काम करना अनिवार्य है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह अनिवार्यता थोपी नहीं है, बल्कि लाखों नौजवानों को सेना में शामिल होने का स्वर्णिम अवसर दिया है। इस नीति का फायदा हमारे देश और हमारी फौज को होगा। इसका फायदा हमारे देश के नौजवानों को भी होगा। इसलिए  ‘Tour of Duty’, अग्निपथ नीति का स्वागत होना चाहिए। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 08 जून, 2022 का पूरा एपिसोड

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