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Rajat Sharma's Blog | प्रशांत किशोर की नई पार्टी : मैदान में सामने आकर लड़ो

प्रशांत किशोर ने जिस तरह से पार्टी में फैसले लेने की और उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया तैयार की है, वो भी इंप्रैसिव है। मैं उनकी बस एक ही बात से सहमत नहीं हूं। प्रशांत किशोर का ये कहना कि मैं मुख्यमंत्री नहीं बनूंगा सही विचार नहीं है।

Written By: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: October 03, 2024 13:18 IST
Rajat sharma, INDIA TV- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

गांधी जयंती 2 अक्टूबर को प्रशान्त किशोर औपचारिक रूप से पॉलिटिकल स्ट्रैटजिस्ट से नेता बन गए। प्रशान्त किशोर ने अपनी नई पार्टी बना ली। पार्टी का नाम है, जनसुराज पार्टी।  पटना के वेटेरिनरी कॉलेज ग्राउंड में  पूरे बिहार से पचास हजार से ज्यादा लोग जुटे। प्रशान्त किशोर ने ऐलान किया कि उनकी पार्टी न तो वामपंथी, और न ही  दक्षिणपंथी विचारधारा अपनाएगी, वो सिर्फ इंसानियत की राह पर चलेगी,  बिहार को नंबर वन राज्य बनाएंगे, बिहारियों के सम्मान के लिए काम करेंगे। पार्टी के झंडे पर बापू और बाबा साहब दोनों की फोटो होगी। प्रशान्त किशोर ने कहा कि अगर बिहार में उनकी पार्टी की सरकार बनती है तो एक घंटे के भीतर शराबबंदी को हटा देंगे, शराब से जो पैसा टैक्स के तौर पर मिलेगा, उससे स्कूल बनवाएंगे, बच्चों को पढ़ाएंगे क्योंकि अच्छी शिक्षा ही सारी परेशानियों से निजात दिला सकती है। प्रशान्त किशोर न पार्टी के अध्यक्ष होंगे, न मुख्यमंत्री पद के दावेदार। रिटायर्ड IFS अधिकारी मनोज भारती जनसुराज पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष होंगे। प्रशान्त किशोर की पार्टी के सभी बड़े फैसले नेतृत्व परिषद करेगी। 

दो साल पहले 2 अक्टूबर को प्रशांत किशोर ने चंपारण से जनसुराज यात्रा की शुरुआत की थी। 2 साल में उनकी यात्रा बिहार के साढ़े 5 हजार गांवों में गई, 17 जिलों में घूम कर प्रशांत किशोर ने लोगों को अपने साथ जोड़ा। इसके बाद जनसुराज पार्टी का एलान किया। जनसुराज पार्टी बिहार के अगले इलेक्शन में सभी 242 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। मंच पर प्रशांत किशोर के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र यादव, पूर्व सांसद मुनाज़िर हसन, पूर्व एमएलसी रामबली चंद्रवंशी, कर्पूरी ठाकुर की पोती जागृति ठाकुर,  मनोज भारती भी मौजूद थे। प्रशांत किशोर की टीम में कई अनुभवी अफसर हैं, जो अच्छी नौकरी छोड़कर उनके साथ जुड़े हैं। असम में तैनात तेजतर्रार IPS अफसर आनंद मिश्रा मूलरूप से बिहार के हैं। उन्हें असम में सिंघम कहा जाता है। अब आनंद मिश्रा टीम प्रशांत किशोर का हिस्सा हैं।

प्रशान्त किशोर के मैदान में उतरने से बिहार की राजनीतिक पार्टियों में हलचल है। सबकी नजर प्रशान्त किशोर की रणनीति पर है। JD-U के महासचिव अशोक चौधरी ने कहा कि प्रशांत किशोर पहले पैसा लेकर चुनाव लड़वाते थे और अब पैसा बनाने के लिए खुद चुनाव लड़ेंगे। केन्द्रीय मंत्री और LJP अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा, चुनाव कोई भी लड़ सकता है, लेकिन फैसला तो जनता करती है।  लालू यादव की बेटी मीसा भारती ने प्रशान्त किशोर की पार्टी को बीजेपी की बी टीम बता दिया।  बीजेपी, आरजेडी और जेडीयू के नेताओं की बात सुनकर एक बात तो साफ दिख रही है कि प्रशान्त किशोर की एंट्री से सब परेशान हैं। प्रशान्त किशोर राजनीति में नया नाम नहीं है, लेकिन नेता के तौर पर नए हैं। वह अचानक राजनीति में नहीं कूदे हैं। दो साल तक बिहार के गांव-गांव की खाक छानने के बाद मैदान में उतरे हैं, इसलिए उन्हें जनता की नब्ज़ पता है, उनका विजन स्पष्ट है, उन्हें रास्ता भी पता है, लक्ष्य भी है। प्रशान्त किशोर ने पार्टी बनाई,  अच्छा किया। बिहार को एक नई सोच की जरूरत है। साफ और सच्ची बात कहने वाले लीडर की आवश्यकता है। 

प्रशांत किशोर ने जिस तरह से पार्टी में फैसले लेने की और  उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया तैयार की है, वो भी इंप्रैसिव है। मैं उनकी बस एक ही बात से सहमत नहीं हूं। प्रशांत किशोर का ये कहना कि मैं मुख्यमंत्री नहीं बनूंगा सही विचार नहीं है। अगर वह वाकई में बिहार और बिहारियों को उनका हक दिलाने के लिए लड़ना चाहते हैं, तो उन्हें front foot पर आकर खेलना होगा, राजनीति में non playing captain की कोई जगह नहीं होती। ये कहने से काम नहीं चलेगा कि मैं नहीं बनूंगा, पार्टी किसी और को चुनेगी, मैं तो फिर से पैदल चलूंगा, इससे बिहार के लोगों के मन में भ्रम पैदा होगा। प्रशांत किशोर को बिहार की जनता के सामने साफ विकल्प देना चाहिए। अपने आप को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करना चाहिए। लोगों के सामने स्पष्ट विकल्प हो कि वो प्रशांत किशोर को अपना नेता मानते हैं या नहीं, उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं या नहीं। पिछले दो साल में जहां जहां प्रशांत किशोर गए हैं, लोगों ने उनकी बात सुनी है, उन पर भरोसा किया है। उन्हें जन सुराज के नेता के तौर पर देखा है। इसलिए कोई और नेता कैसे हो सकता है? प्रशांत किशोर के पास जिम्मेदारी से पीछे हटने का ऑप्शन नहीं है। वह जन सुराज का फेस हैं और ये फैसला बिहार की जनता करेगी कि वो इस face को पसंद करती है या नहीं। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 02 अक्टूबर, 2024 का पूरा एपिसोड

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