Thursday, December 19, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. Rajat Sharma’s Blog : मोदी का 9 साल का रिपोर्ट कार्ड

Rajat Sharma’s Blog : मोदी का 9 साल का रिपोर्ट कार्ड

मैं इस बात को लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत मानता हूं कि प्रधानमंत्री अपने 9 साल के काम गिना रहे हैं. मोदी जनता को हिसाब दे रहे हैं. लोकतंत्र में सरकार की जवाबदेही होनी चाहिए.

Written By: Rajat Sharma
Published : Jun 01, 2023 18:27 IST, Updated : Jun 02, 2023 6:21 IST
इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर इन चीफ रजत शर्मा।
Image Source : इंडिया टीवी इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर इन चीफ रजत शर्मा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने वाले कांग्रेस के नेताओं को करारा जवाब दिया. मोदी ने कहा, कांग्रेस ये पचा नहीं पा रही है कि देश के लोग एक गरीब के बेटे पर भरोसा क्यों करते हैं, परिवारवाद का विरोध करने वाला गरीब का बेटा देश का सम्मान कैसे बढ़ा रहा है. मोदी ने कहा कि कांग्रेस के नेताओं को परेशानी नए संसद भवन से नहीं, उन से है, कांग्रेस को गुस्सा इस बात का है कि गरीब का बेटा उनके भ्रष्टाचार औऱ उनके परिवारवाद पर सवाल खड़े क्यों कर रहा है. मोदी ने कहा कि नए संसद भवन से देश की शान बढ़ी है, लेकिन कांग्रेस ने देश के लिए गौरवशाली क्षण को अपने स्वार्थ की भेंट चढ़ा दिया.

मोदी ने बुधवार से राजस्थान में चुनाव अभियान की शुरूआत कर दी . मोदी  पुष्कर पहुंचे. प्राचीन ब्रह्मा मंदिर में निर्जला एकादशी की  पूजा  की, और अजमेर की रैली में कांग्रेस पर जबरदस्त हमले किए. मोदी ने अपनी सरकार के 9 साल का रिपोर्ट कार्ड लोगों के सामने रखा. बताया कि किसानों, महिलाओं, गरीबों और नौजवानों के लिए सरकार ने क्या क्या किया, कैसे हाइवे और रेलवे पर 25 लाख करोड़ रुपये खर्च किये गये. मोदी ने कहा कि लोगों को 2014 से पहले और उसके बाद के हालात की तुलना करनी चाहिए, फ़र्क़ समझ में आ जाएगा.

मैं इस बात को लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत मानता हूं कि प्रधानमंत्री अपने 9 साल के काम गिना रहे हैं. मोदी जनता को हिसाब दे रहे हैं. लोकतंत्र में सरकार की जवाबदेही होनी चाहिए. मोदी की ये बात सही है कि 9 साल पहले ज्यादातर बात भ्रष्टाचार को लेकर होती थी. विरोधी दलों को मोदी सरकार के कामों पर सवाल उठाने का हक है, उनके कमाकाज को परखने का अधिकार है, लेकिन अगर आप कांग्रेस का अभियान देखेंगे, तो कांग्रेस के नेता मोदी के कामकाज पर ज्यादा सवाल नहीं उठाते क्योंकि जो काम मोदी गिनाते हैं, वो ज़मीन पर दिखाई देता है. कांग्रेस का ज्यादातर समय मोदी को तनाशाह बताने में, मोदी को नीचा दिखाने में और मोदी का मजाक उड़ाने में जाता है. राहुल गांधी ने अमेरिका पहुंचकर यही किया. मोदी के साथ-साथ भारत के लोकतंत्र और भारत की संवैधानिक संस्थाओं पर भी हमला किया.

राहुल के बयानों से भारत को नुकसान होगा

अमेरिका दौरे पर गए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को कैलिफोर्निया में प्रवासी भारतीयों से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज में लोकतंत्र और संवैधानिक संस्थान कमज़ोर हो गये हैं. राहुल ने  कहा, मोदी किसी की सुनते नहीं हैं, मोदी खुद को भगवान समझते हैं, भारत में विरोधियों के लिए राजनीति के सभी टूल खत्म कर दिए गए, सभी संस्थाओं पर बीजेपी और RSS का कब्जा हो गया है, देश का सारा पैसा सिर्फ पांच बड़े लोगों के पास पहुंच गया है, ग़रीबी बढ़ रही है, बेरोज़गारी चरम पर है, आपसी झगड़े बढ़ रहे हैं, मुसलमानों पर जुल्म हो रहे हैं, सरकार विपक्ष की आवाज़ दबा रही है. ऐसी बहुत सारी बातें राहुल गांधी ने कहीं लेकिन इनमें कोई नई बात नहीं थी. राहुल ने जो बातें लंदन में कही थी, क़रीब क़रीब वही बातें अमेरिका में भी दोहराईं, सिर्फ जगह बदली, तारीख़ बदली, श्रोता बदले, राहुल वही थे और उनके डायलॉग वही थे. लंदन में राहुल गांधी ने जो बातें कहीं थी, उस वक्त उनकी आलोचना हुई थी, लेकिन उसका उनपर कोई असर नहीं  हुआ.

राहुल  इंदिरा गांधी की इस विरासत को नहीं मानते कि अपने घर के झगड़ों की चर्चा बाहर की दुनिया में नहीं करनी चाहिए. कांग्रेस में कई ऐसे नेता हैं जो मानते हैं कि राहुल को विदेशों में जाकर ये नहीं कहना चाहिए कि भारत में मुसलमानों पर जुल्म हो रहे हैं, क्योंकि पाकिस्तान और चीन इसका फायदा उठाते हैं. कांग्रेस में कई नेता ये भी मानते हैं कि विदेश में जाकर भारत के लोकतंत्र को कमजोर बताने से हमारी संवैधानिक संस्थाओं पर सवाल उठाने से देश का नुकसान होता है, लेकिन फिर वो ये भी कहते हैं कि ये काम पहले मोदी ने किया. मोदी ने पहले विदेश में जाकर कहा कि उनके प्रधानमंत्री बनने से पहले देश में कुछ नहीं हुआ. उन्हें मोदी की इस बात पर भी आपत्ति है कि पहले बाहर के मुल्कों में रहने वालों को अपने आप को भारतीय कहने में शर्म आती थी. मैं एक बार के लिए मान लेता हूं कि मोदी को ये नहीं कहना चाहिए था लेकिन इसमें ऐसा कुछ नहीं था जिसका इस्तेमाल देश के दुश्मन भारत के खिलाफ कर सकें. राहुल जो कह रहे हैं उसका इस्तेमाल देश के दुश्मन करेंगे, इसका नुकसान भारत को होगा. अगर राहुल ये सोचते हैं कि इससे मोदी का नुकसान होगा  या बीजेपी का नुकसान होगा, तो वो गलत सोचते हैं. जब ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने मोदी को ‘बॉस’ कहा, या अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मोदी की लोकप्रियता की बात की, या पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री ने मोदी के पैर छुए, तो ये भारत का सम्मान है, भारत के 140 करोड़ लोगों का सम्मान है, इसे सबको स्वीकार करना चाहिए.  

हकीकत ये है कि राहुल गांधी कन्फ्यूज्ड हैं, उन्हें ये समझ नहीं आ रहा है कि नरेन्द्र मोदी को रोकें, तो कैसे रोकें, उन्हें चुनाव में कैसे हराएं.

असल में नरेन्द्र मोदी और राहुल गांधी में एक बुनियादी फर्क है. नरेन्द्र मोदी कभी आराम के मूड में नहीं होते, कभी छुट्टी नहीं लेते, एक चुनाव खत्म होता है, दूसरे की तैयारी में लग जाते हैं. कर्नाटक में जीत के बाद राहुल गांधी अमेरिका चले गए, लेकिन जिस दिन 11 मई को कर्नाटक में लोग वोट डाल रहे थे, उसी दिन मोदी ने राजस्थान चुनाव की तैयारी शुरू कर दी थी. 11 मई को मोदी राजस्थान में थे, श्रीनाथद्वारा में पूजा करने के बाद रैली की थी. बुधवार को पुष्कर गए और अजमेर में रैली की. मोदी अपने काम पर भरोसा कर रहे हैं, और कांग्रेस को अपनी गारंटीज पर यकीन है. पिछले 8 महीने में मोदी 6 बार राजस्थान का दौरा कर चुके हैं.

राजस्थान में कांग्रेस के लिये खतरे की घंटी

मोदी को मालूम है कि राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस के सामने एक ही समस्या है – गुटबाज़ी. अगर इसे दूर कर लिया, तो बात बन सकती है, इसलिये मोदी ने सबसे पहले गुटबाज़ी को खत्म करने में ताकत लगाई. काफी हद तक इसे दूर कर किया, बुधवार को अजमेर रैली के मंच पर वसुंधरा राजे, गजेंद्र सिंह शेखावत, राजेंद्र सिंह राठौर और सी. पी. जोशी सभी एक साथ दिखाई दिये. ऐसा लग रहा है कि राजस्थान बीजेपी के नेताओं को साफ बता दिया गया है कि अगला चुनाव वसुंधरा राजे के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. दूसरी तरफ कांग्रेस मुश्किल में है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट की दूरियां खत्म करने की सारी कोशिशें नाकाम होती दिख रही है. बुधवार को सचिन पायलट अपने चुनाव क्षेत्र टोंक में थे. पायलट ने रैली में कहा कि वसुंधरा राजे शासन के दौरान हुए भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए उन्होंने गहलोत सरकार को जो अल्टीमेटम दिया था, वह खत्म हो गया है, अब उन्हें आगे क्या करना है, इसका फैसला जल्दी करेंगे.

गहलोत ने कहा था कि सबको धैर्य रखना चाहिए, सब्र का फल मीठा होता है, इस पर सचिन पायलट ने कहा कि उम्र में बड़े नेताओं को चाहिए कि वो नौजवानों को आगे आने का मौका दें, कुछ बुजुर्ग नेता खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, इसीलिए वो युवा नेताओं को पैर पकड़कर नीचे खींच लेते हैं. सचिन पायलट द्वारा उठाया गया भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई और रोजगार का मुद्दा तो गहलोत को घेरने के लिए है. हकीकत ये है कि सचिन पायलट चाहते हैं कि कांग्रेस राजस्थान में चुनाव से पहले उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करे. पांच  साल पहले किया गया अपना वादा पूरा करे. लेकिन आजकल अशोक गहलोत को कांग्रेस हाईकमान का समर्थन है, इसलिए उन्होंने साफ कह दिया है कांग्रेस हाईकमान को कोई मजबूर नहीं कर सकता, उन्होंने सचिन पायलट को धैर्य रखने का उपदेश दिया. मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी को लगता है कि सचिन पायलट की नाराजगी झेली जा सकती है लेकिन चुनाव से पहले अशोक गहलोत को नाराज करना पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा होगा. सचिन पायलट सब्र करने के लिए तैयार होंगे, ये मुश्किल लगता है. सचिन का अल्टीमेटम राजस्थान में कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी है. (रजत शर्मा

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 31 मई, 2023 का पूरा एपिसोड 

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement
detail