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Rajat Sharma's Blog | पाकिस्तान : फौज और सरकार बनाम न्यायपालिका और इमरान

इमरान खान का इल्जाम है कि पाकिस्तान में जो कुछ हो रहा है, वो लंदन में बैठे पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की लिखी हुई स्क्रिप्ट है.

Written By: Rajat Sharma
Published : May 16, 2023 16:41 IST, Updated : May 17, 2023 6:15 IST
इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा
Image Source : इंडिया टीवी इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा

पाकिस्तान में सोमवार रात को सेनाध्यक्ष जनरल आसिम मुनीर की अध्यक्षता में कोर कमांडर्स की विशेष बैठक हुई. इसमें ये तय हुआ कि 9 मई को जिन सैनिक ठिकानों पर हमले हुए, उनके दोषियों के खिलाफ आर्मी एक्ट और ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी. कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में कहा गया कि जिन लोगों ने 9 मई के हमलों की प्लानिंग की, और उन्हें अंजाम दिया, उनके बारे में फौज को सब कुछ पता है और कार्रवाई होगी. इसके चंद घंटे पहले सोमवार को पाकिस्तान में जूडिशीएरी का सरेआम अपमान किया गया, सरकार में शामिल पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट पर हमला कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के उस गेट पर कंटेनर लगा दिए गए हैं, जिस गेट से सुप्रीम कोर्ट के जज आते जाते हैं. सरकार में शामिल 13 पार्टियों के हजारों कार्यकर्ता सुप्रीम कोर्ट को घेर कर बैठे हैं. पाकिस्तान की पार्लियामेंट में चीफ जस्टिस को इस्तीफा देकर चुनाव लड़ने की नसीहत दी गई और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को सरेआम फांसी पर लटकाने की मांग की गई।

दूसरी तरफ इमरान खान ने कहा कि अब उनकी पत्नी बुशरा बीबी को जेल में डालने की साजिश हो रही है और उनकी पार्टी पर बैन लगाने की तैयारी हो गई है. सोमवार को लाहौर हाई कोर्ट ने बुशरा बीबी को 23 मई तक के लिए जमानत दे दी और इमरान खान की जमानत पर फैसला सुरक्षित रखा. इमरान खान का इल्जाम है कि पाकिस्तान में जो कुछ हो रहा है, वो लंदन में बैठे पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की लिखी हुई स्क्रिप्ट है.इमरान खान ने आशंका जताई है कि जिस तरह से सरकार और फौज उन्हें दस साल के लिए जेल में डालने की साजिश रच रही है. इसी तरह से शहबाज शरीफ की हुकूमत अब उन जजों के खिलाफ गंदी राजनीति करेगी जो सरकार की लाइन पर नहीं चल रहे हैं, जो संविधान  के मुताबिक फैसले कर रहे हैं. अब सवाल ये है कि इमरान खान को जेल में डालने के लिए क्या शहबाज शरीफ चीफ जस्टिस को हटाने की कोशिश करेंगे? चूंकि इमरान खान के समर्थक सरकार और फौज के खिलाफ सड़क पर हैं, और नवाज शरीफ के समर्थक सुप्रीम कोर्ट को घेर कर बैठे हैं, इसलिए सवाल ये भी है कि क्या अब पाकिस्तान में इमरजेंसी जैसे हालात हैं ?  पाकिस्तान में ऐसा लगता है कि किसी भी संस्थान का सम्मान नहीं बचा है. न कोई संसद को कुछ समझता है, न सरकार को. पिछले कुछ दिनों में फौज की इज्जत भी सारेआम उछाली गई और सोमवार को जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट को जलील किया गया,  जजों को जिस तरह से गालियां दी गईं,  वो किसी को भी हैरान कर सकता है.  लेकिन आज पाकिस्तान में जो हो रहा है, उसे वहां की आवाम ने पहले भी कई बार देखा है.

1997 में जब सुप्रीम कोर्ट ने नवाज शरीफ के खिलाफ फैसले सुनाए थे, तब सज्जाद अली शाह पाकिस्तान के चीफ जस्टिस थे. उस वक्त भी नवाज शरीफ की पार्टी के कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट पर हमला किया था. जजों के चैंबर्स तक पहुंच गए थे और यहां तक धमकी दी थी कि अगर कोर्ट ने अपना फैसला नहीं बदला तो जजों को मार देंगे. सज्जाद अली शाह ने खुद को अपने चेंबर में कैद कर लिया था और डिस्ट्रेस कॉल दी थी, पाकिस्तान की फौज से मदद मांगी थी. फौज की सुरक्षा में जजों को कोर्ट से निकाला गया था. उस वक्त फजुलर्रहमान की पार्टी ने कोर्ट पर हमले की निंदा की थी और आज फजुलर्रहमान नवाज शरीफ की पार्टी के नेताओं के साथ खुद हजारों की भीड़ लेकर सुप्रीम कोर्ट के गेट पर कंटेनर लगा कर बैठे हैं. इसीलिए मैंने कहा कि पाकिस्तान में जो हो रहा है, वो नया नहीं है, ऐसा कई बार हो चुका है, सिर्फ खिलाड़ी बदले हैं, हरकतें वही पुरानी हैं.

कर्नाटक में मुख्यमंत्री को लेकर सस्पेंस  

कर्नाटक में कांग्रेस ने चुनाव तो जीत लिया, जश्न भी मना लिया लेकिन अब इस सवाल पर गाड़ी अटकी है कि मुख्यमंत्री कौन होगा. पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैय़ा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डी के शिवकुमार, दोनों ने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दावा ठोक दिया है. बेंगलुरू में ये मामला नहीं सुलझा तो अब दिल्ली में माथापच्ची चल रही है. दोनों नेता दिल्ली पहुंच गए हैं. मुख्यमंत्री कौन होगा ये फैसला करना कांग्रेस नेतृत्व के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है.कांग्रेस हाई कमान के सामने कई मजबूरियां हैं.सिद्धारमैया पुराने नेता हैं, उन्होंने ज्यादा संख्या में विधायकों को अपने पक्ष में कर लिया है, इसलिए उन्हें नाराज करना खतरे से खाली नहीं हो सकता, लेकिन डीके शिवकुमार की ये बात सही है कि जब पार्टी मुश्किल में थी, लोग कांग्रेस छोड़कर जा रहे थे, तो उन्होंने सोनिया गांधी के कहने पर जान लगा दी.  डीके शिवकुमार को आज अहमद पटेल की कमी महसूस हो रही है. अहमद पटेल उन्हें बहुत मानते थे. अहमद पटेल के राज्यसभा चुनाव को फाइनेंस करने की वजह से ही उनपर रेड हुई थी, उनके रिश्तेदारों और बिजनेस पार्टनर पर बहुत सारे केस दर्ज हुए थे. डीके शिवकुमार को लगता है कि उन्होंने अपमान सहे, जेल गये, तो भी कांग्रेस को फिर से खड़ा किया, चुनाव जितवाया इसलिए मुख्यमंत्री तो उन्हें ही बनना चाहिए. डी के शिवकुमार को लगता है कि उन्होंने सोनिया गांधी को कर्नाटक डेलिवर किया, अब बारी सोनिया गांधी की है, उन्हें चीफ मिनिस्टर का पद डेलिवर करने की. डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के टकराव को देखते हुए कांग्रेस बीच का रास्ता निकालना चाहती है. पता ये लगा है कि शुरू के दो साल सिद्धारमैया को और फिर बाद में तीन साल डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने की पेशकश की गई. लेकिन शिवकुमार इसके लिए तैयार नहीं है, क्योंकि वो राजस्थान और छत्तीसगढ़ का हाल देख चुके हैं, इसलिए डीके कह रहे हैं कि कांग्रेस हाईकमान को फैसला करने दीजिए, वो वक्त आने पर बोलेंगे. डीके की यही खामोशी कांग्रेस को परेशान कर रही है, लेकिन इतना तो तय है कि डीके शिवकुमार अब दूसरे सचिन पायलट नहीं बनना चाहते.

सचिन पायलट का अल्टीमेटम

सचिन पायलट राजस्थान में अपनी ही सरकार के खिलाफ पदयात्रा कर रहे हैं. सोमवार को उनकी पदयात्रा का आखिरी दिन था. इस मौके पर सचिन पायलट ने साफ साफ कहा कि अगर 30 मई तक उनकी मांगे नहीं मानी गईं, तो वो गांधीवादी रास्ता छोड़कर सड़क पर उतर कर आंदोलन करेंगे. सचिन पायलट  ने कांग्रेस हाईकमान के सामने तीन शर्तें रखीं , वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए आय़ोग बने, जिस राजस्थान सेवा चयन आयोग के पेपर लीक हुए हैं, उस आयोग को पुनर्गठित किया जाए  और इम्तिहान में बैठने वाले उम्मीदवारों को जो नुक़सान हुआ है उनको हर्ज़ाना दिया जाए. उधर, गहलोत सरकार में मंत्री राजेन्द्र गुढा अपनी ही सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के इल्जाम लगा रहे हैं. गूढा ने आरोप लगाया है कि गहलोत ने अपनी सरकार बचाने के लिए बीजेपी के विधायकों को 20-20 करोड़ रुपये दिये. सवाल ये है कि फिर वो जांच क्यों नहीं करवाते ? जांच एजेंसियों को सबूत क्यों नहीं देते ? अगर कोई उनकी नहीं सुनता तो इस्तीफा क्यों नहीं देते? हकीकत ये है कि ये सब आरोप सियासी हैं. अशोक  गहलोत को कमजोर करने, चुनाव से पहले गहलोत को घेरने की रणनीति है. सचिन पायलट चाहते हैं कि कांग्रेस हाईकमान इस बार चुनाव से पहले उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करे, लेकिन अशोक गहलोत ने हाईकमान को समझा दिया है कि सचिन पायलट बीजेपी की गोद में खेल रहे हैं, इसलिए पायलट की ये उम्मीद तो पूरी होती नहीं दिख रही हैं. फिर सवाल ये है कि सचिन पायलट का क्या होगा? लगता तो ये है कि कर्नाटक में मुख्यमंत्री की कुर्सी का झगड़ा निपट जाए, सरकार का गठन हो जाए, उसके बाद मल्लिकार्जुन खरगे सचिन पायलट के बारे में फैसला करेंगे. और अभी तक के जो हालात हैं, उसमें लगता तो यही है कि सचिन पायलट के खिलाफ कार्रवाई होगी, फिर सचिन पायलट अलग पार्टी बनाकर चुनाव के मैदान में उतरेंगे. कांग्रेस अंदरूनी झगड़ों में फंसी है, उधर, बीजेपी ने राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में चुनाव की तैयार शुरू कर दी है. (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 15 मई, 2023 का पूरा एपिसोड

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