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Rajat Sharma’s Blog: नीतीश को योगी से सीखना चाहिए कि अपराधियों से कैसे निपटें

फायरिंग की पहली घटना बछवाड़ा में हुई, जहां एक फाइनेंस कंपनी के 26 वर्षीय कर्मचारी विशाल कुमार को गोली मारी गई।

Written By: Rajat Sharma
Updated on: September 15, 2022 18:41 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

बिहार तेज़ी से ‘जंगलराज’ की तरफ लौट रहा है और क्राइम का ग्राफ चढ़ता ही जा रहा है। बेगूसराय जिले में सोमवार की शाम मोटरसाइकिलों पर सवार बदमाशों ने नेशनल हाईवे पर 30 किलोमीटर तक फर्राटा भर कर गोलियां बरसाईं। एक राहगीर की मौत हो गई जबकि 9 अन्य घायल हो गए।

बिहार पुलिस लापरवाह दिखी और बदमाशों का पकड़ा जाना अभी बाकी है। पेट्रोलिंग टीम को लीड करने वाले 7 सब-इंस्पेक्टर्स को ड्यूटी में लापरवाही बरतने के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया है। बदमाश उन इलाकों से भी गुजरे थे जहां इन पेट्रोलिंग टीमों की ड्यूटी लगी थी। इंडिया टीवी के रिपोर्टर ने बाद में पाया कि पुलिस की एक गाड़ी में वायरलेस सेट काम ही नहीं कर रह था। पुलिस ने पहले बताया कि एक बाइक पर 2 बदमाश सवार थे, लेकिन बाद में CCTV फुटेज की जांच में पता चला कि 2 मोटरसाइकिलों पर सवार 4 बदमाशों ने घटना को अंजाम दिया।

शाम करीब 4 बजे मोटरसाइकिल सवार बदमाश बेगूसराय कस्बे के मल्हीपुर चौक पहुंचे और इस व्यस्त इलाके में कई दुकानों  की तरफ फायरिंग की। दहशत में लोग खुद को बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे और कई दुकानदार तो अपनी दुकानें खुली छोड़कर भागे । बदमाशों ने बछवाड़ा से चकिया तक 30 किलोमीटर की दूरी तय की और इस दौरान 4 थाना क्षेत्रों को पार किया।

फायरिंग की पहली घटना बछवाड़ा में हुई, जहां एक फाइनेंस कंपनी के 26 वर्षीय कर्मचारी विशाल कुमार को गोली मारी गई। तेघड़ा में 30 वर्षीय गौतम कुमार गोलीबारी के दूसरे शिकार थे। तीसरी फायरिंग फुलवड़िया मोती चौक में हुई, जहां एक युवक दीपक कुमार की पीठ में गोली मारी गई। फायरिंग की चौथी घटना चकिया में हुई।

फायरिंग की घटनाओं में घायल हुए 9 लोगों के नाम हैं: रोहित कुमार, रंजीत कुमार, विशाल कुमार, प्रशांत कुमार रजक, गौरव कुमार, दीपक चौधरी, भरत यादव, अमरजीत दास और अमरजीत कुमार उर्फ जीतू। घायलों में एक एलपीजी एजेंसी का ड्राइवर, एक आइसक्रीम विक्रेता, एक पान बेचने वाला, एक चरवाहा और एक पंचायत सदस्य शामिल है।

बेगूसराय के एसपी योगेंद्र कुमार ने कहा कि गुंडों की गिरफ्तारी के लिए 4 स्पेशल टीमों का गठन किया गया है। 5 लोगों को हिरासत में लिया गया है और जिले की सीमाओं को सील कर दिया गया है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पुलिस महानिदेशक एसके सिंघल को अपने आवास पर तलब किया और निर्देश दिया कि गुंडों को तुरंत पकड़ा जाए।

रास्ते में 4 पुलिस थाने थे और एक जगह तो पुलिस थाने से सिर्फ 500 मीटर की दूरी पर गोलियां चलाई गईं। बदमाशों ने अपने चेहरे को नहीं ढंका था और पुलिस की टीमें तस्वीरों की मदद से उनका पता लगाने की कोशिश कर रही हैं। वरिष्ठ अफसरों ने दावा किया कि जब फायरिंग शुरू हुई तब वायरलेस नेटवर्क पर अलर्ट दिया गया, लेकिन पुलिस की तरफ से कोई ऐक्शन नहीं हुआ।

बछवाड़ा टोल प्लाजा के सीसीटीवी फुटेज में मोटरसाइकिल पर बैठे बंदूकधारियों को बिना किसी डर के गाड़ी चलाते और पैदल चलने वालों पर फायरिंग करते हुए देखा जा सकता है। करीब 40 मिनट तक फायरिंग होती रही लेकिन पुलिस उन्हें कहीं भी नहीं रोक पाई। आखिरी फुटेज में बदमाशों को NTPC चौक से पटना की ओर जाने वाली सड़क की तरफ भागते हुए देखा गया।

हैरानी की बात यह है कि 40 मिनट तक गोलीबारी होती रही और पुलिस की तरफ से कोई ऐक्शन नहीं लिया गया। गोलीबारी के शिकार लोगों को उनके हाथ, पैर, पेट और शरीर के निचले हिस्सों में गोलियां लगीं। घायल पीड़ित सड़क के किनारे पड़े तड़प रहे थे, कराह रहे थे। पुलिस ने कुछ घायलों को अस्पताल भेजा जबकि कुछ घायलों को आम लोगों ने ही ऑटोरिक्शा से हॉस्पिटल पहुंचाया।

चश्मदीदों का कहना है कि बाइक के पीछे बैठकर फायरिंग करने वाला शख्स शराब के नशे में दिख रहा था, जबकि कुछ लोगों ने तो यहां तक कहा कि पुलिस की पट्रोलिंग पार्टी हाइवे पर तैनात थी और उन्होंने भी अपराधियों को देखा, इसके बावजूद उन्हें रोकने की कोशिश नहीं की।

बेगूसराय के एसपी योगेंद्र कुमार ने माना कि बछवाड़ा, तेघड़ा, फुलवड़िया और बरौनी थाना क्षेत्रों में पुलिस की पट्रोलिंग टीमों ने ठीक से काम नहीं किया। उन्होंने कहा कि इसके अलावा FCI आउटपोस्ट, चकिया आउटपोस्ट और जीरो माइल आउटपोस्ट पर तैनात पुलिसवालों ने भी ड्यूटी में लापरवाही बरती।

बंदूकधारियों का पता लगाने के लिए पटना, समस्तीपुर, नालंदा, लखीसराय, खगड़िया और बेगूसराय में अलर्ट जारी किया गया है। बिहार पुलिस के ADG ने कहा, प्रथमदृष्टया ऐसा लगता है कि फायरिंग लूट, व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने या किसी को निशाना बनाने के लिए नहीं की गई थी। एडीजी ने कहा, पुलिस को सिर्फ 30 मिनट का ‘छोटा सा वक्त’ मिला था और इसलिए वह तुरंत जवाब नहीं दे सकी। यह बयान हैरान करने वाला है। चश्मदीदों के मुताबिक, उन्होंने हाईवे पर मौजूद पुलिसवालों से बदमाशों को रोकने के लिए कहा था, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।

इंडिया टीवी के रिपोर्टर नीतीश चंद्र ने तेघड़ा थाने के पुलिस सब-इंस्पेक्टर कृष्ण कुमार से मुलाकात की। उन्हें ड्यूटी में लापरवाही बरतने के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया है। कृष्ण कुमार ने हमारे रिपोर्टर को बताया कि जब वारदात हुई तब वह पट्रोलिंग की ड्यूटी पर नहीं बल्कि थाने में थे, और गश्त पर जाने के लिए गाड़ी का इंतजार कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उन्हें तो पता ही नहीं था कि गोलीबारी की कोई वारदात हुई है क्योंकि थाने में उस वक्त तक ऐसी कोई खबर नहीं आई थी।

हमारे रिपोर्टर ने बरौनी थाने में तैनात संजय कुमार से भी मुलाकात की। संजय कुमार हाईवे ड्यूटी पर थे और जब फायरिंग हुई तब वह हाइवे पर ही मौजूद थे। बाइक पर सवार अपराधी उनके सामने से निकल गए। संजय कुमार का कहना है कि जब गुंडे उनके सामने से निकले तब तक उन्हें घटना के बारे में कोई सूचना ही नहीं थी। उन्होंने कहा, ‘हम उन्हें कैसे पकड़ते? हाईवे से सैकड़ों बाइकें गुजरती हैं। किसी के माथे पर थोड़े लिखा होता है कि वह फायरिंग करके आ रहा है।’

सस्पेंड होने वालों में जीरो माइल आउटपोस्ट में तैनात सब-इंस्पेक्टर मुकरू हेम्ब्रम भी शामिल हैं। हेम्ब्रम ने कहा कि घटना के दिन वह हाइवे पर पट्रोलिंग कर रहे थे, लेकिन जब तक उन्हें फायरिंग की खबर मिली, तब तक तो भीड़ लग चुकी थी। हमारे रिपोर्टर से हेम्ब्रम ने कहा, ‘ये सब गलत बात है कि वायरलेस पर इस तरह की कोई सूचना फ्लैश हुई थी। मैंने कोई गलती नहीं की है। बड़े अफसर अपनी नौकरी बचाने के लिए छोटे लोगों को बलि का बकरा बना रहे हैं।’

फुलवड़िया थाने में इंडिया टीवी के रिपोर्टर नीतीश चंद्र को एक पट्रोलिंग जीप मिली। जब उन्होंने पूछा कि गाड़ी में लगा वायरलेस सेट काम कर रहा है तो जवाब में पुलिसवालों ने कहा कि सब दुरुस्त है। लेकिन जब हमारे रिपोर्टर ने पुलिसवालों से पूछा कि जरा बताइए वायरलेस सेट कैसे काम करता है, तो जीप में बैठे पुलिसकर्मी हड़बड़ा गए। वायरलेस सेट काम नहीं कर रहा था। उस पर कोई मैसेज नहीं आ रहा था। इसके बाद पुलिसकर्मी ने कहा कि वह तो ड्राइवर है, और सिर्फ ऑपरेटर ही वायरलेस सेट को चला सकता है।

पुलिस की गाड़ियों में लगे वायरलेस सेट काम नहीं कर रहे थे और यह भी एक वजह हो सकती है कि गुंडे हाइवे पर 30 किलोमीटर तक गोलियां बरसाते गए और पुलिस उन्हें पकड़ नहीं पाई।

बेगूसराय में बुधवार को बीजेपी कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री और बेगूसराय से बीजेपी के सांसद गिरिराज सिंह जिले में पहुंचे और घटना में मारे गए नौजवान चंदन कुमार के अंतिम संस्कार में शामिल हुए। 32 साल के चंदन कुमार NTPC के कर्मचारी थे। वह शाम को ड्यूटी से लौट रहे थे कि तभी हाइवे पर उन्हें गोली लगी और मौके पर ही उनकी मौत हो गई। गिरिराज सिंह ने चंदन की अर्थी को कंधा दिया और कहा कि चंदन की सबसे बड़ी गलती यह थी कि वह बिहार में पैदा हुए।

गिरिराज सिंह पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बेगूसराय के महादेव चौक पर धरने पर बैठ गए। उन्होंने चंदन कुमार के परिवार के लिए एक करोड़ रुपये के मुआवजे और उनकी विधवा के लिए नौकरी की मांग की। उन्होंने घायलों के लिए भी 50 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की। उन्होंने कहा, ‘आइसक्रीम बेचने वाले, पान वाले, एलपीजी एजेंसी के ड्राइवर की मदद कौन करेगा जिन्हें गोलियां मारी गईं?’

बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा ने अस्पताल में घायलों से मुलाकात की। उन्होंने आरोप लगाया कि ‘बिहार में अपराध अब आतंकवाद का रूप ले रहा है। ऐसी घटनाएं पहले कभी नहीं हुईं।’ लेकिन घायलों से मुलाकात करने वाले RJD विधायक राजबंशी महतो ने कहा, ‘यह घटना सरकार को बदनाम करने के षड्यंत्र का हिस्सा हो सकती है।’

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कहा, ‘बेगूसराय में जो कुछ भी हुआ वह पूर्व नियोजित और जानबूझकर किया गया। यह निश्चित तौर पर एक साजिश है। जहां फायरिंग की गई वहां एक तरफ मुसलमानों का इलाका है और दूसरी तरफ पिछड़े वर्ग के लोग रहते हैं।’ यानी मुख्यमंत्री आरोप लगा रहे थे कि बंदूकधारियों के निशाने पर मुसलमान और पिछड़े वर्ग के लोग थे।

मंगलवार को बेगूसराय की सड़कों पर जो दिखा वह फिल्मों में होता है। बाइक पर सवार गुंडे गोलियां चलाते हैं, लोगों को मारते हैं और जोर-जोर से सायरन बजाती पुलिस तब पहुंचती है जब गुंडे फरार हो चुके होते हैं। लेकिन जितना हैरान करने वाली यह वारदात थी, जितना परेशान करने वाला पुलिस का जवाब था, उससे ज्यादा हैरान परेशान करने वाला नीतीश कुमार का रिएक्शन था। नीतीश बाबू कह रहे थे कि कोई साजिश है क्योंकि वहां एक तरफ मुसलमान रहते हैं और दूसरी तरफ पिछड़े।

मैं नीतीश कुमार से एक आसान सवाल पूछना चाहता हूं: क्या 30 किलोमीटर सड़क पर बाइक दौड़ाते, गोलियां चलाते गुंडे ये देख रहे थे कि पिछड़ों को गोली मारनी है या मुसलमानों को? यह मजाक नहीं तो और क्या है? क्या बिहार में आजकल लोग अपनी जाति, अपने धर्म का टैग माथे पर लगा कर सड़कों पर उतरते हैं? अगर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोलीबारी की ऐसी वारदात को जाति और मजहब की नजर से देखेंगे तो जांच का क्या हाल होगा?

अगर मुख्यमंत्री यह कहेंगे कि फायरिंग करने वालों ने पिछड़ों और मुसलमानों को निशाना बनाने की कोशिश की, तो क्या पुलिस गुंडों की जाति पूछेगी, या मरने वालों का मजहब क्या था इसकी जांच करेगी? किसी भी सरकार के लिए यह शर्म की बात है कि एक हाइवे पर 30 किलोमीटर तक 40 मिनट फायरिंग होती रहे और 30 घंटे के बाद भी पुलिस अपराधियों को खोज न पाए।

बिहार में 17 साल सरकार चलाने के बाद क्या नीतीश कुमार को यह सीखना बाकी है कि अपराधियों का इलाज कैसे होता है? अगर नहीं मालूम तो उन्हें कुछ दिन योगी आदित्यनाथ के साथ अपने पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में बिताने चाहिए। उन्हें वहां जाकर यह देखना चाहिए कि किस तरह योगी सरकार ने अपराधियों के दिल में कानून का खौफ पैदा किया है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 14 सितंबर, 2022 का पूरा एपिसोड

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