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Rajat Sharma's Blog | महिलाओं का अपमान : क्या नीतीश को सीएम पद पर बने रहना चाहिए?

जो नेता विधानसभा और विधान परिषद में अश्लील बातें कर सकता है, क्या उसे बिहार का नेतृत्व करने का अधिकार है ? नीतीश कुमार ने जो बेशर्मी दिखाई, जिस तरह की गंदी बात की, उसके बाद उन्हें अपने पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है।

Written By: Rajat Sharma
Updated on: November 10, 2023 6:26 IST
Rajat Sharma, India TV- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

बिहार विधानसभा में मंगलवार को नीतीश कुमार ने जिस बेशर्मी से, जिस अभद्रता के साथ  बिहार की माताओं और बहनों को अपमानित  किया, उस पर वो अगले दिन  हाथ जोड़कर माफी मांगते रहे। खुद अपनी निंदा करते रहे, अपने बयान को शर्मनाक बताते रहे, लेकिन बात नहीं बनी। नीतीश कुमार ने विधानसभा में जिस निर्लज्जता से बात की, जिस अश्लील अंदाज में बोले, उसके खिलाफ पूरे देश में नाराज़गी दिखी। कांग्रेस ने नीतीश कुमार से किनारा कर लिया। इंडिया अलायन्स में शामिल दूसरी पार्टियों ने चुप्पी साध ली। AIMIM चीफ असदद्दुीन ओवैसी ने कहा कि उन्हें ये समझ नहीं आ रहा है कि एक मुख्यमंत्री विधानसभा को थिएटर कैसे समझ सकता है, जिसमें कोई अश्लील फिल्म चल रही हो। उनकी अपनी पार्टी जेडीयू और आरजेडी के नेताओं ने नीतीश का बचाव  करने की नाकाम कोशिश की। उनका बचाव किसी काम नहीं आया। दिल्ली से लेकर पटना तक बीजेपी की तरफ से प्रदर्शन शुरू हो गए। बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने नीतीश कुमार के पुतले जलाए, बिहार विधानसभा में हंगामा हुआ। वहां भी नीतीश ने माफी मांगी लेकिन बीजेपी ने साफ कर दिया कि अब नीतीश कुमार जब तक इस्तीफा नहीं देंगे, उनकी कोई बात नहीं सुनी जाएगी। ये मुद्दा तब और बड़ा हो गया जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्य प्रदेश की चुनावी रैली में नीतीश के बयान का ज़िक्र किया। नीतीश के बयान को महिलाओं का अपमान बताया। मोदी ने कहा कि उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि ये नेता कितना नीचे गिरेंगे? कब तक दुनिया भर में देश का अपमान कराएंगे? मोदी ने कहा कि उन्हें हैरानी इस बात पर है कि नीतीश ने जो मोदी-विरोधी मोर्चा बनाया है, उसमें शामिल पार्टियों के नेता भी मुंह में दही जमाकर बैठे हैं। 

चूंकि प्रधानमंत्री ने मुद्दा उठा दिया, इसलिए अब ये बात और आगे बढ़ गई। आम तौर पर मोदी किसी संवैधानिक पद पर बैठे नेता के खिलाफ इतने सख़्त लफ़्ज़ों का इस्तेमाल नहीं करते लेकिन चूंकि मुद्दा महिलाओं के सम्मान का था, नीतीश का बयान शर्मनाक था, इसलिए मोदी खुलकर बोले। इस मामले में मोदी के घोर विरोधी असदुद्दीन ओवैसी भी मोदी के साथ खड़े नजर आए। ओवैसी ने कहा कि एक मुख्यमंत्री से, एक तज़ुर्बेकार नेता से, इस तरह के अश्लील बयान की उम्मीद कोई नहीं करता, नीतीश ने न तो पद का ख्याल रखा, न विधानसभा की मर्यादा की परवाह की, न सामाजिक लोकलाज का ध्यान रखा। ओवैसी ने कहा कि वैसे तो विधानसभा में इस तरह की बात का कोई मतलब नहीं था लेकिन फिर भी अगर नीतीश कुमार जनसंख्या के मुद्दे को महिलाओं की शिक्षा से जोड़ना चाहते थे तो उसका शालीन तरीक़ा भी था, लेकिन नीतीश तो सब भूल गए, इसलिए अब उन्हें इसका खामियाज़ा भी भुगतना पड़ेगा। 

नीतीश के बयान पर जिस तरह की प्रतिक्रिया हो रही थी, उसके बाद नीतीश को भी अंदाजा हो गया था कि उन्होंने जो कहा उससे जातिगत सर्वे का मुद्दा तो पीछे रह गया, इसलिए बुधवार को नीतीश ने बिना शर्त, बिना किन्तु-परन्तु किये हाथ जोड़ कर माफी मांगी। लेकिन बीजेपी के विधायक सदन में हंगामा करते रहे और उनके इस्तीफे की मांग की। जब बात बढ़ गई तो बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी सामने आए। उन्होंने नीतीश कुमार को रिटायर होने की सलाह दी है। सुशील मोदी ने कहा कि इससे पहले नीतीश ऐसे अश्लील लफ़्ज़ों का इस्तेमाल कर चुके हैं, कई मौकों पर उन्हें खुद नहीं पता होता कि क्या कह रहे हैं, वो अफसरों और मंत्रियों के नाम भूल जाते हैं। सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश की उम्र हो चली है, अब उन्हें मुख्यमंत्री का पद किसी और को सौंप देना चाहिए। 

नीतीश कुमार के अभद्र और अश्लील भाषण का बचाव करने वाले दो तरह की बातें कह रहे हैं। एक तो ये कि मुख्यमंत्री ने खुद अपनी बात को शर्मनाक कह दिया, बार-बार माफी मांग ली, अब इस बात को तूल न दिया जाय। इसमें समझने की बात ये है कि नीतीश कुमार को माफी मांगने के लिए मजबूर किया गया, इसलिए नहीं कि उनकी अश्लील बातों से 13 करोड़ बिहारियों का सिर शर्म से झुक गया, बल्कि इसलिए कि उनके निर्लज्ज बयान से आरक्षण को 75 परसेंट करने का मुद्दा दब गया। इस सवाल पर मोदी को कॉर्नर करने की जो सियासी चाल उन्होंने चली थी, वो सेक्स लाइफ के बारे में बेशर्मी से कही गई बात की काली छाया में पीछे छूट गई। आरक्षण पर मोदी को घेरने का आइडिया फेल होता नज़र आया, इसलिए ये पॉलिटिकल माफी मांगी गई। दूसरी बात, आज कुछ लोगों ने मुझसे ये कहा कि नीतीश कुमार को माफ कर दीजिए, वो पगला गए हैं, मानसिक संतुलन खो बैठे हैं, उन्हें पता ही नहीं कि वो क्या बोल देते हैं। मेरा सवाल ये है कि जो व्यक्ति अपना मानसिक संतुलन खो बैठा है, जो पगला  गया है, क्या उसे मुख्यमंत्री बने रहना चाहिए ?  जो नेता विधानसभा और विधान परिषद में अश्लील बातें कर सकता है,  क्या उसे बिहार का नेतृत्व करने  का अधिकार है ? नीतीश कुमार ने जो बेशर्मी दिखाई, जिस तरह की गंदी बात की, उसके बाद उन्हें अपने पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है। ऐसे लोग भारतीय राजनीति के नाम पर कलंक हैं। और मुख्यमंत्री पद तो छोड़िए , मुझे लगता है उन्हें राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए। और जो नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनाने की बात कह रहे थे, उन्हें सोचना चाहिए कि  वो देश के साथ क्या करना चाहते हैं। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 08 नवंबर, 2023 का पूरा एपिसोड

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