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Rajat Sharma’s Blog | नवाब मलिक का मामला : अपराध या राजनीति?

मुझे लगता है कि केस की मेरिट का भी ध्यान रखा जाना चाहिए और इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि ऐसे मामलों में दोनों तरफ से सियासत न हो। 

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : February 24, 2022 17:05 IST
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.
Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

महाराष्ट्र की राजनीति में एक तूफान खड़ा हो गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में बुधवार को राज्य के कैबिनेट मंत्री और एनसीपी के वरिष्ठ नेता नवाब मलिक को गिरफ्तार कर लिया। मलिक की गिरफ्तारी दाऊद इब्रहिम की बहन की संपत्ति से जुड़े मामले में हुई। गिरफ्तारी के बाद ईडी ने नवाब मलिक को पीएमएलए (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने नवाब मलिक को तीन मार्च तक के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया है। 

 
नवाब मलिक की गिरफ्तारी के कुछ देर बाद ही एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने अपने मुंबई स्थित आवास सिल्वर ओक में एनसीपी के मंत्रियों और नेताओं की एक हाई लेवल मीटिंग बुलाई। इस मीटिंग के बाद वे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मिले और अगले कदम को लेकर चर्चा की। 
 
नवाब मलिक महाराष्ट्र सरकार के दूसरे मंत्री हैं जिनकी मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में गिरफ्तारी हुई है। इससे पहले अनिल देशमुख को भी ईडी ने इसी आरोप में गिरफ्तार किया था। शरद पवार ने कहा- मलिक की गिरफ्तारी 'राजनीतिक बदला चुकाने के लिए सत्ता का घोर दुरुपयोग' करने का एक उदाहरण है, और किसी को भी बदनाम करने, उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए दाऊद इब्राहिम से उसके नाम को जोड़ देना आसान काम है। अगर कोई मुस्लिम कार्यकर्ता शामिल होता है तो वह दाऊद का नाम लेते हैं.. 25 साल पहले जब मैं मुख्यमंत्री था तब इसी तरह के आरोप मुझ पर लगाए गए थे।' 
 
नवाब मलिक की कस्टडी पाने के लिए ईडी ने जो आवेदन दिया उसमें आरोप लगाया गया है कि नवाब मलिक ने दाऊद इब्राहिम के आतंकी नेटवर्क को उसकी बहन हसीन पारकर के जरिए फंडिंग की।  नवाब मलिक ने हसीन पारकर की संपत्ति औने-पौने दामों पर खरीदी जो अपराध की श्रेणी में आता है। ईडी ने अपने आवेदन में नवाब मलिक को इस पूरे मामले का मुख्य साजिशकर्ता और लाभार्थी बताया है। 
 
महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महा अघाड़ी गठबंधन में शामिल दल शिव सेना, कांग्रेस और एनसीपी ने गिरफ्तारी की निंदा की और आरोप लगाया कि केंद्र विपक्ष को कुचलने की कोशिश कर रहा है। शरद पवार ने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से फोन पर बात की। ममता ने भी इस मुद्दे पर एनसीपी के साथ एकजुट रहने की बात कही। 
 
शिवसेना ने राज्य की बीजेपी ईकाई को जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी। शिवसेना नेता संजय राउत ने आरोप लगाया कि बीजेपी अब पीठ में छुरा घोंप रही है। उन्होंने कहा कि जैसे अफजल खान ने शिवाजी महाराज के साथ किया था ठीक उसी तरह से बीजेपी भी कर रही है। उन्होंने कहा-हम लड़ेंगे, हम जीतेंगे, रावण और कंस मारे जाएंगे, यही हिंदुत्व है।
 
एनसीपी की मीटिंग में सभी नेताओं ने सर्वसम्मति से यह फैसला लिया कि नवाब मलिक से इस्तीफा नहीं लिया जाएगा। एनसीपी ने इस मामले को अदालत और जनता, दोनों के बीच लड़ने का फैसला लिया है। नवाब मलिक ने आरोप लगाया कि उन्हें अचानक गिरफ्तार कर लिया गया, बिना किसी सम्मन या वारंट के उनके घर से उठा लिया गया। ईडी की टीम सुबह पांच बजे नवाब मलिक के कुर्ला स्थित आवास पर पहुंची और उन्हें बलार्ड एस्टेट स्थित ईडी दफ्तर लाया गया और पूछताछ के बाद दोपहर करीब 2.45 बजे गिरफ्तार कर लिया गया। 
 
ईडी के सूत्रों ने इस आरोप को खारिज कर दिया यह गिरफ्तारी राजनीतिक बदले के तहत की गई है। सूत्रों के मुताबिक यह गिरफ्तारी गहन जांच के बाद की गई है। जांच में नवाब मलिक और अन्य आरोपियों से जुड़े अवैध लेन-देन के सूबत मिले हैं। ये सबूत दस्तावेज के तौर पर हैं। ईडी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा- जहां तक ईडी का सवाल है तो हमारे लिए गिरफ्तारी अपवाद है, नियम नहीं।

क्या है नवाब मलिक से जुड़ा पीएमएलए मामला ?

नबाव मलिक ने मुंबई के कुर्ला में एक प्रॉपर्टी खरीदी थी। दावा है कि यह प्रॉपर्टी दाऊद इब्राहिम की थी। ईडी ने जब जांच की तो पता चला कि 1999-2003 की अवधि के दौरान दाऊद की बहन हसीना पारकर को इस तीन एकड़ की प्रॉपर्टी के एवज में 55 लाख रुपये का भुगतान किया गया था। 55 लाख में से पांच लाख रुपये चेक के जरिए दिए गए जबकि बाकी रकम नकद दी गई। यह जमीन मुनीरा प्लंबर के नाम थी और इसे हासीना पारकर ने जाली पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए अपने कब्जे में ले लिया था। पावर ऑफ अटॉर्नी में उसने अपने ड्राइवर और बॉडीगार्ड सलीम पटेल को इस प्रॉपर्टी को बेचने का अधिकार दिया था। 
 
ईडी ने अपने रिमांड एप्लीकेशन में कहा-भारत में दाऊद इब्राहिम के आतंकी नेटवर्क को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए नवाब मलिक के एक्टिव सपोर्ट से जमीन का यह सौदा हुआ। इसमें हसीना पारकर द्वारा सलीम पटेल के माध्यम से जमीन पर कब्जा दिया गया। हसीना पारकर के अवैध कब्जे वाले हिस्से को खरीदकर नवाब मलिक ने डी-कंपनी को आर्थिक तौर पर मदद की।
 
ईडी ने कोर्ट में कहा-इस प्रॉपर्टी को हथियाने के लिए डी-गैंग के सदस्यों और नवाब मलिक की मिलीभगत थी। इन लोगों ने कई तरह के कानूनी दस्तावेजों को जोड़कर अपने आपराधिक कृत्यों पर पर्दा डालने की कोशिश की। जांच के दौरान ईडी को इस तरह के कई दस्तावेज मिले हैं। 
 
कोर्ट के सामने ईडी के वकील और एडिशनल सॉलिसीटर जनरल अनिल सिंह ने कहा, इस केस में आरोपी ने प्रॉपर्टी के असली मालिक से जमीन खरीद का सौदा नहीं किया। इन्होंने हसीना पारकर से सौदा किया जो जमीन के मालिक द्वारा अवैध रूप से जारी पावर ऑफ अटॉर्नी का इस्तेमाल किया... अगर आप इस मामले को किसी भी एंगल से देखें तो साफ तौर पर यह मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बनता है। 
 
नवाब मलिक के वकील अमित देसाई ने कोर्ट से कहा कि ईडी 20 वर्षों के बाद टेरर फंडिंग का आरोप लगा रही है। देसाई ने कहा, '2022 में इस प्रॉपर्टी की असली मालिक (मुनीरा प्लंबर) 20 साल पहले की घटना को लेकर बयान दे रही हैं कि वह कुछ नहीं जानतीं और वह डरी हुई थीं।
 
नवाब मलिक को जब गिरफ्तारी के बाद मेडिकल जांच के लिए जे.जे अस्पताल ले जाया जा रहा था तो उन्होंने रिपोर्टर्स से कहा, 'मैं डरूंगा नहीं, लड़ूंगा और जीतूंगा।' एनसीपी के समर्थकों ने ईडी ऑफिस के बाहर प्रदर्शन किया और ईडी के खिलाफ नारेबाजी की। बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने कहा, अब नेताओं और अंडरवर्ल्ड के बीच नेटवर्क का खुलासा हो चुका है, कई और मंत्री जेल जाएंगे।
 
शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने कहा, 'बीजेपी नेता पिछले कुछ दिनों से नवाब मलिक के खिलाफ कार्रवाई को लेकर ट्विटर पर भविष्यवाणी कर रहे थे। नोटिस दिए बिना इस तरह से मंत्री को गिरफ्तार करना महाराष्ट्र का अपमान है।'
 
दिलचस्प बात यह है कि एनसीपी नेता छगन भुजबल भी महाराष्ट्र सदन घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग के केस में जमानत पर है। वह दो साल जेल में रहे। जिस वक्त छगन भुजबल को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया था उस वक्त महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना की सरकार थी। तब शिवसेना ने छगन भुजबल की गिरफ्तारी को सही बताया था। शिवसेना बयान जारी कर कहा था-'वक्त का पहिया घूम गया है....छगन भुजबल अपने कर्मों का फल भुगत रहे हैं'। लेकिन बुधवार को शिवसेना नेता संजय राउत ने नवाब मलिक की गिरफ्तारी को लोकतन्त्र की हत्या बताया। उन्होंने कहा-इस तरह के एक्शन का रिएक्शन बीजेपी को भी भुगतना होगा। जो आज जांच के नाम पर विरोधियों को परेशान कर रहे हैं, उनका भी हिसाब होगा।

नवाब मलिक के मामले को निष्पक्ष रूप से देखने दो नजरिए हैं 

पहला नजरिया इस केस की मैरिट है। यह सही है कि करोड़ों की जमीन लाखों में खरीदी गई। यह भी सही है कि इसमें दाऊद इब्राहिम की बहन हसीन पारकर और उनके ड्राइवर-बॉडीगार्ड सलीम पटेल के साथ डील हुई। नवाब मलिक यह बात खुद प्रेस कॉन्फ्रेंस में मान चुके हैं कि उन्होंने यह प्रॉपर्टी सरदार वली खान से खरीदी थी। नबाव मलिक यह नहीं कह सकते कि उन्हें नहीं मालूम था कि सरदार वली खान को मुंबई ब्लास्ट के केस में सजा हुई थी। नवाब मलिक यह भी नहीं कह सकते कि वह हसीन पारकर को नहीं जानते। इसलिए केस तो बनता है।
 
इसे देखने का दूसरा नजरिया है इस केस की टाइमिंग। इसके बारे में दो बातें कही जा रही हैं। एक तो यह कि नबाव मलिक को ईडी ने इसलिए गिरफ्तार किया क्योंकि वह पिछले कुछ महीने से केन्द्र सरकार के खिलाफ बयानबाजी कर रहे थे। दूसरी बात यह है कि मुंबई में बहुत सारे लोग हैं जिन्होंने इसी तरह से कम पैसे में ज्यादा वैल्यू की जमीन खरीदी है। लेकिन पकड़ा गया नवाब मालिक को और वह भी बीजेपी नेता देवेन्द्र फड़नवीस की शिकायत पर? जो राजनीति की बात करते हैं वह इस केस की मेरिट की बात नहीं करते। इसीलिए मुझे लगता है कि इस मामले से महाराष्ट्र की रजनीति में कड़वाहट और बढ़ेगी।
 
नबाव मलिक शरद पवार के करीबी हैं और शरद पवार राजनीति के बहुत चतुर खिलाड़ी हैं। पहले ही ममता बनर्जी, शरद पवार से इस बारे में बात कर चुकी हैं। अब शरद पवार सभी गैर-बीजेपी पार्टियों को नरेन्द्र मोदी के खिलाफ खड़ा करने की कवायद शुरू करेंगे। इसलिए अब कड़वाहट कम होने का चान्स नहीं है। अब एक्शन- रिएक्शन की बात होने लगी है। जब बदले की कारवाई शुरू होगी तो यह लोकतन्त्र के लिए घातक होगा। 
 
मुझे लगता है कि केस की मेरिट का भी ध्यान रखा जाना चाहिए और इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि ऐसे मामलों में दोनों तरफ से सियासत न हो। लेकिन ऐसा होता नहीं है। मुंबई में नवाब मलिक की गिरफ्तारी को चुनाव से जोड़ दिया गया है। शरद पवार के पौत्र और एनसीपी के विधायक रोहित पवार ने कहा कि यूपी चुनाव में माहौल बनाने के लिए और मुंबई में आगामी बीएमसी चुनावों  के दौरान फायदा उठाने के लिए नवाब मलिक को गिरफ़्तार किया गया है।
 
अब आप सोचेंगे कि नवाब मलिक महाराष्ट्र की सियासत करते हैं, वे एनसीपी के नेता हैं और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री हैं। उनका यूपी चुनाव से क्या लेना देना? यूपी के चुनाव में उनका जिक्र क्यों हो रहा है? मैं आपको बता दूं कि असल में नवाब मलिक मूल रूप से यूपी के बलरामपुर के रहने वाले हैं। चूंकि वह मुसलमान हैं, इसलिए यूपी में उनका नाम विपक्ष के काम आ सकता है। (रजत शर्मा)

 

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