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Rajat Sharma's Blog | कांवड़ यात्रा मार्ग पर नेम प्लेट : किसकी समस्या? और क्यों?

सहारनपुर के DIG अजय कुमार साहनी ने कहा कि कई बार दुकानदार दूसरे नामों से अपनी दुकान, ढाबे और होटल चलाते हैं, और बाद में जब असलियत का पता चलता है तो विवाद हो जाता है।

Written By: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated on: July 20, 2024 6:13 IST
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Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

22 जुलाई से शुरू होने जा रही कांवड यात्रा को लेकर बड़ा विवाद पैदा हो गया है। अखिलेश यादव से लेकर असदुद्दीन ओवैसी तक विपक्ष के तमाम नेताओं ने योगी आदित्यनाथ को मुसलमानों का दुश्मन बता दिया। विवाद मुजफ्फरनगर प्रशासन के एक फैसले की वजह से हुआ। मुजफ्फरनगर पुलिस ने कांवड़ यात्रा के मार्ग में पड़ने वाले सभी होटलों, ढाबों और दुकानों के सामने उनके मालिक का नाम लिखने का आदेश दिया है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐलान किया कि पूरे उत्तर प्रदेश में कांवड़ मार्गों पर खाने-पीने की दुकानों पर मालिकों की 'नेमप्लेट' लगानी होगी, दुकानों पर संचालक, मालिक का नाम और पहचान लिखना होगा। कहा गया कि कांवड़ यात्रियों की आस्था की शुचिता बनाए रखने के लिए ये फैसला किया गया है। उत्तराखंड के हरिद्वार में भी पुलिस ने सभी होटलों और ढाबों के लिए मालिकों की नेमप्लेट लगाना अनिवार्य घोषित कर दिया। कई मौलाना और विरोधी दलों के नेता इसे मुसलमानों के खिलाफ योगी सरकार की साजिश बता रहे हैं। उनका आरोप है कि मुसलमानों की रोजी-रोटी खत्म करने का षड्यंत्र हो रहा है।

मुजफ्फरनगर में कुल 240 किलोमीटर का रूट कांवड़ यात्रा में पड़ता है। पुलिस का कहना है कि इस तरह के आदेश के पीछे दो वजहें हैं। एक, पुलिस के साथ-साथ आम लोगों को भी इस बात की जानकारी रहेगी कि कांवड़ यात्रा के रूट में किस-किस की दुकानें हैं और कांवड़ यात्रा में शामिल बहुत भक्तों को दूसरे धर्म के लोगों से खाने-पीने की चीजें लेने से परहेज होता है, इसलिए अगर दुकान पर दुकानदार का नाम होगा तो बाद में किसी तरह के झगड़े या विवाद की स्थिति पैदा नहीं होगी। सहारनपुर के DIG अजय कुमार साहनी ने कहा कि कई बार दुकानदार दूसरे नामों से अपनी दुकान, ढाबे और होटल चलाते हैं, और बाद में जब असलियत का पता चलता है तो विवाद हो जाता है, लड़ाई-झगड़ा होता है। ऐसा न हो, इसलिए ये कदम उठाया गया है। विरोधी दलों ने इस मुद्दे को और ज्यादा हवा दी और योगी आदित्यनाथ को मुसलमानों का दुश्मन घोषित कर दिया। अखिलेश यादव, मायावती , इमरान मसूद, मनोझ झा, एसटी हसन से लेकर असदुद्दीन ओवैसी तक सारे नेताओं ने योगी को घेरा।

सबसे तीखा हमला असदुद्दीन ओवैसी ने किया। ओवैसी ने कहा कि लगता है कि योगी के अंदर हिटलर की आत्मा घुस गई है, योगी सरकार मुसलमानों को अलग-थलग करके उनकी रोजी-रोटी को भी खत्म करने की कोशिश कर रही है। बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने कहा कि आदेश ठीक नहीं है, ये गलत परंपरा की शुरूआत है जो सामाजिक एकता के खिलाफ होगी। अखिलेश यादव ने  कहा कि अदालत को इस तरह के आदेश का संज्ञान लेकर एक्शन लेना चाहिए क्योंकि ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं, जो सौहार्द और शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ना चाहते हैं।  पहली बात तो ये समझने की है कि पुलिस ने मुजफ्फरनगर में दुकानदारों को नाम लिखने का आदेश क्यों दिया? दरअसल, कांवड़ यात्रा के दौरान बहुत से लोग उन दुकानों में खाना नहीं खाते जहां मीट बिकता हो। इस तरह की दुकानों से सामान नहीं खरीदते जिससे उन्हें अपना धर्म भ्रष्ट होने का खतरा हो। पुलिस की दिक्कत ये है कि कई बार इस तरह के मामले सामने आए हैं जब अचानक ये पता चलता है कि दुकानदार मुसलमान है तो विवाद खड़ा हो जाता है। कई बार झगड़े हो जाते हैं। इसीलिए पुलिस की नीयत खराब नहीं है।

पुलिस को लगता है, अगर दुकान पर नाम लिखा होगा तो इस तरह का टकराव नहीं होगा। अब सवाल ये है कि इससे मुसलमान दुकानदारों को क्या समस्या है? मुसलमानों को लगता है कि अगर दुकानों पर उनका नाम लिखा होगा तो कांवड़ यात्रा में जल लेकर आ रहे भक्त उनकी दुकान से सामान नहीं खरीदेंगे, फल नहीं लेंगे, चाय नहीं पिएंगे। इससे मुस्लिम दुकानदारों को नुकसान होगा, उनकी रोजी-रोटी पर असर पड़ेगा। अब सवाल ये है कि इस विवाद से नेताओं को सियासत करने का मौका कैसे मिला? असल में पुलिस की नीयत चाहे जो भी हो, मुजफ्फरनगर प्रशासन का ये आदेश राजनीति का मुद्दा तो बन गया। अखिलेश यादव और ओवैसी जैसे नेताओं को ये कहने का मौका मिल गया कि इससे मुजफ्फरनगर के मुसलमान दुकानदारों को रोजी-रोटी का नुकसान होगा। हालांकि पुलिस ने ये साफ कर दिय़ा है कि ये आदेश सिर्फ कांवड़ यात्रा पूरी होने तक के लिए है। इसलिए मुझे लगता है कि इस विवाद को और हवा देने से कोई फायदा नहीं होगा। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 18 जुलाई, 2024 का पूरा एपिसोड

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