संसद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने और उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष के खिलाफ जोरदार बैटिंग की, जमकर चौके-छक्के लगाए। मोदी ने कांग्रेस को विचारों से कंगाल, थकी-हारी, खत्म होने के कगार पर पहुंची पार्टी बताया। मोदी ने कहा कि कांग्रेस अगले चुनाव में चालीस सीटें बचा ले, उसके लिए यही बड़ी कामयाबी होगी। धन्यवाद प्रस्ताव पर राज्यसभा में बहस का जवाब देते हुए मोदी के निशाने पर खासतौर पर कांग्रेस रही। मोदी ने इल्जाम लगाया कि कांग्रेस दलित-पिछड़ों और आदिवासियों की जन्मजात विरोधी है, कांग्रेस झूठे नैरेटिव गढ़ती है, देश को तोड़ने वाली बातें करती हैं, कांग्रेस इक्कीसवीं सदी में बीसवीं सदी की मानसिकता से राजनीति करती है। मोदी ने कांग्रेस की दस साल की सरकार के वक्त हुए कामों को बताया, फिर अपनी सरकार के दस साल के कामकाज से उसकी तुलना की। इसके बाद कहा कि उनके तीसरे टर्म में भी विकास का सिलसिला रुकेगा नहीं। प्रधानमंत्री ने इस बात पर दुख जताया कि कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दल उनकी सरकार पर राज्यों का हक मारने की आरोप लगा रहे हैं। मोदी ने कहा कि ये देश को तोड़ने का नया नैरेटिव सेट करने की कोशिश हो रही है, ये खेल घातक होगा। मोदी ने कहा कि कांग्रेस अंग्रेजों वाली मानसिकता से मुक्त नहीं हो पाई है, अभी भी उसी दौर में फंसी है, विचारशून्य हो गई है, जिस पार्टी का एक ज़माने में पूरे देश पर राज था, आज उसके सहयोगी उसे चालीस सीटें जीतने की चुनौती दो रहे हैं। मोदी ने कहा कि पहले कांग्रेस ने देश को जाति धर्म और भाषा के आधार पर तोड़ा अब कांग्रेस के नेता देश को उत्तर और दक्षिण में बांटने के बयान दे रही है। मोदी ने कहा कि ऐसी कांग्रेस अगले चुनाव में 40 सीट भी बचा ले तो बहुत होगा।
असल में ममता बनर्जी ने बंगाल में अपनी रैली में कहा था कि वो कांग्रेस को बंगाल में दो सीटें दे रही हैं, लेकिन कांग्रेस तो बंगाल की सभी 42 सीटों पर लड़ना चाहती है, अगर कांग्रेस को जीत का इतना ही भरोसा है तो यूपी में ज्यादा सीटें लड़े, प्रयागराज में जीत कर दिखाए, बनारस में मोदी को हराए, पिछले चुनाव में कांग्रेस चालीस सीटें जीती थी, इस बार उतनी ही जीत कर दिखाए। मोदी ने इसी बात को पकड़ा और उसी पर कमेंट किया। मोदी के भाषण का पूरा फोकस कांग्रेस पर था। इसका एक मतलब तो साफ है। अब तक बीजेपी को लग रहा था कि अगर सारे विरोधी दल मिलकर लड़ते हैं, मोदी को हराने के लिए एक साथ आते हैं, तो कुछ राज्यों में चुनौती पेश कर सकते हैं। लेकिन अब नीतीश बीजेपी के साथ आ गए, ममता बनर्जी अलायन्स से अलग हो गई, अखिलेश यादव कांग्रेस को टहला रहे हैं और जयन्त चौधरी अब अखिलेश को गच्चा देने की तैयारी में हैं, इसलिए एलायन्स तो लगभग खत्म हो गया। लेकिन राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड, असम, गुजरात, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों में मुकाबला कांग्रेस से होगा, इसलिए अब बीजेपी के नेता कांग्रेस का सामना करेंगे। देश भर में करीब 300 सीटें ऐसी हैं जहां कांग्रेस बीजेपी की मुख्य प्रतिद्वन्द्वी है। मोदी ने इसी बात की तरफ इशारा किया है। अब इसका असर देश भर में दिखने लगेगा।
बीजेपी को सबसे ज्यादा उम्मीद उत्तर प्रदेश से है, जहां अयोध्या में राम मंदिर बना है, काशी से नरेंद्र मोदी चुनाव लड़ते हैं और प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार है। बुधवार को योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर अपनी वाकपटुता का परिचय दिया। ऐसे मुद्दे उठाए, जो सीधे जनता के दिल से जुड़े हैं। संसद में मोदी ने अयोध्या की बात नहीं की, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का जिक्र नहीं किया, मज़हब से जुड़ी कोई बात नहीं की, लेकिन ये कमी योगी आदित्यनाथ ने पूरी कर दी। योगी ने विधानसभा में कहा कि अयोध्या में श्रीराम आ गए हैं, काशी में विराजे नंदी ने रात के अंधेरे में तहखाने में बंद भोले बाबा के चारों तरफ लगे बैरीकेड्स तोड़ डाले, तो अब कन्हैया कहां रुकने वाले हैं? योगी ने कहा कि पांडवों ने पांच गांव मांगे थे, कौरवों ने नहीं दिए तो महाभारत हुआ, हिन्दू तो सिर्फ तीन, अयोध्या, मथुरा और काशी मांग रहे हैं। योगी ने भाषण की शुरुआत अयोध्या से की। योगी ने कहा कि उन्हें तो इस बात का संतोष है कि जो कहा वो करके दिखाया, जहां कहा, वहीं मंदिर बनाया। योगी ने इशारों में ये भी बता दिया कि अब काशी और मथुरा की बारी है। कहा कि अयोध्या को अभिशप्त बना दिया गया था, एक जमीन के टुकड़े को लेकर विवाद था लेकिन पूरी अयोध्या को विकास से वंचित कर दिया गया, वोट बैंक के चक्कर में दूसरी पार्टियों के नेता अयोध्या जाने से बचते थे, कुर्सी चली जाती इस डर से नोएडा और बिजनौर नहीं जाते थे। योगी ने कहा कि उनकी आस्था थी, विकास की प्रतिबद्धता थी, इसलिए अयोध्या भी गए और कुर्सी जाने का कोई डर नहीं था, इसलिए नोएडा और बिजनौर भी गए। योगी ने कहा कि जब मनुष्य शाश्वत नहीं है, तो कुर्सी कहां शाश्वत रहेगी, इसलिए जिन लोगों ने वोट के चक्कर में अयोध्या के साथ अन्याय किया, उन्हें प्रभु राम ने किनारे लगा दिया। योगी ने कहा कि जब रामलला मंदिर में विराजमान हो गए तो काशी में बैठे नंदी महाराज ने भी रात में बैरिकेड्स तोड़ डाले, अब कन्हैया भी कहां मानने वाले हैं?
योगी ने महाभारत की याद दिलाई। कहा कि पांडवों ने पांच गांव मांगे थे, कृष्ण ने कौरवों को बहुत समझाया था लेकिन जब कौरवों ने कह दिया कि बिना युद्ध के सुई की नोंक के बराबर भी जमीन नहीं देंगे तो फिर महाभारत हुआ और पूरा कुरु वंश नष्ट हो गया। योगी ने कहा कि हिन्दू सिर्फ तीन पवित्र स्थल मांग रहे हैं, इसमें गलत क्या है? जिन आततायियों ने हमारे आराधना स्थलों को तोड़ा, आजकल वोट के चक्कर में उनका गुणगान किया जा रहा है, ये बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। एक बात तो पक्की है कि यूपी में कानून और व्यवस्था के मसले पर योगी को कोई चैलेंज नहीं कर सकता। ये वो बदलाव है जो यूपी की जनता हर रोज अपने आसपास महसूस करती है। यूपी में लोग चैन की नींद सोते हैं और गुंडागर्दी करने वालों की नींद उड़ी हुई है। दूसरी बात, अयोध्या में बने राम मंदिर ने योगी आदित्यनाथ को नई ऊर्जा दी है, अयोध्या न सिर्फ राम की नगरी है, न सिर्फ अध्यात्म का शहर है बल्कि अयोध्या को योगी ने वर्ल्ड टूरिज्म का एक बड़ा सेंटर बना दिया है। इसका असर पूरे उत्तर प्रदेश में दिखाई दे रहा है। जहां तक सियासत की बात है, यूपी में योगी ने कांग्रेस को लगभग साफ कर दिया है। पिछले चार चुनाव में समाजवादी पार्टी को भी मात दी है, चाहे समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस से हाथ मिलाया हो या बीएसपी से, इसका कोई असर नहीं दिखा। इस बार यूपी में इंडी अलायंस बनाने की जो कोशिश थी, उसको भी आघात लगा है। इस बात की चर्चा है कि जयंत चौधरी अखिलेश यादव का साथ छोड़ने वाले हैं। उन्होंने हवा का रुख पहचान लिया है। जहां तक चुनाव से पहले दलों के गठबंधन की बात है, थोड़े दिन पहले तो सारे मोदी विरोधी एक साथ इकट्ठे हो रहे थे लेकिन अब उल्टी गंगा बहने लगी है। नीतीश कुमार इंडी अलायंस का साथ छोड़कर बीजेपी के साथ आ चुके हैं और चंद्रबाबू नायडू के भी इसी तरफ आने का आसार हैं। ये मोदी विरोधी मोर्चे के लिए बड़ा झटका है। (रजत शर्मा)
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