देश भर में इन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जे. पी. नड्डा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी, राहुल गांधी, तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव से लेकर AAP नेता संजय सिंह तक सभी पार्टियों के नेता रैलियों को संबोधित कर रहे हैं। मंगलवार को मोदी ने बंगाल और बिहार की चार रैलियों में विरोधी दलों के उन आरोपों पर जवाब दिया। विरोधी दलों के नेता आरोप लगा रहे हैं कि अगर मोदी फिर जीते तो वह संविधान बदल देंगे, आरक्षण खत्म हो जाएगा, मोदी भ्रष्टाचार के मामलों का डर दिखाकर दूसरी पार्टियों को तोड़ने का काम करते हैं। मोदी ने इन मुद्दों पर सीधी बात की। कहा, वह तो क्या, बीजेपी तो क्या, बाबा साहब का संविधान तो अब खुद बाबा साहब आंबेडकर भी नहीं बदल सकते। मोदी ने कहा कि संविधान, पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों के हकों का रक्षा कवच है, संविधान देश की प्रगति को दिशा देने वाली शक्ति है, संविधान के साथ खिलवाड़ तो कांग्रेस ने किया, बीजेपी ऐसा कभी नहीं कर सकती। मोदी ने कहा कि अब हार की हताशा में डूबे लोग देश में भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, लोगों को डराने का षड्यन्त्र कर रहे हैं, अफवाहें फैला रहे हैं कि मोदी आया तो संविधान खत्म कर देगा, बीजेपी बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान को ख़त्म करना चाहती है।
मोदी ने पूर्णिया की रैली में कहा कि उनकी सरकार ने तो संविधान को सर्वोपरि रखा है, इस साल संविधान लागू होने के 75 साल पूरे कर रहे हैं, सरकार ने जैसे आजादी का अमृत महोत्सव मनाया, उसी तरह संविधान लागू होने का उत्सव भी मनाएगी। मोदी ने कहा कि जो लोग संविधान को खत्म करने की अफवाह फैला रहे हैं, हकीकत में बाबा साहब आंबेडकर का अपमान उन्हीं पार्टियों ने किया। उन्हीं पार्टियों ने 1975 में इमरजेंसी लगा कर संविधान को सस्पेंड किया था, विरोधी दलों के नेताओं को जेल में डाला था। मोदी ने कहा कि पिछले 30 साल में बीजेपी केंद्र से लेकर कई राज्यों में सत्ता में रही लेकिन बीजेपी ने संविधान पर कभी आंच नहीं आने दी। मोदी ने कहा कि विपक्ष के लिए संविधान राजनीति का हथकंडा है लेकिन उनके लिए संविधान विकसित भारत बनाने का मार्गदर्शक है। आप सोच रहे होंगे कि आखिर संवैधानिक तरीके से चुनी गई सरकार संविधान को खत्म क्यों करेगी? मोदी को संविधान की रक्षा का वचन क्यों देना पड़ रहा है? असल में जबसे मोदी ने 400 पार का नारा दिया है, उसके बाद से ही विरोधी दलों के ज्यादातर नेताओं ने ये नैरेटिव बनाने की कोशिश शुरू कर दी है कि अगर नरेन्द्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने तो देश में लोकतन्त्र खत्म हो जाएगा, इसके बाद देश में चुनाव नहीं होंगे। मोदी को अगर 400 से ज्यादा का बहुमत मिल गया तो मोदी संविधान को बदल देंगे।
राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी से लेकर असद्दुदीन ओवैसी तक सारे नेता अपनी रैलियों में यही बातें कर रहे हैं। औरंगाबाद की रैली में ओवैसी ने कहा कि बीजेपी सत्ता में वापस आई तो संविधान बदल सकती है। ओवैसी ने कहा कि मोदी बार-बार चार जातियों की बात इसीलिए करते हैं क्योंकि संविधान को बदलकर वो आरक्षण को खत्म करना चाहते हैं। शिवसेना (उद्धव) नेता उद्धव ठाकरे ने भी कहा कि अगर मगर की कोई बात ही नहीं हैं, अगर बीजेपी तीसरी बार सत्ता में आई तो मोदी संविधान बदलेंगे। उद्धव ठाकरे ने कहा कि अब सबकुछ सामने आ चुका है, बीजेपी के कई बड़े नेता इसके लिए माहौल बना रहे हैं कि बीजेपी को 400 सीटें दो, तो संविधान बदल देंगे। समाजवादी पार्टी के महासचिव रामगोपाल यादव ने भी आज कहा कि देश में जो कुछ हो रहा है, वो लोकतन्त्र खत्म होने का संकेत है। रामगोपाल यादव ने कहा कि बीजेपी गरीबों को मुफ्त राशन इसलिए बांट रही है कि वो सरकार से सवाल न पूछ सकें, वो संविधान बदलें, आरक्षण खत्म करें, लेकिन लोग इस डर से कि कहीं राशन न बंद हो जाए, चुप रह जाएं। इसीलिए मुफ्त राशन की आदत लोगों में डाली जा रही है। राहुल गांधी ने केरल में कहा कि बीजेपी और RSS संविधान को खत्म करने की फिराक में हैं, कांग्रेस और उसके सहयोगी दल इस बार संविधान को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।
कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने कहा कि देश में इस तरह का माहौल बन गया है कि संविधान को बदला जाएगा, मोदी भले ही इस बात की कितनी भी गारंटी दें कि संविधान नहीं बदलेंगे लेकिन किसी को उन पर भरोसा नहीं है। अशोक गहलोत ने कहा कि संविधान बदलने का माहौल विपक्ष नहीं बना रहा है बल्कि खुद बीजेपी के बड़े नेता बना रहे हैं और ये बहुत खतरनाक है। तेजस्वी यादव ने कहा कि अगर मोदी सचमुच संविधान नहीं बदलना चाहते, तो अपनी पार्टी के उन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करते जो संविधान बदलने की बात कर रहे हैं। कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि बीजेपी आगर इस बार चुनाव जीती तो देश में लोकतंत्र खत्म हो जाएगा, हमारे देश का हाल रूस जैसा हो जाएगा, बीजेपी संविधान बदल देगी, लोगों से सवाल पूछने की आजादी छीन ली जाएगी, विपक्ष के नेताओं को जेल में डाल दिया जाएगा। आप अगर विरोधी दलों के नेताओं के बयानों को देखेंगे तो सब एक स्वर से बोल रहे हैं कि मोदी संविधान को बदल देंगे, लोकतंत्र को खत्म कर देंगे। ये एक तरह का सस्टेंड कैंपेन है। इसीलिए मोदी अपनी सभाओ में कह रहे हैं कि उनके लिए संविधान सबसे ऊपर है, लोकतंत्र के लिए उनके मन में अपार श्रद्धा है, इसे बदलने और खत्म करने का उनका कोई इरादा नहीं है। लेकिन मोदी के कहने से ये कैंपेन खत्म नहीं हो जाएगा।
ये बात तो विरोधी दलों के नेता भी जानते हैं कि हमारे देश की जनता, लोकतंत्र को, अभिव्यक्ति की आजादी को कितना प्यार करती है। एक बार इंदिरा गांधी ने 1975 में इमरजेंसी लगाकर लोकतंत्र का गला घोंटा था, जनता ने 1977 में उन्हें सत्ता से बाहर कर दिया था। अब कोई नेता लोकतंत्र को खत्म करने की हिम्मत कभी नहीं कर सकता। जहां तक मोदी का सवाल है, मोदी को तो ये लोकतंत्र, चुनाव की ये व्यवस्था सबसे ज्यादा सूट करती है। मोदी ने इसी सिस्टम में 3-3 बार गुजरात का चुनाव जीता, मुख्यमंत्री रहे। इसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में 2-2 बार लोकसभा का चुनाव जीता, पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। तीसरी बार उनकी जीत पक्की मानी जा रही है। मोदी को इसमें बदलाव की क्या जरूरत है? बदलाव तो वो लोग करना चाहेंगे जो इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में बार-बार हार रहे हैं। बदलाव तो वो चाहेंगे जिनके जीतने का चांस मोदी ने खत्म कर दिया है। इसीलिए ये कहावत है - उल्टा चोर कोतवाल को डांटे। मोदी विरोधी मोर्चे के नेता आजकल एक और कैंपेन कर रहे हैं। वो कह रहे हैं कि मोदी EVM की वजह से जीतते हैं। (रजत शर्मा)
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