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Rajat Sharma's Blog | मोदी देंगे करोड़ों को रोज़गार: क्या ये कुर्सी बचाओ बजट है?

अगर मोदी ने अपनी सरकार को समर्थन देने वालों को खुश किया तो इसमें बुराई क्या है? क्या कोई अपनी सरकार को समर्थन देने वालों को नाराज करने का प्रयास करेगा?

Written By: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated on: July 25, 2024 6:30 IST
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Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार का पहला बजट आया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के इस बजट में लोकसभा चुनाव के नतीजों के असर दिखाई दिए। नीतीश कुमार और चन्द्रबाबू नायडू के समर्थन का फायदा बिहार और आन्ध्र प्रदेश को मिला। बजट में इन दोनों राज्यों के लिए दिल खोलकर पैसा दिया गया। हालांकि बिहार या आन्ध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिला लेकिन बजट के जरिए दोनों राज्यों को करीब पचहत्तर हज़ार करोड़ की योजनाएं दी गईं। इसके अलावा जिन मुद्दों पर विपक्ष नरेन्द्र मोदी की सरकार को घेर रहा था, उन मुद्दों को भी चतुराई से निपटाया गया। रोजगार के नए मौके पैदा करने के लिए MSME सैक्टर को मजबूती दी गई है, पांच साल में चार करोड़ नौजवानों को नौकरी देने, पहली सैलरी सरकार की तरफ से दिए जाने का एलान हुआ, पीएफ में पहला अंशदान सरकारी खजाने से दिया जाएगा। सरकार एक करोड़ नौजवानों को देश की 500 सबसे बड़ी कंपनियों में एक साल तक इंटर्नशिप कराएगी, युवाओं के रोजगार के लिए सरकार ने दो लाख करोड़ रुपये का बजट रखा गया, गरीबों के लिए सरकार तीन करोड़ नए घर बनाएगी, 48.2 लाख करोड़ रुपये के इस बजट में ग़रीब, किसान, मिडिल क्लास, MSME और उद्योग क्षेत्र, यानी देश की अर्थव्यवस्था के सभी प्रमुख अंगों के लिए बड़े एलान किए गए हैं। विपक्ष ने निर्मला सीतारमण के इस बजट को कुर्सी बचाओ बजट करार दिया।

कल ही सरकार ने साफ कर दिया था कि मौजूदा नियमों के तहत बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिल सकता लेकिन निर्मला सीतारमण ने अपने बजट में बिहार के लिए कई बड़ी घोषणाएं करके विशेष दर्जा की कमी को पूरा कर दिया। बिहार में सड़क निर्माण के लिए 26 हज़ार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इस रक़म से पटना-पूर्णिया एक्सप्रेस-वे, बक्सर-भागलपुर एक्सप्रेस-वे, बोधगया-राजगीर-वैशाली और दरभंगा स्पर्श प्रोजेक्ट बनाए जाएंगे।  बिहार को बाढ़ नियंत्रण के लिए 11 हज़ार 500 करोड़ रुपये दिए गए हैं। इसके अलावा भागलपुर में  बिजली घर लगाने के लिए 21 हज़ार 400 करोड़ रुपये का प्रावधान बजट में हैं। बक्सर में गंगा नदी पर दो लेन का नया पुल बनाया जाएगा। निर्मला सीतारमण ने बताया कि गया में विष्णुपद कॉरिडोर बनाया जाएगा, नए मेडिकल कॉलेज और एयरपोर्ट बनाने और पर्यटन के विकास के लिए बजट में प्रावधान किए गए हैं। बजट में बिहार और आन्ध्र प्रदेश को महत्व दिए जाने से विपक्ष के नेता परेशान हैं। राहुल गांधी, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, उद्धव ठाकरे जैसे नेताओं ने इस बजट को कुर्सी बचाओ बजट करार दिया। मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि मोदी ने कुर्सी के लिए अपने दो दोस्तों को खुश किया लेकिन बाकी सभी राज्यों को भूल गए। यहां तक कि बीजेपी शासित राज्यों को भी बजट में पैसा नहीं मिला। वित्त मंत्री ने कहा कि जो लोग बजट को कुर्सी बचाने वाला बता रहे हैं, उन्हें ये नहीं भूलना चाहिए कि उनका 37 पार्टियों का गठबंधन 230 सीटें ही जीत पाया जबकि अकेले  बीजेपी को 240 सीटें मिली हैं।

बजट से सबसे ज्यादा खुश चन्द्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार नजर आए। नायडू ने आन्ध्र प्रदेश की जनता का ख्याल रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद कहा जबकि नीतीश कुमार ने कहा कि वो तो बिहार के विशेष दर्जा के लिए 20 साल से लड़ रहे हैं लेकिन जब सरकार ने बता दिया कि विशेष दर्जा नहीं मिल सकता तो उन्होंने केन्द्र सरकार से बिहार को विशेष आर्थिक  मदद की मांग की थी जिसे सरकार ने माना और बजट में अपना वादा पूरा किया। इससे बिहार को निश्चित तौर पर फायदा होगा। इसमें  कोई शक नहीं कि बजट में बिहार की समस्याओं का हल  निकालने का प्रयास किया गया है और बिहार की राजनीति को भी  साधने का काम हुआ है। बिहार को विशेष दर्जा  मिलने से जो कुछ प्राप्त हो सकता था, उससे कहीं ज्यादा  बजट में दे दिया गया। बिहार को सबसे ज्यादा मिला।  उदाहरण के तौर पर, बिहार में सड़कों की बुरी हालत है, बिहार में एयरपोर्ट्स का हाल भी बुरा है। नए आधुनिक एयरपोर्ट की सौगात आज मिल गई। बिहार में बिजली उत्पादन कम है तो पीरपैंती में पावर प्लांट दे दिया गया। बिहार में उद्योग नहीं पनप पाए, इसका समाधान  इंडस्ट्रियल कॉरीडोर के जरिए निकाला गया। बिहार में शिक्षा का हाल खस्ता है, नए कालेजों का प्रावधान किया गया, डॉक्टर्स की कमी है, तो नए मेडिकल कॉलेज बनाए जाएंगे। बजट में जो प्रावाधान किए गए हैं उनसे बिहार की जनता का लाभ होगा और राजनीति के लिहाज JDU और BJP दोनों फायदे में रहेंगे।

आंध्र प्रदेश की नई राजधानी अमरावती के विकास के लिए 15 हज़ार करोड़ रुपये का स्पेशल पैकेज घोषित किया गया। आंध्र प्रदेश की पोलावरम सिंचाई परियोजना को पूरा करने में पूरा सहयोग करने का वादा किया गया। विशाखापत्तनम और चेन्नई के बीच इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाने के लिए भी स्पेशल पैकेज का ऐलान हुआ। विपक्ष ने जब आंध्र और बिहार के स्पेशल पैकेज को कुर्सी बचाओ मुहिम कहा तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जो लोग इसे कुर्सी बचाओ बजट कह रहे हैं, वो सब मिलकर भी इतनी सीटें नहीं ले आए, जितनी अकेले बीजेपी के पास हैं, ऐसे लोग किस मुंह से इसे कुर्सी बचाओ बजट कह रहे हैं। आंध्र प्रदेश को बजट में तरजीह मिलने से तेलंगाना, तमिलनाडू, कर्नाटक और केरल के मुख्यमंत्री खफा हैं। तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार है इसलिए मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को अपना विरोध दर्ज कराने का पूरा हक है लेकिन जहां तक आन्ध्र प्रदेश का सवाल है, यूपीए के शासन के समय जब आंध्र प्रदेश का बंटवारा करके तेलंगाना बना था, उस वक्त आंध्र प्रदेश को स्पेशल पैकेज देने का वादा किया गया था, नई राजधानी अमरावती के विकास के लिए केंद्र की तरफ से मदद का भरोसा दिया गया था। मोदी सरकार ने वही वादा पूरा किया है। ये अच्छी बात है। ये सही है कि बजट में बिहार और आन्ध्र प्रदेश के लिए विशेष प्रावधान रखे गए हैं। उसकी वजह नीतीश कुमार और चन्द्रबाबू नायडू का समर्थन भी है।

अगर मोदी ने अपनी सरकार को समर्थन देने वालों को खुश किया तो इसमें बुराई क्या है? क्या कोई अपनी सरकार को समर्थन देने वालों को नाराज करने का प्रयास करेगा? क्योंकि जहां तक विरोधी दलों का सवाल है,उनसे तो ये अपेक्षा नहीं की जा सकती की वो इस बजट का समर्थन करेंगे। असल में केंद्र सरकार के बजट को राज्यों के हिसाब से बांटकर देखना ठीक नहीं है, क्योंकि केंद्र सरकार की जितनी भी योजनाएं हैं उनका लाभ तो सबको मिलता है। लेकिन ममता बनर्जी हों, रेवंत रेड्डी हों, भगवन्त मान हों, सिद्धारमैया हों, सुखविन्दर सिंह सुक्खू, एमके स्टालिन, या हेमंत सोरेन हों, इन सबसे इस बात की उम्मीद करना बेकार है कि वो ये कहेंगे कि नरेंद्र मोदी की सरकार ने उनके राज्य के लिए बहुत कुछ दिया। ये विरोधी दलों के नेता हैं। जहां-जहां विरोधी दलों की सरकारें हैं, वहां वे मोदी सरकार के खिलाफ ही बोलेंगे। इससे पहले जब बीजेपी विपक्ष में थी तो बीजेपी के नेता यही करते थे। इसमें कोई नई बात नहीं हैं। वैसे भी केन्द्र में जो भी सरकार होती है, वो बजट के जरिए अपने राजनीतिक हितों का भी ध्यान रखती है। नरेन्द्र मोदी ने बिहार और आन्ध्र प्रदेश का ख्याल रखकर वही किया लेकिन ये देखना भी जरूरी है कि नरेन्द्र मोदी ने सिर्फ सहयोगियों को खुश नहीं किया बल्कि लोकसभा चुनाव में बेरोजगारी जैसे मुद्दों का नुकसान बीजेपी को हुआ था, उनको सुधारने की कोशिश भी बजट में की गई है।

युवाओं को बड़ी कंपनियों में रोजगार देने की योजनाएं बनी है। सरकार इसके लिए नये कर्मचारियों और उनके मालिकों को सहायता देगी। कांग्रेस को सरकार का ये एलान भी पसंद नहीं आया। मल्लिकार्जुन खरगे ने मोदी सरकार के बजट को कांग्रेस के घोषणपत्र का कॉपी पेस्ट बता दिया। खरगे ने कहा कि मोदी सरकार के पास न अपनी कोई सोच न है, न दृष्टि है, सरकार ने कांग्रेस के घोषणापत्र की बातें चुरा कर बजट में पेश कर दी। इस बात को समझना जरूरी है कि भारत में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम है। स्टार्ट अप को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बजट में एक बड़ा एलान किया। छोटी कंपनियों के पूंजी जुटाने पर लगने वाले एंजेल टैक्स को खत्म कर दिया गया है। सरकार 12 नए इंडस्ट्रियल पार्क बनाएगी। 14 बड़े शहरों के लिए ट्रांज़िट प्लान बनेंगे। इन सबसे देश में आर्थिक विकास के नए केंद्र बनेंगे। सरकार ने इस बार इनकम टैक्स के स्लैब में थोड़ा बदलाव किया है और स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा बढ़ा दी है। लेकिन इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव का फ़ायदा सिर्फ उन लोगों को ही मिलेगा  जिन्होंने नई इनकम टैक्स प्रणाली को चुना है। जो पुरानी टैक्स प्रणाली के हिसाब से टैक्स दे रहे हैं,  उनके लिए इस बजट में कोई एलान नहीं किया गया है।

बजट में किसानों के लिए भी बड़े एलान किए गए। कृषि और उससे जुड़े सेक्टर्स के लिए बजट में डेढ़ लाख करोड़ रुपए से ज़्यादा का प्रावधान है। सरकार का ज़ोर पैदावार बढ़ाने, प्रकृतिक खेती को बढ़ावा देने और दलहन तिलहन उत्पादन के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने पर है। इसके अलावा सब्ज़ियों की क़ीमतों पर क़ाबू पाने के लिए देश में जगह जगह सब्ज़ियां उगाने के क्लस्टर डेवेलप किए जाएंगे। अगले दो सालों में एक करोड़ किसानों को नेचुरल फार्मिंग सिखाई जाएगी। लेकिन किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि किसानों के लिए जो स्कीम्स लाई गई हैं उससे किसानों को नहीं बल्कि कॉरपोरेट को फायदा होगा। राकेश टिकैत ने जो बात कही वो किसानों की कम, राजनीति की ज्यादा है। जहां तक बजट को लेकर राजनीति का सवाल है। कांग्रेस एक तरफ तो कह रही है कि निर्मला सीतारमण ने उनके घोषणापत्र को कॉपी पेस्ट कर लिया। अगर बजट में उनके घोषणापत्र की बातों को शामिल कर लिया गया तो फिर आप ये कैसे कह सकते हैं कि बजट में कुछ नहीं है? ये बजट बेकार का है? एक बात ये कही गई कि ये बजट कुर्सी बचाने का बजट है, कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में जो लिखा था, राहुल गांधी ने चुनाव के दौरान जो खटाखट कैश ट्रांसफर के वादे किए थे, वो भी तो कुर्सी पाने के लिए थे या नहीं? अगर बीजेपी ने जनता की भलाई के साथ-साथ अपने राजनीतिक हितों का ख्याल रखा, तो इसमें गलत क्या है? (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 23 जुलाई, 2024 का पूरा एपिसोड

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