नए साल के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों के लिए दो बड़े फैसले किए। 2025 की पहली कैबिनेट बैठक में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को 2026 तक जारी रखने को मंजूरी दे दी। अगर बाढ़, सूखा या ओले गिरने से फसल का नुकसान होता है, तो बीमा के जरिए इसकी भरपाई हो पाएगी।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि अब बीमा के सैटेलमेंट में टेक्नोलॉजी की मदद ली जाएगी, इससे किसानों को जल्दी से जल्दी क्लेम मिल सकेगा। टेक्नोलॉजी और इनोवेशन के लिए सरकार 824 करोड़ रुपये अलग से देगी।
कैबिनेट ने दूसरा बड़ा फैसला खाद की कीमतों को लेकर किया है। अब किसानों को 50 किलो वाला डीएपी का बैग 1350 रुपये में मिलेगा, जो भी अतिरिक्त खर्चा है, उसे केंद्र सरकार उठाएगी। इसके लिए सरकार डीएपी सप्लाई करने वाली कंपनियों को 3850 करोड़ रुपये की सब्सिडी देगी। सरकार ने तय किया है कि किसानों को डीएपी की कमी न हो इसके लिए इस साल डीएपी का advance procurement किया जाएगा।
कैबिनेट के फैसले के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट में लिखा कि नए वर्ष का पहला निर्णय देश के करोड़ों किसान भाई-बहनों को समर्पित है। मोदी सरकार का ये फैसला उस वक्त आया है जब पंजाब और हरियाणा के किसान MSP की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा किसान संगठनों के आंदोलन का मामला सुप्रीम कोर्ट में है, कोर्ट जो भी आदेश देगा सरकार उसे मानेगी। चौहान ने कहा कि नए साल में किसानों के कल्याण के नए संकल्प के साथ सरकार आगे बढ़ेगी और कृषि मंत्री के तौर पर वो किसानों की समस्याओं को दूर करने की हर संभव कोशिश करेंगे।
शिवराज सिंह चौहान ने किसानों के आंदोलन पर भले ही कुछ नहीं कहा, लेकिन उन्हें भी किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की गिरती सेहत की फिक्र है। डल्लेवाल 37 दिन से अनशन पर हैं, उनकी हालत दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को डल्लेवाल को दो दिन के भीतर अस्पताल में भर्ती करवाने का आदेश दिया था लेकिन किसान संगठनों के नेता इसके लिए तैयार नहीं है। पंजाब सरकार पर भी दबाव है। किसान नेताओं का कहना है कि जबतक केन्द्र सरकार किसानों से बात नहीं करती तब तक डल्लेवाल अपना इलाज कराने के लिए तैयार नहीं है।
डल्लेवाल की सेहत वाकई खराब है। उन्हें तुरंत इलाज की ज़रूरत है लेकिन लगता है किसी को उनकी जान की परवाह नहीं है। आंदोलन करने वाले उनके साथी किसानों को डल्लेवाल को तुरंत इलाज के लिए ले जाना चाहिए। उन्हें इस बात की परवाह नहीं करनी चाहिए कि इससे आंदोलन कमज़ोर हो जाएगा। डल्लेवाल की ज़िंदगी का इस्तेमाल सरकार को झुकाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। अगर किसान ऐसा नहीं करते तो पंजाब सरकार को तुरंत ये कदम उठाना चाहिए। इस बात की परवाह नहीं करनी चाहिए कि आंदोलन और तेज़ हो जाएगा। सबसे पहले बुजुर्ग नेता की जान बचाने का इंतज़ाम होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट का भी यही निर्देश है। (रजत शर्मा)
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