Friday, November 22, 2024
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Rajat Sharma's Blog | महाराष्ट्र में आरक्षण की आग : एकनाथ शिंदे के लिए चुनौती

मराठा आरक्षण का मुद्दा बहुत पुराना और बहुत जटिल है। 42 साल पुराना ये मसला 42 घंटों में सुलझ जाएगा इसकी उम्मीद करना ठीक नहीं है। महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर सबसे पहले 1981 में अन्नासाहेब पाटिल ने आंदोलन किया था, उसके बाद हर पार्टी ने मौके के हिसाब से इस पर सियासत की।

Written By: Rajat Sharma
Published on: October 31, 2023 18:26 IST
इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।- India TV Hindi
Image Source : इंडिया टीवी इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

महाराष्ट्र में अब मराठा आंदोलन की चिंगारी शोलों में तब्दील हो चुकी हैं। सोमवार को बीड, हिंगोली, ठाणे, मुंबई, धाराशिव समेत कई इलाकों में हिंसा भड़क उठी। प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर आगज़नी की, बसों पर पथराव किया। NCP के  दो विधायकों समेत कई नेताओं के घरों पर हमला किया, आग लगा दी। बीड में हालात बेकाबू होने के बाद शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया। बीड में सोमवार को दिन भर जमकर हिंसा हुई। भीड़ ने बीड में एनसीपी के दफ्तर को आग के हवाले कर दिया। बाद भीड़ ने शरद पवार की पार्टी के विधायक संदीप क्षीरसागर का घर जला दिया। दिन में  अजित पवार की पार्टी के विधायक प्रकाश सोलंके के घर  को भी सैकड़ों आंदोलनकारियों ने आग के हवाले कर दिया।  माजलगांव और वाडवानी में आरक्षण की मांग को लेकर सोमवार को बंद की कॉल दी गई थी, इसलिए ज्यादातर बाजार बंद रहे। हजारों लोगों की भीड़ विधायक प्रकाश सोलंके के घर पर पहुंच गई। पहले वहां पथराव किया, वहां खड़ी गाडियों को तोड़ा गया, घर के अंदर घुसकर सामान तोड़े, और आखिर में घर को आग लगा दी। जिस वक्त ये हमला हुआ उस वक्त विधायक प्रकाश सोलंके घर के अंदर मौजूद थे। सोलंके ने खुद को एक कमरे में बंद करके किसी तरह जान बचाई। सोलंके ने कहा कि हमला करने वाले पूरी तैयारी के साथ आए थे, उनके पास डीजल पेट्रोल से भरे डिब्बे थे। NCP विधायक ने आरोप लगाया कि घर के बाहर पुलिस मौजूद थी लेकिन उसने भीड़ को रोकने की कोशिश नहीं की। 

मराठा आंदोलनकारियों के गुस्सा बीजेपी विधायक प्रशांत बंब के दफ्तर पर भी निकला। प्रशांत बंब छत्रपति संभाजी नगर की गंगापुर सीट से विधायक हैं। उनके दफ्तर पर आंदोलनकारियों ने हमला कर दिया, दफ्तर में तोड़फोड़ की गई। मराठा आरक्षण के नाम पर जो आंदोलन कर रहे हैं, वो सरकारी दफ्तरों को भी निशाना बना रहे हैं। बीड के माजलगांव में नगर परिषद के दफ्तर को प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया। करीब 4 हजार की भीड़ दफ्तर के अंदर घुसी। आंदोलनकारियों ने दफ्तर में कंप्यूटर, फर्नीचर सब तोड़ डाले, इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने कर्मचारियों से दफ्तर से बाहर जाने को कहा और इसके बाद बिल्डिंग में आग लगा दी। पुलिस मौके पर नहीं पहुंची। आंदोलनकारियों ने कई हाईवे ब्लॉक कर दिए। बीड में धुले-सोलापुर नेशनल हाईवे को टायर जला कर ब्लॉक कर दिया। 

बीड की तरह धाराशिव में भी मराठा आंदोलनकारियों ने उग्र प्रदर्शन किया और राष्ट्रीय राजमार्ग पर ट्रैफिक को रोका। मराठा आंदोलनकारी एकनाथ शिंदे की सरकार पर लगातार दबाव बढ़ा रहे हैं। एक तरफ हिंसा हो रही है तो दूसरी तरफ 25 अक्टूबर से आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल भूख हड़ताल पर बैठे हैं। पाटिल को समर्थन देने के लिए मराठा युवाओं ने भी कई इलाकों में भूख हड़ताल शुरू कर दी है। इन लोगों का आरोप है कि शिंदे सरकार ने वादा पूरा नहीं किया। एकनाथ शिंदे ने एक महीने की मोहलत मांगी थी, वो मियाद पूरी हो गई लेकिन आरक्षण नहीं मिला। मराठा आंदोलन में हुई हिंसा के लिए विरोधी दलों ने एकनाथ शिन्दे की सरकार को जिम्मेदार ठहराया। NCP नेता सुप्रिया सुले ने कहा कि कानून और व्यवस्था गृह विभाग की जिम्मेदारी है और देवेन्द्र फडणवीस को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। 

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि कि उनकी सरकार आरक्षण का वादा पूरा करेगी, लेकिन सरकार चाहती है कि ऐसा इंतजाम करे जिससे आरक्षण का मुद्दा कोर्ट में न अटके। इसलिए इसमें थोड़ा वक्त लग रहा है। शिन्दे ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को थोड़ा धैर्य रखना चाहिए, हिंसा से कुछ हासिल नहीं होगा, इस तरह की हरकतों से मराठा आंदोलन भटक सकता है। कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने कहा कि एकनाथ शिंदे विपक्ष पर इल्जाम लगा रहे हैं लेकिन सच तो ये है कि मराठा आरक्षण के लिए बनी कमेटी में एकनाथ शिंदे भी थे। 

मराठा आरक्षण का मुद्दा बहुत पुराना और बहुत जटिल है। 42 साल पुराना ये मसला 42 घंटों में सुलझ जाएगा इसकी उम्मीद करना ठीक नहीं है। एक नज़र पूरी पृष्ठभूमि पर डालें। महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर सबसे पहले 1981 में अन्नासाहेब पाटिल ने आंदोलन किया था, उसके बाद हर पार्टी ने मौके के हिसाब से इस पर सियासत की। इसकी बजह ये है कि महाराष्ट्र में मराठाओं की आबादी 33 प्रतिशत है। अब तक महाराष्ट्र के जो 21 मुख्यमंत्री हुए हैं, उनमें 12 मराठा हैं। एकनाथ शिन्दे मराठा हैं, उनकी सरकार में उपमुख्यमंत्री अजित पवार मराठा हैं। पूर्व कांग्रेस मुख्यमंत्री पृथ्वी राज चव्हाण भी मराठा हैं। 2014 में पृथ्वी राज चव्हाण ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अध्यादेश के जरिए सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठों को 16 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया लेकिन वो जानते थे कि मामला कोर्ट में अटकेगा। वही हुआ। चुनाव के बाद देवेन्द्र फड़नवीस की सरकार बनी। फड़नवीस ने एम जी गायकवाड़ की अध्यक्षता वाले पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के आधार पर मराठों को आरक्षण देने की मंजूरी दी। 2019 में  बॉम्बे हाई कोर्ट ने इसे मंजूरी भी दे दी लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट में जाकर अटक गया। 2021 में  जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने मराठा आरक्षण को रद्द कर दिया। इस बार सरकार की कोशिश है कि मराठा आरक्षण पूरी तैयारी के साथ लागू किया जाए। कोई भूलचूक न रहे, मामला फिर से सुप्रीम कोर्ट के सामने जाकर निरस्त न हो जाए, लेकिन अब फिर चुनाव सामने हैं। मुद्दा नाज़ुक है। मामले को फिर से गरम किया जा रहा है। आरक्षण जैसा सवाल नौकरी और रोजगार से जुड़ा है, इस पर आग लगाना आसान होता है और उसे बुझाना बहुत मुश्किल। और यही एकनाथ शिंदे के सामने बड़ी चुनौती है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 30 अक्टूबर, 2023 का पूरा एपिसोड

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