पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने रेप और हत्या के आरोपियों को फांसी की सज़ा दिलाने वाला कानून विधानसभा में पास करवा दिया। बीजेपी ने इसका समर्थन किया। इस कानून में बलात्कार के मामलों की जांच को 21 दिन के अंदर पूरी करने को अनिवार्य बनाया गया है। अपराजिता एक्ट 2024 नामक इस कानून के तहत बंगाल के हर जिले में अपराजिता टास्क फोर्स बनाई जाएगी जो रेप और इससे जुड़े मामले की जांच 21 दिन में पूरी करके मुजरिम को सज़ा दिलाएगी। इस टास्क फ़ोर्स की अगुवाई एक DSP रैंक के अफसर के पास होगी। अगर किसी मामले में टास्क फ़ोर्स 21 दिन में जांच पूरी नहीं कर पाती तो DSP को इसकी वजह बतानी होगी और अगर कारण सही हुआ तो टास्क फोर्स को जांच पूरी करने के लिए ज्यादा से ज्यादा 15 दिन का एक्सटेंशन मिलेगा। यानी किसी भी हालत में रेप के मामलों में जांच 36 दिन में पूरी होगी। हालांकि इस बिल में इस बात का प्रावधान नहीं है कि अगर रेप के केस में सबूत मिटाने की कोशिश होती है, पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठते हैं तो दोषी पुलिसवालों के खिलाफ क्या कार्रवाई होगी? अगर रेप का केस दर्ज करने में पुलिस गड़बड़ी करती है तो क्या कार्रवाई होगी?
विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने इस बिल में सात संशोधनों के सुझाव दिए, जैसे अगर कोई पुलिस अफसर रेप की FIR लिखने से मना करता है, तो उसे कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए, मेडिकल जांच या फिर पोस्टमॉर्टम में देरी या लापरवाही करने वाले मेडिकल अफसर के लिए भी सज़ा का प्रावधान होना चाहिए। सबूत नष्ट होने पर जांच अधिकारी को ज़िम्मेदार बनाया जाना चाहिए। अगर पोस्टमॉर्टम करने या मेडिकल जांच करने वाला स्वास्थ्य अधिकारी अपना बयान बदलता है, तो उसके लिए भी सज़ा का प्रावधान होना चाहिए। गवाहों को सरकार से पूरी सुरक्षा मिलनी चाहिए और ऐसे मुक़दमों की सुनवाई 30 दिन में पूरी होने की शर्त भी बिल में जोड़ी जानी चाहिए। सरकार ने शुभेन्दु अधिकारी के सुझाव नहीं माने, संशोधनों को खारिज करके बिल पास करवा दिया। बहरहाल इस बिल में ये प्रवधान है कि अगर रेप के बाद विक्टिम की मौत होती है या वो कोमा में जाती है, तो मुजरिम को फांसी की सज़ा मिलेगी। बलात्कार के अपराधियों को ज़िंदगी भर जेल में रहने की सज़ा मिलेगी और सज़ा होने के बाद उसको परोल भी नहीं मिल सकेगी। इस क़ानून के तहत डॉक्टरों और नर्सेज़ को पूर्ण सुरक्षा देने, महिला डॉक्टर्स की केवल 12 घंटे की नाइट ड्यूटी होने, डॉक्टरों और नर्सों के आने जाने के रास्ते की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रावधान हैं। पूरे रास्ते में cctv कैमरे लगाए जाएंगे। ममता सरकार ने इसके लिए 100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।
बिल पर चर्चा के दौरान ममता बनर्जी ने बीजेपी के विधायकों से कहा कि वे राज्यपाल से कहकर जल्दी से जल्दी इस बिल पर दस्तखत करा दें ताकि महिलाओं को इंसाफ़ दिलाया जा सके। ममता बनर्जी ने विधानसभा में लंबा राजनीतिक भाषण दिया, कहा कि महिला सुरक्षा के नाम पर उनका इस्तीफा मांगा जा रहा है लेकिन यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे बीजेपी शासित राज्यों में आए दिन महिलाओं पर ज़ुल्म होते हैं, इनमें से कितने राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस्तीफ़े दिए? ममता ने कहा कि अगर इस्तीफ़ा देना ही है तो देश के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री इस्तीफ़ा दें। बीजेपी ने भी पलटवार किया। कृषि मंत्री शिवराज चौहान ने ममता बनर्जी से पूछा कि क्या वो इस कानून के तहत महिलाओं पर जुल्म करने वाले संदेशखाली के डॉन शाहजहां शेख़ को फांसी की सज़ा दिलाएंगी? अगर ममता शाहजहां शेख़ जैसे अपराधियों को नए क़ानून से सज़ा नहीं दिला सकतीं तो ऐसे क़ानून बनाने का कोई मतलब नहीं है।
कोलकाता की डॉक्टर बेटी को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे RG कर हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ने ममता बनर्जी के इस बिल पर कहा कि सिर्फ कानून बनाने से कुछ नहीं होगा क्योंकि देश में बहुत से क़ानून तो पहले से ही हैं, जरूरत है कानूनों को ठीक से लागू करने की. डॉक्टर्स ने कहा कि डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन के डर कर ममता बनर्जी नया बिल लेकर आई हैं। डॉक्टर किसी राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता नहीं हैं। उन्होंने जो बात कही उस पर गौर करने की जरूरत है। क्योंकि 2012 में रेप करने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनाया गया. उससे पहले पाक्सो एक्ट है और भी कई कानून हैं। इसलिए ये बात सही है कि अगर कानूनों को ठीक से लागू नहीं किया जाता तो फिर नया कानून बनाने का क्या फायदा? इसलिए सबसे जरूरी तो ये है कि ममता बनर्जी की सरकार सिस्टम के प्रति लोगों का भरोसा पैदा करे। वैसे ममता ने अच्छा कानून बनाया, सख्त कानून बनाया। ये कानून बंगाल में महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वालों को कड़ी सजा दिलाने के रास्ते खोलेगा, पर इसका डर तभी पैदा होगा जब इस कानून के तहत दो-चार अपराधियों को बिना देरी के सजा-ए-मौत मिलेगी। बीजेपी का ये कहना ठीक नहीं है कि ममता ने मजबूरी में ये बिल पेश किया क्योंकि बीजेपी ने भी तो मजबूरी में इस कानून को समर्थन किया। इसी तरह अगर ये बिल पेश करते समय ममता बनर्जी मोदी पर हमला न करतीं तो सारा फोकस महिलाओं की सुरक्षा पर बना रहता। ममता ने मोदी पर अटैक किया तो फिर शिवराज सिंह चौहान ने शाहजहां शेख की याद दिला दी। (रजत शर्मा)
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