महाराष्ट्र में नौ दिनों तक चले सियासी घमासान के अन्त में बीजेपी के दो झटकों ने सबको हैरान करके रख दिया। किसी ने ख्वाब में भी नहीं सोचा होगा कि सूबे के सियासी ड्रामे का क्लाइमैक्स कुछ ऐसा होगा। पहला झटका: बीजेपी ने शिवसैनिक एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बना दिया। अब महाराष्ट्र में शिंदे की सरकार होगी और उसे बीजेपी के विधायकों का सपोर्ट होगा।
झटका नंबर 2: पार्टी के निर्देश पर देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। गुरुवार शाम 4:30 बजे तक महाराष्ट्र में हुए इस उलटफेर की भनक किसी को नहीं थी। फडणवीस ने जब प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू की तो कयास इस बात के लगाए जा रहे थे कि वह गुरुवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे या शुक्रवार को।
जब देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे तो पहली बार में वहां मौजूद पत्रकारों को यकीन ही नहीं हुआ। ज्यादातर लोग इस बात पर हैरान थे कि शिवसेना के 40 और 10 निर्दलीय विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बनेंगे और 120 विधायकों के समर्थन वाली बीजेपी उनकी सरकार को सपोर्ट करेगी।
कई लोग ये सवाल पूछ सकते हैं कि जब बीजेपी को एक शिवसैनिक को ही मुख्यमंत्री बनाना था, तो उसने 2019 में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद ऐसा क्यों नहीं किया? बीजेपी अगर ऐसा करती तो शिवसेना के साथ उसका गठबंधन बरकरार रहता। लेकिन मुझे लगता है कि बीजेपी ने ढाई साल सरकार चलाने के लिए एक शिवसैनिक को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला नहीं किया है। यह फैसला अगले 25 साल की लम्बी रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
एकनाथ शिंदे पुराने शिवसैनिक हैं, और वह शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के करीबी रहे हैं। शिंदे हिंदुत्व के नाम पर सत्ता में आए हैं। चूंकि नई सरकार का नेतृत्व एक शिवसैनिक के हाथों में है, इसलिए इस एक फैसले ने उद्धव ठाकरे, उनके बेटे आदित्य ठाकरे, संजय राउत और अरविंद सावंत के मुंह पर ताला लगा दिया है। अब उनके पास कहने के लिए कुछ भी नहीं है।
उद्धव ठाकरे कहा करते थे कि अगर बीजेपी ने किसी शिवसैनिक को मुख्यमंत्री बनाया होता तो वह बीजेपी के साथ ही रहते। बालासाहेब ठाकरे का सपना था कि एक शिवसैनिक के नेतृत्व में शिवसेना की सरकार बने। अब जबकि बीजेपी ने एक शिवसैनिक को मुख्यमंत्री बना दिया है और बालासाहेब के सपनों को पूरा कर दिया है, उसके विरोधियों के पास कहने के लिए कुछ बचा ही नहीं। अपने पोते को गोद में लेकर शपथ ग्रहण समारोह में आए एकनाथ शिंदे ने बालासाहेब ठाकरे के नाम से शपथ ली।
एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनता देख उद्धव ठाकरे के पास अब बीजेपी के खिलाफ बोलने के लिए कोई डायलॉग नहीं बचा। उद्धव ने अपने शिवसैनिकों का समर्थन भी खो दिया है, अब उनके पास शिवसेना सिर्फ नाम के लिए बची है। शिंदे के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही सबसे बड़ी हार उद्धव की हुई है, जबकि देवेंद्र फडणवीस सबसे बड़े गेम चेंजर के रूप में उभरे हैं। बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) की अहम चुनावी लड़ाई से पहले एकनाथ शिंदे का मुख्यमंत्री के रूप में पदभार ग्रहण करना शिवसेना के मनोबल के लिए एक तगड़ा झटका है।
इस पूरे खेल के हीरो रहे, देवेंद्र फडणवीस। यह बात खुद एकनाथ शिंदे ने जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कही। शिंदे ने कहा, ‘बीजेपी के पास 120 विधायकों का समर्थन होने के बावजूद बालासाहब के एक शिवसैनिक को मुख्यमंत्री का पद देना देवेंद्र फडणवीस के बड़े दिल को दिखाता है।’
प्रेस कॉन्फ्रेंस में फडणवीस ने कहा था कि वह सरकार से बाहर रहेंगे। लेकिन इसके तुरंत बाद बीजेपी अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने फडणवीस से डिप्टी सीएम के रूप में कार्यभार संभालने की अपील की, और वह मान गए। शपथ लेने के बाद शिंदे और फडणवीस कार्यभार संभालने के लिए मंत्रालय गए। रविवार और सोमवार को होने वाले विधानसभा सत्र में सदन के पटल पर बहुमत साबित करने के बाद नई कैबिनेट का गठन होगा।
इस बात में कोई शक नहीं कि शिंदे का मुख्यमंत्री बनना देवेंद्र फडणवीस के लिए एक सेटबैक है। उन्हें इस बात की कतई उम्मीद नहीं रही होगी कि पार्टी उन्हें पहले शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने को कहेगी और फिर उनसे उपमुख्यमंत्री बनने को कहेगी। देवेंद्र फडणवीस पार्टी के अनुशासित कार्यकर्ता हैं और उन्होंने इस फैसले को स्वीकार किया। इसके लिए उनकी तारीफ करनी चाहिए। लेकिन यह फैसला देवेंद्र फडणवीस के लिए कितना मुश्किल रहा होगा, इसे समझने के लिए उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि के बारे में जानना जरूरी है।
फडणवीस पांच साल मुख्यमंत्री रहे और उनके काम की हर जगह तारीफ हुई। 2019 का विधानसभा चुनाव बीजेपी-शिवसेना के गठबंधन ने फडणवीस को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाकर लड़ा था। उद्धव ठाकरे जब ढाई साल तक मुख्यमंत्री रहे तो बीजेपी यही कहती थी कि शिवसेना के साथ मिलकर चुनाव फडणवीस को सीएम बनाने के लिए लड़ा गया था। फडणवीस ने भी विधानसभा में एक शेर कहा था, ‘पानी उतरता देख किनारे पर घर मत बना लेना, मैं समंदर हूं, लौट कर आऊंगा।’
पिछले दिनों पहले राज्यसभा और फिर विधान परिषद के चुनावों में बीजेपी की आश्चर्यजनक जीत और महा विकास आघाडी की करारी हार सुनिश्चित करा कर फडणवीस ने ये साबित कर दिया कि वह महाराष्ट्र की राजनीति के बड़े खिलाड़ी हैं। एकनाथ शिंदे कई साल से उनके करीबी हैं, और उनके साथ मिलकर उद्धव ठाकरे की सरकार उखाड़ने का जो ऑपरेशन हुआ उसमें फडणवीस की अहम भूमिका थी। इस लड़ाई में फडणवीस ने शरद पवार जैसे चतुर, चालाक और अनुभवी राजनेता को मात दी।
एकनाथ शिंदे भी हैरान थे कि आखिरकार बीजेपी ने उन्हें मुख्यमंत्री क्यों बना दिया? शिंदे ने पांच साल तक फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में काम किया, लेकिन अब यह उल्टा हो गया है। फडणवीस को शिंदे के अधीन काम करना होगा, लेकिन बीजेपी को आने वाले वक्त में इसका राजनीतिक लाभ मिल सकता है। फडणवीस भविष्य में समंदर की तरह लौटकर आएंगे। (रजत शर्मा)
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