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Rajat Sharma’s Blog: यूपी में कानून का राज कायम करना योगी की सबसे बड़ी कामयाबी

मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ ने अपराधों पर लगाम लगाई और गैंगस्टरों को जड़ से उखाड़ने का काम किया। उन्होंने दोहरी कार्रवाई की। उन्होंने इन गैंगस्टरों को जेल में डाल दिया, उनकी आय के रास्तों को बंद कर दिया और बुलडोजर का इस्तेमाल करके उनकी अवैध संपत्तियों को तोड़ दिया।

Written By: Rajat Sharma
Published on: March 28, 2023 18:09 IST
Rajat Sharma - India TV Hindi
Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा

प्रयागराज में विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट ने मंगलवार को गैंगस्टर अतीक अहमद और दो अन्य को उमेश पाल अपहरण मामले में दोषी ठहराया और तीनों को उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने अतीक के भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ समेत बाकी सात आरोपियों को बरी कर दिया। अतीक को सोमवार को ही गुजरात की साबरमती जेल से सड़क मार्ग से 24 घंटे की 1270 किलोमीटर की यात्रा के बाद नैनी जेल लाया गया था। आशंका थी कि अतीक की वैन पलट सकती है और वह एनकाउंटर में मारा जा सकता है, लेकिन यूपी पुलिस ने उसे नैनी जेल लाने में पूरी सावधानी बरती। माफिया डॉन अतीक अहमद कोई साधारण अपराधी नहीं है। वह यूपी में उस काले युग का प्रतीक है, जब गैंगस्टर राजनीतिक संरक्षण प्राप्त करते थे और हत्याएं, अपहरण, जमीन हड़पने की वारदातों को अंजाम देते थे और खुलेआम घूमते थे। इन गैंगस्टरों ने लगभग चार दशकों तक यूपी के बड़े इलाकों में अपना दबदबा कायम रखा, फिर चाहें कोई भी पार्टी सत्ता में रही हो। इस दौरान गवाहों को ढूंढना मुश्किल था और इन लोगों के खिलाफ सबूत भी। सरकारें बदलीं, लेकिन ये माफिया राज करते रहे। पुलिसकर्मी उनसे डरते थे। मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ ने उनके अपराधों पर लगाम लगाई और इन गैंगस्टरों को जड़ से उखाड़ने का काम किया। उन्होंने दोहरी कार्रवाई की। उन्होंने इन गैंगस्टरों को जेल में डाल दिया, उनकी आय के रास्तों को बंद कर दिया और बुलडोजर का इस्तेमाल करके उनकी अवैध संपत्तियों को तोड़ दिया। आपको जानकर हैरानी होगी कि अतीक अहमद की 1,168 करोड़ रुपए की संपत्ति या तो कुर्क की गई है या ढहा दी गई है। इस तरह की कड़ी कार्रवाई ने यूपी में आपराधिक माफिया गिरोह की कमर तोड़ दी। योगी ने इन बदमाशों को सहयोग देने वालों को भी नहीं बख्शा। इन लोगों की संपत्तियों पर भी बुलडोजर चला। इस तरह की कार्रवाई से अपराधियों के मन में डर पैदा हुआ है और आम लोगों का व्यवस्था के प्रति विश्वास बढ़ा है। मुठभेड़ों में 178 अपराधी मारे जा चुके हैं और 23,000 से अधिक अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। इसका नतीजा ये हुआ है कि अपराधी यूपी में घुसने से भी डरते हैं। दूसरे राज्यों की जेलों में बंद अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी जैसे हार्डकोर अपराधी यूपी की जेल में लाए जाने की आशंका से डरे हुए हैं। माफिया डॉन का ऐसा डर यूपी और यहां के लोगों की बेहतरी के लिए अच्छा है। मुझे लगता है कि अपराधियों के मन में डर पैदा करना योगी आदित्यनाथ की सबसे बड़ी उपलब्धि है।

राहुल गांधी बंगला खाली करेंगे 

लोकसभा सचिवालय ने संसद सदस्यता से अयोग्य घोषित होने के बाद राहुल गांधी को 12, तुगलक लेन स्थित सरकारी बंगला 22 अप्रैल तक खाली करने के लिए कहा है। मंगलवार को, राहुल ने संबंधित अधिकारी को लिखा कि 'अपने अधिकारों को कोई हानि पहुंचाये बगैर, मैं आपके पत्र में बताए गए निर्देश का पालन करूंगा।' जो लोग सरकारी बंगले खाली कराने की मोदी की नीति को जानते हैं, उन्हें इस आदेश पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए। मोदी सरकार ने किसी सांसद के एक बार सदस्यता खो देने पर उसके प्रति कोई नरमी नहीं दिखाई। 2014 से 2015 तक, लगभग 200 पूर्व सांसदों को एक सप्ताह के भीतर अपना आवास खाली करना पड़ा। 2019 के चुनाव के बाद जो सांसद हारे, उन्हें भी आवास खाली करना पड़ा। कैबिनेट से हटाए गए राधामोहन सिंह और रमेश पोखरियाल निशंक जैसे मंत्रियों को आम तौर पर मंत्रियों को आवंटित बड़े बंगले खाली करने पड़े। पहले की सरकारें इसे राजनीतिक पक्ष लेने के लिए एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल करती थीं। चुनाव हारने वाले शीर्ष नेता कभी सुरक्षा के नाम पर, कभी बाजार किराया देकर, तो कभी दूसरे सांसद के नाम पर बंगला आवंटित कराकर कई सालों से बंगले पर काबिज थे। मोदी ने इस प्रथा को बंद कर दिया। इस वजह से कई पूर्व सांसद मोदी से नाखुश थे। लालू प्रसाद यादव अपनी मेडिकल कंडीशन का हवाला देते हुए अपने बंगले में रहना जारी रखना चाहते थे, लेकिन वे सांसद नहीं थे। वह चाहते थे कि उनका बंगला उनकी पार्टी के किसी सांसद को आवंटित किया जाए। उन्होंने पैरवी करने की बहुत कोशिश की, लेकिन असफल रहे। चिराग पासवान उसी बंगले में रहना चाहते थे, जहां उनके पिता स्वर्गीय रामविलास पासवान रहा करते थे। जब रामविलास पासवान सांसद नहीं रहे तो किसी ने उनका बंगला खाली कराने की कोशिश नहीं की, लेकिन मोदी सरकार ने नरमी नहीं दिखाई। स्वर्गीय अजीत सिंह के पुत्र जयंत चौधरी उसी बंगले में रहना चाहते थे जहां कभी चौधरी चरण सिंह और अजीत सिंह रहा करते थे। लेकिन मोदी सरकार ने बंगला किसी और को आवंटित कर दिया। विपक्षी नेताओं को ही नहीं, बल्कि बीजेपी के पूर्व मंत्री स्वर्गीय जसवंत सिंह को भी अपना बंगला खाली करना पड़ा था। चूंकि पार्टी के नेताओं को मोदी की नीति के सख्त पालन के बारे में पता था, इसलिए सुषमा स्वराज और अरुण जेटली ने मंत्री नहीं रहने पर तुरंत अपने बंगले को खाली कर दिया था। लेकिन राहुल गांधी के समर्थक इसे मुद्दा बनाने के लिए बाध्य हैं। हालांकि मोदी सरकार रियायत नहीं देने जा रही है। मुझे वह समय याद है जब सीताराम केसरी कांग्रेस अध्यक्ष थे और अटल बिहारी वाजपेयी के कट्टर विरोधी थे। जब केसरी सांसद नहीं रहे तो वाजपेयी ने तुरंत केसरी को स्वतंत्रता सेनानियों के कोटे से बंगला आवंटित कर दिया। समय अब बदल गया है। नेता कोई भी हो, किसी भी दल का हो, मोदी राज में उसे कोई रियायत नहीं मिलेगी।

क्या गांधी-नेहरू परिवार को कानून से ऊपर होना चाहिए?

सोमवार को कांग्रेस, डीएमके, समाजवादी पार्टी, जेडीयू, बीआरएस, सीपीआईएम, आरजेडी, एनसीपी, मुस्लिम लीग, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, नेशनल कांफ्रेंस और शिवसेना के सांसद काली पोशाक पहनकर संसद पहुंचे और अडानी मामले में जेपीसी जांच की मांग की। कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा, 'राहुल गांधी कोई आम आदमी नहीं हैं, वह उस परिवार से आते हैं जिसने आजादी की लड़ाई लड़ी और दो प्रधानमंत्री शहीद हो गए, इसलिए राहुल के बारे में सरकार का कोई भी फैसला सोच-समझकर लेना चाहिए।' केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इसका जवाब देते हुए कहा, 'कांग्रेस को यह कहने दीजिए कि गांधी-नेहरू परिवार के लिए एक अलग कानून होना चाहिए और राहुल को कानून से ऊपर होना चाहिए।' भाजपा नेताओं को पता है कि गांधी-नेहरू परिवार कांग्रेस पार्टी की दुखती रग है। वे उस परिवार के दो प्रधानमंत्रियों की हत्या का हवाला देते हैं। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन जब कांग्रेस के नेता कहते हैं कि जब कोई अदालत सजा सुनाती है, तो गांधी-नेहरू परिवार के लोगों की शहादत को ध्यान में रखा जाना चाहिए, तब भाजपा नेताओं ने तुरंत इशारा किया कि ऐसे कई नेता थे जिन्हें अदालतों ने सजा सुनाई थी और जिन्हें विधानसभाओं से अयोग्य घोषित किया गया था, लेकिन किसी ने आवाज नहीं उठाई। गांधी-नेहरू परिवार की शहादत की विरासत तो है ही, इस परिवार से भी एक लंबा इतिहास जुड़ा है। कांग्रेस के शासन में ही लालू प्रसाद यादव को जेल भेजा गया था, मुलायम सिंह यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया था, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया गया था, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को पद से हटा दिया गया था। ऐसे में विरासत का मुद्दा उठाना कांग्रेस के लिए दोधारी तलवार हो सकता है।

वीर सावरकर का अपमान कर रहे हैं राहुल 

वीर सावरकर की विरासत और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को लेकर एक नया मुद्दा खड़ा हो गया है। राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 'मैं सावरकर नहीं हूं, मैं गांधी हूं और गांधी कभी माफी नहीं मांगते'। राहुल का यह डायलॉग कांग्रेस नेताओं के कानों को प्यारा लगा, लेकिन शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के लिए यह मुसीबत का सबब बन गया। उद्धव ने गुस्सा जाहिर करते हुए राहुल से सावरकर का अपमान करने से बाज आने को कहा। विरोध के तौर पर शिवसेना ने सोमवार रात कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा विपक्षी नेताओं के लिए आयोजित डिनर में शिरकत नहीं की। राहुल ने पहले भी कई बार वीर सावरकर को 'माफी-वीर' बताया था। सावरकर के परिवार ने राहुल के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है और राहुल को अदालत में पेश होना पड़ा। इतिहास पढ़ने वाले सावरकर को एक महान देशभक्त के रूप में जानते हैं। जब उन्हें पहली बार लंदन में गिरफ्तार किया गया था, और एक जहाज में भारत लाया जा रहा था, तो वह पानी में कूद गए, लेकिन जल्द ही पकड़े गए। अगले 25 वर्षों तक, सावरकर ब्रिटिश जेलों में रहे, और उन्हें 'काला पानी' की सजा दी गई और अंडमान सेलुलर जेल में बंद कर दिया गया। आज भी, भारत के पर्यटक अंडमान सेलुलर जेल को देखने के लिए आते हैं, जहां ब्रिटिश शासकों द्वारा सावरकर को कैद किया गया था। बाद में, एक रणनीति के तहत, सावरकर ने अंग्रेजों से माफी मांगने के लिए पत्र लिखे। इस पर विवाद हो सकता है, लेकिन किसी को भी उनकी देशभक्ति और देश के प्रति वफादारी पर सवाल नहीं उठाना चाहिए। महाराष्ट्र में लोग सावरकर की पूजा करते हैं और सावरकर का अपमान करना किसी को बर्दाश्त नहीं है। शिवसेना अपने संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के जमाने से ही सावरकर को आदर्श मानती थी। 2018 में, जब मणिशंकर अय्यर ने भारत के विभाजन के लिए सावरकर को दोषी ठहराया, तो नाराज उद्धव ठाकरे ने कहा था, अगर मुझे राहुल या मणिशंकर अय्यर मिले, तो मैं उन्हें चप्पल से पीटूंगा। अब शिवसेना महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस की सहयोगी है, तो मराठा लोगों को अपनी पार्टी के रुख के बारे में बताना उद्धव के लिए मुश्किल हो रहा है।

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 27 मार्च, 2023 का पूरा एपिसोड

 

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