तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। गुरुवार को हीरानंदानी ग्रुप के सीईओ दर्शन हीरानंदानी ने तीन पन्नों का एक हलफनामा जारी करके ये मान लिया कि महुआ ने उनसे जानकारी लेकर उद्योगपति गौतम अडानी के खिलाफ संसद में न सिर्फ सवाल पूछे, बल्कि महुआ ने दर्शन को लोकसभा का अपना लॉगइन, पासवर्ड भी दे दिया ताकि वह सीधे मोइत्रा के नाम पर संसद के सचिवालय को प्रश्न भेज सकें। अपने हलफनामे में दर्शन हीरानंदानी ने कबूल किया कि महुआ मोइत्रा ने उनसे महंगे तोहफे लिए, देश-विदेश की यात्राएं करने और अपने सरकारी बंगले को आलीशान रूप देने के लिए मदद भी ली। हलफनामे में ये भी कहा कि गौतम अडानी के खिलाफ उनसे सवाल ड्राफ्ट करवाए। दरअसल बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर सदन में सवाल पूछने का इल्जाम लगाया था और ये मामला अभी संसद की एथिक्स (नैतिकता) कमेटी के पास है। दर्शन हीरानंदानी ने अपने हलफनामे में कहा कि महुआ मोइत्रा जब लोकसभा चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंचीं तो वो जल्द से जल्द राष्ट्रीय स्तर पर खबरों की सुर्खियों में आना चाहती थीं। हलफनामे में कहा गया कि चूंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ किसी तरह का कोई इल्जाम नहीं था, उनकी नीतियों, सरकार चलाने के तौर-तरीके और व्यक्तिगत स्तर पर मोदी के खिलाफ कोई आरोप नहीं था, इसलिए महुआ ने किसी भी तरह से प्रधानमंत्री की छवि को नुकसान पहुंचाने का फैसला किया।
हलफनामे में कहा गया कि इसके लिए उन्होंने संसद में गौतम अडानी के खिलाफ सवाल पूछने का रास्ता अपनाया। अपने बयान में दर्शन हीरानंनदानी ने कहा कि वो पहली बार महुआ मोइत्रा से 2017 में कोलकाता में बिजनेस सम्मिट के दौरान मिले थे। उस वक्त महुआ तृणमूल कांग्रेस की विधायक थी। 2017 के बाद से महुआ लगातार दर्शन के संपर्क में रहीं। उनके खर्चे पर महुआ ने विदेश यात्राएं की। दर्शन हीरानंनदानी ने कहा कि “महुआ को पता था कि इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन अडानी ग्रुप की एक ज्वाइंट वेंचर कंपनी के साथ लम्बी अवधि का समझौता करना चाहता है। इसी सूचना के आधार पर उन्होंने कुछ सवाल तैयार किए जिसे संसद में उठाया जा सके। उन्होंने मुझसे कुछ जानकारी मांगी, मैंने उनका प्रस्ताव मान लिया। मैंने उन्हें अडानी ग्रुप से संबंधित कुछ जानकारी भेजी। उन्हें कुछ और लोग भी मदद कर रहे थे। अडानी कंपनीज को लेकर राहुल गांधी से भी उनकी बातचीत हुई। फाइनेंशियल टाइम्स, न्यूयॉर्क टाइम्स के कुछ विदेशी पत्रकारों से भी उनकी बातें हुई। मुझे लगा कि उनके जरिए मुझे भी विपक्षी पार्टियों की सरकार वाले राज्यों में कुछ समर्थन मिलेगा। वो अक्सर मेरे सामने कई मांगें रखती थी, जिसे मुझे पूरा करना होता था। कई बार मुझे लगा कि वो मेरा बेजा फायदा उठा रही हैं लेकिन मेरे पास कोई विकल्प नहीं था क्योंकि मैं उन्हें नाराज़ नहीं कर सकता था।“
गुरुवार रात को महुआ मोइत्रा ने हीरानंदानी के हलफनामे के बारे में एक लम्बा बयान जारी किया और आरोप लगाया कि हीरानंदानी पर दबाव डालकर प्रधानमंत्री कार्यालय से ये हलफनामा लिखवाया गया है। अपने बयान में महुआ ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने दर्शन और उनके पिता की कनपटी पर बंदूक तान दी और उन्हें हलफनामे पर दस्तखत करने के लिए 20 मिनट का वक्त दिया। महुआ ने आरोप लगाया कि “तीन दिन पहले, 16 अक्टूबर को हीरानंदानी ग्रुप ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके ग्रुप पर लगे तमाम आरोपों को निराधार बताया था, लेकिन आज (19 अक्टूबर को) एक इबालिया हलफनामा प्रेस को लीक किया गया। यह हलफनामा एक सफेद कागज पर लिखवाया गया और इसे किसी ने आधिकारिक तौर पर जारी नहीं किया”। महुआ ने पूछा कि “ये कैसे हो सकता है कि भारत का एक शिक्षित और सम्मानित व्यापारी एक सफेद कागज पर दस्तखत करे, बशर्ते कि उसकी कनपटी पर बंदूक न तानी गयी हो? ऐसा कैसे हो सकता है कि पहली बार सांसद बनी एक महिला एक अमीर, सफल कारोबारी पर दवाब डालकर उससे तोहफे ले रही हो और उन पर अनुचित दवाब डाल रही हो? ये कतई तर्कसंगत नज़र नहीं आता और इससे इस बात की पुष्टि होती है कि हलफनामा दर्शन ने नहीं, पीएमओ ने तैयार करवाया। अभी तक दर्शन को किसी जांच एजेंसी ने या एथिक्स कमेटी ने बुलाया भी नहीं है। अगर उन्हें कबूलनामा जारी करना था तो वह आधिकारिक तौर पर जारी करते, न कि प्रेस में लीक करके। सच्चाई बिल्कुल साफ है।”
अपने बयान में महुआ ने अपने पुराने मित्र वकील जय अनन्त देहदराय पर वार किया और कहा कि “वह मेरा पुराना मित्र था जिसे मैं छोड़ चुकी हूं और वह अब मुझसे बदला लेना चाहता है। अगर उसे मेरे भ्रष्टाचार के बारे में सब कुछ पता था, तो वह मेरे साथ इतने साल तक कैसे रहा और इसे सार्वजनिक करने में इतना समय इंतजार क्यों किया?“ दरअसल ये सारा मामला उस समय सार्वजनिक हुआ जब भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ मोइत्रा पर संसद में सवाल पूछने के एवज में रिश्वत लेने का आरोप लगाया और अपनी शिकायत लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के पास भेज दी। स्पीकर ने इसे एथिक्स कमेटी के पास भेज दिया है। निशिकांत दुबे ने दावा किया है कि वकील देहदराय से उन्हें ‘अकाट्य’ सबूत मिले हैं कि महुआ ने पैसे और तोहफे लिए। शुक्रवार को इसी से जुड़ा मामला दिल्ली हाई कोर्ट में आया। महुआ ने एक याचिका दायर की थी जिसमें हाई कोर्ट से कहा गया था कि वह X, Google, YouTube जैसे सोशल प्लैटफॉर्म्स और 15 मीडिया हाउस पर उनके खिलाफ मानिहानि वाले झूठे और दुर्भावना से प्रेरित खबर छापने या दिखाये जाने पर प्रतिबंध लगाये। अपनी याचिका में महुआ ने हर्जाना भी मांगा है। शुक्रवार को महुआ के वकील गोपाल शंकरनारायणन उस वक्त इस मामले से खुद को अलग कर लिया, जब वकील देहदराय ने आरोप लगाया कि शंकरनारायणन ने गुरुवार रात को उन्हें फोन करके कहा था कि वह सीबीआई को भेजा अपना आरोप वापस ले लें।
जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा कि उन्हें आश्चर्य हो रहा है कि शंकरनारायणन मध्यस्थ की भूमिका निभाते समय इस मामले में कोर्ट के सामने क्यों पेश हो रहे हैं? शंकरनारायणन ने तुरंत कहा कि वह खुद को इस केस से अलग कर रहे हैं और कोर्ट ने सुनवाई 31 अक्टूबर तक मुल्तवी कर दी। दर्शन हीरानंदानी का हलफनामा सनसनीखेज़ है। ये निशिकांत दुबे द्वारा महुआ मोइत्रा पर लगाए गए एक-एक आरोप को सही साबित करता है। दर्शन हीरानंदानी महुआ मोइत्रा को जानते थे, अक्सर बातें होती थी, मुलाकातें होती थी। इसमें तो कोई बुराई नहीं थी, लेकिन हीरानंदानी ने माना कि उन्होंने अडानी के खिलाफ महुआ को सूचनाएं दी, सवाल लिखकर दिए, वो सवाल महुआ ने संसद में पूछे और इसके बाद हद हो गई जब महुआ मोइत्रा ने अपना संसद का लॉगिन और पासवर्ड हीरानंदानी को दे दिया। और इससे भी खतरनाक बात हीरानंदानी ने ये बताई कि उन्होंने अडानी के खिलाफ प्रश्न संसद के वाबसाइट पर सीधे पोस्ट किए महुआ के नाम से। उन्होंने ये भी माना कि महुआ मोइत्रा ने हीरानंदानी से कीमती तोहफे लिए, अपने बंगले का रेनोवेशन करवाया और ट्रैवल बिल भरवाए। मुझे लगता है कि ये पूरी तरह अनैतिक और अवैध काम है, जो महुआ मोइत्रा ने किया। इसीलिए मैंने कल कहा था कि जिनके घर शीशे के होते हैं, उन्हें दूसरो पर पत्थर नहीं फेंकने चाहिए। जहां तक महुआ के बयान का सवाल है, उन्होने संसद से किसी भी मुद्दे पर सवाल उठाये जाने की पवित्रता को लेकर उठे प्रश्नों का अभी तक उत्तर नहीं दिया है। कहना पड़ेगा- "तू इधर उधर की न बात कर ये बता कि क़ाफ़िला क्यूं लुटा, मुझे रहज़नों से गिला नहीं तिरी रहबरी का सवाल है"। (रजत शर्मा)
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