महाराष्ट्र में महायुति के बीच सीटों का झगड़ा दिल्ली में सुलझ गया। फैसला ये हुआ है कि बीजेपी अजीत पवार की NCP के लिए कुछ और सीटें छोड़ेगी। लेकिन महाविकास अघाड़ी में सीटों का फाइनल बंटवारा अभी तक नहीं हो पाया है। महायुति में सीट बंटवारे पर अन्तिम बात करने के लिए देवेन्द्र फडणवीस, अजित पवार और प्रफुल्ल पटेल बुधवार रात ही दिल्ली पहुंच गए थे।
अमित शाह के साथ बैठक करीब तीन घंटे तक चली। चूंकि 288 में 182 सीटों पर फैसला पहले हो चुका है, इन पर तीनों पार्टियों ने उम्मीदवार भी घोषित कर दिए हैं। जो 106 सीटें बची हैं, उनमें से ज्यादातर सीटों का बंटवारा बीजेपी और शिंदे की पार्टी में होना था। इससे अजित पवार नाखुश थे। वो NCP के लिए ज्यादा सीटों की मांग कर रहे थे। अमित शाह ने मीटिंग में तीनों पार्टियों के नेताओं से कहा कि सीटों का फैसला तो हो जाएगा लेकिन पहले ये तय कर लीजिए कि उम्मीदवारों का एलान होने के बाद किसी पार्टी का कोई बागी उम्मीदवार चुनाव मैदान में नहीं उतरेगा, अपने नाराज नेताओं को मनाने की जिम्मेदारी पार्टी की होगी क्योंकि सबसे ज्यादा नुकसान बागी उम्मीदवार करते हैं।
इसपर अजित पवार और एकनाथ शिन्दे ने सहमति जताई। 106 में से 83 सीटों पर भी तीनों पार्टियों में सहमति बन गई, लेकिन 23 सीटों पर मामला उलझा हुआ था। इनमें ज्यादा विवाद मुंबई की सीटों को लेकर था। तय हुआ कि अजित पवार को पहले से ज्यादा सीटें मिलेंगी और दूसरी मुंबई की बीस सीटों पर बीजेपी लड़ेगी और 13 सीटों एकनाथ शिन्दे की शिवसेना लड़ेगी।
अजित पवार की समस्या ये है कि उनकी NCP में कई भारी भरकम नेता हैं, सब अपने बेटे-बेटियों, भाई-भतीजों को टिकट दिलाना चाहते हैं । अगर सीट अजित दादा के हिस्से में नहीं आई तो यही नेता तुरंत अपने उम्मीदवार मैदान में उतार देंगे और फिर शरद पवार की NCP से टिकट मांग लेंगे। अमित शाह ने कहा कि बगावत नहीं होनी चाहिए और इसकी जिम्मेदारी अजित पवार और एकनाथ शिंदे के कंधों पर डाल दी लेकिन ये इतना आसान नहीं होगा क्योंकि अजित पवार की NCP और शिंदे की शिवसेना दोनों के नेताओं के पास अन्य विकल्प उपलब्ध हैं।
कुछ हद तक ये बीजेपी में भी होगा लेकिन संगठन और RSS के लोग कोशिश करेंगे तो बगावत करने वालों को मना लेंगे। एकनाथ शिंदे और अजित पवार के पास एक बड़ा फायदा है। शिवसेना का ओरिजनल निशान तीर कमान शिंदे की सेना के पास है और NCP का ओरिजनल निशान घड़ी अजित पवार के पास है। उधर, महाविकास अघाड़ी के सामने झगड़ा सिर्फ सीटों के बंटवारे का नहीं है। बात इससे कहीं बड़ी है। सीटों की झगड़े की जड़ इस बात में है कि अगर अघाड़ी चुनाव जीती तो सीएम की कुर्सी पर कौन बैठेगा।
मुंबई में 'इंडिया टीवी' के 'चुनाव मंच' में आदित्य ठाकरे ने कहा कि महाविकास अघाड़ी का चेहरा सीटों के बंटवारे के बाद किया जाएगा। लेकिन साथ ही उन्होंने ये भी कह दिया कि महाराष्ट्र के लोग आज भी उद्धव ठाकरे के शासन को याद करते हैं।'चुनाव मंच' में उद्धव की पार्टी के एक और नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने दावा किया कि पॉपुलैरिटी रैंकिग्स में उद्धव ठाकरे सबसे आगे हैं। उनका कहना था कि मुख्यमंत्री के चेहरे का ऐलान ना करना, रणनीति का हिस्सा है। मेरा ये मानना है कि महाविकास अघाड़ी के सामने झगड़ा सिर्फ सीटों के बंटवारे का नहीं है। सीटों के झगड़े की जड़ इस बात में है कि अगर अघाड़ी चुनाव जीती तो सीएम की कुर्सी पर कौन बैठेगा। उद्धव सबसे बड़े दावेदार हैं। लेकिन ये समस्य़ा महायुति की भी है। यहाँ तो मुख्यमंत्री पद के तीन-तीन दावेदार हैं। शिन्दे आज हैं, पर चुनाव जीते तो BJP की सीटें ज़्यादा होंगी और फड़नवीस कहेंगे, मैं लौट के आऊंगा। सपना अजित दादा का भी है। (रजत शर्मा)
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