महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में नामांकन भरने के अंतिम क्षण तक महा विकास आघाड़ी और महायुति में सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान जारी थी। कांग्रेस को 105 से ज्यादा सीटों की उम्मीद है, हालांकि पार्टी ने 102 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है। शिव सेना (उद्धव) की तरफ से 84, और एनसीपी (शरद) की तरफ से 82 उम्मीदवार घोषित हुए हैं। 18 सीटों पर मामला अटका हुआ है। यही हाल महायुति में भी है। महायुति से कुल 260 सीटों पर उम्मीदवारों का एलान हो चुका है, इनमें बीजेपी ने 146, शिंदे की शिवसेना ने 65 और अजित पवार की पार्टी ने 49 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। 28 सीटों को लेकर अभी भी सस्पेंस है।
सोमवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिन्दे, उपमुख्यमंत्री अजित पवार, पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, पूर्व सीएम अशोक चव्हाण की बेटी श्रीजया चव्हाण, राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे, नवाब मलिक की बेटी सना मलिक, बाबा सिद्दीकी के बेटे ज़ीशान सिद्दीकी, समाजवादी पार्टी के नेता अबु आजमी जैसे तमाम नेताओं ने पर्चे भरे। अजित पवार के खिलाफ अपने पोते युगेन्द्र पवार का नामांकन जमा कराने खुद शरद पवार पहुंचे। इस दौरान पार्टियों में बगावत की खबरें भी आईं।
इस बार चुनाव की सबसे रोचक लड़ाई बारामती में होगी। शरद पवार का परिवार आमने सामने हैं। महायुति की तरफ से शरद पवार के भतीजे अजित पवार हैं और महाविकास अघाड़ी की तरफ से शरद पवार के पोते और अजीत पवार के भतीजे युगेन्द्र पवार हैं। इस सीट पर अजित पवार 1991 से, यानि 33 साल से लगातार विधायक हैं। 7 बार चुनाव जीत चुके हैं लेकिन इस बार पहली बार शरद पवार से अलग होकर अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़ रहे हैं।
सोमवार को अजित पवार ने रोड शो किया। नामांकन जमा करने के बाद अजित पवार ने कहा कि घर के झगड़े चार दीवारी के बीच सुलझने चाहिए और ये जिम्मेदारी घर के बुजुर्गों की होती है। अजित पवार ने कहा कि उन्होंने जो गलती लोकसभा चुनाव में सुप्रिया सुले के खिलाफ अपनी पत्नी सुनेत्रा को मैदान में उतार कर की थी, इस बार वही गलती शरद पवार ने युगेन्द्र को उतार कर की है। अजित पवार ने कहा कि लोकसभा चुनाव में उन्हें गलती की सजा मिली थी, अब विधानसभा चुनाव में बारामती की जनता शरद पवार को सजा देगी। पर्चा भरने के बाद युगेंद्र ने अजित पवार को लेकर कुछ नहीं कहा। उन्होंने कहा कि शरद पवार उनके गुरू हैं, मार्गदर्शक हैं और वो उनके ही बताए रास्ते पर चलने की कोशिश करेंगे।
सुप्रिया सुले ने कहा कि बारामती में परिवार की नहीं विचारधारा की लड़ाई है। लेकिन हकीकत यही है कि झगड़ा तो परिवार का है और टक्कर कांटे की है क्योंकि अजित पवार 33 साल से इस सीट पर जीत रहे हैं। बारामती में NCP का काडर उन्होंने तैयार किया। इस बार बीजेपी और एकनाथ शिन्दे की शिवसेना का समर्थन भी है। इसलिए अजित पवार आतम्विश्वास से भरे नज़र आ रहे हैं। लेकिन अजित पवार जानते हैं कि शरद पवार 1965 से, यानि 59 साल से बारामती में राजनीति कर रहे हैं, वो बुजुर्ग जरूर हैं लेकिन सियासत में उनके उस्ताद हैं। वो लोकसभा चुनाव में ये साबित कर चुके हैं और विधानसभा चुनाव में युगेन्द्र की उम्मीदवारी तो शरद पवार की चुनावी शतरंज की पहली चाल है। आगे शरद पवार क्या गुल खिलाएंगे, ये सिर्फ वही जानते हैं।
बारामती के नतीजा अजीत पवार के राजनीतिक करियर के लिए गेमचेंजर साबित होगा जबकि शरद पवार के लिए बारामती प्रतिष्ठा का सवाल है। बारामती के फैसले से ही तय होगा कि असली NCP किसकी है। इसीलिए इस बार बारामती का चुनाव रोचक होगा। बारामती की तरह महाविकास आघाड़ी ने ठाणे में एकनाथ शिन्दे को घेरने की कोशिश की है। ठाणे की कोपरी पाचपाखड़ी सीट पर एकनाथ शिन्दे ने नामांकन दाखिल किया। इस सीट पर उद्धव शिवसेना ने एकनाथ शिंदे के राजनीतिक गुरू आनंद दिघे के भतीजे केदार दिघे को मैदान में उतारा है। एकनाथ शिन्दे ने दावा किया कि सिर्फ नाम से कुछ नहीं होता, जनता काम देखती है। ठाणे में शिंदे ने रोड शो करके अपनी ताकत दिखाई। इस जुलूस में डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस मौजूद थे।
देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सिर्फ खून का रिश्ता होने से कोई वारिस नहीं बन जाता, वारिस वो होता है जो उनके विचार को आगे लेकर जाता है और आनंद दिघे के विचार को आगे ले जाने का काम एकनाथ शिंदे ने किया है। कोपरी पाचपाखड़ी सीट पर एकनाथ शिन्दे 2009 से लगातर जीत रहे हैं। तीन चुनाव में उनकी जीत का अंतर हर बार बढ़ा है। पिछले चुनाव में उन्हें पैंसठ प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले थे। ठाणे को एकनाथ शिन्दे का गढ़ माना जाता है।
इस बार मुंबई की माहिम सीट पर भी मुकाबला रोचक होगा। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के चीफ राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे पहली बार लड़ रहे हैं। राज ठाकरे के बेटे के खिलाफ उद्धव ठाकरे ने महेश सावंत को टिकट दिय़ा है। अमित ठाकरे वर्ली से चुनाव लड़ रहे उद्धव ठाकरे के बेटे और अपने कजिन आदित्य ठाकरे को भी शुभकामनाएं दीं लेकिन राज ठाकरे का परिवार इस बात से नाराज है कि उद्धव ने अपने भतीजे के खिलाफ उम्मीदवार उतारा है। असल में आदित्य ठाकरे जब 2019 में चुनाव लड़े तो राज ठाकरे ने वर्ली सीट से उम्मीदवार नहीं उतारा था लेकिन उद्धव ने ऐसा नहीं किया। इसलिए राज ठाकरे की पत्नी शर्मिला ने कहा कि ये उनका संस्कार है कि उन्होंने आदित्य को वॉकओवर दिया था, अब उद्धव ने उस परंपरा को नहीं निभाया तो MNS ने भी इस बार वर्ली से आदित्य के खिलाफ उम्मीदवार उतारा है।
महाराष्ट्र के चुनाव में इस बार परिवारों के झगड़ों की बड़ी रोचक तस्वीरें देखने को मिली है। जिन अजित पवार को शरद पवार ने बारामती में 33 साल पहले चुनाव जिता कर अपना उत्तराधिकारी बनाया था, अब वही शरद पवार उन्हीं अजित दादा को अपने पोते से हरवाना चाहते हैं। वो बताना चाहते हैं कि पवार परिवार का असली दादा कौन है। जिन एकनाथ शिंदे को ठाणे में आनंद दिघे ने अपना उत्तराधिकारी बनाया, उन्हीं आनंद दीघे के भतीजे शिंदे को चुनौती दे रहे हैं। जो राज ठाकरे अपने आप को बाला साहेब ठाकरे का उत्तराधिकारी मान बैठे थे, उनका बेटा चुनाव के मैदान में है और बड़े भाई उद्धव भतीजे को पटकने की फिराक में हैं।
राज ठाकरे ने भी भतीजे आदित्य ठाकरे के खिलाफ उम्मीदवार खड़ा कर दिया है। यहां दोनों जगह भाई-भाई की लड़ाई देखने को मिलेगी। बाबा सिद्दीकी के बेटे ज़ीशान को अपने पिता की विरासत और उनके प्रति हमदर्दी का फायदा मिलेगा। सना मलिक के लिए अपने पिता के केस मुसीबत पेश करेंगे। अनिल देशमुख अपने खिलाफ केस की दुहाई देकर अपने बेटे के लिए वोट मांग रहे हैं। महाराष्ट्र की राजनीति में बेटा-बेटी, भतीजा-भतीजी, पोता-पोती सब मैदान में हैं और ये दोनों तरफ है। इसीलिए शायद इस बार के चुनाव में राजनीति में परिवारवाद की बात यहां कोई नहीं करेगा। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 28 अक्टूबर, 2024 का पूरा एपिसोड