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Rajat Sharma's Blog | महाराष्ट्र: शांतता, खेल चालू आहे

महाराष्ट्र की राजनीति के पिछले पांच साल छल-कपट और धोखे की सियासत के साथ थे। पिछले पांच साल में जनता ने महाराष्ट्र की राजनीति में इतना बिखराव, इतनी तोड़फोड़, इतनी जोड़तोड़ देखी है कि अब किसी पर भरोसा करना मुश्किल है। प्रचार तो खत्म हो गया, पर छल-कपट और धोखे की राजनीति का दौर अभी बाकी है।

Written By: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : Nov 19, 2024 16:02 IST, Updated : Nov 20, 2024 6:28 IST
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Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

महाराष्ट्र के चुनाव में प्रचार खत्म हुआ। दिनभर ज़बरदस्त जुबानी जंग देखने को मिली। जहर भरे तीर चलाए गए। ऐसे ऐसे डायलॉग सुनाई दिए कि आप भी सुनकर चौंक जाएंगे। उद्धव ठाकरे ने कहा कि जो महाराष्ट्र को काटेगा, हम उसको काटेंगे, गद्दारों को जेल में डालेंगे। जवाब में एकनाथ शिन्दे ने कहा कि गद्दार तो वो हैं जिसने कुर्सी के लालच में बाला साहेब के विचार को छोड़ दिया, उसे जनता ज़रूर सज़ा देगी।

शरद पवार ने कहा कि सबसे पंगा लेना, लेकिन शरद पवार से नहीं, क्योंकि शरद पवार हिसाब बराबर करता है। जवाब में अजित पवार ने कहा कि  पवार साहब बड़े है, लेकिन हिसाब तो जनता करती है। मल्लिकार्जुन खरगे ने बीजेपी और RSS को जहरीला सांप बता दिया। राहुल गांधी तो एक तिजोरी लेकर आ गए। तिजोरी दिखाकर कहा,अडानी मोदी एक हैं, इसीलिए सेफ हैं। विनोद तावड़े ने कहा।।राहुल गांधी फेक हैं, धारावी के शेख हैं। आज जो नेता एक दूसरे को ज़हरीला सांप और गद्दार कह रहे हैं, वो 23 नवम्बर के बाद एक दूसरे का दामन पकड़े दिखाई दे तो आश्चर्य नहीं होगा।

महाराष्ट्र की राजनीति के पिछले पांच साल छल-कपट और धोखे की सियासत के साथ थे। शिवसेना ने बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। महाराष्ट्र की जनता ने फडणवीस की सरकार के नाम पर वोट दिया पर चुनाव जीतने के बाद उद्धव ठाकरे ने धोखा दिया। मुख्यमंत्री बनने की शर्त रख दी। शरद पवार मैदान में आए। उन्होंने रातों रात बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने का प्लान बनाया। अमित शाह के साथ मीटिंग हुई। फडणवीस मुख्यमंत्री  और अजित पवार डिप्टी सीएम बने। लेकिन ये शरद पवार का फरेब था। उन्होंने सरकार गिरा दी। फिर उद्धव और कांग्रेस को बीजेपी का डर दिखाकर नई सरकार बनाई जो उनके काबू में थी।

उद्धव मुख्यमंत्री बने पर उनके अपने एकनाथ शिंदे ने उद्धव के नीचे से कुर्सी खींच ली। शिवसेना तोड़ दी। बीजेपी के साथ मिलकर मुख्यमंत्री  बन गए। उद्धव से बदला पूरा हो गया लेकिन शरद पवार से हिसाब चुकाना बाकी था। इस बार अजित दादा ने चाचा पवार के नीचे से पार्टी खींच ली। चुनाव निशान पर कब्जा कर लिया। पांच साल में सबने एक दूसरे को धोखा दिया और ये सिलसिला आज भी जारी है। चुनाव के बाद क्या होगा, कौन किसके साथ जाएगा, कोई नहीं कह सकता। उद्धव बीजेपी के साथ आ सकते हैं, अजित फिर शरद पवार के घर जा सकते हैं। शिंदे मातोश्री में शरण ले सकते हैं, कुछ भी हो सकता है।

सच तो ये है कि पिछले पांच साल में जनता ने महाराष्ट्र की राजनीति में इतना बिखराव, इतनी तोड़फोड़, इतनी जोड़तोड़ देखी है कि अब किसी पर भरोसा करना मुश्किल है। प्रचार तो खत्म हो गया, पर छल-कपट और धोखे की राजनीति का दौर अभी बाकी है। मतदान खत्म होने के बाद सब बदल जाएंगे। ना कोई गद्दार होगा, ना ज़हरीला सांप, ना कोई किसी को डाकू कहेगा, ना चोर। 'तू चल, मैं आया' का खेल शुरू होगा। दरवाजे खुल जाएंगे। दरबार सज जाएंगे। सब एक दूसरे के करीब आ जाएंगे। इसीलिए कौन सा ऊंट किस करवट बैठेगा आज कहना मुश्किल है।

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 18 नवंबर, 2024 का पूरा एपिसोड

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